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- कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi): Covid-19 महामारी पर हिंदी में निबंध
Updated On: September 02, 2024 06:39 pm IST
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कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi) 100, 200 और 500 शब्दों में
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कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi) 100 शब्दों में
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कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi) 200 शब्दों में
कोरोना वायरस पर निबंध (essay on coronavirus in hindi) 500 शब्दों में, covid-19 पर निबंध - प्रस्तावना, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, कोरोना वायरस से बचाव के उपाय.
- अपने हाथों को बार-बार धोएं। हाथ धोने से कोरोना वायरस के फैलने का जोखिम कम हो जाता है। हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से धोना चाहिए। यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हैं, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग किया जा सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें। कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले महीन बूंदों के माध्यम से फैलता है। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में हैं जो संक्रमित है, तो अपने लक्षणों पर ध्यान दें और यदि आपके कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
- सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें। मास्क पहनने से कोरोना वायरस के फैलने से बचाव में मदद मिल सकती है।
- अपने चेहरे को छूने से बचें। अपने चेहरे को छूने से कोरोना वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
- स्वस्थ आहार खाएं, पर्याप्त नींद लें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
- भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से बचें।
कोविड-19 पर लेख: निष्कर्ष
कोरोना वायरस पर हिंदी में 10 लाइन में संक्षिप्त लेख (essay on coronavirus in 10 lines in hindi).
- कोरोना वायरस उन वायरस के समूह से है जो बहुत तेजी से संक्रमित करते हैं।
- कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई जहां इसे इंसानों ने बनाया।
- भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी 2020 में सामने आया था।
- कोरोना वायरस खांसने और छींकने से फैलता है और खांसते और छींकते समय हमें अपना मुंह और नाक ढक लेना चाहिए।
- हमें अपनी सुरक्षा के लिए मास्क पहनना चाहिए और अपने हाथों को नियमित रूप से साफ करना चाहिए।
- हमारी सुरक्षा के लिए, सरकार ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश को बंद कर दिया था।
- कोरोना वायरस के कारण स्कूल को ऑनलाइन कर दिया गया था और छात्र घर से पढ़ाई करते थे।
- कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में सभी लोग घर पर थे।
- इस दौरान बहुत से लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ खूब समय बिताया।
- खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से हाथ धोना और चेहरे पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है।
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कोरोना वायरस पर निबंध – Essay on Coronavirus in Hindi
Essay on Coronavirus in Hindi : आज हमने कोरोना वायरस पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है। कोरोना वायरस धीरे-धीरे दिन प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है।
इसके कारण लाखों लोगों की मृत्यु हो गई है और करोड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं इससे जान और माल दोनों की हानि हो रही है। कोरोना वायरस ने एक ही झटके में विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं को बंद करा दिया।
यह बहुत ही खतरनाक वायरस है इसे जल्द ही काबू नहीं किया गया तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। कोरोनावायरस इतना व्यापक रूप धारण कर चुका है।
