मेरे दादाजी पर निबंध
यहां पर मेरे दादाजी पर निबंध (Mere Dadaji Essay in Hindi) शेयर कर रहे है, जो बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।
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मेरे दादाजी पर निबंध (Mere Dadaji Essay in Hindi)
दादाजी का किरदार परिवार के लिए काफी अहम होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि परिवार में बुजुर्गों का होना जरूरी है। कई जगह आपने देखा भी होगा कि बुजुर्गों के बिना परिवार सुना होता है। जहां पर बुजुर्गों की सलाह नहीं सुनी जाती है, उन घरों में रोजाना लड़ाइयां होती है।
बुजुर्ग इंसान हर व्यक्ति को अच्छा ज्ञान देता है। मेरे दादाजी भी मुझे रोजाना नई-नई कहानियां सुनाकर बेहतरीन सलाह देने का प्रयास करते हैं। मेरे दादाजी मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। मैं स्कूल से फ्री होते ही दादाजी के पास अपना समय व्यतीत करता हूं और दादा जी के साथ ही खेलता हूं।
मैंने अपने दादा जी के साथ एक मित्र का रिश्ता बना लिया है और इस रिश्ते से मैं और मेरे दादाजी दोनों बहुत खुश है। अवसर और त्यौहार पर दादाजी मेरे लिए नए गिफ्ट लाते हैं और जब भी मुझे मम्मी या पापा की डांट पड़ती है तो दादाजी उल्टा उन्हीं को डांट देते हैं।
स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग में भी मैं अपने दादा जी को भी साथ लेकर जाता हूं और मेरे अध्यापक भी मेरी पढ़ाई के बारे में सारा विचार-विमर्श दादा जी के साथ ही करते हैं। मैं अपने दादा जी को भगवान के रूप में देखता हूं और उनकी कही हुई बातों को कभी नहीं टालता हूं।
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मेरे दादाजी पर निबंध (Essay on Grandfather in Hindi)
हमारी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिसे हम बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते हैं, जो हमसे बहुत प्यार करते हैं। हमें देखते ही उनके चेहरे खिल उठते हैं। मेरे दादाजी भी कुछ ऐसे ही थे। मेरे दादाजी मेरे जीवन के पहले मित्र थे और मैं उनका आखिरी मित्र था।
मेरे दादाजी
मेरे दादाजी बहुत ही अच्छे इंसान थे। वह बहुत ही ज्यादा स्वाभिमानी व्यक्ति थे। मैं जब छोटा था, तब मुझे मेरे दादाजी से बहुत ज्यादा लगाव था। मेरे पिताजी उस वक्त दूसरे शहर में नौकरी किया करते थे। हम लोग अक्सर छुट्टियों में गांव आया करते थे।
मेरे दादा जी व दादीजी गांव में रहा करते थे। इसलिए मैं उन्हें सिर्फ छुट्टियों में ही मिल पाता था। मेरे दादाजी मुझसे बहुत ज्यादा प्रेम करते थे। उनके सभी पोता पोती में से सबसे ज्यादा उनका पसंदीदा था। वह मेरी हर जिद्द पूरी करते थे। मैं जब भी जो भी उसे मांगता था, वह मुझे दिलाने के लिए मेरे साथ चलते थे।
हम जब भी गांव जाते थे तो दादाजी मुझे मेले में ले जाया करते थे और मुझे वह खूब सारे झूले झूलाते थे। खिलौने और खाने की चीजें भी दिलाते थे। मैं उनके साथ शाम को खेतों में जाया करता था। वहां उनकी बहुत सारी गाय थी।
दादा जी के बहुत बड़े-बड़े खेत थे। वह खेती किया करते थे। वह बहुत ही ज्यादा ईमानदार व्यक्ति थे और बहुत ज्यादा मेहनत करते थे। गांव के लोग उनकी इज्जत किया करते थे। गांव मे सबसे बड़े होने की वजह से लोग उनकी सलाह लेने आया करते थे। वह लोगों का मार्गदर्शन करते थे।
मैं अपने दादाजी की हर बात मानता था। वह मुझे बिना बात नहीं डाटते थे, परंतु कोई गलती होने पर या पढ़ाई ना करने पर वह मुझे डांटते थे। मेरे पिताजी उनकी बहुत इज्जत करते थे।
दादाजी सवेरे जल्दी उठते थे। मुझे भी साथ उठाते थे। खुद भी जल्दी स्नान करते और मुझे भी खुद नहलाते थे। नहाने के बाद वह घर पर दीया बत्ती करते और मंदिर जाते थे । मैं भी उनके साथ जाता था।
