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आत्मनिर्भर भारत पर निबन्ध (Self Reliant India Essay in Hindi)

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है स्वयं पर निर्भर होना, यानि खुद को किसी और पर आश्रित न करना। कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन मे सारे विश्व मे हर किसी के लिए खाने, पीने और रहने मे परेशानी पैदा कर दी है। महामारी की इस संकट को देखते हुए भारत को आत्मनिर्भर होने की जरुरत है। भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है, और इस कड़ी मे आत्मनिर्भर बनकर आप खुद के परिवार के साथ-साथ आप अपने देश को फिर से प्रगति के मार्ग पर खड़ा करने मे मदद कर सकते है। यहां नीचे आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर भारत के कुछ महत्वपुर्ण बातों पर मैने तीन अलग-अलग निबन्ध दिये है आइएं उनपर नजर ड़ालते है।

आत्मनिर्भर भारत पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Self Reliant India in Hindi, Atmanirbhar Bharat par Nibandh Hindi mein)

निबन्ध 1 (250 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत.

आत्म निर्भरता मुख्यतः पांच तत्वों पर निर्भर करती है – अर्थव्यवस्था, मांग, जनसँख्या, तंत्र और संरचना। भारत की कला और संस्कृति को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। आज हमे कोरोना महामारी की इस संकट मे खुद को आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है। आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो हुनर है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर खुद को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए कुछ करना है।

आत्मनिर्भर भारत योजना

कोरोना काल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत 12 मई 2020 को की गई। यह अभियान कोरोना काल के दौरान भारत को इस संकट से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए बनाया गया था। इस अभियान के तहत छोटे वर्ग के लोग जो कोई बिज़नेस करना चाहते है उन्हें सस्तेदर पर लोन उपलब्ध कराया जायेगा। विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दी जाएगी जिससे उनके अंदर कौशल का विकास हो ताकि वो रोजगार प्राप्त कर सके।

आत्मनिर्भर भारत के लाभ

इस तरह से हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रुप मे देख सकते है। कुटीर उद्योग, मत्स्य पालन इत्यादि आत्मनिर्भर भारत के कुछ उदाहरण है। कुटीर उद्योग या घर मे बनाए गए सामानों को अपने आस-पास के बाजारों मे ही बेचा जाता है, यदि किसी की सामाग्री अच्छी गुणवत्ता का हो तो, अन्य जगहों पर भी इसकी मांग होती है।

आप स्वयं के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की राह मे अपना योगदान दे सकते है, और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण सपने को मजबूत बनाने मे सहयोग कर सकते है। आप खुद को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेगें और इसके साथ ही आप अपने राष्ट्र मे भी अपना योगदान दे सकेगें।

निबन्ध 2 (400 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत का सपना

हर किसी का सपना होता है कि वो आत्मनिर्भर बने और यह वास्तव मे किसी व्यक्ति मे सबसे अच्छा गुण होता है। यदि कोई व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है तो वह हर मुंश्किलों का सामना करके आगे बढ़ता है और मुसीबतों से खुद को आसानी से निकाल लेता है। हर व्यक्ति खुद मे आत्मनिर्भर बनकर अपनी, अपने परिवार के साथ-साथ अपने देश के उत्थान मे भी अपना पूरा सहयोग कर सकता है।

आत्मनिर्भर भारत बनने की जरुरत क्यो

भारत प्राचीन काल से ही संसाधनों से परिपूर्ण देश रहा है। यहां हर प्रकार के चीजों को बनाने और उसका अपने जीवन मे उपयोग कर अपने राष्ट्र निर्माण मे मदद कर सकता है। पूरे विश्व मे केवल भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे अधिक प्राकृतिक संसाधन पाये जाते है, जो कि बिना किसी देश की मदद से जीवन से लेकर राष्ट्र निर्माण की वस्तुएं बना सकता है और आत्मनिर्भर के सपने को पूरा कर सकता है।

  • हालाकि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना नया है। यह सपना महात्मा गांधी ने आजादी के बाद ही स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, पर गरीबी और भुखमरी के कारण उनका सपना साकार न हो सका।
  • करोना महामारी के कारण पिछले कई महीनों से सारा विश्व बन्द पड़ा है, जिसके कारण छोटे लोगों से लेकर पूंजीपतियों तक को भारी नुकसान और परेशानीयों का सामना करना पड रहा है। खासतौर से हमारे छोटे और मध्यम वर्ग के परिवारों को कमाने खाने की समस्या काफी बढ़ गयी है।
  • कोरोना महामारी के कारण किसी भी देश से सामानों का आदान-प्रदान बन्द है। इसलिए मई के महीने मे तालाबन्दी के दौरान हमारे प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनने का आह्वाहन किया है। उन्होने “लोकल फॉर वोकल” का भी नारा दिया। जिसका अर्थ है कि लोकल मे बनी वस्तुओं का उपयोग और उनका प्रचार करना और एक पहचान के रुप मे आगे बढ़ना।
  • महामारी के दौरान ही चीन ने भारत के डोकलाम सीमा क्षेत्र मे कब्जा करने की कोशिश की, जिसमे भारत के लगभग 20 जवान शहीद हो गए। सीमा के इस विवाद मे भारत के सैनिकों की क्षति के कारण देश के हर कोने से चीनी सामान को बैन करने की माँग के साथ ही, चीनी सामानो को बन्द कर दिया गया और प्रधानमंत्री ने सारे देश को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दिया। उन्होने कहा कि आत्मनिर्भर बनकर घरेलु चीजों का इस्तेमाल करें ताकि हमारा राष्ट्र मजबूती के साथ खड़ा हो सके।
  • पिछले कुछ महीनों से विश्व कोरोना वायरस महामारी के कारण बन्द पड़ा है। इसके कारण सारे विश्व मे वित्तीय संकट के बादल छाएं है। इसी कड़ी मे भारत ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने और राष्ट्र को आगे ले जाने फैसला किया है। विश्व बन्दी के कारण सारे विश्व के उत्पादों पर भारी असर हुआ है, इसलिए भारत ने स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर देश की तरक्की पर अपना कदम आगे बढ़ाया है।

