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Assignment का first page कैसे बनाएं ? एक प्रोफेशनल असाइनमेंट कैसे बनाएं

Tomy Jackson

अगर आप एक स्कूल या कॉलेज के छात्र हैं तो आपको Assignment की importance तो पता होगी ही । ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में छात्रों से असाइनमेंट बनवाए जाते हैं ताकि उनके knowledge & creativity की जांच हो सके । अगर आप अपने शिक्षक या बॉस को खुश करना चाहते हैं तो आपको एक प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाना होगा जिसमें designing & decoration भी महत्वपूर्ण हैं । इसलिए इस पोस्ट में आप जानेंगे कि assignment ka first page kaise banaye ?

न सिर्फ असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बल्कि पूरा का पूरा असाइनमेंट आप कैसे डिजाइन कर सकते हैं , के बारे में भी जानकारी इस पोस्ट में दी जाएगी । अगर आप एक professional assignment बनाने के साथ ही उसे डिजाइन करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी चाहते हैं तो पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें ।

इस पोस्ट में आपको प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाने और असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बनाने के लिए Types , templates , video tutorials , decoration ideas , examples दिए जायेंगे ताकि आपकी मदद हो सके । साथ ही पोस्ट के अंत में FAQs को भी शामिल किया गया है ताकि आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके ।

एक Assignment क्या होता है ?

Assignment एक शिक्षक द्वारा अपने विद्यार्थी को दिया गया एक ऐसा school / college work है जिसे छात्र को स्कूल के बाहर करना होता है । शिक्षक छात्रों के पाठ्यक्रम से ही जुड़ा कोई ऐसा कार्य देते हैं जिसमें research , creativity और responsibility की जरूरत होती है जिससे छात्र में ये सभी चीजें विकसित हो सकें ।

असाइनमेंट बनवाने के अन्य फायदों में शामिल है :

  • छात्र research पर ज्यादा ध्यान देता है जो आज के समय की मांग भी है ।
  • परीक्षा और अन्य महत्वपूर्ण टेस्ट की तैयारी हो जाती है ।
  • असाइनमेंट बनाते हुए छात्रों को कई समस्याएं आती हैं जिनसे उन्हें खुद जूझना होता है , इससे problem solving skill का विकास होता है ।
  • इससे छात्रों का mental exercise भी होता है और critical thinking skill का भी विकास होता है ।

Types of assignment

Assignment अलग अलग प्रकार का होता है जिन्हें आप नीचे पढ़कर जान सकते हैं । इन सभी प्रकारों के बारे में विस्तार से जानकर ही आप सही ढंग से प्रोफेशनल असाइनमेंट तैयार कर सकते हैं :

1. Praparatory Assignment : ये असाइनमेंट विद्यार्थियों को अगले दिन किए जाने वाले कार्य के लिए तैयार करने के लिए है ।

2. Study Assignment : इस तरह के असाइनमेंट में छात्रों को अलग अलग कार्य करने के लिए दिए जाते हैं जैसे समस्या समाधान असाइनमेंट, चार्ट, ग्राफ़, टेबल आदि । इन सभी चीजों पर बच्चे असाइनमेंट तैयार करते हैं ।

3. Revisional Assignment : इस तरह के असाइनमेंट तब दिए जाते हैं जब :

  • जो सीखा गया उस पर अभ्यास प्रदान करना
  • किसी विषय या इकाई अध्ययन से संबंधित जानकारी के retention और reproduction की जाँच करना
  • पढ़ाए गए विषय के विचारों की समझ की जाँच करना

4. Remedial Assignment : यह असाइनमेंट का एक प्रकार है जिसमें ऊपर दिए गए सभी असाइनमेंट के ऊपर छात्रों से लिए गए प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है । इन असाइनमेंट का उद्देश्य कमजोर बिंदुओं को दूर करना और गलतफहमियों को दूर करना है ।

एक Professional Assignment कैसे बनाएं ?

अगर आप एक professional assignment बनाना चाहते हैं तो आप नीचे दिए सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर ऐसा कर सकते हैं :

1. Guidelines को कभी नजरंदाज न करें

अगर आप एक प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाना चाहते हैं जिसे देखकर आपके शिक्षक आपको पूरे नंबर दे दें तो आपको उनके या school / university द्वारा दिए guidelines को कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए । हमेशा अपने शिक्षक या प्रोफेसर द्वारा बताए tips , dos & don’ts , ideas को ध्यान से सुनें और उनका पालन भी करें ।

इस तरह से आप सही ढंग से एक बढ़िया असाइनमेंट बना पाएंगे जिससे आपके टीचर्स भी खुश होंगे । अगर आप उनके द्वारा बताई गई बातों को नहीं मानते हैं तो आपको आपके शिक्षक के गुस्से की याद दिलाने की जरूरत मुझे नहीं । 😀

2. Quantity पर नहीं quality पर ध्यान दें

एक professional assignment बनाने के लिए यह जरूरी है कि आप quantity पर नहीं बल्कि quality पर ध्यान दें । अगर आपने लिख लिखकर 100 – 200 pages को भर दिया है तो आपके टीचर को यह लगेगा कि यह अधिक नंबर पाने की एक कोशिश मात्र है । इसलिए आप कम ही लिखें परंतु बेहतरीन लिखें । आप to the point जानकारी ही लिखें और फालतू का पेज भरने से बचें ।

आपने अपने कॉलेज / स्कूल में यह ध्यान दिया होगा कि कम पेजेस लिखने वालों को भी बेहतरीन अंक दिए जाते हैं । इसका मुख्य कारण ही यही है कि वे जरूरत की जानकारी ही लिखते हैं और पेज भरने पर नहीं बल्कि quality information प्रोवाइड करने पर ध्यान देते हैं ।

3. असाइनमेंट simple & presentable बनाएं

मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से आपको बस यही कहना चाहूंगा कि overdecoration से बचें । ज्यादा फूल , फल और मेकअप के चक्कर में आप अपने प्रेजेंटेशन को बेकार बना देते हैं । ध्यान रखें कि आपको decoration पर कम और quality content पर ज्यादा ध्यान देना है । आपको creativity का पता आपके सजावट से नहीं बल्कि कंटेंट को प्रेजेंट करने के तरीके से पता चलता है ।

अगर आप प्रेजेंटेशन में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके professional decoration और high quality content पर ध्यान देना होगा । नीचे templates & examples में मैंने प्रोफेशनल असाइनमेंट डेकोरेशन के कुछ उदाहरण को जोड़ा है जिसे आप आगे देखेंगे ।

4. Font , colour , size का विशेष ध्यान रखें

यह बेहद जरूरी है कि आप एक professional assignment बनाने के लिए सही font , size & colour का ध्यान रखें । अपने fonts को हमेशा simple & presentable रखें । इसके साथ ही , 2 से 3 colours का इस्तेमाल ही असाइनमेंट बनाने के लिए करें । आप जिन भी रंगों का इस्तेमाल करें वे ज्यादा गाढ़ा न हों और न ही ऐसा कि पढ़ने में समस्या हो ।

साथ ही , size का भी विशेष ध्यान रखें । अगर आप paper file की मदद से असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तो सभी पेजेस एक ही साइज के हों और fonts भी एक ही आकार के हों । इसके अलावा , अगर आप laptop या desktop की मदद से असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तब भी font के आकर का विशेष ध्यान रखें ।

5. सही क्रम में चीजें व्यवस्थित रखें

अगर आप दिए गए असाइनमेंट को बिना क्रम में लिखते हैं तो आपको बिल्कुल भी अच्छे अंक प्राप्त नहीं होंगे । उदहारण के तौर पर आप इस Assignment ka first page kaise banaye पोस्ट को देख सकते हैं । इसमें मैंने सभी जानकारी को व्यवस्थित तौर पर क्रम में लिखा है । आप नीचे दिए order को फॉलो कर सकते हैं :

  • Introduction
  • Method / procedure
  • Result / Discussion

6. उचित जगहों पर graphs , images , maps इत्यादि जोड़ें

जब जरूरी हो तो graphs , images , maps इत्यादि असाइनमेंट से जुड़ी चीजें जरूर जोड़ें । इससे जब आप अपने असाइनमेंट को कक्षा के सामने प्रेजेंट करेंगे तो आपको दिक्कत नहीं आएगी । इन सभी चीजों को जोड़ने की वजह से टॉपिक को समझना और समझाना दोनों आसान हो जाता है ।

एक professional assignment में ये सभी चीजें होनी जरूरी भी हैं । हालांकि , जाहिर सी बात है कि आप इन कंटेंट को गूगल से ही डाउनलोड करेंगे तो इनका एक reference page भी जरूर बनाएं । Reference page की ज्यादा जरूरत तब होती है जब आप digitally assignments create कर रहे हों ।

Assignment ka first page kaise banaye ?

कहते हैं न कि ‘ first impression is the last impression ‘ इसलिए आपको अपने assignment का first page ऐसा बनाना चाहिए जो impressive हो । आप इसे simple yet attractive रखें ताकि आपको अच्छे अंक प्राप्त हो सकें । असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बनाने के लिए आपको इस फॉर्मेट पर ध्यान देना चाहिए :

  • Name of College with Logo
  • Academic Year
  • Name of Department
  • Assignment Name
  • Submission Date
  • Submitted By: (Your Name)
  • Submitted To: (Professor Name)

अगर आप Laptop या computer की मदद से असाइनमेंट बना रहे हैं तो इसका first page ऊपर दिए वीडियो जैसा बना सकते हैं । ठीक इसी फॉर्मेट में आप पेन और पेपर पर भी assignment first page design कर सकते हैं । आप पेन , स्केच पेन , कलर पेंट इत्यादि की मदद से असाइनमेंट का पहला पेज डिजाइन कर सकते हैं । डिजाइन का टेम्पलेट आप नीचे भी देख सकते हैं ।

Assignment Templates

आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके ढेरों असाइनमेंट टेम्पलेट देख सकते हैं जिसकी मदद से assignment ka first page design कर सकते हैं । ये असाइनमेंट हमारी साइट्स पर stored नहीं हैं , इन्हें आप Digiandme.com साइट से देख और इनका पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं ।

नीचे दिए लिंक पर उपलब्ध सभी templates को ms office की मदद से डिजाइन किया गया है । आप भी microsoft office की मदद से ऐसा टेम्पलेट डिजाइन कर सकते हैं जिसके लिए ऊपर वीडियो दे दिया गया है ।

Free templates on Digiandme

Assignment Examples

नीचे मैंने 2 असाइनमेंट के उदाहरणों को जोड़ा है जिसमें से एक के बारे में संक्षेप से चर्चा भी किया है कि आप कैसे इसे बना सकते हैं । इससे आपको idea हो जायेगा कि असाइनमेंट के प्रश्न कैसे होते हैं और इसे आप कैसे बना सकते हैं :

Assignment 1 solution

उदाहरण के तौर पर अगर हम assignment 1 solution की बात करें तो इसका आप assignment बनाने के लिए निम्नलिखित चीजें जोड़ सकते हैं :

  • Assignment का first page
  • भारतीय स्वतंत्रता में लेखकों के योगदान के बारे में संक्षेप में
  • आपके प्रोजेक्ट के बारे में
  • भारतीय स्वतंत्रता में योगदान देने वाले सभी लेखकों या कवियों के बारे में विस्तार से
  • भारतीय स्वतंत्रता में कलम का योगदान को संक्षेप में लिखें

आपने इस पोस्ट में विस्तार से जाना कि assignment ka first page kaise banaye और इसके साथ ही प्रोफेशनल असाइनमेंट कैसे बनाएं , असाइनमेंट क्या होता है , इसके फायदे क्या है , उदाहरण , टेम्पलेट और फॉर्मेट भी आपने देखा ।

  • Case Study क्या होता है और कैसे करें
  • Mock Test क्या है और कैसे क्रिएट करें
  • Education loan क्या है और कैसे मिलता है
  • Best पैसा कमाने के लिए ऐप्स

अगर फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कमेंट करके पूछें और अगर पोस्ट से आपकी मदद हुई हो तो शेयर जरूर करें ।

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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

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WEST BENGAL STATE UNIVERSITY

Gobordanga Hindu College

Name-Bijoy kumar Majumdar Roll-1211118 No-23193 Reg.No.-1182111102338 Subject – Environment Studies Semester-1st

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How to Write the Perfect Assignment First Page

You've been assigned a paper, and after several cups of coffee and late nights, you’ve finally finished the meaty content. But have you paid attention to the first page? Believe it or not, the first page of your assignment is more than just a formality. It sets the tone for your work and can make or break that all-important first impression. In this article, we’ll guide you through crafting an assignment first page that is both professional and engaging.