दादा जी के साथ बिताये कुछ पल
वह बहुत ही ज्यादा आध्यात्मिक व्यक्ति थे। हम लोग मंदिर से आकर नाश्ता करते थे और वह मुझे कई बार पार्क ले जाया करते थे। वहां मेरे जैसे ही बहुत सारे बच्चे और बूढ़े व्यक्ति आया करते थे। हम बच्चे खेलते थे। दादाजी बाकी बुजुर्गों के साथ बैठकर बातचीत करते थे।
दादा जी बहुत ही ज्यादा मिलनसार व्यक्ति थे। फिर हम घर आकर सब साथ में मिलकर खाना खाया करते थे। मैं अक्सर दादा जी के साथ ही सोता था। दादाजी सोने से पहले मुझे कहानियां सुनाते थे। यह कहानियां बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती थी। उनसे अंत में कुछ ना कुछ सीखने को मिलता था।
दादा जी रात को दूध पिया करते थे और मुझे भी साथ साथ पिलाते थे। दादा जी और मैं कई बार मिलकर धार्मिक नाटक टी.वी पर देखते थे। दादा जी ज्यादातर रामायण और गीता का पाठ करते थे। वह मुझे बहुत सी शिक्षाएं दिया करते थे। वह मुझे हमेशा सही गलत की पहचान करवाते थे।
वह मुझे सबके साथ मिलजुल कर रहने की सीख देते थे। दादा जी और दादी जी मुझसे बहुत प्रेम करते थे। दादा जी बड़ा सा चश्मा धोती कुर्ता और लकड़ी अपने पास रखे थे। दादा जी मुझे बड़ों का आदर करना सिखाते थे।
दादा जी की सिखाई गई बातें
मुझे ईमानदारी के रास्ते पर चलने की सीख देते थे। भ्रष्टाचार से दूर रहने की सीख देते थे। वह मुझे कभी-कभी कॉमिक्स पढ़ने देते थे और हम दोनों मिलकर कॉमिक्स पढ़ते थे। मैं उन्हें कंप्यूटर चलाना सिखाता था।
उन्हें सीखने की बहुत ज्यादा इच्छा थी। वह बहुत ही ज्यादा जिज्ञासु व्यक्ति थे। उन्हें हर नई चीज को जानने की इच्छा थी। उन्हें नई तकनीकी चीजों में भी बहुत ज्यादा रुचि थी। दादा जी ज्यादातर रामायण और गीता का पाठ करते थे। वह मुझे बहुत सी शिक्षाएं दिया करते थे। वह मुझे हमेशा सही गलत की पहचान करवाते थे।
वह बहुत ही ज्यादा आदर्शवादी व्यक्ति थे और उनका जीवन बहुत ही ज्यादा अनुशासित था। वह कहते थे, जो व्यक्ति अनुशासन से चलता है। वह जिंदगी में कभी असफल नहीं होता। मैं हमेशा से अपने दादाजी के जैसा बनना चाहता हूं। मैं अपने दादा जी को बहुत याद करता हूं।
हर बच्चे को दादा की गोद में जो सुकून मिलता है और कहीं नहीं मिल पाता है। दादा जी का प्यार हर कोई लेना चाहता है और मैं अपने दादाजी के साथ बहुत ज्यादा मस्ती करता हूं। दादा जी के साथ मेरा रिश्ता मित्र के समान है।
इस आर्टिकल में हमने मेरे प्रिय दादाजी पर निबंध (Essay On Grandfather In Hindi) के बारे में आपको विस्तृत जानकारी दी है।
मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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Essay on Grandparents : अपने दादा-दादी के लिए ऐसे लिखें सरल शब्दों में निबंध
- Updated on
- सितम्बर 7, 2024
कुछ ही दिनों में दादा- दादी नाना- नानी दिवस मनाया जायेगा। हर साल सितंबर के दूसरे रविवार को दादा दादी दिवस मनाया जाता है। इस साल 2024 में यह दिन 8 सितंबर को मनाया जाएगा। दादा- दादी पर निबंध स्टूडेंट्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। अक्सर स्टूडेंट्स से दादा दादी पर निबंध यानि Essay on Grandparents in Hindi बतौर असाइनमेंट, होमवर्क और प्रॉजेक्ट पूछ लिया जाता है। Essay on Grandparents in Hindi परीक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह अक्सर पूछ लिया जाता है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानें 100, 200 और 500 शब्दों में दादा दादी पर निबंध।
This Blog Includes:
दादा-दादी पर 100 शब्दों में निबंध, दादा-दादी पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , दादा-दादी के साथ बचपन , निष्कर्ष , दादा दादी पर 10 लाइन्स .