विद्यार्थियों से इसके बारे में निबंध लिखकर जागरूकता पैदा करने का काम किया जा रहा है इसीलिए हमने विद्यार्थियों की सहायता और मार्गदर्शन के लिए कोरोनावायरस पर निबंध लिखा है।
Essay on Coronavirus in Hindi 10 Lines
- कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने Coivd-19 का नाम देकर विश्व महामारी घोषित किया है।
- नवंबर 2019 में सबसे पहले चीन के वुहान शहर से इस वायरस की शुरुआत हुई थी।
- यह नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से बना अतिसूक्ष्म अकोशिकीय जीव है।
- यह वायरस एक दुसरे के सम्पर्क में आने से फैलता है इसलिए यह बहुत घातक है।
- इससे संक्रमित व्यक्ति के बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है।
- यह वायरस शरीर के बाहर 3 से 4 दिन तक जिंदा रह सकता है।
- इससे बचने के लिए 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना चाहिए, मास्क लगाना चाहिए और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए।
- सबसे 5 से 6 फुट की दूरी बना कर रखना चाहिए।
- कोरोना वायरस से बच्चे बुड्ढे, जवान किसी भी व्यक्ति हो सकता है।
- कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार के दिशानिर्देशो का पालन करना चाहिए और वैक्सीन लगवानी चाहिए।
कोरोना एक वैश्विक महामारी हिंदी निबंध 2000 शब्द
प्रस्तावना –
कोरोना वायरस सूक्ष्म जीवाणु से बना एक वायरस है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 का नाम देकर विश्व महामारी घोषित कर दिया है। यह वायरस इतना छोटा होता है कि इसे खुली आंखों से देखना मुमकिन नहीं होता है यह एक इंसान के दूसरे इंसान से संपर्क में आने पर फैलता है।
नवंबर 2019 में सबसे पहले चीन के वुहान शहर में इस वायरस से ग्रसित व्यक्ति देखे गए थे। यह वायरस बहुत तेज गति से इंसान के शरीर में फैलता है और इंसान के फेफड़ों को पूरी तरह से निष्क्रिय कर देता है।
जिससे समय पर इलाज नहीं मिलने से उसकी मृत्यु हो सकती है। जनवरी 2020 में इस वायरस ने भारत में दस्तक दी थी उसके बाद से यह भारत में भयंकर तबाही मचा रहा है।
कोरोना वायरस क्या है –
कोरोना वायरस अतिसूक्ष्म अकोशिकीय जीव है जो की जीवित कोशिकाओं में वंश वृद्धि करके फैलता है यह नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से बना होता है।
यह शरीर से बाहर तो निष्क्रिय अवस्था में होता है लेकिन जैसे ही किसी भी इंसान के अंदर प्रवेश करता है यह जीवित हो उठता है। शरीर के बाहर यह कुछ दिन के लिए ही जिंदा रह सकता है. कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं।
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अभी तक इसकी जानवरों में फैलने की पुष्टि नहीं हुई है।
इसे आंखों से नहीं देखा जा सकता इसलिए इसे देखने के लिए सूक्ष्म दर्शी की आवश्यकता होती है। यह वर्ष 2002 में SARS बीमारी का ही एक अन्य रूप है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में प्रवेश करने के बाद अपना रूप बदलता रहता है। इसलिए इसे हिंदी भाषा में बहरूपिया भी कहा जाता है।
कोरोना वायरस की उत्पत्ति –
कोरोना वायरस एक जीवाणु है जिसे हम वर्ष 2002 में SARS बीमारी के रूप में देख चुके है। अभी इसका रूप बदल गया है और इसे कोविड-19 का नाम दिया गया है इसका सबसे पहला मामला चीन के वुहान शहर में 8 नवंबर 2019 को देखा गया था।
उसके बाद यह विश्व भर में एक इंसान के दूसरे इंसान से संपर्क में आने से फैल गया भारत में सबसे पहला मामला 30 जनवरी 2020 को देखने को मिला था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना का नाम COVID-19 रखा है जिसमे “CO” का अर्थ Corona है, “VI” का अर्थ virus है, “D” का अर्थ Disease है और 19 का अर्थ साल 2019 से है इससे पता लगता है की इस बीमारी की उत्पति वर्ष 2019 में हुई थी।
कोरोना वायरस कैसे फैलता है –
कोरोनावायरस आमतौर पर इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति खास था या सीखता है तो उससे हवा में ठोक के साथ इसके छोटे-छोटे करण हवा में फैल जाते हैं जिससे वहां पर खड़े दूसरे व्यक्ति के सांस के साथ शरीर के अंदर चले जाते है।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ भोजन करने या फिर उसके पिए हुए पानी को पीने से भी यह फैलता है।
- यह वायरस आंख, मुंह और नाक के द्वारा शरीर के अंदर प्रवेश करता है।