Components of a Well-Crafted First Page

Significance: Your title isn't just a label; it's the billboard of your assignment. A strong title pulls readers in while providing an accurate description of your work.

Tips: Make it engaging yet concise. If possible, use relevant keywords without making it sound robotic.

Your Name and Contact Information

Placement: Your name usually goes at the top, either centered or aligned to the left or right.

Details to Include: Your full name, email address, and sometimes your student ID should suffice. Ensure that this information is easy to locate and read.

Importance: Dates are crucial for archival and accountability reasons.

Format: Stick to the format specified by your instructor or institution, but commonly used formats include Month Day, Year (e.g., September 18, 2023).

Instructor's Name and Class Details

Significance: This helps to ensure your assignment reaches the correct person and class.

How to Include: Typically aligned to the left, include the instructor’s full name, the course name, and the course code.

Assignment Instructions or Objectives

Role: Clarifying what the assignment aims to achieve or the questions it aims to answer can be beneficial for both you and the reader.

Presentation: A brief paragraph or bullet points work well. Keep it short but informative.

Design Elements to Consider

Importance: Proper margins provide a neat and organized look.

Standard Margins: Typically, one-inch margins on all sides work well.

Font and Size

Optimal Choices: Times New Roman or Arial are safe bets. Size 12 is usually the norm.

Do’s and Don’ts: Avoid fonts that are hard to read or overly decorative, like Comic Sans or Papyrus.

Spacing and Alignment

Significance: Consistent spacing and alignment give your assignment a polished appearance.

Tips: Double-spacing is often required. Make sure to align your text according to the assignment's requirements.

Additional Features

Page numbers.

Importance: Even on the first page, page numbers help to keep your assignment organized.

Placement: Usually, the bottom-right corner is the go-to spot.

Headers and Footers

Advantages: These can include additional information like your last name or the course code, which helps if pages become separated.

What to Include: Keep it simple: Your last name and maybe the assignment's due date or course code.

Graphics and Visual Elements

Pros and Cons: Visual elements can enhance understanding but can also be distracting.

Guidelines: Stick to the essentials like tables or figures that directly relate to your assignment content.

Common Mistakes to Avoid

  • Overcrowding - Too much information can make the first page look cluttered. Use the rest of the assignment to showcase your knowledge and leave the first page clean and straightforward.
  • Inconsistency - Use the same font, size, and spacing throughout your assignment. Consistency is key to a professional look.
  • Ignoring Guidelines - Always read and follow any guidelines or templates provided by your instructor or institution. Your creativity should be within those bounds.

The first page of your assignment is not just a bureaucratic requirement; it's an opportunity. An opportunity to set the tone, showcase professionalism, and create a lasting impression. So the next time you're pulling that all-nighter for an assignment, remember that the first page deserves its share of your time and creativity.

StatAnalytica

5 Steps Guide On How To Write Assignment First Page

How To Write Assignment First Page

The assignment’s first page acts like a welcoming handshake—it’s the initial impression that sets the stage for your work. It grabs attention, providing essential details about what follows. A well-crafted first page isn’t just about rules; it’s your chance to engage your reader and show your commitment to delivering quality work. 

It isn’t just about looks—it’s the mood setter. It cues readers about what to expect, conveying the vibe and seriousness of your work. It’s like the opening scene of a movie, shaping expectations and guiding your audience through the journey ahead.

So today we are going to see the answer to a very common question i.e. how to write assignment first page. It will serve as a complete guide book for you. 

Importance Of A Good Assignment

Table of Contents

Assignment’s are the basis of your grades and not only grades it represents your character and thinking. It plays an important role in a student’s life and following are some points which will make it more to you.

  • Academic Success: A well-crafted assignment demonstrates understanding and mastery of the subject matter, contributing to academic achievements.
  • Demonstration of Knowledge: It showcases your grasp of concepts, theories, and application of learned materials.
  • Preparation for Real-world Skills: It cultivates skills like time management, organisation, and research, which are valuable in professional settings.
  • Feedback and Improvement: Feedback received on assignments helps identify areas for improvement, aiding in continuous learning and growth.
  • Building a Portfolio: High-quality assignments can serve as a portfolio demonstrating expertise and skills for future opportunities.

After this the importance of a well-executed assignment cannot be overstated. In recognizing the crucial role of a well-executed assignment, we understand the challenges students face in meeting these academic standards.

 That’s why our assignment help service is here as a guiding hand, supporting students in crafting exceptional assignments that not only meet requirements but also exceed expectations. 

5 Steps: How To Write Assignment First Page

For helping you in order to make an effective first page for assignment and creating a good impression we have summarised all the essentials in 5 steps and they are as:

How to write assignment’s first page

Step 1: Grasping Specific Formatting Requirements For Assignment First Page

 It is always required to understand the specific formatting requirements, such as font size, spacing, and placement of details, to create a professional and polished cover page. Different universities and departments may have varying formatting guidelines, so it’s crucial to check the assignment description and rubric for specific instructions.

Step 2: Guidelines On Font Spacing And Margins

Follow these standards ensures a clean and professional appearance for your assignment’s first page:

Font Style and Size:

  • Use a readable font style like Times New Roman, Arial, or Calibri.
  • Typical font size is 12 points for the main text.
  • For headings and subheadings, consider slightly larger sizes (14-16 points) for differentiation.
  • Double-space the entire text, including the title, subtitles, and body paragraphs.
  • Ensure consistency in spacing—don’t mix double-spacing with single-spacing within the document.
  • Set margins on one-inch margins on each side of the page (top, bottom, left, and right).
  • Check if your instructor or institution specifies different margin requirements.

Step 3: Structuring The First Page

Structuring the First Page is crucial in laying the groundwork for a well-presented assignment. Proper placement of elements like Title and Subtitle sets the tone, guiding readers into your work. Author Information and Affiliation lend credibility, while Date and Course Details establish context, forming the backbone of your assignment’s initial impression. Mastering these placements ensures a professional and organised first page. Here are some key points to consider:

  • Title and Subtitle Placement: The Title and Subtitle are the front door of your assignment; they should be clear and inviting. Place the main title at the center, standing out boldly, while the subtitle, if used, can follow underneath to offer a sneak peek into your assignment’s focus. Keep them concise yet informative, giving readers a glimpse of what’s to come.
  • Author Information and Affiliation: Author Information and Affiliation is like introducing yourself before a conversation. It goes at the bottom of the title page, including your name and any relevant details like your university or course. It adds credibility to your work, helping readers understand your perspective and expertise in the subject.
  • Date and Course Details : The Date and Course Details are the assignment’s GPS they show where and when it belongs. Placed below the author’s info, they provide context, indicating when the assignment was crafted and for which course. It helps organise your work and ensures clarity for anyone reading it, making sure they know its relevance and timeline.

Step 4:Crafting A Compelling Title For Assignment First Page 

Crafting an appealing Title requires a perfect mix of creativity and clarity, essential for catching readers’ attention while staying true to the assignment’s essence. Here are some tips to achieve this balance:

  • Be Specific yet Engaging: Craft a title that hints at the assignment’s focus without giving away everything, sparking curiosity.
  • Use Powerful Language: Incorporate strong, descriptive words that evoke interest and relevance to the assignment’s content.
  • Consider the Tone: Match the title’s tone to the assignment’s nature, whether it’s formal, informative, or creative.
  • Avoid Ambiguity: Ensure the title accurately represents the assignment’s core concepts while avoiding vagueness or confusion.
  • Get Feedback: Test the title’s impact by seeking opinions from peers or colleagues to gauge its effectiveness in grabbing attention while maintaining clarity.

Step 5: Subtitle Or Abstract

The Subtitle or Abstract serves as a supporting actor, providing additional context to the main title and offering a concise summary of your assignment. Its inclusion is vital for:

  • Enhanced Clarity: The subtitle elucidates the main title, providing a brief overview of the assignment’s scope or focus.
  • Informative Preview: It offers readers a glimpse into the assignment’s content, helping them understand what to expect.
  • Summary of Main Points: Briefly outline the central themes or objectives of the assignment.
  • Relevance: Explain the assignment’s significance or relevance to the subject matter.
  • Scope: Highlight the boundaries or limitations of the assignment’s coverage.
  • Engagement: Aim for a captivating summary that entices readers to delve deeper into the assignment.

Dos And Don’ts For The First Page

A professional and powerful beginning to your work is ensured by following the Dos and Don’ts for the First Page. Here are some of them:

  • Follow Guidelines: Adhere strictly to formatting and style guidelines provided by your institution or instructor.
  • Ensure Accuracy: Double-check all details such as names, dates, and course information for accuracy.
  • Maintain Professionalism: Use a formal tone, proper language, and avoid casual or colloquial expressions .

Don’ts:

  • Avoid Overcrowding : Refrain from cluttering the page with excessive information or decorative elements.
  • Skipping Proofreading: Never submit without proofreading; errors can diminish the assignment’s credibility.
  • Steer Clear of Plagiarism: Always cite sources properly to avoid plagiarism issues.

Best Practices:

  • Consistency is Key: Ensure uniformity in font, spacing, and margins throughout the first page.
  • Prioritise Clarity: Keep content concise, clear, and relevant, avoiding unnecessary information.
  • Seek Feedback: Consider seeking feedback from peers or mentors to refine the first page for maximum impact.

In crafting an assignment first page, following these five essential steps of formatting, title creation, abstract drafting, structuring, and adhering to dos and don’ts can make a significant difference. By understanding the importance of formatting guidelines (for How To Write Assignment First Page), creating an engaging title and informative abstract, structuring the page effectively, and avoiding common pitfalls, anyone can set the stage for a compelling and professional assignment. Remember, the first page acts as a gateway, making a lasting impression on your readers. Paying attention to these steps ensures clarity, professionalism, and an inviting introduction to your work, ultimately ensuring the way to a successful academic journey.

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Assignment Front Page Format, Design, and PDF File

Today we are sharing the assignment first page format for schools and college students. This format very useful for students for their assignment submission in school, college and university. You can also download this assignment front page design in word file format.

Note: There is a no specific and pre-defined format for assignment cover page. The front page of assignment define by school, college, university, etc. But there is general format for assignment submission which is use globally. You can change or modified this format according to you.

Assignment front cover

1. Assignment Front Page Format

2. Assignment Cover Page Design

Assignment Front Page Format

3. Download Assignment Design PDF & Word File

Here you can download the assignment front page format in word download. You can easily download assignment design file and edit it as per your need. You can also find this files in your Microsoft Office. Choose you best assignment front page design and impress your teachers or professors.

Assignment Front Page Format Word File

Source File & Credit: Microsoft Office

Use Microsoft Word to edit this file. You can easily edit this file in Microsoft Office. Replace the file with your college name, logo, etc.

Assignment is a very crucial part in academic. Your project report front page or assignment first page design play an important role like first impression is last impression. If you impress your processor or teacher then you will score good mark.