दादा-दादी पर 100 शब्दों में निबंध (Essay on Grandparents in Hindi) इस प्रकार है :
दादा-दादी परिवार की महत्वपूर्ण धरोहर होते हैं। वे हमारे जीवन के पहले गुरु होते हैं, जो अपने अनुभवों से हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं। दादा-दादी न केवल हमें संस्कार और मूल्य सिखाते हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में प्रेम, स्नेह, और मार्गदर्शन का स्रोत होते हैं। उनकी कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं और हमें जीवन की सच्चाइयों से अवगत कराती हैं। उनके साथ बिताया समय अनमोल होता है और उनकी उपस्थिति परिवार में खुशियों का संचार करती है। दादा-दादी का स्नेह भरा आशीर्वाद हमें जीवन में सदैव सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
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दादा-दादी पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Grandparents in Hindi) इस प्रकार है :
दादा -दादी, नाना-नानी के साथ बिताया हुआ समय अत्यंत खास होता है। वे हमारे साथ समय बिताकर हमें नए तरीके से सोचने की क्षमता प्रदान करते हैं। हमारे दादा- दादी और नाना-नानी हमारे साथ खेलते हैं, कहानियाँ सुनाते हैं और हमारे साथ अपने अनुभवों को साझा करते हैं। उनके साथ बिताया हुआ वक्त हमारे जीवन के सुखद और यादगार होते हैं।
दादा-दादी ईश्वर के ऐसे आशीर्वाद हैं जिनकी पूर्ति नहीं की जा सकती। वे हमेशा अपने बच्चों और पोते-पोतियों की देखभाल करते रहते हैं। जैसे-जैसे समय विकसित हो रहा है, लोग अपनी परंपरा से दूर होते जा रहे हैं। इसी तरह, लोग दादा-दादी के महत्व को नहीं समझ रहे हैं। इसलिए हार साल हमारे जीवन में उनके महत्व को समझाने के लिए दादा-दादी दिवस मनाया जाता है।
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दादा-दादी पर 500 शब्दों में निबंध
दादा-दादी पर 500 शब्दों में निबंध (Essay on Grandparents in Hindi) इस प्रकार है :
दादी-नानी और दादा-नाना हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। वे हमारे परिपर्णी होते हैं और हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। दादी-नानी और दादा-नाना के साथ बिताया हुआ समय अद्वितीय और यादगार होता है।
दादी-नानी के साथ वक्त बिताने का अनुभव बेहद खास होता है। वे हमारे जीवन के अहम हिस्से होते हैं और हमें अपने आदर्शों और मूल्यों का पालन करने की शिक्षा देते हैं। उनके साथ वक्त बिताने से हम अधिक समझदार बनते हैं और जीवन के प्रति जागरूक होते हैं। वे हमारी मानसिकता को सुधारने में मदद करते हैं और हमारी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में सहायक होते हैं।
दादी-नानी हमारे साथ खेलने और कहानियाँ सुनाने का अवसर प्रदान करती हैं। वे हमारे साथ समय बिताने के लिए उत्सुक होती हैं और हमें अपने अनुभवों का साझा करने का मौका देती हैं। इसके अलावा, वे हमें गर्मागरम खाने का स्वाद भी दिलाती हैं और हमारे लिए अपनी ममता से सब कुछ बनाकर पेश करती हैं।
दादी-नानी के साथ वक्त बिताने से हम अपने संस्कृति और परंपराओं को भी सीखते हैं। वे हमें अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण घटनाओं और इतिहास के बारे में बताते हैं, जिससे हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को भी बढ़ाते हैं।