इन सभी स्थितियों को देखते हुए और भारत की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों से आत्मनिर्भरता से लेकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने को देशवासीयों से अपील की है। भारत इस ओर धीरे-धीरे अग्रसर भी हो रहा है।

कोरोना की महामारी काल मे सभी देश अपने आन्तरिक स्थितीयों और समस्याओं, बेरोजगारी, भुखमरी, चिकित्सा और कई अन्य समस्याओं से जुझ रहा है और भारत भी उनमे से ही एक है। भारत को इन समस्याओं से लड़ने और देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाने के लिए आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने मे अग्रसर है।

निबन्ध 3 (600 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत अभियान और इसके फायदे

विश्व मे कोरोना महामारी के संकट से लड़ने और देश के आंतरिक स्थिति बनाएं रखने और इसे अच्छा करने के लिए भारत ने खुद को आत्मनिर्भर भारत बनाने का फैसला किया है। भारत काफी मात्रा मे चीजों का आयात विदेशो से करता था, पर इस महामारी के चलते सारे विश्व के आयात-निर्यात पर भारी असर पड़ा है, और इस स्थिति को सामान्य और देश की हर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनना बहुत आवश्यक है।

आत्मनिर्भर भारत बनाने का अभियान

कोरोना काल मे आपदा को अवसर मे बदलने के लिए प्रधानमंत्री ने देश-वासियों से आह्वाहन किया है। संकट की इस घड़ी मे सभी को आत्मनिर्भर बन राष्ट्र की सेवा और तरक्की मे हर किसी को योगदान देने की अपील की है। देश आत्मनिर्भर होगा तभी इस संकट की घड़ी मे हम राष्ट्र को तरक्की के लिए आगे खड़ा कर सकते है।

भारत प्राचीन काल से ही संसाधनों का देश रहा है। आजादी के बाद भारत की गरीबी और भुखमरी को देखते हुए महात्मा गांधी नेदेश को आत्मनिर्भर बनानेका सपना देखा था, पर उस स्थिति मे सुविधाओं की कमी के कारण ये पूरी तरह से संभव न हो सका, लेकिन जहां तक हो सका लोगों ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया। महामारी की इस संकट मे फिर से महात्मा गांधी के आत्मनिर्भरता के उस सपने को याद कराते हुए प्रधान मंत्री ने अपील की है। भारत मे संसाधनों की कोई कमी नही है और अब भारत किसी भी चीज का निर्माण करने मे सक्षम है, इसके लिए उसे किसी और से मदद लेने की आवश्यकता नही है।

आत्मनिर्भर भारत बनने का तात्पर्य है कि हमारे देश को हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। भारत को देश मे ही हर वस्तु का निर्माण करना होगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि भारत के संसाधनों से बनी वस्तुओं को भारत मे ही उपयोग मे लाना है। आत्मनिर्भर भारत से अपने यहां के उद्योगों मे सुधार करना और युवाओं के लिए रोजगार, गरीबों के लिए पर्याप्त खाना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

आत्मनिर्भर भारत फायदे

यदि हमारा भारत आत्मनिर्भर बनता है तो देश को इससे कई सारे फायदे होगें जो लोगों और देश की तरक्की मे बहुत सहायक होंगें।

  • आत्मनिर्भर भारत से हमारे देश मे उद्योगों की संख्या मे वृद्धि होगी।
  • हमारे देश को और देशो से सहायता कम लेनी होगी।
  • हमारे देश मे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होगें।
  • इससे देश मे बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी से मुक्ति मे सहायता मिलेगी।
  • भारत की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो सकेगी।
  • आत्मनिर्भर बनने के साथ भारत चीजों का भंड़ारण काफी अधिक कर सकता है।
  • देश आगे चलकर अन्य देशों से आयात कम और निर्यात ज्यादा कर सकेगा।
  • आपदा की स्थिति मे भारत बाहरी देशों से मदद की मांग कम होगी।
  • देश मे स्वदेशी वस्तुओं का निर्माण कर देश की तरक्की को शीर्ष तक ले जाने मे सहायता मिलेगी।

आत्मनिर्भर भारत बनने के महत्वपूर्ण बातें

आत्मनिर्भर भारत की घोषणा के तहत भारत के प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता के लिए पांच महत्वपूर्ण चीजे बाताई है।

  • इंटेंट यानी इरादा करना।
  • इन्क्लूजन या समावेश करना।
  • निवेश या इन्वेस्टमेन्ट करना।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी सार्वजनिक ढ़ाचे को मजबूत करना।
  • नयी चीजों का खोज करना।

आत्मनिर्भर भारत बनने का अवसर

सारे विश्व के साथ-साथ भारत भी कोरोना की माहामारी के दौर से गुजर रहा है, इसलिए इसके साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। इस महामारी के दौरान कुछ हद तक हमने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है और बिना अन्य देश की मदद से इस महामारी से लड़ने के लिए हमने देश मे ही चीजों का निर्माण करना शुरु कर दिया है।

जहां हमने पीपीई किट, वेन्टिलेटर, सेनेटाइजर और के.एन.-95 मास्क का निर्माण अपने देश मे ही शुरु कर दिया है। पहले यही चीजे हमे विदेशों से मंगानी पड़ती थी। इन सभी चीजों का निर्माण भारत मे करना ही आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने का पहला कदम है। इनके उत्पादन से हमे अन्य देशों की मदद भी नही लेनी पड़ रही है, और भारत आत्मनिर्भरता की ओर आगे कदम बढ़ा रहा है।