See More: General Topics for Presentation

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assignment ka first page kaise likhen

  • Hindi Grammar /

विस्तार से जानिए क्या है आलेख लेखन?

assignment ka first page kaise likhen

  • Updated on  
  • फरवरी 5, 2024

Aalekh Lekhan

आलेख लेखन अपने आप में एक गहन समीक्षा, लेखनी की समझ का नतीजा होता है। आलेख लेखन एक विषय है जो हिंदी व्याकरण का एक मुख्य भाग है। इस विषय पर विद्यार्थियों को अवश्य जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, विद्यार्थी जीवन में आलेख से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद आप हिंदी व्याकरण की थोड़ी समझ रख सकते हैं। आलेख को आमतौर पर इसे लेख के जैसा ही समझ लिया जाता है। आलेख लिखते समय आप को उस मुद्दे की बारीकी से समझ होना बहुत ज़रूरी है। आलेख को निबंध के जैसा भी समझ लिया जाता है। तो आइए जानते हैं क्या है aalekh lekhan और इसे कैसे लिखें। आलेख लेखन से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

This Blog Includes:

आलेख लेखन क्या है, अच्छे आलेख लेखन के क्या गुण होने चाहिए, आलेख लेखन और फीचर लेखन में अंतर , आलेख लेखन का उदाहरण , आलेख लेखन की प्रमुखता, प्रश्नोत्तर.

Aalekh lekhan एक सर्वांगपूर्ण सम्यक विचारों का एक संयुक्त भाव होता है। आलेख एक गंभीर और व्यंगपूर्ण रचना होती है। आलेख लेखन को वैचारिक गद्य रचना भी कहा जाता है। आलेख में गुमराह करने वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए।

Aalekh lekhan ऐसी कला जिसको अभ्यास से ही सीखा जाता है या आदत में लाया जा सकता है। एक आदर्श आलेख पढ़कर पाठक के अन्दर उस मुद्दे को लेकर उस भावना का आना अनिवार्य है। चलिए, तो जानते हैं कि कैसे आलेख लेखन लिखा जाता है – 

आलेख लेखन में भूमिका, विषय प्रतिपादन और निष्कर्ष अहम होता है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

  • भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
  • विचार कथात्मक न हो कर विवेचन विश्लेषण वाले होने चाहिए।
  • आलेख से पाठक की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाए ऐसा होना चाहिए।
  • आलेख हमेशा ज्वलंत और प्रसिद्द मुद्दों या समारोह पर होना चाहिए।
  • आलेख से भावुकता संभव हो सकती है।
  • आकार के विषय वस्तु पर आलेख निर्भर हो सकता है।
  • आलेख लिखने से पहले उसका गहन अध्ययन होना चाहिए। 
  • अनुमान नहीं तथ्य पर आलेख का अस्तित्व होता है।
  • आखिरी में निष्कर्ष अनिवार्य होता है।

Aalekh lekhan और फीचर में मूलभूत अंतर आप उसे पढ़कर भी बता सकते हैं। दोनों अपनी-अपनी तरह से पाठक के अन्दर एक लालसा उत्पन्न कर देते हैं।

  • आलेख गंभीर व व्यंगपूर्ण होता है जबकि फीचर में हास्य और मनोरंजन।
  • फीचर 250 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए जबकि आलेख बड़ा भी हो सकता है।
  • आलेख को संपूर्ण जानकारी और तथ्यों के आधार पर भी लिख सकते हैं, जबकि फीचर के लिए आपको आंख, कान, भाव, अनुभूतियां और मनोवेग, आदि की सहायता लेनी पड़ती है।
  • फीचर विषय से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित विशिष्ट आलेख होता है जिसमें कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल होनी चाहिए जबकि आलेख में विषय पर तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक अथवा विचारात्मक जानकारी होती है कल्पना का स्थान नहीं होता है।

भारतीय क्रिकेट के सरताज : सचिन तेंदुलकर

पिछले पंद्रह सालों से भारत के लोग जिन-जिन हस्तियों के दीवाने हैं उनमें एक गौरवशाली नाम है-सचिन तेंदलकर। जैसे अमिताभ का अभिनय में मुकाबला नहीं, वैसे सचिन का क्रिकेट में कोई मुकाबला नहीं। संसार-भर में एक यही खिलाड़ी है जिसने टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ वन-डे क्रिकेट में भी सर्वाधिक शतक बनाए हैं। इसीलिए कुछ क्रिकेट-प्रेमी सचिन को क्रिकेट का भगवान तक कहते हैं। उसके प्रशंसकों ने हनुमान चालीसा की तर्ज पर सचिन-चालीसा भी लिख दी है।

मुंबई में बांद्रा-स्थित हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाला सचिन इतनी ऊँचाइयों पर पहँचने पर भी मासूम और विनयी है। अहंकार तो उसे छू तक नहीं गया है। अब भी उसे अपने बचपन के दोस्तों के साथ वैसा ही लगाव है जैसा पहले था। सचिन अपने परिवार के साथ बिताए हुए क्षणों को सर्वाधिक प्रिय क्षण मानता है। इतना व्यस्त होने पर भी उसे अपने पुत्र का टिफिन स्कूल पहुँचाना अच्छा लगता है।

सचिन ने केवल 15 वर्ष की आयु में पाकिस्तान की धरती पर अपने क्रिकेट-जीवन का पहला शतक जमाया था जो अपने-आप में एक रिकार्ड है। उसके बाद एक-पर-एक रिकार्ड बनते चले गए। अभी वह 21 वर्ष का भी नहीं हुआ था कि उसने टेस्ट क्रिकेट में 7 शतक ठोक दिए थे। उन्हें खेलता देखकर भारतीय लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर कहते थे-सचिन मेरा ही प्रतिरूप है।

Aalekh lekhan में प्रमुखता का बहुत अहम किरदार है। आलेख लेखन में भाषा और मुद्दे की गंभीरता, विवेचन और अध्ययन का बहुत महत्व होता है। एक अच्छा आलेख नवीनता और ताजगी से संपन्न होना चाहिए।

आलेख वास्तव में लेख का ही प्रतिरूप होता है। यह आकार में लेख से बड़ा होता है। कई लोग इसे निबंध का रूप भी मानते हैं जो कि उचित भी है। लेख में सामान्यत: किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं। आलेख में ‘आ’ उपसर्ग लगता है जो कि यह प्रकट करता है कि आलेख सम्यक् और संपूर्ण होना चाहिए। आलेख गद्य की वह विधा है जो किसी एक विषय पर सर्वांगपूर्ण और सम्यक् विचार प्रस्तुत करती है।

सार्थक आलेख के निम्नलिखित गुण हैं – 1. नवीनता एवं ताजगी। 2. जिज्ञासाशील। 3. विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण। 4. भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली। 5. एक ही बात पुनः न लिखी जाए। 6. विश्लेषण शैली का प्रयोग। 7. आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए। 8. आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए। 9. संबंधित बातों का पूरी तरह से उल्लेख हो।

उत्तरः आलेख वास्तव में लेख का ही प्रतिरूप होता है। यह आकार में लेख से बड़ा होता है। कई लोग इसे निबंध का रूप भी मानते हैं जो कि उचित भी है। लेख में सामान्यतः किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं। आलेख में ‘आ’ उपसर्ग लगता है जो कि यह प्रकट करता है कि आलेख सम्यक् और संपूर्ण होना चाहिए। आलेख गद्य की वह विधा है जो किसी एक विषय पर सर्वांगपूर्ण और सम्यक् विचार प्रस्तुत करती है।

उत्तरः सार्थक आलेख के निम्नलिखित गुण हैं – 1. नवीनता एवं ताजगी। 2. जिज्ञासाशील। 3. विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण। 4. भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली। 5. एक ही बात पुनः न लिखी जाए। 6. विश्लेषण शैली का प्रयोग। 7. आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए। 8. आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए। 9. संबंधित बातों का पूरी तरह से उल्लेख हो।

आलेख लिखने के लिए इन चरणों को फॉलो करें: भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए, विचार कथात्मक न हो कर विवेचन विश्लेषण वाले होने चाहिए, आलेख से पाठक की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाए ऐसा होना चाहिए, आलेख हमेशा ज्वलंत और प्रसिद्ध मुद्दों या समारोह पर होना चाहिए आदि।

आलेख 3 प्रकार के होते हैं: दंड आलेख, आयत चित्र, बारम्बारता बहुभुज।

आलेख के यह मुख्य अंग हैं– भूमिका, विषय का प्रतिपादन, तुलनात्मक चर्चा व निष्कर्ष सर्वप्रथम शीर्षक के अनुकूल भूमिका लिखी जाती है। यह बहुत लंबी न होकर संक्षेप में होनी चाहिए।

भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली। एक ही बात पुनः न लिखी जाए। विश्लेषण शैली का प्रयोग। आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए।

Aalekh lekhan एक सर्वांगपूर्ण सम्यक विचारों का एक संयुक्त भाव होता है। आलेख एक गंभीर और व्यंगपूर्ण रचना होती है।

आलेख की भाषा हमेशा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए। आलेख में केवल आवश्यकतानुसार विवरण देना चाहिए तथा आलेख संक्षिप्त में होना चाहिए।

आसान भाषा में समझा जाए तो निबंध का रूप वर्णात्मक होता, तो वहीं आलेख में आवश्यकता अनुसार ही विवरण दिया जाता है और ये संक्षिप्त रूप में होते हैं।

आशा है कि आलेख लेखन से संबंधित यह ब्लॉग आपको जानकारी से भरपूर यह ब्लॉग पसंद आया होगा, साथ ही Aalekh Lekhan के विषय पर लिखित इस ब्लॉग ने आपकी व्याकरण के विषय में रूचि बड़ा दी होगी। इसी प्रकार के अन्य इंफॉर्मेटिव ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ जुड़े रहें।

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देवांग मैत्रेय

स्टडी अब्रॉड फील्ड के हिंदी एडिटर देवांग मैत्रे को कंटेंट और एडिटिंग में आधिकारिक तौर पर 7 वर्षों से ऊपर का अनुभव है। वह पूर्व में पोलिटिकल एडिटर-रणनीतिकार, एसोसिएट प्रोड्यूसर और कंटेंट राइटर/एडिटर रह चुके हैं। पत्रकारिता से अलग इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है। देवांग को काम से अलग आप नियो-नोयर फिल्म्स, सीरीज व ट्विटर पर गंभीर चिंतन करते हुए ढूंढ सकते हैं।

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Patra-lekhan(Letter-writing)-(पत्र-लेखन)

पत्र-लेखन (letter-writing) की परिभाषा.

लिखित रूप में अपने मन के भावों एवं विचारों को प्रकट करने का माध्यम 'पत्र' हैं। 'पत्र' का शाब्दिक अर्थ हैं, 'ऐसा कागज जिस पर कोई बात लिखी अथवा छपी हो'। पत्र के द्वारा व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों तक लिखकर पहुँचाता हैं। हम पत्र को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम भी कह सकते हैं। व्यक्ति जिन बातों को जुबां से अथवा मौखिक रूप से कहने में संकोच करता हैं, हिचकिचाता हैं; उन सभी बातों को वह पत्र के माध्यम से लिखित रूप में खुलकर अभिव्यक्त करता हैं।

दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त्त अन्य कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है।

पत्रों की उपयोगिता/महत्व

As keys do open chests. So letters open breasts .