दादा-नाना भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें अपने अनुभवों से जीवन के मूल्यों का महत्व सिखाते हैं। उनके साथ वक्त बिताने से हम उनकी संजीवनी सलाहों का भी उपयोग करते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों को सिखने का अवसर प्राप्त करते हैं।
दादी-नानी और दादा-नाना हमारे जीवन के अमूल्य रत्न हैं, जो हमें अपनी ममता, समझदारी और प्यार से निभाते हैं। वे हमारे लिए आदर्श होते हैं और हमारे जीवन को खुशियों से भर देते हैं। यह एक अद्वितीय संबंध होता है जिसमें हमारे दादी-नानी और दादा-नाना हमारे लिए एक बड़ी परिपर्णता का भाग बनते हैं।
दादी-नानी और दादा-नाना के साथ वक्त बिताने से हमारे जीवन में एक साथी की भावना बनती है। वे हमें अपने सफलता और असफलता के किस्से सुनाकर जीवन की महत्वपूर्ण सिखें देते हैं। दादी-नानी और दादा-नाना के साथ वक्त बिताने से हम अपनी परंपराओं और धर्म के प्रति भी आदर्श बनते हैं। वे हमें अपने धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों का महत्व सिखाते हैं और हमारे लिए आदर्श बनते हैं।
दादी-नानी और दादा-नाना हमारे जीवन को खुशियों से भर देते हैं। उनका साथ हमारे लिए अद्वितीय होता है और हम उनके साथ बिताए गए समय को सर्वोत्तम तरीके से समझते हैं।
दादी-नानी और दादा-नाना हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं, जो हमें आदर्श बनाते हैं। वह हमारे जीवन में प्यार और समझदारी प्रदान करते हैं और हमे संस्कृति और परंपराओं का पालन कराते हैं। वे हमारे जीवन को सुंदरता और गहराई से भर देते हैं और हमारे लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगे।
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दादा दादी पर 10 लाइन्स कुछ इस प्रकार हैं –
- दादा और दादी हमारे परिवार के पुराने सदस्य होते हैं और हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
- दादा और दादी हमें अपने अनुभव और ज्ञान से भरपूर उपदेश देते हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं।
- उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष की कहानियां हमें जीवन में संघर्ष करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
- दादा और दादी हमारे साथ खेलने, मनोरंजन करने और विचार-विमर्श करने के लिए समय बिताते हैं।
- उनकी ममता और प्यार हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं और हमें सुरक्षित और प्रेम से महसूस कराते हैं।
- दादा-दादी के साथ बिताया हुआ समय हमारे लिए यादगार होता है और हमें उनकी शीख और सलाह का सम्मान करना चाहिए।
- वे हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पालन कराते हैं और हमें सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गर्व महसूस कराते हैं।
- उनकी सर्वस्व से बनाई गई खाने की स्वादिष्टता हमें याद रहती है और हमें घर की याद दिलाती है।
- दादा और दादी हमें अपनी कहानियों से रोमांचित करते हैं और हमें उनके साथ हंसी-मजाक करने का मौका मिलता है।
- हमारे जीवन में दादा और दादी हमारे लिए अद्वितीय होते हैं, और हमें उनके साथ बिताया हुआ समय का सदुपयोग करना चाहिए।