आत्मनिर्भरता की ओर भारत ने पीपीई किट, वैन्टिलेटर इत्यादि चीजों को बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर  अपना पहला कदम बढ़ा दिया है और हमे भी इसमे अपना योगदान देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना होगा। हमे ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। जिससे कि हम अपने देश को आत्मनिर्भर और अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाने मे अपना योगदान कर सके।

Essay on Aatmanirbhar Bharat

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आत्मनिर्भरता पर निबंध 300 शब्द – Self Reliance Hindi Essay

आत्मनिर्भरता पर निबंध: आत्मनिर्भरता मनुष्य के गुणों में से एक है। धन्य है वह मनुष्य जो अपने पैरों पर खड़ा होकर अपना जीवन व्यतीत करता है। जो व्यक्ति हमेशा दूसरे के ऊपर आश्रित रहता है वह जीवन में सुधार नहीं कर सकता। दूसरे पर निर्भर करने वाला व्यक्ति के जीवन में दुःख, पश्चाताप और अपमान लाती है। इसके विपरीत, एक आत्मनिर्भर व्यक्ति जीवन के उच्च चरणों में सफल होता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति को समाज में आदर्श व्यक्ति माना जाता है।

आत्मनिर्भरता पर निबंध 300 शब्द

प्रस्तावना – आश्रित होने के नुकसान – आत्मनिर्भरता के लाभ – निष्कर्ष

आत्मनिर्भरता एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक अवस्था है जो किसी भी व्यक्ति, समुदाय या राष्ट्र को स्वावलंबी बनाती है। यह अर्थात्मक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण है।

आत्मनिर्भरता का अर्थ है किसी भी संस्था या व्यक्ति की अपनी आवश्यकताओं को स्वयं ही पूरा करना, संभालना और विकसित करना। यह व्यक्ति को निर्भरता की स्थिति से मुक्ति देता है और उसे स्वतंत्रता का अहसास दिलाता है।

आश्रित होने के नुकसान

लोगों की नजर में आश्रित व्यक्ति जेल के कैदी के समान होता है। अगले की दया पर जीने से जीवन का कोई मतलब नहीं है। पराधीनता के कारण ही व्यक्ति की श्रेष्ठ सोच, सद्भावना और कार्यशक्ति कम हो जाती है। जीवन के सभी क्षेत्रों में पराधीनता से पराजय प्राप्त होती है। जीवन में वास्तविक सुख, शांति और आनंद इसी से खत्म हो जाता है। वह समाज पर बोझ बन जाता है। समाज व्यक्तियों से मिलकर बनता है। आश्रित लोगों के कारण ही समाज की प्रगति दूरगामी होती है। भाग्य और ईश्वर में दृढ़ विश्वास लोगों को आश्रित बनने में मदद करता है। ऐसा व्यक्ति कर्मठ होने के बजाय भाग्य के ऊपर निर्भर करते हैं। आश्रित व्यक्ति के लिए बाधाओं का सामना करना संभव नहीं है। पराधीनता से आलस्य का जन्म होता है। आलस्य गरीबी की ओर ले जाता है।

आत्मनिर्भरता के लाभ

आत्मनिर्भरता का जन्म स्वप्रयास से होता है। उद्यमी व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है। उसे आश्रित होने से नफरत है। आत्मनिर्भरता ही मनुष्य का सार है। जापान के लोगों ने बहुत कम समय में अपने देश को एक औद्योगिक राष्ट्र में बदल दिया। इसके मूल में आत्मनिर्भरता और आत्म-प्रयास है। कर्म की पूजा करने वाला व्यक्ति आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करता है। ईश्वर ही है जो आत्मनिर्भर की सहायता करता है। स्वावलंबी व्यक्ति आश्रित व्यक्ति की तरह इधर-उधर हाथ नहीं फैलाता। उसके लिए आत्मसम्मान ही सबसे बड़ी पूंजी है।

आत्मनिर्भरता ही सफलता की कुंजी है। आत्मनिर्भर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। एक उद्यमशील आत्मनिर्भर व्यक्ति सफल होता है। अत: भाग्य पर ज्यादा विश्वास करना उचित नहीं है।

आपके लिए: –

  • शिष्टाचार पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • समय का सदुपयोग पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध

तो यह था आत्मनिर्भरता पर निबंध । यह निबंध को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे सब आत्मनिर्भरता के ऊपर जान सकेंगे। और मुझे उम्मीद है की ये निबंध पढ़ने के बाद आप अपने तरीके से आत्मनिर्भरता के ऊपर एक अच्छा सा निबंध लिख सकेंगे।

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आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत – भारत का 75 वर्ष का सफ़र निबंध

इस हिंदी निबंध में आप जानेंगे कि भारत आज़ादी से अब तक क्या हासिल कर पाया| स्वतंत्रता के ७५ वर्ष: क्या खोया क्या पाया| भारत का 75 वर्ष का सफ़र पर हिंदी essay, hindi essay on 75 years of independent india.

गत वर्षों में भारत की सभी सरकारों ने विश्व के मानचित्र पर भारत की एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। भारत ने बहुत से क्षेत्रों में तरक्की करके कोरोना वायरस से सफल लड़ाई लड़ी. जानिये किस तरह डिजिटल इंडिया मुहीम ने भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद की और कोविड 19 से मुकाबला करने के सक्षम बनाया. गुलामी की जंजीरों को तोड़ता हुआ भारत क्या वास्तव में स्वतंत्रता प्राप्त कर पाया है? मुझे ऐसा लगता है कि असली आज़ादी मिलने में अभी और समय लगेगा। इस हिंदी निबंध – भारत का ७५ वर्ष का सफ़र में जो कमियां रह गयी उनके बारे में बात की जा रही है. यदि आप भारत की ७५ वर्षों में आत्मनिर्भरता और उपलब्धियों पर चर्चा करना चाहते हैं तो स्वतंत्र भारत 75 वर्ष – सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता पढ़ें.