उक्त अँगरेजी विद्वान् के कथन का आशय यह है कि जिस प्रकार कुंजियाँ बक्स खोलती हैं, उसी प्रकार पत्र (letters) ह्रदय के विभित्र पटलों को खोलते हैं। मनुष्य की भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती हैं। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है।

पत्रलेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हृदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है। अतः पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्र- इस प्रकार के हजारों सम्बन्धों की नींव यह सुदृढ़ करता है। व्यावहारिक जीवन में यह वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है। अतएव पत्राचार का बड़ा महत्व है।

(1) पत्र साहित्य की वह विद्या हैं जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों एवं विचारों को दूसरों तक सम्प्रेषित करना चाहता हैं, इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता हैं। अतः व्यावसायिक, सामाजिक, कार्यालय आदि से सम्बन्धित अपने भावों एवं विचारों को प्रकट करने में पत्र अत्यन्त उपयोगी होते हैं।

(2) पत्र मित्रों एवं परिजनों से आत्मीय सम्बन्ध एवं सम्पर्क स्थापित करने हेतु उपयोगी होते हैं। पत्र के माध्यम से मनुष्य प्रेम, सहानुभूति, क्रोध आदि प्रकट करता हैं।

(3) कार्यालय एवं व्यवसाय के सम्बन्ध में मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों का विशेष महत्त्व होता हैं। मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों को सुरक्षित रखा जा सकता हैं।

(4) छात्र जीवन में भी पत्रों का विशेष महत्त्व हैं। स्कूल से अवकाश लेना, फीस माफी, स्कूल छोड़ने, स्कॉलरशिप पाने, व्यवसाय चुनने, नौकरी प्राप्त करने के लिए पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।

(5) पत्र सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत करने का माध्यम हैं। पत्रों की सबसे बड़ी उपयोगिता यह हैं कि कभी-कभी पत्र भविष्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी बन जाता हैं।

पत्र लेखन एक कला है

आधुनिक युग में पत्रलेखन को 'कला' की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही है। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है।

एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व (personality) भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यवसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।

पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें

(1) जिसके लिए पत्र लिखा जाये, उसके लिए पद के अनुसार शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। (2) पत्र में हृदय के भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त होने चाहिए। (3) पत्र की भाषा सरल एवं शिष्ट होनी चाहिए। (4) पत्र में बेकार की बातें नहीं लिखनी चाहिए। उसमें केवल मुख्य विषय के बारे में ही लिखना चाहिए। (5) पत्र में आशय व्यक्त करने के लिए छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। (6) पत्र लिखने के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए। (7) पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए। (8) अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। (9) पत्र में लिखी वर्तनी-शुद्ध व लेख-स्वच्छ होने चाहिए। (10) पत्र प्रेषक (भेजने वाला) तथा प्रापक (प्राप्त करने वाला) के नाम, पता आदि स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए। (11) पत्र के विषय से नहीं भटकना चाहिए यानी व्यर्थ की बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है- (1) प्रभावोत्पादकता (2) विचारों की सुस्पष्ठता (3) संक्षेप और सम्पूर्णता (4) सरल भाषाशैली (5) बाहरी सजावट (6) शुद्धता और स्वच्छता (7) विनम्रता और शिष्टता (8) सद्भावना (9) सहज और स्वाभाविक शैली (10) क्रमबद्धता (11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान (12) उद्देश्यपूर्ण

(1)प्रभावोत्पादकता :- किसी भी पत्र का प्रथम गुण हैं उसकी प्रभावोत्पादकता। जो पत्र अपने पाठक को प्रभावित नहीं करते वे जल्दी ही रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। उनका लिखा जाना और न लिखा जाना- दोनों बराबर हैं। अच्छा पत्र-लेखक वही हैं, जो अपने विचार प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके। इसके लिए जरूरी हैं कि आप जो बात पत्र में लिखना चाहते हैं उसपर पहले गंभीरता से विचार कर लें। फिर उसे इस ढंग से प्रस्तुत करें कि पढ़नेवाले पर उसका अनुकूल असर हो।

(2)विचारों की सुस्पष्ठता :- पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।

(3)संक्षेप और सम्पूर्णता :- - पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए। सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छूटने न पाय। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं। पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की लझन में छोड़ना ठीक नहीं।

(4)सरल भाषाशैली :- पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।

(5)बाहरी सजावट :- पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि (i) उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए; (ii) लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो; (iii) विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय; (iv) शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए; (v) पत्र की पंक्तियाँ सटाकर न लिखी जायँ और (vi) विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।

(6)शुद्धता और स्वच्छता :- शुद्धता और स्वच्छता पत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण गुण होते हैं। साफ-सुथरे कागज पर सफाई के साथ लिखा गया पत्र मन को प्रसन्न करता हैं। पत्र में काट-पीट और उलटी-सीधी पंक्तियाँ देखकर मन उचटने-सा लगता हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि पहले पत्र को रफ लिखा जाए और बाद में उसे साफ-साफ उतारकर संबंधित व्यक्ति के पास भेजा जाए।

(7)विनम्रता और शिष्टता :- विनम्रता व्यक्तित्व का ही नहीं, पत्र का भी विशेष गुण हैं, क्योंकि पत्र में पत्र-लेखक का व्यक्तित्व झलकता हैं। आपकी मन स्थिति कैसी भी क्यों न हों, पत्र लिखते समय सदैव शिष्टता और विनम्रता का ही परिचय देना चाहिए। इस प्रकार आपके बिगड़े काम भी बन सकते हैं। इसके विपरीत अशिष्टतापूर्ण पत्रों से कभी-कभी बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।

(8)सद्भावना :- पत्र का सद्भावनापूर्ण होना जरूरी हैं। यदि आपको शिकायती पत्र भी लिखना पड़े तो उसमें आपको असद्भावना नहीं प्रकट होना चाहिए। ऐसे मामलों में विवेक और संयम का ही परिचय देना चाहिए। धमकी, उपालंभ आदि का दुर्भाव प्रकट न करना ही श्रेयस्कर रहता हैं। सद्भावनापूर्णपत्र (समाज में) आपस में प्रेम और भाईचारे को जन्म देते हैं।

(9)सहज और स्वाभाविक शैली :- पत्रों की भाषा-शैली सहज-स्वाभाविक होनी चाहिए। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सीधे-सादे सरल शब्दों के चयन से विचारों की सचाई झलकती हैं। काव्यात्मक और कल्पना-प्रधान शैली पत्र की स्वाभाविकता को नष्ट कर देती हैं।

(10) क्रमबद्धता :- पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक हैं। जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।

(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान :- पत्र में विराम चिह्नों को सही स्थान पर प्रयोग किया जाना चाहिए। विराम चिह्नों का सही प्रयोग न होने से अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं। उचित स्थान पर विराम चिह्नों का प्रयोग पत्र को आकर्षक बनाता हैं।

(12) उद्देश्यपूर्ण :- पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।

पत्र के भाग

पत्र को जिस क्रम में प्रस्तुत किया जाता हैं अथवा लिखा जाता हैं, वे पत्र के भाग कहलाते हैं। अनौपचारिक व औपचारिक पत्रों में पत्र के भाग सामान्य रूप से समान होते हैं। दोनों श्रेणियों के पत्रों में कुछ अन्तर होता हैं। जिसे यहाँ स्पष्ट किया गया हैं। सामान्यतः पत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं-

(1) शीर्षक या आरम्भ- पत्र के शीर्षक के रूप में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता हैं। एक तरह से शीर्षक पत्र-लेखक का परिचायक होता हैं। पत्र लिखने वाले का पता पत्र के बायीं ओर सबसे ऊपर लिखा जाता हैं। परीक्षा के सन्दर्भ में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि यदि परीक्षा में पूछे गए पत्र में पते का उल्लेख न किया गया हो तो उसके स्थान पर 'परीक्षा भवन' लिखा जाता हैं। इसके ठीक नीचे पत्र लिखने की तिथि लिखी जाती हैं। औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत विषय का उल्लेख सीमित शब्दों में स्पष्ट रूप से किया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में विषय का उल्लेख नहीं होता।

(2) सम्बोधन एवं अभिवादन- पत्रों में सम्बोधन एवं अभिवादन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं। औपचारिक पत्रों में यह प्रायः 'मान्यवर', 'महोदय' आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में यह 'पूजनीय' 'स्नेहमयी', 'प्रिय' आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं।

(3) विषय-वस्तु- किसी भी पत्र में विषय-वस्तु ही वह महत्त्वपूर्ण अंग हैं, जिसके लिए पत्र लिखा जाता हैं। इसे पत्र का मुख्य भाग भी कहते हैं। यह प्रभावशाली होना चाहिए। जिन विचारों एवं भावों को आप प्रकट करना चाहते हैं, उन्हें ही क्रमशः लिखना चाहिए। अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास कीजिए। ध्यान रखिए कि आप पत्र लिख रहे हैं, कोई कहानी या नाटक नहीं। अतः विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दीजिए।

जिस तरह विषयवस्तु का आरंभ प्रभावशाली होना चाहिए। उसी प्रकार उसका समापन भी ऐसा होना चाहिए, जो पाठक के मन को प्रभावित कर सके।

(4) मंगल कामनाएँ- विषयवस्तु की समाप्ति के बाद मंगल कामनाएँ व्यक्त करना न भूलें। ये मंगल कामनाएँ पढ़कर वाचक को लगता हैं कि पत्र-लेखक उसका शुभचिंतक हैं। प्रायः 'शुभकामनाओं सहित', 'सद्भावनाओं सहित', 'मंगल कामनाओं सहित', 'सस्नेह' आदि शब्दों का प्रयोग मंगल कामनाओं की अभिव्यक्ति के लिए किया जाता हैं। मंगल सूचक शब्दों के बाद अर्द्धविराम लगाना चाहिए।

(5) अंत- पत्र के अंतिम अंग के रूप में 'आपका', 'भवदीय', 'आज्ञाकारी', 'शुभाकांक्षी' आदि शब्दों का प्रयोग प्रसंगानुसार किया जाता हैं। ऐसे शब्दों का उल्लेख उपर्युक्त तालिका में किया गया हैं। इन शब्दों के नीचे अपने हस्ताक्षर करना चाहिए। इन हस्ताक्षरों के साथ उपाधि आदि का उल्लेख नहीं करना चाहिए। इस प्रकार पूरा पत्र लिखने के बाद, लिफाफे में बंद करने से पहले एक बार पढ़ अवश्य लेना चाहिए कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया हैं, अथवा आप जो बात कहना चाहते थे वही लिखा भी गया हैं या नहीं।

अगर पत्र पोस्टकार्ड पर लिखा गया हैं तो उसमें निर्धारित स्थान पर उस व्यक्ति संस्था आदि का पूरा पता लिखें। अन्यथा पत्र को यथोचित मोड़कर लिफाफे में रख दें। फिर लिफाफे पर पानेवाले का पूरा पता अवश्य लिख दें। पता लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पता साफ और पूरा लिखा गया हो। पते में सबसे पहले पानेवाले का नाम, फिर दूसरी पंक्ति में मकान नं., सड़क, गली, मुहल्ले और शहर का नाम लिखना चाहिए। आजकल समय से डाक पहुँचे, इसके लिए पिनकोड का चलन हो गया हैं। अतः नगर के साथ-साथ पिनकोड और राज्य भी लिख दें।

लिफाफे पर पानेवाले का पता बीच में लिखना चाहिए। जिस ओर पता लिखा हैं उसी ओर नीचे, बाएँ कोने में 'प्रेषक' लिखकर अपना पता लिख दें। अंतर्देशीय पत्रों में दोनों पतों की अलग-अलग व्यवस्था होती हैं। पत्र को पोस्ट करने से पहले यह देख लें कि उसपर पर्याप्त डाक टिकट लगे हैं या नहीं। पर्याप्त टिकटों के अभाव में पत्र 'बैरंग' माना जाता हैं और उसके सामान्य मूल्य से दो गुना मूल्य पत्र पानेवाले को चुकाना पड़ता हैं।

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

एक उत्तम निबंध कैसे लिखें.