यह दिवस इस साल 2023 में 10 सितंबर के दिन मनाया जाएगा।
दादा दादी हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं। उनका महत्व उनके अनुभव, ज्ञान, और प्यार में होता है, जो हमें सबसे अच्छी तरीके से गुड़ समझने और जीवन की महत्वपूर्ण सीखें देते हैं।
दादा दादी के साथ समय बिताने का सरल तरीका है कि आप उनके साथ कहानियों सुनें, उनके साथ खेलें, और उनके साथ उनके अनुभवों को साझा करें। आप उनसे उनके जीवन के बारे में बात करके उनकी सलाह और ज्ञान का सम्मान कर सकते हैं।
दादा दादी से हम कई चीजें सीख सकते हैं, जैसे कि धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का महत्व, सफलता के लिए कठिनाइयों का सामना कैसे करना चाहिए, और जीवन में खुश और संतुष्ट रहने के तरीके।
दादा दादी के साथ बिताए गए समय से हमें उनके साथीय और प्यारे संबंध बनते हैं। इसके अलावा, हम उनके अनुभव से सीखते हैं, जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हो सकते हैं, और हमें उनके साथ बिताए गए समय की यादें जीवन भर के लिए याद रहती हैं।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Grandparents in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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दादा-दादी और नाना-नानी के महत्व पर निबंध Essay on Grandparents in Hindi
दादा-दादी हो या नाना-नानी (Essay on Grandparents in Hindi) बच्चे उन्हें बहुत प्यार करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपने बच्चों से लेकर अपने पोता-पोती सबके साथ अच्छा समय बिताते हैं। ज्यादातर दादा-दादी तो अपने पोते-पोतियों को कहानियां भी सुनानाते हैं।
इसलिए तो “दादी माँ की कहानियां” पंक्ति भी बहुत मशहूर है। अगर सच बताऊँ तो मेरे माता-पिता तो मेरे बच्चों को पढ़ाते भी हैं और उनका ख्याल भी रखते हैं। जी हाँ दोस्तों दादा-दादी और नाना-नानी का हमारे जीवन में अपार महत्व है। आईये दादा-दादी के विषय में और जानते हैं और उनके महत्व को समझते हैं।
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जीवन में दादा-दादी का महत्व निबंध Essay on Importance of Grandparents in Hindi
दादा-दादी पर निबंध 1.
दादा-दादी परिवार के सबसे बड़े सदस्य होते हैं। ये अपने परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। ये निस्वार्थ भाव से अपने परिवार की देखभाल करते हैं और उन्हे बेहद प्यार करते हैं।
कहते हैं बच्चे की सबसे पहली पाठशाला उसका घर होता हैं और उसके अध्यापक घर के बड़े बुजुर्ग। खेल-खेल में हम अपने दादा-दादी से इतना कुछ सीख लेते हैं जिसका एहसास हमें बड़े होने पर होता हैं।
जैसे किसी के दादा-दादी ने उन्हें गणित की टेबल याद कराई तो किसी ने घर के बुजुर्गों से अख़बार पढ़ना सीखा। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जिनको किताब पढने की आदत अपने दादा-दादी से तोहफ़े के रुप में मिलती हैं।
बच्चे कई बार अपनी दिल की बातें माता-पिता से साझा ना करें लेकिन अपने दादा-दादी से ज़रूर करते हैं। उसकी एक वजह यह भी होती हैं कि उन्हें भरोसा होता हैं कि वह उनकी बातों को समझ कर उनकी समस्या को हल कर देंगे और डाँट भी नहीं पड़ेगी।
