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यदी परीक्षा ना होती हिंदी निबंध | Yadi Pariksha Na Hoti Essay.
परीक्षा देना किसे पसंद है, मुझे तो नहीं पसंद। आज ही Hindi Essays यदी परीक्षा ना होती यह हिंदी निबंध लेकर आया है। तो चलिए निबंध शुरू करते है।
यदी परीक्षा ना होती तो।
हम बच्चो कि कितनी मौज होती है, सुबह उठकर रोज के छोटे नियमित काम करके पाठशाला में जाना और शाम को जी भर के खेलना, फिर सोना। पर यह मौज ज्यादा दिन तक नहीं चल पाती क्योंकि बिच में आजाती है परीक्षाएं !।
दिन अच्छे से बीत रहे होते है की एक दिन अचानक हेडमास्टर की नोटिस बिजली की तरह कड़क पड़ती है। इस तारीख से लेकर इस तारीख तक परीक्षा शुरू हो रही है, सभी विद्यार्थियों से निवेदन है कि पढाई करके अच्छे गुणों से उतिर्ण हो। यह परीक्षा का नाम सुनकर कितना खुस्सा अत्ता है पर हम क्या कर सकते है।
हेडमास्टर से आई हुई इस नोटिस का हम बच्चो पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। सभी दिनचर्या बदल जाती है, परीक्षा की तारीख आंखो के सामने नाचने लगती है। वर्ग मे गुरुजी के पाठ पर पूरा लक्ष केंद्रित करना पड़ता है, पाठशाला की रोजाना होने वाली मस्ती एकदम से बंद हो जती है। ऐसा लगता है जैसे सारे विषय आंखो के सामने नाच रहें है।
गणित के नए नए उदाहरण, भूमिति के त्रिकोण, रसायन शास्त्र की प्राणवायु, अंग्रेजी के कभी ना समझ आने वाले पाठ और कभी ध्यान में ना रहने वाली इतिहास की तारीखें। यह सबकुछ पास होने केलिए याद करना पड़ता है। पूरा दिन पढ़ाई करने में बीत जाता है।
सुबह जल्दी उठकर पाठशाला में जाने तक पढ़ाई करनी पड़ती है। भीर भी खेलने नहीं मिलता, पाठशाला से आने के बाद खाना खाकर, पढ़ाई रात भर चलती है।
फिर वह परीक्षा का दिन आता है जब इतने दिनों की मेहनत सफल होती है, परीक्षा के दिनों काफी गड़बड़ होती है लेखन का सामान कभी कभी में ले जाने केलिए भूल जाता हूं और मेरी काफी गड़बड़ हो जाती है।
परीक्षा को में मन ही मन गालियां देता हूं और ऐसा ही लगता है यदी परीक्षा ना होती तो कितना अच्छा होता, हम बच्चो कि जिंदगी कितनी अच्छी हो जाएगी। पर हमारी बात सुनेगा कोन, परीक्षा तो होते ही रहेंगे और हम परीक्षा न चाहते हुए भी देते ही रहेंगे। यदि परीक्षा ना होती तो यह कल्पना एक कल्पना ही बन कर रह गई है।
समाप्त।
दोस्तों क्या आपको परीक्षा देना पसंद है ? और आपको क्या लगता है परीक्षा होनी चाहिए या नहीं हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।
यदी परीक्षा ना होती तो यह निबंध class १,२,३,४,५,६,७,८,९ और १० के बच्चे अपनी पढ़ाई में इस्तमाल कर सकते है।
आपको यह निबंध कैसा लगा और अगर आपको कोई और विषय पर हिंदी निबंध चाहिए तो हमे नीचे comment करकर जरूर बताइए।
धन्यवाद।
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एक टिप्पणी भेजें, 12 टिप्पणियाँ.
Mere ko bahut aacha lagata h paper dena Aur ye essay bhi bahut aacha h thanks
Hame bhi bahut acha laga, ki ham apki madat kar paye :)
Bahut accha hai
Thank you we are happy that you liked this essay.