Last Updated: May 9, 2017 By Gopal Mishra 11 Comments

निबंध कैसे लिखें?

How to write an essay in hindi.

निबंध लिखने का तरीका समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि “निबंध क्या है?” और उसके तत्त्व कौन से हैं व सफल निबन्ध की कसौटी क्या है? तत्पश्चात ही उच्च गुणवत्ता का निबन्ध लेखन किया जा सकता है।

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निबंध क्या है?

हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है-

निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।

उपरोक्त परिभाषा से दो तथ्य तो स्पष्ट हो जाते हैं कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप  ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबन्ध लेखक के व्यक्तित्त्व को, उसके मानसिक चिन्तन को शत-प्रतिशत उजागर करता हो। यानी निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।

यानि हम कह सकते हैं कि-

Rummy Perfect

निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।

इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा सम स्वच्छन्दता से बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे- यह अत्यन्त आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।

कुछ अन्य बातों की ओर भी निबन्ध लेखक का ध्यान हो, जैसे-

  • पाठक को निबन्ध पढ़ते हुए सहभागिता का अनुभव हो
  • लेखक के विचार पाठक को सरलता से समझ आने चाहियें
  • जहाँ तक संभव हो लेखक के अनुभव पाठक को आप-बीते अनुभव हों

वस्तुतः किसी भी निबन्ध की सफलता इसी तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक उससे कितनी आत्मीयता अनुभव करते हैं।

निबन्ध कैसे लिखें?

मूलतः हमारा विषय यह था कि “ निबन्ध कैसे लिखें “। एक आप-बीती बताती हूँ -शिक्षण जगत में प्रवेश किया ही था कि एक निराश कर देने वाला अनुभव हुआ। परीक्षा के पश्चात एक विद्यार्थी से परीक्षा संबंधित वार्तालाप करते हुए कहा,” निबन्ध छोड़ आया क्योंकि याद किया हुआ नहीं आया।” मैं अचंभित होते हुए उससे पूछ बैठी,” निबन्ध को भी याद करना होता है क्या?” उसने कोई उत्तर नही दिया।

काफी विचार-मंथन के पश्चात मुझे सम्पूर्ण शिक्षण-प्रक्रिया में यह खामी नज़र आयी कि हम शायद यह समझ ही नहीं पाए थे कि पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन क्यों जोड़ा गया है। कक्षा में छात्रों का वाद-विवाद होने पर प्रायः यह कहा करती थी कि अगर अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पा रहे और विवाद का हल हिंसा में खोजते हो तो सारी शिक्षण – व्यवस्था ही  असफल है।विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना  ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है।

मित्रों, निबंध कैसे लिखें  समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि-

पाठ्यक्रम में निबन्ध – लेखन को क्यों समाहित किया गया :

1.  विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8.  अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।

अब प्रश्न यह उठता है कि निबन्ध किस प्रकार लिखे जाने चाहियें।

निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-

1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्कालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख  कर याद कर लें।

ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।

2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।

3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।

4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।

5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।

6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।

7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।

8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।

9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।

10) अनावश्यक विस्तार से बचें।

11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .

12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।

13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।

14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।

इन तथ्यों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी निबन्ध-लेखन में शत-प्रतिशत अंक ला सकता है। निबन्ध- लेखन सागर के समान गहरा अवश्य है पर उसमे उतरेंगे तो सफलता रूपी मोती अवश्य ही पाएंगे।

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लेखिका हिंदी प्रवक्ता

निबंध लेखन की कला सिखाते इस लेख के लिए हम  नीरू ‘शिवम’ जी के आभारी हैं। धन्यवाद!

AchhiKhabar.Com पर प्रकाशित निबंधों की सूची यहाँ देखें 

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  • हर एक शिक्षक को नमन हर एक शिष्य को आभार

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November 27, 2022 at 8:30 pm

Didi thank you so much 😘

August 3, 2021 at 4:51 pm

दीदी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपके लेख को पढ़कर काफी प्रेरणा मिली कल मेरा शिक्षाशास्त्र परास्नातक द्वितीय वर्ष पंचम प्रश्नपत्र है आशीर्वाद दीजिएगा

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November 14, 2018 at 11:50 pm

Kya nibandh mE subject related diagram (chitra) banaya ja sakta h

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November 15, 2018 at 8:49 am

नहीं. लेकिन आप इन्फोग्रफिक या टेबल जैसा कुछ बना सकते हैं जिसमे निबंध से सम्बंधित बातें शोर्ट में बतायी गयी हों.

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March 8, 2018 at 10:36 pm

Aapne jo bhi baatein kahin hai wo hum jarur dhayan me rakhenge and thanks for your tips ma’am.

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February 25, 2018 at 12:00 am

Thanks for the tips ma’am…but I request to you ki hum log 3rd class k bacchho ko nibandh dikhana kaise sikhaye samay ki kami k Karan unless pass school books k bad time nahi hota…. please help

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December 28, 2017 at 7:49 pm

Very very thankful sir….

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May 18, 2017 at 10:06 pm

बहुत बढ़िया आर्टिकल स्टूडेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद, निबंध से परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाने का अवसर होता हैं.

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May 11, 2017 at 3:10 pm

Thanks for this Post sir….

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May 10, 2017 at 6:29 pm

Nice article… Sahi kaha aapne apne vicharon ko sahi tarah se spasht karne ki kala ko sikhna hi nibandh hai. Is article se sabhi students ko nibandh likhne me zarur laabh milega.

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May 10, 2017 at 2:46 am

परीक्षा में अच्छे अंक पाने में निबंध का अहम योगदान होता है और इसके लिए सभी students मेहनत भी करते है लेकिन फिर भी सबका रिजल्ट भिन्न होता है । नीरू जी आपके द्वारा बताएं गए टिप्स से यकीनन Students को बहुत मदद मिलेगी ।

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Achha Nibandh Kaise Likhe

एक अच्छा निबंध कैसे लिखते हैं? निबंध लेखन का तरीक़ा/प्रारूप

निबंध वह रचना है जो किसी विषय पर विचारपूर्वक एवं क्रमबद्ध रूप से लिखी जाती है।  निबंध-लेखन एक कला है। किसी अन्य कला में प्रवीण होने के लिए जिस तरह निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निरंतर अभ्यास द्वारा ही कोई अच्छा निबंध लिख सकता है। और आज हम इसी के बारे में बात करेंगे कि निबंध लेखन का तरीक़ा क्या है और एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?

निबंध लेखन का तरीक़ा

निबंध लेखन का एक विस्तृत भाग होता है जो किसी विशेष दृष्टिकोण, विश्लेषण, व्याख्या, तथ्य अथवा प्रक्रियाओं के समुच्चय की वैधता के लिए एक प्रकरण का निर्माण करता है। किसी विषय पर निबंध लिखने से पहले अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर ही एक प्रारूप बनाना चाहिए।

निबंध तर्कपूर्ण, वर्णात्मक, विश्लेषणात्मक, अन्वेषणात्मक अथवा समीक्षात्मक हो सकते हैं; लेकिन उन सभी का एक विषय प्रस्तुत करने, संरक्षण प्रदान करने एवं पाठक के लिए एक दृष्टिकोण रखने का सामान्य उद्देश्य होता है। अतः एक निबंध की श्रेष्ठता न केवल प्रस्तुत तथ्यों की वैधता में निहित होती है, बल्कि इन तथ्यों के चयन, समालोचनात्मक मूल्यांकन, संगठन तथा प्रस्तुति पर भी निर्भर होती है।

एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?

  • अच्छा निबंध लिखने के लिए सबसे पहले तो उस विषय पर अपने ज्ञान एवं अनुभव के बारे में सोचना चाहिए।
  • एक अच्छे निबंध में विचारों में क्रमबद्धता होती है और यही क्रमबद्धता किसी भी निबंध को प्रभावी बनाती है।
  • निबंध को हर हाल में विषय-केंद्रित होना चाहिए। विषय से भटकाव किसी भी निबंध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।
  • निबंध का प्रारम्भ हमेशा विषयवस्तु के परिचय से करें।
  • परिचय के बाद निबंध के मध्य भाग को लिखें, इसमें विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दें।
  • उपसंहार में सारांश के साथ निबंध को समाप्त करें।
  • निबंध उसी विषय पर लिखना अधिक अच्छा होता है, जिसकी अच्छी जानकारी हो।
  • वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्दों का प्रयोग करना चाहिए तथा इनकी अनावश्यक आवृत्ति से बचना चाहिए।
  • वाक्य-विन्यास ठीक रखते हुए विराम-चिन्हों का उचित प्रयोग करना चाहिए।
  • व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  • निबंध की भाषा-शैली सीधी, सरल, सुबोध तथा विषय के अनुकूल रखनी चाहिए।
  • लम्बे-लम्बे क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से यथासंभव बचना चाहिए, क्योंकि इनसे भाषा प्रवाह में बाधा पहुँचती है और निबंध अस्वाभाविक लगने लगता है।
  • निबंध का आकार न बहुत छोटा और न ही बहुत लम्बा होना चाहिए।
  • सभी विचारों को पूर्णता के साथ स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए।
  • मध्य-भाग लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो। विभिन्न अनुच्छेदों को भी विचारों की भाँति सही क्रम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  • विषयवस्तु का वास्तविक प्रसार मध्य-भाग में ही करना चाहिए।
  • निबंध का सारांश उपसंहार में ही लिखना चाहिए तथा इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम वाक्य के साथ निबंध की पूर्णता का आभास हो।

इसे भी पढ़ें: निबंध कितने प्रकार के होते हैं?

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How To Write In Hindi

Hindi Mein kaise Likhen | How To Write In Hindi | Useful Tips For Writing in Hindi (हिंदी में कैसे लिखें) एक आसान गाइड (2023)

How To Write In Hindi | Hindi Mein kaise Likhen | Useful Tips For Writing in Hindi | हिंदी में कैसे लिखें | हिंदी में लेखन के लिए कुछ उपयोगी टिप्स

आज की डिजिटल युग में, हिंदी भाषा का महत्व और प्रचलन निरंतर बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है और अधिकांश उपयोगकर्ताओं को भी हिंदी में लेखने की आवश्यकता महसूस हो रही है। हालांकि, कुछ लोग इस विषय में अनिवार्यता के कारण संशय से ग्रस्त हो जाते हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको Hindi Mein kaise Likhen | How To Write In Hindi | हिंदी में कैसे लिखें | Useful Tips For Writing in Hindi | हिंदी में लिखने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स और तकनीकों के बारे में बताएंगे जो आपको इस काम में सहायक साबित होंगे।

Hindi Mein kaise Likhen

Table of Contents

Hindi Mein kaise Likhen – How To Write In Hindi (हिंदी में कैसे लिखें)

(simple sentence structure) शुरुआत में सरल वाक्य संरचना.