- यह वायरस शरीर के बाहर 3 से 4 दिन तक जिंदा रह सकता है इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी चीज को छूने से बचें।
कोरोना वायरस के लक्षण –
कोरोना वायरस के लक्ष्ण आमतौर पर 5 दिन के बाद दिखाई देने लग जाते है लेकिन कुछ लोगों में यह लक्षण 14 दिन के अंतराल पर दिखाई पड़ते है लेकिन भारत में अब कोरोना वायरस का एक दूसरा म्युटेंट वायरस आ चुका है।
जिसमें 2 से 3 दिन में ही लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं और यह पहले वाले वायरस के मुकाबले बहुत घातक है और तीव्र गति से फेफड़ों और किडनी पर बुरा प्रभाव डालता है।
यह वायरस किस लिए भी घातक है क्योंकि इसके लक्षण सामान्य खांसी जुकाम जैसे होते हैं जिससे लोग डॉक्टर को दिखाते नहीं है और घर पर ही इलाज करने की कोशिश करते हैं जिससे यह गंभीर रूप धारण कर लेता है।
इसके लक्षण की बात करें तो इसमें सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बदन का दर्द करना, सिर दर्द, तेज बुखार, गले में दर्द, गंध और स्वाद का पता नहीं लगना यह इसके मुख्य लक्षण है।
- यदि किसी व्यक्ति को सुखी खांसी के साथ बलगम और तेज बुखार होता है तो इस वायरस के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ( शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से कम है तो यह सामान्य है)
- इसके संक्रमण के कारण तेज बुखार जुखाम सांस लेने में तकलीफ नाक का बहना गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
- इससे मांसपेशियों में जकड़न होती है और शरीर में थकावट महसूस होती है।
- यदि किसी व्यक्ति को खांसी बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो यह इसका सीधा-सीधा लक्षण है।
- कुछ व्यक्तियों में देखा गया है कि इस वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें गंध और स्वाद का पता नहीं लगता है जो कि बेहद खतरनाक है।
- यह वायरस अपना रूप बदलता रहता है इसलिए यह दिन प्रतिदिन घातक होता जा रहा है इसलिए इनमें से कोई भी लक्षण अगर आपको दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
कोरोना वायरस से बचाव के उपाय –
इस वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई भी सुरक्षित दवाई नहीं बनी है अभी इसकी वैक्सिंग आई है जोकि कुछ हद तक ही हमारी सुरक्षा करती है। लेकिन इसे लगवाने के बाद भी कोरोनावायरस से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है इसलिए हम नीचे दिए गए कुछ बातों को ध्यान में रखकर इस वायरस से अपना बचाव कर सकते है।
- घर से बाहर मास्क लगा कर रखें और हो सके तो N95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
- अपने मुंह पर बार-बार हाथ नहीं लगाना चाहिए।
- बेवजह बाजार और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए।
- अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए खूब पानी पीना चाहिए और पौष्टिक भोजन के साथ-साथ फल सब्जियां खानी चाहिए।
- लोगों से हाथ मिलाने से बचना चाहिए।
- सार्वजनिक वाहन रेलगाड़ी बस टैक्सी इत्यादि में यात्रा करने से बचना चाहिए।
- कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना चाहिए उसके बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए।
- कोरोनावायरस से बचाव के लिए वर्तमान में Covishield, Covaxin और Sputnik V नाम की तीन वैक्सीन भारत में उपलब्ध है जब भी आपका नंबर आए तो इसका टीका जरूर लगवाएं।
कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव –
वर्तमान में कोरोनावायरस ने पूरे विश्व में तबाही मचा कर रख दी है इसके कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है आइए जानते हैं कोरोनावायरस से होने वाले दुष्प्रभाव क्या है।
- कोरोनावायरस से गरीब देशों में भुखमरी और गरीबी बढ़ गई है।
- इसके कारण विश्व के लगभग सभी देशों की जीडीपी माइनस में चली गई है जिसके कारण लोगों के आय और व्यय प्रभावित हुए है।
- कोरोनावायरस के कारण मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो गई है।
- इसके कारण सभी देशों में लॉकडाउन की स्थिति है जिससे ज्यादातर लोग बेरोजगार हो गए हैं और लोगों के व्यवसाय भी बंद हो गए है।
- ज्यादातर घर में ही रहने के कारण लोगों में चिड़चिड़ाहट और मानसिक समस्याएं बढ़ गई है।