Exam na hote to topic ye tha apne to pura schedule bataya pr ye nhi bataya
पहले अंडा या मुर्गी
भगवान ही जाने :)
exam nahii honiii chayiye 😞
Exam hoti hi hey, 😅
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यदि परीक्षाएं न होती तो निबंध | Yadi parikshae na hoti to nibandh | If there were no exams Essay in Hindi
If there were no exams Essay in Hindi: कक्षा में बैठकर जब शिक्षक हमारे सामने परीक्षा की तारीखों की घोषणा करते हैं, तब दिल की धड़कन अचानक बढ़ जाती है। न जाने क्यों, परीक्षाओं का नाम सुनते ही मन में डर समा जाता है। कई बार तो मुझे लगता है, काश! परीक्षाएं कभी होती ही नहीं। अगर परीक्षाएं न होतीं, तो शायद हम सभी की ज़िंदगी कितनी आसान होती। हमें पढ़ाई का दबाव महसूस न होता, और हर दिन खेलकूद और मस्ती से भरा होता। लेकिन क्या वाकई ऐसा होना सही होता? इस पर सोचने से मेरे मन में कई सवाल उठते हैं।
खुशी का दिन | If there were no exams Essay in Hindi
अगर परीक्षाएं न होतीं, तो हर दिन एक उत्सव जैसा होता। हमें किताबों के भारी बोझ से मुक्ति मिल जाती। हम बिना किसी चिंता के पार्क में दोस्तों के साथ खेलते। मम्मी-पापा भी हमें हर दिन डांटते नहीं कि “जाओ, पढ़ाई करो”। सब कुछ कितना आसान और मस्त होता। स्कूल जाने का मज़ा और भी बढ़ जाता, क्योंकि कोई भी ‘परीक्षा की तैयारी’ नाम की चिंता नहीं रहती। हमारे खेल-खेल में ही हम ढेर सारे नए दोस्त बना लेते, और जीवन के हर दिन को आनंद से जीते।
क्या बिना परीक्षाओं के हम सीख सकते हैं? | If there were no exams Essay in Hindi
लेकिन जब मैं गहराई से सोचता हूं, तो मुझे यह भी समझ में आता है कि परीक्षाएं हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं। अगर परीक्षाएं न होतीं, तो शायद हम कभी मेहनत से पढ़ाई नहीं करते। कोई हमें यह कहने वाला नहीं होता कि “तुम्हें ये विषय अच्छे से समझना है”। हो सकता है कि हमें किताबें और पढ़ाई सिर्फ एक बोझ लगने लगतीं। क्योंकि बिना किसी लक्ष्य के हम कभी कुछ नया सीखने की कोशिश ही नहीं करते। परीक्षाएं हमें एक दिशा देती हैं और सिखाती हैं कि कैसे मेहनत और अनुशासन से हम कुछ हासिल कर सकते हैं।
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सपनों की उड़ान में परीक्षाएं ज़रूरी हैं | If there were no exams Essay in Hindi
अगर परीक्षाएं न होतीं, तो हम अपने सपनों की उड़ान कैसे भरते? परीक्षाएं ही हमें यह सिखाती हैं कि हमारे अंदर कितनी क्षमता है। जब हम परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो हमें अपने आप पर गर्व होता है। हमें समझ में आता है कि जब हमने पूरी मेहनत से तैयारी की, तब ही हमें सफलता मिली। यही परीक्षाएं हमें यह एहसास कराती हैं कि जीवन में हर चीज़ को पाने के लिए मेहनत करनी होती है।
यह सिर्फ स्कूल की परीक्षाएं ही नहीं होतीं, बल्कि जीवन भी एक तरह की परीक्षा है। अगर हमें स्कूल में परीक्षाओं का अनुभव न होता, तो शायद हम जीवन की कठिनाइयों का सामना करना नहीं सीखते। जब भी कोई समस्या आती, हम भाग खड़े होते, क्योंकि हमें ये समझ ही नहीं आता कि कठिनाइयों से कैसे लड़ना है। परीक्षाएं हमें धैर्य और हिम्मत सिखाती हैं।
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कुछ नुकसान भी होते | If there were no exams Essay in Hindi
लेकिन हां, अगर परीक्षाएं न होतीं, तो कुछ चीजें शायद बेहतर होतीं। कई बार बच्चे परीक्षा के डर से बीमार हो जाते हैं। उन्हें इतनी चिंता होती है कि वे अपनी पढ़ाई से घबरा जाते हैं। अगर परीक्षाएं न होतीं, तो बच्चों पर इस तरह का मानसिक दबाव नहीं होता। वे अपनी पढ़ाई को एक मजेदार और सरल तरीके से कर सकते थे। पर हां, यह भी ज़रूरी है कि हम सिर्फ परीक्षा के डर से भागें नहीं, बल्कि उसे समझें और सही तरीके से सामना करें।
लेकिन, कभी-कभी मन यह सोचता है कि काश परीक्षाओं का थोड़ा आसान रूप होता, जहां हम बिना डर के अपने ज्ञान को दिखा सकते और खुद को बेहतर बना सकते।
2 thoughts on “यदि परीक्षाएं न होती तो निबंध | Yadi parikshae na hoti to nibandh | If there were no exams Essay in Hindi”