हिंदी में लेखन की शुरुआत सरल वाक्य संरचना( Simple Sentence Structure ) से करें। यदि आप नए लेखक हैं और हिंदी में लिखने का अनुभव नहीं है, तो सरलता से लिखने से आपको स्वतंत्रता मिलेगी।

(Clear Language) स्पष्ट भाषा का उपयोग करें

ज्यादा शब्दांतरण से बचकर स्पष्ट भाषा ( Clear Language ) का उपयोग करें। अधिकतर लोग सरल और स्पष्ट भाषा को पसंद करते हैं जो समझने में आसान हो।

(Sentence Length) वाक्य लंबाई पर ध्यान दें

हिंदी में लेखन के दौरान वाक्य लंबाई ( Sentence Length ) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लंबे वाक्य बनाने से बचें और सार्थक वाक्यों का प्रयोग करें।

(Practice) प्रैक्टिस करें

हिंदी में लेखन कौशल को सुधारने के लिए नियमित अभ्यास ( Practice ) करें। जितनी अधिक संभावित हो, रोज़ लिखने का समय निकालें ताकि आपकी लेखनी का स्तर बेहतर होता जाए।

(News and Read) समाचार और पढ़ाई करें

समाचार और पुस्तकों को पढ़कर भी हिंदी( News and Read ) लेखन कौशल को सुधारा जा सकता है। धीरे-धीरे आपकी समझ और ज्ञान विस्तार होगा जिससे आपका लेखनी का प्रभाव बढ़ेगा।

(Other Languages) अन्य भाषाओं का उपयोग न करें

हिंदी में लेखन करते समय, अन्य भाषाओं( Other Languages ) के शब्दों का उपयोग न करें। हिंदी में उन शब्दों का चयन करें जो उपयुक्त हों और आपके लेखन को मजबूती दें।

(Good Vocabulary) अच्छे शब्दसंग्रह का प्रयोग करें

आपके पास एक अच्छे शब्दसंग्रह ( Good Vocabulary ) का होना चाहिए जिससे आपको समझ नहीं आने वाले शब्दों का सही उपयोग हो सके।

(Creative Writing) रचनात्मक लेखन करें

हिंदी में लेखन को रचनात्मक बनाने से आपके लेखन का आकर्षक( Creative Writing ) होना संभव है। इससे पाठक आपके लेख को आकर्षित होकर आगे बढ़ने के लिए उत्साहित होते हैं।

(Paragraphs) अनुच्छेदों का उपयोग

लंबे अनुच्छेदों के स्थान पर छोटे और सुव्यवस्थित अनुच्छेदों ( Paragraphs )का उपयोग करने से आपका लेखन अधिक पठनीय और समझदार लगता है।

(Thoughts) विचारों को सुव्यवस्थित करें

लेखन के दौरान विचारों को सुव्यवस्थित रखने ( Thoughts ) पर ध्यान देना चाहिए। विचारों को एक अनुक्रम में रखने से आपके लेख का ढांचा सुव्यवस्थित और अनुवर्ती होता है।

(Debate) वाद-विवाद में सक्रिय रहें

हिंदी में लेखन के दौरान वाद-विवाद ( Debate ) में सक्रिय रहें। पाठक उत्सुकता से उत्तर देने की प्रतीक्षा करते हैं और इससे आपके लेख का रुचिकर भाग बनता है।

(Numbers and Figures) संख्याएँ और आंकड़े

लेखन के दौरान संख्याएँ और आंकड़ों ( Numbers and Figures ) का उपयोग करना पठनीयता में सुधार लाता है। यह उपयोगकर्ताओं के लिए लेखन को अधिक रुचिकर और स्पष्ट बनाता है।

(Use of Examples) उदाहरणों का प्रयोग

हिंदी में लेखन के दौरान उदाहरणों का प्रयोग करने ( Use of Examples ) से पाठकों को आपके दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलती है। उदाहरण से समझाने से पाठकों को आपके लेख का संवादी स्वरुप प्राप्त होता है।

इस आर्टिकल में, हमने हिंदी में कैसे लिखें के बारे में विस्तार से चर्चा की। सरल वाक्य संरचना, स्पष्ट भाषा, रचनात्मक लेखन, संख्याएँ, उदाहरणों का प्रयोग आदि टिप्स का पालन करके आप हिंदी में लेखन में माहिर बन सकते हैं।

ध्यान देने वाली बात यह है कि अभ्यास ही सफलता का रहस्य है। अपनी रचनात्मकता को स्वतंत्रता से बहार निकालें और हिंदी में अद्भुत लेखन का आनंद लें!

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FAQs अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Hindi Mein kaise Likhen)

क्या हिंदी में लेखन आवश्यकता है.

हां, हिंदी में लेखन आज के समय में आवश्यकता है क्योंकि इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है और भारतीय उपयोगकर्ता भी हिंदी में सामग्री पढ़ना पसंद करते हैं।

हिंदी में लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप्स कौन से हैं?

हिंदी में लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप्स हैं: सरल भाषा का उपयोग करें स्पष्टता बनाए रखें वाक्य लंबाई पर ध्यान दें प्रैक्टिस करें

विचारों को सुव्यवस्थित करने के लिए कौन सा तरीका सबसे अधिक उपयुक्त है?

विचारों को सुव्यवस्थित करने के लिए बुलेट पॉइंट्स और अनुच्छेदों का उपयोग सबसे अधिक उपयुक्त है। इससे आपके लेख का ढांचा सुव्यवस्थित और आकर्षक लगता है।

हिंदी में रचनात्मक लेखन क्यों महत्वपूर्ण है?

हिंदी में रचनात्मक लेखन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाठकों को आकर्षित करता है और उन्हें लेखक के विचारों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है। इससे पाठक लेखक के साथ जुड़ जाते हैं और लेख को पूरा पढ़ने का इच्छुक होते हैं।

अच्छे शब्दसंग्रह के अभाव में हिंदी में लेखन कैसे सुधारें?

अच्छे शब्दसंग्रह के अभाव में, आपको नए और विभिन्न शब्दों का उपयोग करना चाहिए। इंटरनेट पर शब्दसंग्रहों की मदद से आप नए और सार्थक शब्द सीख सकते हैं जो आपके लेख को बेहतर बनाएंगे।

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Board Exam me copy kaise likhe: Topper copy kaise likhate hain

Board exam me copy kaise likhen.

Board exam me likhne ka best tarika Topper copy kaise likhate hain

परीक्षा का समय जैसे जैसे नजदीक आता है, हर परीक्षार्थी के मन मे ये सवाल जरूर आता है कि Board exam me paper kaise likhen कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा नम्बर मिले। आपके मन में भी ये सवाल जरूर आया होगा कि, टॉपर कॉपी कैसे लिखते हैं? बोर्ड एग्जाम में कॉपी लिखने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है? कॉपी में शिक्षक क्या देख कर मार्क्स देते हैं? कॉपी की कौन सी बात शिक्षकों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।

और ये सवाल मन मे आना भी चाहिए। क्योंकि आपकी परीक्षा की तैयारी कितनी भी अच्छी क्यों न हो। अगर आपको बोर्ड परीक्षा में कॉपी लिखने का सही तरीका नही पता है तो आप बोर्ड एग्जाम अच्छे मार्क्स हासिल नहीं कर पाएंगे।

वहीं आपसे कमजोर छात्र, अगर सही तरीके से परीक्षा में कॉपी लिख ले तो आपसे अच्छा नम्बर भी हासिल कर लेता है। तो इसका मतलब ये निकला कि अच्छी तैयारी के साथ-साथ बोर्ड परीक्षा में कॉपी लिखने का सही तरीका भी पता होना जरूरी है।

ऐसे में आपको ये जानना जरूरी हो जाता है कि बोर्ड एग्जाम में कॉपी कैसे लिखें? साथ ही ये जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर ये Topper copy kaise likhate hain, जिसकी वजह से उन्हें इतने अच्छे मार्क्स मिल जाते हैं। आखिर टॉप करने वाला टॉपर भी तो आपके बीच का ही एक छात्र है। फिर उसने बोर्ड एग्जाम में कॉपी कैसे लिखा, कॉपी लिखने में कौन सा तरीका अपनाया, जिसकी वजह से वो छात्र टॉपर बन गया। टॉपर और नार्मल छात्रों की कॉपी में आखिर कुछ तो अंतर रहता होगा, जिसकी वजह से मिलने वाले मार्क्स में इतना बड़ा अंतर दिखाई देता है।

टॉप करने के 12 सुपर टिप्स

इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट में 12 ऐसे पॉइंट्स मैंने बताए हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए अगर आप बोर्ड परीक्षा लिखेंगे तो निश्चित रूप से आपको बोर्ड एग्जाम में अच्छा मार्क्स मिलेगा। यहाँ तक कि अगर इन तरीकों को 100% फॉलो कर लिया जाए तो आप बोर्ड परीक्षा में टॉप भी कर सकते हैं । याद रखिये की टॉपर किसी दूसरे ग्रह से आया हुआ इंसान नही होता, उसके पास भी सबकी तरह 2 हाथ 2 पैर हैं। टॉपर भी हमारे और आपके बीच का ही कोई छात्र होता है। इसलिए बोर्ड परीक्षा में टॉप कोई भी कर सकता है। आप भी।

बोर्ड परीक्षा में टॉप करने के लिए टॉपर कॉपी कैसे लिखते हैं, इसके साथ साथ इसी पोस्ट में मैं अलग अलग कुछ राज्यों के टॉपर छात्रों की कॉपियां भी दिखाने वाला हूँ। ताकि आप खुद देख कर अंदाजा लगा सकें कि आखिर कॉपी चेक करने वाले शिक्षक क्या देख कर नम्बर देते हैं। कौन सी बात शिक्षकों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।

अब मैं आपको जो पॉइंट्स बताने जा रहा हूँ, उनको follow करके आप दसवीं या बारहवीं के किसी भी बोर्ड एग्जाम में अच्छा ही नहीं बल्कि बहुत अच्छा मार्क्स प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ तक कि अगर आपकी तैयारी अच्छी हो तो आप बोर्ड एग्जाम में टॉप भी कर सकते हैं।

तो चलिए एक-एक करके सभी पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • कॉपी का पहला पेज सावधानीपूर्वक सही-सही भरें
  • प्रश्न-पत्र (Question Paper) अच्छे से पढ़ें
  • एक खण्ड (section) के प्रश्नों का उत्तर एक जगह लिखें
  • जिस प्रश्न का उत्तर पता है, उसे पहले लिखें
  • एक भी Question न छोड़ें
  • उत्तरों के बीच कम से कम एक-दो लाइन का गैप रखें
  • महत्वपूर्ण शब्दों या वाक्यों को अंडरलाइन करें
  • अच्छी हैंड राइटिंग में लिखने का प्रयास करें
  • कॉपी के बाएं भाग में मार्जिन जरूर छोड़ें
  • जितना जरूरी हो, उतना ही लिखें
  • कॉपी पर प्रश्न नहीं, सिर्फ प्रश्न संख्या लिखें
  • जहाँ आवश्यक हो, वहाँ चित्र जरूर बनाएँ

बोर्ड परीक्षा में जाने से पहले👉

1. कम से कम दो पेन अपने साथ जरूर रखें। 2. एग्जाम में बिल्कुल नए पेन से न लिखें, बल्कि एग्जाम से पहले उससे कुछ पेज लिख लें। ताकि पेन बिल्कुल smooth चलने लगे। 3. हमेशा से जिस कंपनी का पेन Use करते हों, बोर्ड एग्जाम के लिए भी उसी कंपनी या ब्रांड का पेन use करें। 4. ब्लू के साथ-साथ आपके पास कम से कम 1 ब्लैक पेन जरूर होना चाहिये। 5. अंडरलाइन करने के लिए तथा प्रश्न संख्या लिखने के लिए ब्लैक पेन का उपयोग करें।

अच्छे मार्क्स के लिए बोर्ड एग्जाम में कॉपी कैसे लिखें?

Table of contents, 1. कॉपी का पहला पेज सावधानीपूर्वक सही-सही भरें.