- इसके कारण लोगों में डर और भय का माहौल उत्पन्न हो गया है जिससे चोरी और कालाबाजारी की समस्या बढ़ गई है।
- इस वायरस से बचाने वाली दवाओं के दाम बढ़ गए हैं और लोग कालाबाजारी करने पर उतर आए हैं वह समस्या में भी अवसर ढूंढ रहे है।
- इस वायरस के कारण लोगों का सामाजिक मेलजोल लगभग समाप्त हुई ही हो गया है।
- इसका सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है क्योंकि वह पूरे दिन घर पर ही रहते हैं और बाहर खेल नहीं पाते हैं जिसके कारण उनका मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है।
- कोरोना वायरस के कारण सरकारों का ध्यान अन्य व्यवहारिक समस्याओं से हट गया है जिसके कारण लोगों को और अधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
- आवारा जानवरों को मिलने वाला भोजन भी कम हो गया जिससे कुछ जानवरों की मृत्यु हो गई और कुछ जानवर कमजोर हो गए है।
कोरोना वायरस के लाभ –
वैसे तो कोरोनावायरस मानव जाति के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो रहा है लेकिन इस वायरस के कारण हमारे पर्यावरण को कुछ लाभ भी हुए हैं जो कि हम इस वायरस के आने से पहले नहीं देख पा रहे थे।
इस वायरस के आने के बाद लगभग सभी देशों में लॉकडाउन लग गया था जिसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों का उत्सर्जन कम हो गया और प्रदूषण की मात्रा भी पूरी तरह से गिर गई जिसके कारण आसमान साफ हो गया और नदियों का पानी भी एकदम से साफ हो गया।
भारत में तो जो नदियां लाखों करोड़ों रुपए सरकार के खर्च करने के बावजूद भी साफ नहीं हो पा रही थी वह लोग डाउन लगाने के बाद स्वत: ही साफ हो गई. भारत में तो जो पहाड़ दूर से दिखाई नहीं देते थे वेल लॉकडाउन के बाद कई किलोमीटर दूर से भी दिखाई देने लगे।
जहरीली गैसों का उत्सर्जन नहीं होने के कारण लोगों को स्वस्थ प्राणवायु मिलने लगी, इसके कारण खनिज पदार्थों असंतुलित का जो विदोहन हो रहा था वह रुक गया।
भारत में कोरोना की स्थिति –
भारत में कोरोनावायरस की पहली लहर का असर व्यापक तौर पर नहीं हुआ था क्योंकि इस वायरस के आते ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था जिसके कारण यह वायरस फैल नहीं पाया था लेकिन जैसे ही इसकी दूसरी लहराई तो सरकार और लोग दोनों इसके प्रति गंभीर नहीं थे जिसके कारण इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।
आज भारत में कोरोना वायरस के कारण यह स्थिति है कि प्रत्येक शहर और प्रत्येक गांव में इस वायरस से संक्रमित लोग मिले हैं और इसके कारण बहुत अधिक मृत्यु हुई हुई है जो कि हमें सरकारी आंकड़ों के द्वारा दिखाई पड़ती है लेकिन यह आंकड़े सही नहीं है कुछ न्यूज़ चेनलो के अनुसार सरकारों द्वारा अपनी छवि को बचाने के लिए आंकड़ों को छुपाया जा रहा है।
कोरोना वायरस के कारण भारत में बेरोजगारी और गरीबी ने 45 साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं जो की बहुत ही भयावह स्थिति है। अभी तक भारत में लगभग 2.77 करोड से भी अधिक कोरोना के केस आ चुके है
और इनमें से 2.51 करोड़ लोग ठीक हो चुके है. इस महामारी के कारण भारत में 3.22 लाख से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अभी भारत में इस महामारी की दूसरी लहर चल रही है।
लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो कुछ ही समय में इसकी तीसरी लहर भी आने वाली है जो कि बच्चों के लिए बहुत अधिक खतरनाक बताई जा रही है। कुछ राज्यों से तो बच्चों के संक्रमित होने की खबरें भी आने लगी हैं अगर इसके ऊपर जल्द ही ध्यान नहीं दिया गया तो यह भयंकर रूप धारण कर सकता है।
उपसंहार –
कोरोनावायरस की इस महामारी ने लगभग सभी देशों को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि इसके आगे किसी भी सरकार की नहीं चल रही है।
इसलिए इस महामारी में सरकार के निर्देशों का पालन करना और डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाए गए उपायों को अमल में लाकर ही हम इस महामारी से बच सकते हैं।
सतर्क रहें स्वस्थ रहें और जब तक जरूरी कार्य ना हो घर से बाहर ना निकले और मास्क का इस्तेमाल जरूर करें तभी इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है नहीं तो जैसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया है।