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आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत- भारत का 75 वर्ष का सफ़र निबंध

अंग्रेजी को प्राथमिकता.

मेरे ऐसा मानने के पीछे कई कारण हैं – सबसे पहले मेरी अपनी सरकार की वेबसाइट अंग्रेजी में है। ऐसा क्यों? आप कहेंगे कि भारत में इतनी सारी क्षेत्रीय भाषाएँ है कि किसी एक को नहीं चुन सकते। मैं पूछती हूँ; सरकार ने 74 सालों में अब तक सबसे लोकप्रिय भाषा को यह दर्जा क्यों नहीं दिया? क्यों अंग्रेजों की चलाई हुई भाषा अब तक हम पर राज कर रही है?

आपने नयी शिक्षा प्रणाली से तो अंग्रेज़ी को हटा दिया पर सारे सरकारी काम तो इसी में हो रहे हैं।सरकारी कामों के लिए किसी एक भारतीय भाषा को चुनना बहुत आवश्यक है। उस चुनी हुई भाषा को पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए और द्वितीय भाषा के तौर पर भाषा के चुनाव का निर्णय राज्य सरकार पर छोड़ देना चाहिए।

सौर उर्जा को अनिवार्य करना

भारत के पास कच्चे तेल और इंधन के प्राकृतिक स्रोत्रों की कमी है। इस कमी को पहचानते हुए भारत सरकार द्वारा सौर उर्जा के क्षेत्र में किये गए प्रयास प्रशंसनीय है। सौर उर्जा बिजली का एक प्रदुषण मुक्त साधन है जो हमें पर्यावरण से अपने कार्बन फुटप्रिंट मिटाने में बहुत कारगर साबित होगा। परन्तु अभी सरकार की तरफ से सौर उर्जा को अनिवार्य करने की दिशा में कदम उठाने बाकी हैं।

100 गज या उससे ज्यादा के नए मकान या दुकान बनाने का लाइसेंस बिना सोलर पैनल लगाये पास नहीं किया जाना चाहिए। लोगों को अपनी दैनिक ज़रूरतों की कम से कम 50% बिजली खुद अपने घर में ही बनानी चाहिए। जितने भी बड़े शॉपिंग मॉल हैं उन सभी को अपनी पूरी छत पर सोलर पैनल लगाने का कोई कानून होना चाहिए।

इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती की आवश्यकता

2014 में शुरू किया गया मेक इन इंडिया प्रोग्राम देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया हुआ बहुत बढ़िया कदम था। इससे भारत बाहरी निवेश को आधार बनाकर अपने देश में गरीब लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दे सकता है। लेकिन, दुर्भाग्यवश यह योजना अधिक सफल नहीं हो पाई क्योंकि हमारे देश में प्रौद्योगिकी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत को एक गतिशील उछाल की आवश्यकता है ।अगर अब भी हम कछुए की भाँती ‘स्लो एंड स्टेडी विन्स द रेस’ वाली कहानी को जीवन में अपनाएंगे तो तेज गति से आगे भागते चीन और अमेरिका को नहीं पकड़ पायेंगे।

आप पढ़ रहे हैं – ‘भारत आज़ादी से अब तक हिंदी निबंध’

बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करना

देश के रक्षा विभाग ने इन 75 वर्षों में अभूतपूर्व विस्तार किया है -नवीनतम उपकरणों, लड़ाकू विमानों, जल पोत, पनडुब्बी और राफेल ने पूरे विश्व में भारत का ऐसा दबदबा कायम कर दिया है कि चीन जैसा विशाल और शक्तिशाली देश भी डरकर पीछे हट गया| लद्दाख में जाकर मोदी जी ने जो हुंकार भरी उसने हमारे सैनिकों में एक नया जोश भर दिया । आज़ादी के बाद भारत ने शान्ति और भाईचारे का पथ अपनाया लेकिन कुछ देशों ने इसे हमारी कमजोरी समझने की भूल की, पर पिछले ६ सालों में करो या मरो की नीति ने उनकी यह ग़लतफ़हमी दूर कर दी होगी। पर जनता की ओर से भी देशभक्ति अपेक्षित है यह काम स्कूलों के द्वारा पूरा किया जाने के लिए उचित प्रबंध किये जाने चाहिए ।

कृषि का आधुनिकीकरण

भारत ने हरित क्रांति लाकर कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। हमारे पास हर तरह की भौगोलिक परिस्थियाँ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं लेकिन हम भगवान के दिए इस वरदान का अभी तक भी 100% उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। हमारे किसान भाई आज भी पुरानी तकनीक से खेती कर रहें हैं। जिसमे पैदावार कम और गुणवत्ता भी हल्की होती है ।नयी आने वाली पीड़ी में कृषि को लेकर कोई ख़ास रोमांच नहीं है। यह तभी पनप सकता है जब देश में ऐसे कॉलेज और इंस्टिट्यूट खोले जाएँ जहाँ पर खेती-बाड़ी को कंप्यूटर का इस्तेमाल कर दिलचस्प तरीकों से पढ़ाया व सिखाया जाए।