कहा जाता है कि कवर देख कर किताब का पता नही लगाया जा सकता है। लेकिन ये जो इंसान होता है ना, इसकी प्रवृति ही यही होती है। अब चाहे परीक्षा किसी भी बोर्ड की क्यों न हो। लगभग सभी बोर्ड में कॉपी का पहला पेज काफी महत्वपूर्ण होता है। इस पहले पेज पर कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं भरनी होती हैं।

इसलिए पहले पेज पर भरी जाने वाली सूचनाओं को अत्यंत सावधानी से भरना है ताकि उसमें कोई गलती न हो सके। क्योंकि अगर कोई गलती हो जाती है तो आपको दूसरी कॉपी नहीं मिलने वाली है। उसी कॉपी पर काट कर आपको सुधार करना होगा।

चूंकि आपकी कॉपी के पहले पेज पर ही काट-कूट हो गया है। इसलिए जब आपकी कॉपी चेक करने के लिए शिक्षक के पास जाएगी तो शिक्षक पर आपका First Impression अच्छा नहीं पड़ेगा। जिसका नुकसान आपको उठाना पड़ सकता है। अच्छे मार्क्स के लिए जरूरी है कि शिक्षक पर आपका पहला Impression जबरदस्त हो।

2. प्रश्न-पत्र (Question Paper) अच्छे से पढ़ें

क्वेश्चन पेपर मिलते ही आंसर लिखने की हड़बड़ी न करें। अधिकतर बोर्ड की परीक्षाओं में Question Paper को पढ़ने के लिए 15 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाता है। इसलिए प्रश्न पत्र को अच्छे से पढ़ें।

Question Paper के पहले पेज पर कुछ निर्देश (Instructions) छपे होते है। इन्हें भी सावधानी से पढ़ कर समझ लें। किस खंड से कितने सवालों के जवाब देने हैं, किस प्रश्न का उत्तर कितने शब्दों में देना है, लिखना शुरू करने से पहले ये सारी बातें समझ लेना आवश्यक है। Board exam me likhne ka tarika in hindi का दूसरा महत्वपूर्ण पॉइंट यही है।

आंसर लिखने की हड़बड़ी में अक्सर छात्र Question को ध्यान से नहीं पढ़ते। जिसके कारण उनका आंसर गलत हो जाता है।

इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं- मान लीजिए कि एक प्रश्न है- इनमें से कौन अनवीकरणीय संसाधन नहीं है?

अब जल्दबाजी में कई छात्र पूरा प्रश्न नहीं पढ़ते। केवल शुरू में पढ़ा और लास्ट में जो “नहीं” शब्द लिखा हुआ है, उस पर ध्यान नहीं गया। अब इसके कारण इस प्रश्न का अर्थ ही बदल जाएगा। ऐसी स्थिति में हमारा उत्तर गलत हो जाता है।

3. एक खण्ड (section) के प्रश्नों का उत्तर एक जगह लिखें

Board exam me top kaise kare Board Exam में अच्छे मार्क्स लाने के लिए कॉपी लिखने का ये तीसरा पॉइंट भी काफी महत्वपूर्ण है। आपने देखा होगा कि कुछ प्रश्न-पत्र खंडों (Section) में बंटे होते हैं।

जैसे खंड- अ (Section “A”) वैकल्पिक प्रश्न, खंड- ब (Section “B”) लघु उत्तरीय प्रश्न खंड- स (Section “C”) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

अब यहाँ पर कुछ छात्र ये गलती करते हैं कि उत्तर लिखते समय एक उत्तर ‘खण्ड- अ’ से लिखते हैं। और उसके बाद अगला उत्तर ‘खण्ड ब’ से लिख देते हैं। पर आपको ये गलती नहीं करनी है।

प्रयास करें कि एक खण्ड के सभी प्रश्नों का उत्तर एक जगह लिखें जाएं। उदाहरण के लिए अगर आपने खंड- ब (Section “B”) लघु उत्तरीय प्रश्न लिखना शुरू किया, तो सबसे पहले शीर्षक (Heading) में लिखें-

खंड- ब (Section “B”) लघु उत्तरीय प्रश्नों का उत्तर

उसके बाद उस खण्ड के सारे प्रश्नों का उत्तर एक के बाद एक लिखते चले जाएं। इससे आपको बार बार खण्ड (Section) लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही आपकी कॉपी की सुंदरता भी बढ़ जाएगी।

Toppers Copy MP Board

4. जिस प्रश्न का उत्तर पता है, उसे पहले लिखें

Board exam me copy likhne ka best tarika का चौथा पॉइंट अच्छे से समझें।

अगर आपको सारे सवालों के जवाब याद हैं, तब तो बहुत अच्छी बात है। आप एक के बाद एक क्रमवार ढंग से अपने उत्तर लिखते चले जाएं। क्रमवार ढंग से उत्तर लिखने में कॉपी चेक करने वाले शिक्षक को आसानी होती है। जिससे आपको भी फायदा पहुँचता है।

लेकिन अगर आपको किसी सवाल का जवाब याद न हो तो, उस पर समय बरबाद बिल्कुल न करें। क्योंकि ऐसे सवालों पर समय बरबाद करने से आपके वो सवाल भी छूट सकते हैं, जिनका आंसर आपको अच्छी तरह आता है।

इसलिए जो सवाल आपको आते हों, पहले उनका जवाब लिखें। सभी आंसर लिखने के बाद, आखिर में आप उन प्रश्नों का उत्तर सोच कर, अपने विवेक से लिखने का प्रयास कर सकते हैं, जिन्हें आपने शुरू में छोड़ दिया था।

Topper copy Rajasthan Board

5. एक भी Question न छोड़ें

एक कहावत है कि “भागते भूत की लंगोट भली”। Board exam mein copy kaise likhen का पाँचवाँ महत्वपूर्ण पॉइंट इसी पर आधारित है। जरा सोचिए, अगर आपको कोई सवाल नहीं आता है और आप उस सवाल को छोड़ देते हैं। उसका जवाब लिखते ही नहीं। तो उस सवाल के लिए आपको कोई मार्क्स नहीं मिलेगा।

इसलिए किसी बोर्ड एग्जाम में कॉपी लिखते समय, एक भी सवाल न छोड़ें। चाहे आपको उसका जवाब आता हो या नहीं आता हो।

अब आप सोचते होंगे कि जब आंसर पता ही नहीं है लिखेंगे कैसे?

तो आप उस Question को 2-3 बार पढ़ें। अब उस क्वेश्चन से संबंधित आपको जो भी पता है, जितना भी पता है, जैसे पता है, लिख डालें। इससे क्या होगा कि भले ही आपको उस Question का फुल मार्क्स न मिले, पर कुछ तो मिलेगा ही।

पर अगर वो सवाल हल करें ही नहीं, तो कुछ भी नहीं मिलेगा। इसलिए मैंने शुरू में ही कहा था कि “भागते भूत की लंगोट भली”।

6. उत्तरों के बीच कम से कम एक दो लाइन का गैप रखें

बोर्ड एग्जाम में कॉपी लिखने का बेस्ट तरीका का छठा पॉइंट काफी महत्वपूर्ण है। अच्छे मार्क्स के लिए ये बेहद जरूरी है। उत्तर लिखते समय जहाँ पर आपका एक उत्तर पूरा होता है, और उसके बाद आप दूसरा उत्तर लिखना शूरु करते हैं। तो दूसरा उत्तर लिखना शुरू करने से पहले 1-2 लाइन का गैप जरूर रखें।

इसके कई फायदे होते हैं। आपकी कॉपी देखने मे सुंदर लगती है। कॉपी चेक करने वाले को स्पष्ट पता हो जाता है कि कहाँ से कहाँ तक एक उत्तर लिखा हुआ है। और कहाँ से दूसरा उत्तर शुरू हो रहा है।

इससे Examiner को कॉपी चेक करने में आसानी होती है। और उन्हें आसानी होगी तो सीधे तौर पर इसका फायदा आपको मिलेगा।

Topper copy kaise likhate hain

7. महत्वपूर्ण शब्दों या वाक्यों को अंडरलाइन करें

बोर्ड एग्जाम में उत्तर लिखते समय उत्तर के बीच में आने वाले महत्वपूर्ण शब्दों या वाक्यों को अंडरलाइन जरूर करें। जैसे कोई ईसवी, स्थान, व्यक्ति का नाम या कोई महत्वपूर्ण कथन। board exam mein copy kaise likhe का ये सातवां महत्वपूर्ण पॉइंट है।

इससे Examiner का ध्यान उन शब्दों की ओर आकर्षित होता है। और उन्हें कॉपी चेक करने में आसानी होती है। साथ ही इससे आपकी कॉपी की सुंदरता भी बढ़ जाती है और कॉपी चेक करने वाले खुश हो जाते हैं। जिसका पूरा फायदा आपको मिलता है।

Toppers copy CBSE

8. अच्छी हैंड राइटिंग में लिखने का प्रयास करें

अंग्रेजी में कहा जाता है कि “First impression is the last impression” अर्थात किसी व्यक्ति पर हमारा जो पहला प्रभाव पड़ता है, उसका असर अंत तक बना रह जाता है। इसलिए एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाने के लिए आपको, कॉपी चेक करने वाले पर First Impresssion अच्छा डालना है।

क्योंकि अगर फर्स्ट इम्प्रेशन अच्छा रहा तो Examiner दिल खोल कर मार्क्स देंगे। इस वजह से बोर्ड एग्जाम में कॉपी कैसे लिखें का ये आठवाँ पॉइंट सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।

तो आपको बस इतना प्रयास करना है कि जैसे ही Examiner आपकी कॉपी खोलें। उनके दिमाग ये ख्याल आना चाहिए कि वाह! ये छात्र तो बड़ा अच्छा है।

इसके लिए जरूरी है कि-

🔴आपकी Hand-writing सुंदर और साफ सुथरी होनी चाहिए। 🔴कॉपी का पहला पेज सही-सही भरा हुआ हो। 🔴कॉपी में कहीं पर काट-कूट या over-writing न हो। 🔴महत्वपूर्ण शब्द या वाक्य अंडरलाइन किये हुए हों। 🔴उत्तरों के बीच 2-3 लाइन का गैप हो। 🔴सही जगह पर प्रश्न संख्या लिखे हुए हों।

Topper copy Uttrakhand board

9. कॉपी के बाएं भाग में मार्जिन जरूर छोड़ें

प्रश्नों का उत्तर लिखना शुरू करने से पहले कॉपी के बाएं भाग में एक-चौथाई हिस्से का मार्जिन जरूर छोड़ें।

प्रश्न संख्या या उत्तर संख्या आपको इसी मार्जिन में लिखना है। इससे कॉपी सुंदर लगती है और आपको अच्छे मार्क्स मिलते हैं।

10. जितना जरूरी हो, उतना ही लिखें

याद रखिये कि प्रश्न में जितना पूछा जा रहा हो, उत्तर में उतना ही लिखें। जरूरत से ज्यादा लिखने पर आपको ज्यादा मार्क्स नहीं मिलने वाले हैं।

अगर कोई सवाल 3 अंक का है तो बढ़ा चढ़ा कर लिखने से आपको 5 अंक नही मिलेगा। इसलिए जितना जरूरी हो, उतना ही लिखें। जरूरत से ज्यादा लिख कर अपना समय बरबाद न करें।

वैसे प्रश्न जिनमें अधिक लिखने की जरूरत होती है, वहाँ आप अधिक लिख सकते हैं। जैसे- निबंध (Essay), दीर्घ उत्तरीय प्रश्न आदि।

बुद्धिमान छात्र वही होता है, जो सही समय और सही जगह पर अपनी क्षमताओं का उपयोग करता है।

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11. कॉपी पर प्रश्न नहीं, सिर्फ प्रश्न संख्या लिखें

बोर्ड एग्जाम में कॉपी लिखते समय प्रश्नों को न लिखें। केवल प्रश्न संख्या लिख देना ही काफी होता है। कॉपी चेक करने वाले परीक्षक (Examiner) अपने साथ Question Paper ले कर बैठते हैं। इसलिए अपने आंसर शीट पर प्रश्न लिखना, समय की बरबादी के अलावा और कुछ नहीं है।