वैसे ही आगे आने वाली लहर भी बेकाबू हो सकती है इसलिए समय रहते हमारी सरकारों को रणनीति बनानी होगी और हमें भी उनका सहयोग करके इस महामारी पर जीत हासिल करनी होगी।
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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Coronavirus in Hindi पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले।
इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
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COVID-19: जीवन के सबक सिखाता कोरोना काल
कोरोना से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन 3 का समय चल रहा है, भयानक वैश्विक आपदा के तौर पर पूरी दुनिया के सामने एकाएक आए कोरोना वायरस संक्रमण ने आज हम लोगों को जिंदगी के बेहद कटु व अच्छे अनमोल सबक सीखने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया की अधिकांश आबादी पिछ़ले लम्बे समय से अपने घरों में कैद होकर रह गयी है, वहीं इस आपदा के दौरान दुनिया भर में प्राकृतिक और भौगोलिक स्तर पर बहुत सारे सबक व सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। आज धरती के अधिकांश भू-भाग में हर तरफ बेहद शांति है, अधिकांश ऑफिस व कल-कारखाने पूर्ण या आंशिक रूप से बंद है। ऐसे समय में धरती पर जो पहले नहीं हुआ था उसके तरह-तरह प्राकृतिक नजारें देखने को मिल रहे हैं। दुनिया में इस वक्त प्रकृति या इंसान के द्वारा उत्पन्न वायरस के चलते हर तरफ जीवन-मरण के संघर्ष की अजीब स्थिति कायम हो गयी हैं, संकट के इस काल में हमारे जीवन में कई ऐसी नई संभावनाएं भी पैदा हो गई हैं, जिनसे आने वाले समय में विश्व में कई महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद की जा सकती है।
हमारा देश भी इस समय कोरोना आपदा के गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 50 हजार पार हो गयी है, हमारे यहां कोरोना संकट के बीच सबसे ज्यादा दबाव लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कोरोना वारियर्स पर है। देश में कई जगह तो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए डॉक्टर, नर्स व कोरोना वारियर्स खुद संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, देश में कुछ जगह हम लोगों की जान बचाने वाले कोरोना वारियर्स पर हमला तक हो रहा है जो कुछ ओछे लोगों की ओछी सोच को दर्शाता है। आज के दौर में सबसे पहला महत्वपूर्ण सबक तो यहीं है कि हमको देश के चिकित्सा सिस्टम को आपदा के लिए तैयार करके बेहतरीन बनाना होगा। कोरोना संक्रमण पर विश्व भर की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार विश्व के अधिकांश वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि जब तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती, तब तक इस वायरस के संक्रमण को पूरी तरह रोक कर रखना बहुत बड़ी चुनौती है। लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार में बदलाव लाये बिना आने वाले समय में वायरस के प्रकोप को सीमित करके नियंत्रण करना असंभव है। हम लोगों को इस वायरस के साथ सुरक्षा के उपाय करके जीना सीखना होगा।
देश में कुछ छूट के साथ लॉकडाउन 3 का दौर जारी है। इसमें भी देश में हर तरफ सड़कें एकदम सूनी पड़ी हैं। अधिकांश कामकाज एकदम ठप पड़ा है। समझदार लोग घरों में रहकर लॉकडाउन खुलने का व वायरस का प्रकोप कम होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन कोरोना काल में एक बात यह भी तय हो गयी है कि एक वायरस दुनिया को जिंदगी के अलग-अलग तरह के अनमोल सबक भी सिखा रहा है, जिस तरह से वायरस से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन लागू किया है उसने आज देश में बिल्कुल ही एक अलग तरह की स्थिति उत्पन्न कर दी हैं, जिस तरह से देश के लोगों को लॉकडाउन वन व टू काल बहुत कुछ सिखा गया और अब लॉकडाउन थ्री का काल चल रहा है वो भी हम लोगों को जिंदगी के बहुत बड़े सबक सिखा कर जायेगा। देश में आने वाले समय में बहुत बड़े बदलाव नजर आयेंगे।