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Yadi Pariksha Na Hoti Nibandh | यदी परीक्षा ना होती हिंदी निबंध
यदी परीक्षा ना होती हिंदी निबंध
परीक्षा! केवल यह शब्द कई छात्रों को परेशान और चिंतित कर सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर परीक्षाएं ही न होतीं तो क्या होता? क्या यह सब मज़ेदार और खेल होगा, या यह कुछ अप्रत्याशित समस्याओं का कारण बनेगा? आइए "यदि परीक्षा न होती" की रोमांचक दुनिया का अन्वेषण करें।
सबसे पहले, अगर परीक्षाएं नहीं होतीं, तो छात्रों को शुरुआत में राहत महसूस हो सकती है। अब न रटना, न आखिरी मिनट का तनाव और न ही बड़ी परीक्षा से पहले रातों की नींद हराम करना। वे अपने सिर पर परीक्षाओं के निरंतर दबाव के बिना अपनी रुचियों की खोज करने, शौक पूरा करने और पाठ्येतर गतिविधियों का आनंद लेने में अधिक समय व्यतीत कर सकते हैं।
परीक्षा के बिना, शिक्षकों को भी कम तनाव महसूस हो सकता है। उन्हें परीक्षण बनाने और ग्रेडिंग करने में घंटों खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे उन्हें रचनात्मक और आकर्षक तरीके से शिक्षण और छात्रों के साथ बातचीत करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलेगी। कक्षा का वातावरण खुली चर्चाओं और व्यावहारिक सीखने के अनुभवों के लिए अधिक आरामदायक और अनुकूल हो सकता है।
हालाँकि, यदि परीक्षाएँ नहीं होतीं, तो इसके कुछ अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक छात्रों में प्रेरणा की कमी हो सकती है। परीक्षाएँ अक्सर छात्रों के लिए अध्ययन करने और नई सामग्री सीखने के लिए एक प्रेरक शक्ति के रूप में काम करती हैं। परीक्षा के प्रोत्साहन के बिना, कुछ छात्र अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने की प्रेरणा खो सकते हैं और अपनी पढ़ाई में लापरवाह हो सकते हैं।
इसके अलावा, परीक्षाएँ कक्षा में पढ़ाई गई सामग्री के बारे में छात्रों की समझ का मूल्यांकन करने का एक तरीका प्रदान करती हैं। परीक्षा के बिना, शिक्षकों के लिए छात्रों की प्रगति का सटीक आकलन करना चुनौतीपूर्ण होगा। इसके परिणामस्वरूप सीखने में अंतराल आ सकता है और शिक्षकों के लिए उन क्षेत्रों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है जहां छात्रों को अतिरिक्त सहायता और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
परीक्षाओं को ख़त्म करने का एक और संभावित नकारात्मक पहलू भविष्य के अवसरों पर प्रभाव पड़ सकता है। परीक्षाओं का उपयोग अक्सर कॉलेज प्रवेश, छात्रवृत्ति और नौकरी अनुप्रयोगों के लिए शैक्षणिक प्रदर्शन के माप के रूप में किया जाता है। परीक्षा के बिना, संस्थानों और नियोक्ताओं के लिए उम्मीदवारों की क्षमताओं और कौशल का सटीक मूल्यांकन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इसके अलावा, परीक्षाएं मूल्यवान जीवन कौशल जैसे समय प्रबंधन, संगठन और दबाव में प्रदर्शन करने की क्षमता सिखाती हैं। परीक्षा की तैयारी करके, छात्र लक्ष्य निर्धारित करना, कार्यों को प्राथमिकता देना और अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना सीखते हैं। ये आवश्यक कौशल हैं जिन्हें छात्र न केवल अपने शैक्षणिक जीवन में बल्कि अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रयासों में भी लागू कर सकते हैं।
निष्कर्षतः, जबकि परीक्षा रहित दुनिया का विचार पहली नज़र में आकर्षक लग सकता है, संभावित लाभों और कमियों पर सावधानीपूर्वक विचार करना आवश्यक है। परीक्षाएँ छात्रों के ज्ञान और समझ का आकलन करने, उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करने और भविष्य के अवसरों के लिए तैयार करने के लिए एक मूल्यवान उपकरण के रूप में काम करती हैं।
हालाँकि, संतुलन की आवश्यकता को पहचानना और मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीकों का पता लगाना भी महत्वपूर्ण है जो समग्र शिक्षा और विकास को बढ़ावा देते हैं। तो, अगली बार जब आप परीक्षाओं को लेकर तनाव महसूस करें, तो याद रखें कि वे केवल ग्रेड के बारे में नहीं हैं, बल्कि सीखने और व्यक्तिगत विकास के बारे में भी हैं।
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