सबसे बेहतर तरीका नीचे के चित्र में आप देख सकते हैं। सबसे पहले आपको प्रश्न संख्या लिखना है। उसके बाद उसके नीचे के लाइन से उत्तर लिखना शुरू कर देना है।

12. जहाँ आवश्यक हो, वहाँ चित्र जरूर बनाएँ

मैथ,साइंस और सोशल साइंस जैसे विषयों में जहाँ आवश्यक हो वहां चित्र जरूर बनाएं।

कई प्रश्न ऐसे भी होते हैं, जिनका उत्तर चित्रों की सहायता से ही देना होता है। ऐसे उत्तरों में अगर आप चित्र छोड़ कर केवल शब्दों में उत्तर देते हैं, तो उस प्रश्न का पूरा अंक नहीं मिल पाता। बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर कैसे लाएं का ये बारहवां पॉइंट है।

Toppers copy CBSE 2

चित्र बनाते समय ध्यान रखें कि न तो चित्र बहुत बड़ा हो, न बहुत छोटा। चित्र स्पष्ट होना चाहिये तथा उसके नीचे चित्र का नाम लिखा होना चाहिये। संभव हो तो चित्र पेंसिल से बनाएं। ताकि गलती होने पर उसे मिटा कर सही किया जा सके।

एक बार फाइनल हो जाने पर उस चित्र को पेन से दोबारा डार्क कर सकते हैं।

तो इस पोस्ट में हमने सीखा की बोर्ड एग्जाम में कॉपी कैसे लिखते हैं? टॉपर कॉपी कैसे लिखते हैं? बोर्ड परीक्षा में अच्छे मार्क्स कैसे लाएं? Board exam me copy kaise likhen पोस्ट के अंतर्गत बताए गए 12 पॉइंट्स को फॉलो करके आप बोर्ड परीक्षा में टॉप कर सकते हैं।

आप अपने सुझाव या संशोधन कमेंट के जरिये हमें बता सकते हैं। अगर आपको ये जानकारी लाभदायक लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

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3 thoughts on “Board Exam me copy kaise likhe: Topper copy kaise likhate hain”

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very nice information sir

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Excellent example for getting good marks in board exams

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bahut achcha sar aapane bahut achcha samjhaya main aapki baat ko dhyanpurvak samjha hun aur follow bhi karunga or board exam mein acche number launga thank you sir

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डायरी कैसे लिखें? 10 बेहतरीन टिप्स How to write a diary properly in Hindi?

डायरी कैसे लिखें? 10 बेहतरीन टिप्स How to write a diary properly in Hindi?

क्या आप डायरी लिखने के सही तरीके को जानना चाहते हैं? (How to Write a Diary Properly in Hindi?) एक बेहतरीन जर्नल या डायरी कैसे लिखें?

अगर सही मायने में देखा जाए तो डायरी लिखना बहुत ही आसान है। ऐसा इसलिए क्योंकि डायरी लिखने का कोई नियम-कानून नहीं होते हैं। आपके दिल में जो आता है आप उसमें लिख सकते हैं। भले ही वह बात आपके काम से जुड़ी हो या निजी जिंदगी से जुड़ी हुई हो।

लोग डायरी को एक जर्नल के तरीके से भी लिखते हैं- जैसे खाने से जुड़ी हुई डायरी, स्वास्थ्य से जुड़ी हुई डायरी, अपने ऑफ़िस से जुड़ी हुई डायरी, या फिर स्कूल और कॉलेज की ज़न्दगी से जुड़ी हुई डायरी। 

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डायरी लिखने की शुरुआत कैसे करें?

अगर आप सच में डायरी लिखना चाहते हो तभी आप एक डायरी लिख सकते हो यानी कि सबसे पहले डायरी लिखने की इच्छा होना बहुत ही जरूरी है। सबसे पहले तय कर ले कि आखिर आप अपनी डायरी में लिखना क्या चाहते हैं?

अपने व्यक्तित्व विकास के लिए डायरी लिखना बहुत ही कारगर साबित हो सकता है।आइए आपको बताते हैं 10 ऐसे बेहतरीन टिप्स जिनके माध्यम से आप एक बेहतर डायरी लिख सकते हैं।

1. सबसे पहले तय करें कि आप डायरी लिखना चाहते हैं

2. तय करें कि आप किस विषय पर डायरी लिखना चाहते हैं.

हो सकता है आपको यह चुनने में मुश्किल हो कि आप किस विषय में डायरी लिखें लेकिन भले ही आपको थोड़ा समय लगे सही से आप इसका चुनाव करें। आप कई विषयों में अपनी इच्छा अनुसार डायरी लिखना शुरू कर सकते हैं।

3. ज्यादा बड़ी डायरी ना लें

कुछ लोगों के पास डायरी लिखने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं होता है ऐसे में वह अपनी डायरी को हमेशा साथ रखते हैं। चाहे वह अपने ऑफ़िस में हो या कहीं घूमने गए हुए हो वह बैग में अपनी डायरी को हमेशा साथ रखते हैं। कुछ लोग तो अपने तकिए के नीचे भी डायरी को रखते हैं इसलिए डायरी का हेंडी होना बहुत ही जरूरी है जिससे कि आपको कहीं भी डायरी को पकड़कर लिखने में मुश्किल ना हो। 

4. अपनी डायरी लिखने का एक निर्धारित समय बनाएं

5. आपके दिल में जो है वह लिखें – दूसरों की राय ना लें.

भले ही आपके डायरी लिखते समय आपके शब्दों में ग़लतियाँ हो या फिर आपकी राइटिंग खराब हो किस से रे ना लें। अगर आप दूसरों की राय सुनने लगोगे तो आप कभी भी डायरी नहीं लिख पाओगे।अगर आप स्वयं अपनी डायरी को नियमित रूप से लिखेंगे तो धीरे-धीरे आप एक बेहतर डायरी लेखक बन जाओगे और आपका मानसिक विकास तेजी से होगा।

6.  तारीख देकर डायरी लिखें

डायरी वो चीज होती है जो आपके वर्तमान और अतीत के सभी जानकारियों को संजोए रहता है ऐसे में और बेहतर तरीके से उन दिनों को याद करने के लिए दिन और तारीख का लिखा होना बहुत ही जरूरी होता है। इसलिये ना सिर्फ नियमित लिखना बल्कि अपने हर एक डायरी लेख के साथ उस दिन का तारीख लिखना भी बहुत ही आवश्यक होता है।

7. डायरी को ईमानदारी से लिखें

आप स्वयं से कभी भी झूठ नहीं बोल सकते इसलिए डायरी में हमेशा सच लिखें। डायरी लिखने के लिए पूर्ण रूप से ईमानदार होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि डायरी में आप अपने स्वयं के लिए लिखते हैं।

साथ ही डायरी लिखते समय हर एक जरूरी जानकारी को अच्छे से लिखें कुछ भी ना छोड़ें। हो सकता है आपको थोड़ा ज्यादा समय लगे परंतु आप पूरी जानकारी अपने लेख में लिखें। इससे आप डायरी लिखने में और बेहतर दिन-ब-दिन होते जाएंगे।

8. अपने लेख को शीर्षक दें

अपने लेखों को और भी सुंदर और बेहतर बनाने के लिए उनका एक शीर्षक ज़रुर दें। सबसे ऊपर एक टाइटल ने और बाद में जरूरी जानकारी को आप चाहें तो बुलेट प्वाइंट में भी लिख सकते हैं।इससे दोबारा पढ़ते समय आप जल्दी से उस जानकारी के विषय में जान सकते हैं। टाइटल और बुलेट प्वाइंट के उपयोग से आपका समय लिखने और पढ़ने दोनों के लिए बचेगा।

9. अपने लेख के साथ कोई छोटा चित्र या फोटो लगा सकते हैं

अपने डायरी को और भी सुंदर और बेहतर बनाने के लिए आप उसमें कोई भी चित्र या फोटो लगा सकते हैं या बना सकते हैं। अब उदाहरण के लिए आप मान लीजिए कि आप अपने किसी दोस्त के साथ कोई अच्छी सी मूवी देखने गए हैं और आपका वह दिन आपके लिए एक यादगार दिन है।

10.  लिखने में कोई दिन छूट जाए तो चिंता ना करें

भले ही डायरी हर दिन लिखने की चीज हो इसे हर दिन लिख पाना बहुत ही मुश्किल होता है।एक मनुष्य का जीवन बहुत ही उतार-चढ़ाव और मुश्किलों से भरा हुआ होता है ऐसे में हो सकता है किसी दिन आप डायरी ना लिख पाए। ऐसे में ना घबराए और डायरी लिखना ना छोड़ दें।

1 दिन बाद हो या 2 दिन बाद जो भी आपके साथ इस बीच हुआ हो या आप से लिखना छूट गया हो आपको जब समय मिले अपनी डायरी में लिख डालिए। बस धीरे-धीरे करके समय-समय पर आप अपनी डायरी को भरते रहिए। आपको पता ही नहीं चलेगा कि आप कब अपनी पहली डायरी को पूरा कर चुके होंगे। 

11. अंत में कुछ और डायरी लिखने से जुड़े टिप्स

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Author : Rasheed Hasan Khan

Edition number : 001, publisher : maktaba jamia limited, new delhi, year of publication : 1975, language : urdu, categories : language & literature, children's literature, sub categories : learning resources, language, pages : 134, contributor : gaurav joshi.

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About The Book

ہماری قومی زبان اردو اگرچہ ابھی تک ہمارے لسانی و گروہی تعصبات اور ارباب بست و کشاد کی کوتاہ نظری کے باعث صحیح معنوں میں سرکاری زبان کے درجے پر فائز نہیں ہو سکی لیکن یہ بات محققانہ طور پر ثابت ہے کہ اس وقت دنیا کی دوسری بڑی بولی جانے والی زبان ہے۔ ہر بڑی زبان کی طرح اس زبان میں بے شمار کتابیں ہیں اور اس کے علمی، تخلیقی اور تنقیدی و تحقیقی سرمائے کا بڑا حصہ بڑے اعتماد کے ساتھ عالمی ادب کے دوش بدوش رکھا جا سکتا ہے۔ ایسی زبان اس امر کی متقاضی ہے کہ اسے صحیح طور پر لکھا بولا جا سکے۔ کیونکہ کسی بھی زبان کی بنیادی اکائی اس کے اصول وقواعد ہیں۔ زبان پہلے وضع ہوتی ہے اور قواعد بعد میں لیکن زبان سے پوری واقفیت حاصل کرنے کےلیے قواعد زبان سے آگاہی ضروری ہے۔ اس حقیقت سے انکار ممکن نہیں ہے کہ اردو بولنے یا لکھنے والے لوگوں کی بہت بڑی تعداد اپنی قومی زبان کی صحت کی طرف سے سخت غفلت برت رہی ہے۔ زبان کے اصول وقواعد کا مطالعہ اور تحقیق زندہ اور باوقار قوموں کی حیات کے لیے اتنا ہی ضروری ہےجتنا زندگی گزارنے کےلیے نظم وضبط اور ضابطۂ حیات لازم ہے۔ اردو کی بقا وترقی کے لیے اس کےاصول وضوابط اور معیارات پر تحقیق کر کےاس کے نتائج سےحامیان واہالیان اردو کو مستفید کرنا وقت کی ضرورت ہے۔ زیر تبصرہ کتاب"اردو کیسے لکھیں"جناب رشید حسن خاں کی تصنیف ہے۔ اس کتاب میں فاضل مصنف نے تحقیق اور تلاش کےبعداردو کے قاعدوں کو آسان زبان میں تحریر کیاہے۔ قاعدوں کو لکھتے وقت ہر قاعدے کے تحت مثالیں بھی دی گئی ہیں تاکہ طلبہ کو سمجھنے میں آسانی ہو۔

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