हम लोगों के जीवन में लॉकडाउन का सबसे बड़ा सबक यह है कि जिस प्रदूषण को कम करने के बारे में अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी हमारे व सरकार के प्रयास नाकाफी पड़ रहे थे, आज उस प्रदूषण को लॉकडाउन ने आश्चर्यजनक रूप से एकाएक नियंत्रित कर दिया है। लॉकडाउन के बीच सबसे अच्छी ख़बर यह आई है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत देश के तमाम दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में अप्रत्याशित रूप से भारी कमी आयी है, जिस तरह से गंगा, यमुना, हिंड़न, नर्मदा आदि नदियों को हम हजारों करोड़ों रुपये सालाना खर्च करके भी स्वच्छ नहीं कर पा रहे थे, उसको लॉकडाउन के चंद दिनों ने स्वच्छ व निर्मल बनाकर साफ कर दिया। जिस दिल्ली में प्रदूषण के चलते आसमान में धूल व धूएं के गुब्बार के अलावा और कुछ नज़र नहीं आता था आज उस दिल्ली के नीले आसमान में टिमटिमाते तारों का समूह नजर आते है, सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदूषण न होने के चलते उस दिल्ली में लगभग 20 वर्ष बाद 17 अप्रैल की सांय को आधा-अधूरा इंद्रधनुष बनता हुआ नज़र आया था। दिल्ली के प्रदूषण पर अगर प्रदूषण विभाग के आँकड़ों की बात करें तो दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन पर वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के दौरान 5 अप्रैल को पीएम 2.5 का स्तर तीन सौ से ऊपर था जो इस वर्ष लॉकडाउन की वजह से गिरकर बेहद कम औसतन 101 के स्तर पर आ गया था।
वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार सब कुछ बंद होने के चलते पृथ्वी के कंपन में भी आश्चर्यजनक रूप से कमी आयी है लॉकडाउन के पहले जहां धरती बहुत अधिक काँपती थी, लेकिन अब उसमें एकाएक बहुत कमी आई है। वैज्ञानिकों की मानें तो इससे काफी फायदा हुआ है, अब छोटे स्तर के भूकंपों का भी पता लगाना आसान हो गया है, जबकि इसके पहले ऐसा करने में मुश्किल आती थी। वहीं देश में सब कुछ बंद होने के चलते ध्वनि प्रदूषण में भी बहुत अधिक कमी आयी है, देशवासी को शोरगुल से फिलहाल निजात मिली हुई है। वो बिना शोरशराबे के चैन से रहना सीख रहे हैं। लॉकडाउन के चलते हम लोगों की दिनचर्या पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गयी है। सामान्य दिनों की दिनचर्या से जब हम हटकर कोई काम करते हैं तो उसका प्रभाव हमारे जीवन में अवश्य दिखाई पड़ता है। देश में कुछ ऐसा ही प्रभाव दिखाई दिया है, इस कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के काल के दौरान। कुछ लोग तो अपने घरों में रहकर ही ऑनलाइन अपने रोजमर्रा के कार्य को बखूबी कर रहे है, जिससे देश में आने वाले समय में वर्क टू होम की कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। कुछ लोगों को अपनी शराब पीने व गुटखा खाने जैसी गंदी आदतों से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल रहा है, बेवजह के खर्चों पर लगाम लग रही है। कुछ लोग हर समय अपनी दुनिया में व्यस्त रहते थे वो लोग अब परिवार के लिए आजकल अपनी आदतों में बदलाव करके मां, बाप, भाई, बहन, पत्नी, बच्चों के साथ खुश है और उनको भरपूर समय देने के लिए इस अवसर का पूरा सदुपयोग कर रहे है। वहीं अपनी दुनिया में मस्त रहने वाली देश की युवा पीढी को रिश्ते-नातें निभाने का ज्ञान करवा गया यह लॉकडाउन का काल।
हर आपदा जीवन बचाने के लिए लोगों को एकजुट करके संगठित करने का काम करती है कोरोना काल ने भी वहीं कमाल किया है कभी पड़ोसियों से बात तक ना करने वाले लोग आज आसपास में घर की बालकनी में खड़े होकर रिश्तों की मिठास बढ़ा रहे है। देश में अपराध नाम मात्र के लिए रह गया है, हर तरह के प्रदूषण के ग्राफ में भी एकाएक बहुत गिरावट आयी है, देश में रोजाना कचरें के निकलने वाले ढे़रों का ग्राफ बहुत कम हुआ है। लोगों में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता का बढ़ावा हुआ है। लोगों ने अपनी जिम्मेदारी समझना शुरू किया है, लापरवाही पूर्ण नज़रिए में कमी आयी है। फिलहाल एकतरफ इंसान जहां अपने घरों में रहने को मजबूर है, वहीं दूसरी तरफ देश में ऐसे में वन्यजीवों को काफी सुकून मिला है। देश के कई हिस्सों में ऐसे दुर्लभ नज़ारे देखने को मिले हैं जहां वन्य जीव हिरन, हाथी, बारहसिंगा, तेदुआं आदि सड़कों पर व आबादी के बीच निकलकर बेखौफ होकर घूम रहे हैं। प्रकृति तरह-तरह के खूबसूरत नजारे दिखा रही है।