कानून पालन पर सख्ताई ज़रूरी

भारतीय सरकार ने पिछले कुछ समय में देश को कैशलेस इकॉनमी का तोहफा दिया जिससे कोरोना काल में अमीर और गरीब सभी का लेन-देन बिना रुकावट संभव हो पाया । तकरीबन 4 महीने लॉकडाउन होने के बावजूद भी सभी गरीबों को घर बैठे पैसे, दाल, चावल, तेल, मसाले और यहाँ तक कि खाने के लिए तैयार भोजन भी उपलब्ध करवाया। किन्तु यहाँ भी भ्रष्टाचार और बेईमानी के कारण बहुत से गरीब लोग इन फायदों से वंचित रह जाते हैं । मेरा ऐसा मानना है कि सभी कानून और नीतियों का सख्ताई से पालन किये जाने पर जोर दिया जाना चाहिए । तभी मेरा भारत स्वतंत्र भारत कहलायेगा और विश्व के मानचित्र पर एक सितारे के रूप में सबसे ऊपर टिमटिमाएगा ।

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आत्मनिर्भरता पर निबन्ध | Essay on Self Reliance in Hindi

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आत्मनिर्भरता पर निबन्ध | Essay on Self Reliance in Hindi!

मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्म निर्भर और आत्म विश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-तंत्र होना चाहिए । असंयत स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों से घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध सा करता है ।

वह समाज में रहता है जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । वह एक हाथ से देता तथा दूसरे हाथ से लेता है । यह कथन एक सीमा तक उचित प्रतीत होता है । ऐसा गलत प्रमाणित तब होता है जब बदले में दिया कुछ नही जाता सिर्फ लिया भर जाता है और जब अधिकारों का उपभोग विश्व में बिना कृतज्ञता का निर्वाह किए, भिक्षावृत्ति तथा चोरी और लूट-खसोट में हो, लेकिन विनिमय न हो ।

फिर भी पूर्ण आत्म-निर्भरता असंभव सी है । जीवन में ऐसे सोपान आते हैं, जब आत्म विश्वास को जागृत किया जा सकता है । स्वभावतया हम दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर होते हैं । हम जरूरत से ज्यादा दूसरों की सहायता, सहानुभूति, हमदर्दी, नेकी पर विश्वास करते हैं, लेकिन यह आदत हानिकारक है । इससे हमारी शक्ति और आत्म उद्योगी भावना का ह्रास होता है । यह आदत हममें निज मदद हीनता की भावना भर देती है ।

यह हमारे नैतिक स्वभाव पर उसी प्रकार कुठाराघात करती है, जैसे किसी नव शिशु को गिरने के डर से चलने से मना करने पर कुछ समय पश्चात् अपंग हो जाता है । यदि इसी प्रकार हम दूसरों पर निर्भर न रहें तो नैतिक रूप से हम अपंग व विकृत हो जाते हैं ।

इसके अलावा दूसरों से काफी अपेक्षा रखना एक तरह से खुद को उपहास, दयनीय स्थिति, तिरस्कार व घृणा का पात्र बना लेने के बराबर है । इस स्थिति में लोग आश्रित और परजीवी बन जाते हैं । आत्म-शक्ति से परिपूर्ण व्यक्तियों के मध्य हमारी खुद की स्थिति दयनीय हो जाती है ।

विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारा अन्त करण हमें उत्तेजित करता है । अन्त में हम इस मानव जाति से घृणा व विरोध करने लगते हैं । ईर्ष्या हमारे जीवन में जहर भर देती हैं । इससे ज्यादा दयनीय स्थिति और कोई नही ।

इससे बिल्कुल विपरीत स्थिति आत्म-विश्वासी व्यक्ति की है । वह वीर और संकल्पी होता है । वह बाहरी सहायता पर विश्वास नही करता, बकवास में विश्वास नही रखता और बाधाओं, मुसीबतों से संघर्ष करता है तथा हर पग पर नए अनुभव प्राप्त करता है । वह चाहे सफल रहे या असफल उसे हमेशा दया, आदर और प्रशंसा का अभिप्राय माना जाता है ।

व्यक्ति की महानता उसके प्रयत्नों पर निर्भर करती है न कि सफलता एवं असफलता पर । ऐसे व्यक्ति विश्व को मानसिक दृढ़ता, सहनशीलता व आत्म-निर्भरता की शिक्षा देते हैं । कमजोर और पिछड़ा वर्ग इनसे शिक्षा प्राप्त करते हैं । दु खी लोगों को इनसे सामना मिलती है । साहसिक प्रवृत्ति से संघर्ष तथा उन पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है । अन्ततोगत्वा उसके भविष्य का निर्माण होता है ।

आत्म-निर्भर व्यक्ति को पृथ्वी और स्वर्ग दोनों जगह सम्मानित किया जाता है । वह व्यक्तियों के बीच प्रशंसा का पात्र बनता है । वह प्रशंसा, प्यार व आदर हासिल करके प्रसिद्धि, खुशहाली एवं यशस्वी बनता है । वह लोगों का नेतृत्व करता है । जनता तन-मन-धन से उस पर विश्वास करती है तथा उसकी बुद्धिमता और सक्षमता पर विश्वास रखती है । विश्व में जहां सफलता प्राप्त करना दुर्लभ है, वहाँ वह जीवन के प्रत्येक चरण में खरा उतरता है । व्यक्ति के अपने प्रयत्न के साथ-साथ ईश्वर भी संघर्ष मे उसकी सहायता करता है ।

आत्मनिर्भर व्यक्ति के मुकाबले कोई भी व्यक्ति इतना तेजस्वी एवं दृढ़प्रतिज्ञ नहीं होता । भाग्य की रेखाएं इतनी अनिश्चित होती है कि जब हम सब कुछ प्राप्त कर लेते है तो भी शांति से उनका उपभोग नहीं कर पाते । आशा के विपरीत ज्यादा या कम मिलने की अवधारणा प्राय: हम लोगों में व्याप्त है । यहां तक कि हमेशा किसी वस्तु के लिए व्यग्रता-सी बनी रहती है ।