सच में दादा-दादी के साथ रहना अपने आप में एक अनोखा एहसास हैं, वह न केवल ज्ञान के मोतिया बिखेरते हैं बल्कि हमारे जीवन को प्यार और खुशियों से भी भर देते हैं। उनकी आस पास होने की भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। वह लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनकी तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे रहती हैं।
दादा-दादी के पास अनेकों अच्छी-अच्छी कहानियाँ व कविताएँ होती हैं जिनमें बहुत सारा ज्ञान और जीवन को सफलतापूर्वक जीने का संदेश छुपा होता है। ये अपने ज्ञान और अनुभव को कहानियों के माध्यम से इतने रोचक ढंग से बच्चों के सामने प्रस्तुत करते है कि बच्चे भी उन्हें बड़े चाव से सुनते हैं।
लेकिन कभी भी दादा-दादी की कहानियाँ ख़त्म नही होती । इससे बच्चे की सोचने समझने कि शक्ति तो बढ़ती ही है और साथ ही वो खुद से भी नए-नए विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं। भले ही आज इंटरनेट पर दादी-दादी की कहानियाँ उपलब्ध हैं लेकिन असली मजा तो उनकी की गोद में बैठकर ही सुनने में आता हैं।
आज के आधुनिक जमाने में बच्चों की सोच और उनका बड़ों के प्रति प्यार कहीं खोता जा रहा हैं लेकिन इसके पीछे के जिम्मेदार हम खुद ही हैं। अगर आप बच्चों के सिर पर संस्कारों व विचारों की गठरी बाँध कर रख देंगे तो जाहिर है बच्चे इस को सहन नहीं कर पाएंगे।
इसलिए आज के बदलते इस लाइफ स्टाइल में दादा-दादी को भी खुद में बदलाव लाना चाहिए। बच्चों को किसी चीज के बारे में समझाने के लिए उनकी उम्र का बनना होगा तभी वह बातों पर गौर करेंगे।
दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते से कई भावनात्मक भावनाएँ जुड़ीं रहती हैं। इनके बीच का प्रेम और बंधन काफी मजबूत होता है। पहले बच्चों को अपने दादा दादी के साथ समय बिताने के लिए काफी समय मिलता था परन्तु आज के जमाने मे बहुत से ऐसे परिवार होते है, जो अपने माँ बाप से अलग रहते हैं, जिस वजह से उनके बच्चों को अपने दादा दादी के साथ समय बिताने को नहीं मिलता है।
जो बच्चे संयुक्त परिवार में रहते हैं, दादा-दादी, नाना-नानी के साथ उनके बचपन की मीठी कहानियाँ और मीठी यादें जुड़ी होती हैं। वहीं जब उनके माता-पिता अपने-अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं।
उस दौरान दादा-दादी ही होते हैं जो माता-पिता से ज्यादा अपने पोता-पोती का ख्याल रखते हैं और उनके बेहतर विकास के लिए उनका पालन-पोषण करते हैं। दादा-दादी के साथ रहने से बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार, अनुशासन की भावना, जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन और प्रेम-सम्मान की भावना आदि का विकास होता है।
दरअसल आज ऐसा युग आया है कि बड़े बुजुर्गों की इज़्ज़त नहीं है क्योंकि हम खुद को बहुत ही आधुनिक सोच का और अपने बुजुर्गों को पुरानी सोच रखने वाला समझते है। हम अपनी इसी नासमझी के कारण अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, पुराने दोस्तों को भूलते जा रहे हैं और प्रेम भाव को भी बिल्कुल खत्म ही कर दिया है।
इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि आजकल के बच्चे दादा दादी के पास बैठने के बजाय अपने वीडियो गेम या गैजेट से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं, इन्हीं सब चीजों में उनका मोह बंध कर रह गया है।