ऐसे उपहार जिनका हम उपार्जन नहीं करते, हमसे दूर होती है और हमारे लिए अपने मन मे उपजी उत्कण्ठा को शांत करना मुश्किल सा प्रतीत होता है । परहितकारों द्वारा की गई दया हमारे आत्म सम्मान पर अंकुश लगाती है । लेकिन जब उन वस्तुओं की प्राप्ति के लिए हम परिश्रम एवं खर्च करते हैं तथा न चीजों को प्राप्त करने के लिए खून-पसीना एक करते हैं तो इस स्थिति में नैतिक दृष्टिकोण से हम उन वस्तुओं का उपभोग शान्ति से कर सकते है ।

अभ्यास व परिश्रम से सहूलियत उत्पन्न की जाती है । यदि इस तथ्य के अनुरूप हम अपने मस्तिष्क को क्रियाशील बनाएं तथा दूसरे पर निर्भर रहने की अपेक्षा जहां तक संभव हो ज्यादा से ज्यादा अपना कार्य स्वयं सम्पन्न करें और अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करें तो हमारे अन्दर शक्ति का संचार हो जाता है । हम जल्दी ही आत्मनिर्भर हो जाएंगे तथा जीवन की दौड़ में सफलता के कीर्तिमान स्थापित करेंगे, जो पहाडों का सीना चीर सकती है ।

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध । Essay on Self Reliant India in Hindi

self reliant india essay in hindi

जहाँ तक रहने और खाने पीने की बात करे तो बहुत से लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा । कई देश हर एक दुसरे देश मदद की गुहार लगा रहे थे । ऐसे में भारत प्राचीन काल के समय से ही आत्मनिर्भर रहा है और ऐसे में भारत को और भी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए “आत्मनिर्भर भारत अभियान” की मुहिम को चलाया जा रहा है ।

अगर हमें अपने देश आत्मनिर्भर बनाना है तो पहले हमें खुद को आत्मनिर्भर बनना होगा तभी जाकर हम अपने देश को प्रगति के मार्ग पर खड़ा करने में सहयोग दे सकते है ।

हमारे भारत देश में कई सारी कलाकृतियों व सांस्कृतिक परम्पराओ को देखते हुए ही ये लगता है की भारत देश प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर है । कोरोना जैसे महामारियो से निपटने के लिए खुद को और आत्मनिर्भर बनने की जरुरत है ।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

तत्कालीन भारत देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने 12 मई 2020 के दिन इस अभियान की मुहिम का शुरुवात किया । उन्होंने भाषण के दौरान अपने संबोधन में कहा की भारत देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए इस पहल की शुरुवात की गयी है ।

हमारे आने वाले कुछ सालो में अधिकतर चीजो का निर्माण हमारे भारत देश में ही किया जायेगा । किसी दुसरे देश आयात की  मात्रा को कम किया जायेगा । इसी वजह से आत्मनिर्भर भारत का अभियान की पहल की गयी है ।

हमारे इस अभियान के तहत उन सभी निर्भरता को कम करना जो भारत देश अधिकतर व्यापार दुसरे पडोसी देश पर निर्भर रहे है । हमें बाहर की वस्तुओ पर ज्यादे निर्भर न रहकर खुद का उच्च गुणवत्ता की सामान अपने ही देश में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है ।

अगर हम आज की बात करे तो हमारे दैनिक जीवन में कई सारे चीजे है जो दुसरे के द्वारा हमें आपूर्ति की जाती है जैसे की हमारा पडोसी देश चीन इसके अलावा अमेरिका, सऊदी अरब इत्यादी । रक्षा क्षेत्र में भी हमें ज्यादातर सामान दुसरे देश से ही आयात करते है जिसका सबसे बड़ा उदहारण रूस, फ्रांस जैसे देश है ।

इसलिए इस अभियान के तहत हम अपने आवश्यक जरुरी वस्तुओं का निर्माण भारत देश में किये जाने की सकल्प लिया जायेगा तभी हमारा देश पूर्णरूप आत्मनिर्भर भारत कहलायेगा ।

आत्मनिर्भर भारत के रूप

भारत देश में आत्मनिर्भरता का कोई नया शब्द नही है । ऐसे में देखा जाये भारत देश एक कृषिप्रधान देश है, और ग्रामीण क्षेत्र की संख्या ज्यादे होने की वजह से लोग कृषि का कार्य करके अपने घर परिवार का खर्चा चलाते है किसी दुसरे के भरोसे नही बैठे रहते है । इसी प्रक्रिया को हम आत्मनिर्भरता कहते है ।

आज भी भारत देश में ग्रामीण क्षेत्र के लोग खुद के कुटीर उद्योग के द्वारा बनाये गये चीजो से ही अपनी आमदनी निकाल कर घर का खर्चा चला रहे, ये ही चीज उनको आत्मनिर्भर बनाती है और इसी के चलते उनको शहरो में नौकरी करने की भी जरुरत नही पड़ती है । इसे ही हम आत्मनिर्भरता कहते है ।

भारत के आत्मनिर्भर के कई रूप है जैसे की कृषि, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन, कुटीर उद्योग, लघु उद्योग इत्यादी ये सभी चीजे हमे और हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाती है ।

आत्मनिर्भर बनाने में पांच प्रमुख स्रोत

अर्थव्यवस्था – इस समय भारत देश अर्थव्यवस्था एक प्रकार की मिश्रित अर्थव्यवस्था है जिसका परिवर्तन किया जाना संभव है । अर्थव्यवस्था ही एक ऐसा संसाधन है जो भारत देश को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ा सहयोग हो सकता है ।

तकनीकी – हमारे भारत देश तकनीक का काफी विकसित है जो भारत इस तकनीक का उपयोग करके विश्व शक्ति बनने की दम-ख़म रखता है । ये तकनीक ही एक ऐसी मुख्य अंग है जो भारत आत्मनिर्भर बनाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।

इन्फ्रास्ट्रक्चर – इन्फ्रास्ट्रक्चर भी आत्मनिर्भर भारत का मुख्य अंग है जो की हमारे देश इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत ही मजबूत है जो आत्मनिर्भरता के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा ।

डिमांड ( मांग ) – हमारे भारत देश में कच्चे तेल की इतनी डिमांड है की हमें हमेशा से दुसरे पडोसी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है । अगर हम इसकी डिमांड भारत देश में ही कच्चे माल का निर्माण कर लेते तो इस स्थति में भी भारत को आत्मनिर्भर बनने से कोई नही रोक सकता ।

बढती जनसंख्या – भारत देश में दिन प्रति-दिन बदती जनसंख्या एक प्रमुख कारण बना हुआ । यह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है अगर इस पर रोक या नियंत्रण नही लगाया गया तो भारत को आत्मनिर्भर बनने में बाधा आ सकती है ।

अगर हमारा भारत देश आत्मनिर्भर बनता है तो है हमें किसी के सामने हाथ फ़ैलाने नही पड़ेंगे । सभी के पास रोजगार का अवसर होगा और गरीबी से मुक्ति भी मिल सकती है ।

हमें अपने देश आत्मनिर्भर बनना है तो पहले हमें आत्मनिर्भर बनना होगा तभी हम अपने देश की आत्मनिर्भरता में सहयोग दे सकते है ।

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Essay On Independent India @75 Self Reliance and Integrity In Hindi

Essay On Independent India @75 Self Reliance and Integrity In Hindi

हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “ Essay On Independent India @75 Self Reliance and Integrity In Hindi ” में, हम Independent India @75 Self Reliance and Integrity के बारे में निबंध के रूप में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…

चलिए शुरू करते हैं…

भारत एक ऐसा राष्ट्र जोकि अपनी एकता व अखंडता के लिए विश्व प्रसिद्ध है.

भारत का इतिहास अपने आप में अनूठा है, हमारा देश प्राचीन समय में सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था.

किंतु ब्रिटिश सरकार ने इसकी जड़े खोखली ही नहीं की बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंका था.

विभिन्न अथक प्रयासों के उपरांत हमें 15 अगस्त 1947 ई में आजादी प्राप्त हुई.

वर्तमान समय में हम अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं.

आज भारत की पहचान दुनिया भर में एक सशक्त राष्ट्र के रूप में हो रही है.

जब भारत आजाद हुआ तो हमारे पूर्वजों ने कई सपने देखे थे जो कि कई हद तक आज पूर्ण भी हो रहे हैं किंतु पूर्णतः रूप से अभी भी हम देशवासियों को उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करने होंगे.

आज भारत विकासशील देशों में गिना जाता है जो कि विकसित देशों की तरफ अग्रसर हो रहा है.

यदि आजादी के 75 साल बाद हम भारत का स्वरूप पूर्णतः बदलना चाहते हैं तो इसके लिए आत्मनिर्भर भारत का होना अत्यंत आवश्यक है।

“भारत को विकसित जल्द ही, केवल आत्मनिर्भरता का पथ है हल ही”।

एक व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण आत्मनिर्भरता होता है.

आत्मनिर्भर का अर्थ एक व्यक्ति विशेष को किसी और सहारे न रहकर अपने स्वयं के सहारे रहना चाहिए.

1947 में जब देश आजाद हुआ तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया व आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना देखा परंतु बड़ी विडंबना है कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत सपने से अछूता रहा है.

Debate On Independent India @75 Self-Reliance with Integrity

Essay On Independent India @75 Self Reliance with Integrity

Slogan On Independent India @75 Self-Reliance With Integrity

वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया गया जिसका उद्देश्य भारत को अपने पैरों पर खड़ा कर विकसित देश बनाना है.

आत्मनिर्भरता प्राप्त करने हेतु हर व्यक्ति का सत्य निष्ठा होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि कहा भी जाता है कि सत्य निष्ठा व मेहनत से किया गया हर कार्य सफल होता है और उसका फल भी अवश्य मिलता है.

सत्य निष्ठा का अर्थ है सत्य की राह पर चलना चाहे रास्ता कितना भी कठिन हो सत्य निष्ठा के साथ आत्मनिर्भरता का कदम बढ़ाना देश को अलग ऊंचाई पर पहुंचा सकता है.

हमेशा सत्य के आधार पर चलने वाले व्यक्ति को कभी पराजय का मुंह नहीं देखना पड़ता है।

अगर हम सत्य निष्ठा का सहारा लेकर आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ाए तो देश को रोजगार उपलब्ध होगा, देश में भ्रष्टाचार का विनाश होगा व हर क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी.

सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भर बनना एक व्यक्ति ही नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र के लिए कारगर साबित होगा और फिर वह दिन दूर नहीं जब संपूर्ण राष्ट्र विकसित देश के रूप में गिना जाएगा और भ्रष्टाचार का नाम देश से उखाड़ फेंक दिया जाएगा.

सत्य निष्ठा से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ना ही सही मायने में भारत को विकसित करना है.

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Essay on Atmanirbhar Bharat (India): Samples in, 250 and 600 Words

self reliant india essay in hindi

  • Updated on  
  • January 25, 2024

Essay On Atmanirbhar Bharat

Essay on Atmanirbhar Bharat: Today, India, that is Bharat, has become a self-reliant (atmanirbhar) country in most of the realms. The Indian Prime Minister, Narendra Modi, launched the Atmanirbhar Bharat Abhiyan on 12th May 2020 during the COVID-19 pandemic to make India self-reliant. As India prepares to take the global centre stage, it will become an important global economy. India is ranked 5th in nominal GDP and 3rd in purchasing power parity (PPP). 