आज के इस डिजिटल युग मे हम यह भूल गए है कि दादा दादी हमारे समाज की एक ऐसी मजबूत कड़ी है जो हमे आपस मे जोड़े हुए है और हमारी संस्कृति को भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने का काम करती है।
चाहे कितना ही वक्त के साथ रिश्तों पर धूल आ जाए, हम बड़े बुजुर्गों के अस्तित्व को कितना ही नकार ले उन्हें नज़रअंदाज़ करे, पर सच बात तो यही है कि दादा दादी फिर भी बच्चों से अत्यंत प्रेम का भाव ही रखते हैं, उनके होंठ हमेशा ही बच्चों के लिए दुआ और प्रार्थना करते रहते हैं और उन प्रार्थनाओं का कोई मोल नहीं होता है।
दादा-दादी और नाना-नानी के महत्व पर निबंध 2
अपने घर के यह बुजुर्ग किसको अच्छे नहीं लगते हैं, इन्हीं से तो हमारे घरों की शोभा बढ़ती है, घरों में रौनक आती है। इन्हीं लोगों के आशीर्वाद से हमारे घर में सुख समृद्धि शांति रहती है। बड़ों की दी हुई दुआ से ही बिगड़े काम सँवर जाते हैं, जीवन जीवंत लगता है।
हम भारत देश में रहते हैं और हम सभी यह जानते हैं कि अपने इस खूबसूरत देश में हम कैसे रिश्तो को संजो कर रखते हैं। रिश्तो का बहुत मान रखते हैं और हमारे देश की संस्कृति यही कहती है।
सिखाती है कि रिश्तो को जोड़ कर रखने में, उनकी इज्जत करने में ही भलाई है। इसी में प्रेम एवं स्नेह झलकता है, रिश्तो के अटूट बंधन से ही हमारी दुनिया बंधी रहती है।
सोचिए अगर मनुष्य बिल्कुल अकेला हो, घर-परिवार ना हो बड़े बुजुर्ग ना हो सगे संबंधी ना हो कोई दुख सुख पूछने वाला ना हो तो, क्या मनुष्य जी पाएगा? जीवन कितना रंगहीन होगा, सोचिए जरा ! बस इसी कारणवश हमारे भारत में मान्यता है प्रथा है रिश्तो को सँवार कर रखने की।
चाहे कोई भी रिश्ता हो , मां बाप बेटे बेटी भाई बहन दादा दादी नाना नानी, सभी के बीच, सभी के साथ प्रेम स्नेह का संबंध रहता है और अगर हम बात करें दादा दादी नाना नानी मतलब बड़े बुजुर्गों की, तो उनसे तो हमें कितना प्रेम मिलता है इसका तो हम मोल भी नहीं लगा सकते हैं, ना ही इनका प्रेम सीमित होता है। बड़े बुजुर्ग हमेशा बिना किसी बंधन में बंध कर प्यार लुटाते हैं, बुजुर्गों की दृष्टि हमेशा आशीर्वाद वाली ही रहती है।
हमेशा अपने नाती पोतो से प्यार ही करते हैं, अटूट प्यार चाहे बच्चे कितने ही बड़े क्यों ना हो जाए। हमारे तो मां-बाप हमसे कितना प्रेम कितनी मोहब्बत करते हैं, तो फिर सोचिए हमारे माता-पिता के भी माता-पिता हमसे कितना प्रेम करेंगे और कितना प्रेमभाव होगा, यह तो कोई पूछने वाली बात ही नहीं है। बड़े बुजुर्गों के होठों पर, जबान पर तो हमेशा बच्चों के लिए प्रार्थना और दुआ ही रहती है।
सदा ही कृपा का भाव रहता है और उनकी दुआओं एवं प्रार्थनाओं से ही हमारे जीवन के सभी काम बनते हैं, हमें शायद इस चीज का एहसास ना हो क्योंकि आज की आधुनिक दौड़ भाग वाली जिंदगी में हम सब यह दिव्य भाव भूल चुके हैं।
परंतु सत्य तो यही है, सच्चाई यही है दुआ ऐसी चीज है जो दिखाई नहीं देती है, पर असर बहुत दिखाती है। हम चाहे इन बातों पर ध्यान दें ना दें पर बहुत बार जीवन में ऐसे पल आते हैं।
जब कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है, काम बिगड़ जाते हैं, हम असमंजस में पड़ जाते हैं, बहुत तकलीफ होती है, पर तभी अचानक से उम्मीद की एक किरण सी दिखाई देती है और बिगड़ते हुए काम भी बन जाते हैं।