There are five pillars of the Atmanirbhar Bharat Abhiyan, which are economy, technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. Moreover, India is determined to become a global power under the India Vision 2047. Atmanirbhar Bharat Abhiyan is not just a social and economic development topic. It is about the importance of India and its citizens in the global development. Today, we will provide some samples of essays on Atmanirbhar Bharat (India) for school students.

Table of Contents

  • 1 Essay on Atmanirbhar Bharat in 250 Words
  • 2 Essay on Atmanirbhar Bharat in 600 Words

Master the art of essay writing with our blog on How to Write an Essay in English .

Essay on Atmanirbhar Bharat in 250 Words

The Prime Minister of India launched the ‘Atmanirbhar Bharat Abhiyaan’ on 12th May 2020. All the activities and developments under this programme are managed by the Ministry of Defence, Ministry of Finance, Ministry of Health and Ministry of Electronics and Information Technology (Meity). 

Initially, this programme was launched with a total budget of INN 5,000 crore, which is 0.025% of our GDP. Later on, the Prime Minister increased this monetary budget to INR 20 lac crore to achieve all the desired objectives. To make India a self-reliant nation, native businessmen, industrialists and traders were encouraged to participate in the nation-building programme.

There are five pillars of the Atmanirbhar Mission. These are technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. All these pillars are equally important and are managed by different ministries and departments of the Indian government. All the ministries involved in this programme have their separate objectives. 

To become a global economy, India is focusing on producing more and more products for exports and reducing its expenses in importing. When a country’s exports are more than its imports, its economy grows at a positive rate. We have a long way ahead of us. Our major focus is on producing indigenous products by encouraging local businesses so that their production is sufficient to sustain them and to export outside the country. If this trend continues, then the time is not far when India will become the global economic power, surpassing Germany, Japan, China and the USA. 

To improve your essay writing skills, here are the top 200+ English Essay Topics for school students.

Also Read: Speech on Republic Day for Class 12th

Essay on Atmanirbhar Bharat in 600 Words

The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or mission is an Indian government initiative, launched by Prime Minister Narendra Modi on 12th May 2020. The Prime Minister laid down all the objectives, responsibilities, pillars and names of the ministries which will be working to achieve all the goals of this scheme. The objective of this scheme is to make India a self-reliant nation and a global economic power. 

Total Budget

The initial budget of the Atmanirbhar Bharat Abhiyaan was INR 5000 crore. However, due to the COVID-10 pandemic and global economic slowdown, this budget was raised to INR 20 lac crore. This was done to achieve all the objectives in real-time, as India is planning to enhance its production. 

Native businessmen, industrialists and traders are encouraged by the government to contribute and invest in the Indian manufacturing sector. With the number in production increasing, the country will be focusing on exporting more and importing less.

Five Pillars of Atma Nirbhar Bharat

The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan functions under five ministries:  Ministry of Defence, Ministry of Finance, Ministry of Health and Ministry of Electronics and Information Technology (Meity). All these ministries will be working on separate pillars of the Atmanirbhar Bharat mission. These five pillars are; technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. All these pillars are equally important and are managed by different ministries and departments of the Indian government. 

  • Technology-driven systems – A system based on technological developments, which can make India an important global power in the 21st century.
  • Economy – An economic system focusing on Quantum Jump rather than Incremental change.
  • Infrastructure – A modern infrastructure for a modern India.
  • Demography – As the mother of Democracy, our demographic variation or diversity is our strength to make India self-sustaining.
  • Demand – To enhance the cycle of demand and supply for a stronger economy

Developments So far

The Ministry of Defence is focusing on building its own infrastructure and warfare equipment, instead of importing from other countries. To achieve these goals, all five departments of the Ministry of Defence are working together. These departments are the Department of Military Affairs, the Department of Defence, the Department of Defence Production, the Department of Defence Research and Development, and the Department of Ex-Servicemen Welfare. LCH Prachand chopper, Pinaka rocket launchers, and Nag anti-tank missiles are some of the Indian-made military weapons.

Benefits to Poors and Migrants

Under the Atmanirbhar Bharat Abhiyaan, the Indian government has encouraged the local and state governments to work for the welfare of the poor and migrants.

  • Migrants are given food grain supply for up to 2 months.
  • Poor people are given access to education and learn technical skills so that they can participate in technological-related activities.
  • To offer affordable housing complexes for migrant workers and urban poor people, the One Nation One Ration Card scheme was introduced.
  • The Shishu Mudra loan service was launched, under which a 2% interest subvention for 12 months was offered. This scheme offered a total of INR 12,000 crore loans all over India.
  • Another INR 70,000 crore was invested in the housing sector for middle-class people under the PMAY (Urban).
  • INR 30,000 crore was invested in the Emergency Working Capital for farmers under the NABARD scheme.
  • INR 2 lac crore was invested to help more than 25 million farmers under the Kisan Credit Card Scheme.

When a country’s exports are more than its imports, its economy grows at a positive rate. We have a long way ahead of us. The major focus of the Atmanirbhar Bharat Scheme is on producing indigenous products by encouraging local businesses so that their production is sufficient to sustain them and to export outside the country.

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan is a national mission to make India, Bharat a self-reliant country in terms of trade, economy, defence and technology.

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or mission is an Indian government initiative, launched by Prime Minister Narendra Modi on 12th May 2020. The Prime Minister laid down all the objectives, responsibilities, pillars and names of the ministries which will be working to achieve all the goals of this scheme. The objective of this scheme is to make India a self-reliant nation and a global economic power. 

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or Self-reliant India mission was launched by Prime Minister Narendra Modi, with the vision to make India a self-reliant and self-sustaining nation.

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