आपके भी जीवन में ऐसे लमहे आए होंगे, सभी की जिंदगी में आते हैं। बस तो समझ लीजिए यह सब बुजुर्गों की दी हुई दुआओं का असर ही होता है, प्रार्थना का जादू ही होता है कि मुश्किल से मुश्किल परेशानी भी हल हो जाती है, सबसे ज्यादा तकलीफ के वक्त में भी हिम्मत आ जाती है।
दादा-दादी नाना-नानी इन शब्दों में ही राहत का भाव है। अपने हिंदुस्तान में तो बहुत पुरानी संस्कृति है, जो कि हर भारतीय के दिल में बसी हुई है।
वह क्या ?? यही कि गर्मियों की छुट्टियां मतलब नाना-नानी का घर, अर्थात गर्मियों की छुट्टियों में हम सभी भारतीय एक या एक से अधिक बार दादी नानी के घर जरूर गए होंगे। यह प्रेम की रीत है रिवाज है बहुत खूबसूरत सा।
हमारे बचपन में हम सभी को अवश्य याद ही होगा नानी के घर जाया करते थे, और अगर दादी दूर रहती थी तो दादी के घर भी। वहां जाकर नित नए व्यंजनों का स्वाद सकते थे, खूब मजेदार स्वादिष्ट खाना खाया करते थे और फिर अगली बार जब भी दादी नानी के घर जाया करते थे, तो वह कहा करती थी कि कितने कमजोर, कितने दुबले हो गए हो, कुछ खाते नहीं हो क्या?
फिर इन सबके बाद नाना नानी द्वारा दिए गए अनेकों उपहार, चाहे वह पैसे हो या कपड़े, हमें बहुत भाते थे और फिर इन सब चीजों के ऊपर था दादी नानी का प्यार, उनका वह दुलार जो हमें प्रेम से भर देता था। वह तो अलग ही था, उस भाव की उस एहसास की तो कीमत ही नहीं है, कोई मुकाबला ही नहीं है, किसी और चीज से।
वह बचपन के दिन अभी भी सबको याद आते होंगे, बहुत ही सुंदर था वह वक्त, परंतु दुखद बात यह है कि वह अनमोल समय कभी वापस नहीं आएगा। परंतु आज का जो समय है वह तो और भी अत्यंत दुखदाई है, क्यों है, ऐसा क्यों कहा जा रहा है?
दरअसल आज ऐसा युग आया है कि बड़े बुजुर्गों की इज्जत नहीं है, हमें उनका एहसास ही नहीं है, हमें उनका और रिश्तो का मोल ही नहीं पता है, हम अपनी संस्कृति भूलते जा रहे हैं, पुराने दोस्तों को भूलते जा रहे हैं और प्रेमभाव तो बिल्कुल खत्म ही हो गया है। आजकल के बच्चे दादी नानी के घर जाने के बजाए अपने वीडियो गेम्स या गैजेट से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं, इन्हीं सब चीजों में उनका मोह बंध कर रह गया है।
चाहे कितना ही वक्त के साथ रिश्तो पर धूल आ जाए, हम बड़े बुजुर्गों के अस्तित्व को कितना ही नकार ले उन्हें नजरअंदाज करे, पर सच बात तो यही है कि दादा दादी नाना नानी फिर भी बच्चों से अत्यंत प्रेम का भाव ही रखते हैं, उनके दिलों में हमारी तस्वीर रहती है, उनके होंठ हमेशा ही बच्चों के लिए दुआएं प्रार्थनाएं करते रहते हैं और उन प्रार्थनाओं का कोई मोल नहीं है।
दादा दादी नाना नानी की कोई और जगह नहीं ले सकता है और ना ही उनके प्रेम एवं स्नेह का कोई प्रतिस्थापन है, बस इसलिए बुजुर्गों को यूं ही अनमोल नहीं कहा जाता है क्योंकि हम माने या ना माने
यह हमारे जीवन की विशेष संपदा है, प्यार और विश्वास का जोड़ है और इन्हीं सब रिश्तो के कारण ही हम धनवान कहलाते हैं और अगर हम अपने इन्ही रिश्तो को भूल बैठे, तो बहुत रुपया पैसा होने के बावजूद भी हमसे ज्यादा गरीब कोई और नहीं होगा।
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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