आपदाकाल में शैक्षणिक व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन होता नजर आ रहा है। देश में स्कूल और यूनिवर्सिटी इस बात की कोशिश में हैं कि आने वाले समय में पढ़ाई के तौर-तरीकों को बदला जाए। ऑनलाइन वर्चुअल क्लासेज का इस्तेमाल एकाएक बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। आने वाले समय में कोरोना संक्रमण फैलने के भय के चलते भविष्य में भी लोगों को भीड़-भाड़ वाले मार्केट्स, रेस्टोरेंट और मॉल्स में जाने से रोकेगी, लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने में और तेजी लायेंगे। कोरोना वायरस ने देश के घर-घर में साफ-सफाई और हाइजीन की अहमियत को सिखा दिया है, क्योंकि भारत में अभी तक हाइजीन के स्टैंडर्ड विकसित देशों की तरह नहीं थे, लेकिन आज व आने वालें समय में इसमें बहुत ही तेजी से सकारात्मक बदलाव आता दिख रहा है, देशवासी अब साफ-सफाई के महत्व को समझ रहे हैं और भविष्य में इन चीजों को लेकर वो बहुत ज्यादा सतर्क रहेंगे। आने वाले समय में लोग सड़कों पर थूकने वाले लोगों को ठोकना शुरू कर देंगे।
कोरोना काल ने सच पूछो तो अंधाधुंध भागती दुनिया को एकाएक रोकर आराम से यह सोचने का मौका दिया है कि भविष्य में इंसान व इंसानियत के लिए क्या जरूरी है और क्या जरूरी नहीं है। आज एक वायरस ने दुनिया को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि पैसा कमाने की कभी खत्म नहीं होने वाली दौड़ और विनाश की तर्ज पर अंधाधुंध विकास की अंधी दौड़ होना दुनिया के हित में ठीक नहीं है। आपदा के वक्त में लोगों में इंसानियत बढ़ी है। कोरोना व लॉकडाउन का यह काल जिंदगी का सबसे बड़ा यह सबक हम लोगों को देकर गया है कि अगर व्यक्ति में संतोष का भाव है तो वो बेहद सीमित संसाधनों में परिवार के साथ रह कर आपसी भाईचारे व प्यार मोहब्बत से खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है। कोरोना ने हम लोगों को सिखा दिया है कि "जान है तब ही जहान है" बाकी सब मिथ्या है।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)
coronavirus health virus lockdown
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कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य और कुशलता
मौजूदा गतिरोध के दरमियान, हम सब के लिए स्वस्थ जीवनशैली कायम रखना बहुत मुश्किल हो गया है। वित्तीय मामलों, बच्चों की देख-भाल, बुजुर्ग माता-पिता, नौकरी की सुरक्षा पर आए संकट आदि से जुड़ी अनिश्चितता और चिंताओं ने हमारी जीवनचर्या, जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य सभी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भविष्य की अनिश्चितता, अनवरत चल रही न्यूज कवरेज और सोशल मीडिया पर लगातार आते संदेशों की बाढ़ से हमारी चिंता का बढ़ जाना स्वभाविक है। ऐसी स्थितियों में तनाव होना सामान्य है। तनाव से हमारे सोने और खाने-पीने की आदत बदल जाती है, इससे चिड़चिड़ापन या भावनात्मक ज्वार आता है, मानसिक संबल घट जाता है और लोग शराब या दूसरी लत में पड़ने लगते हैं। अगर आप ऐसा कुछ महसूस कर रहे हैं तो मदद हासिल करने से हिचकिचाएं नहीं।* स्वस्थ जीवनशैली अपनाए रखना और अपनी पुरानी जीवनचर्या में लौट आना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
तनाव से निपटने और अपने मानसिक, शारीरिक व सामाजिक स्वास्थ्य को कायम रखने के कुछ नुस्खे-
*भारत – राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ साझेदारी में यह मानसिक-सामाजिक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 08046110007 शुरू किया है।
मानसिक स्वास्थ्य
शारीरिक स्वास्थ्य
सामाजिक स्वास्थ्य
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कोविड-19 का परिचय और फैब्रिक मास्क और मेडिकल मास्क(कपड़े का मास्क और चिकित्सा मास्क) कैसे पहनें :भारतीय सांकेतिक भाषा में वीडियो। / Introduction to COVID-19 and how to wear fabric and medical masks: videos in Indian Sign Language
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कोरोनावायरस वायरसों का एक बड़ा परिवार है जो सामान्य सर्दी-जुखाम से लेकर अधिक गंभीर बीमारियों जैसे मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम(MERS)और गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम(SARS)का कारण बनता है।
एक नए कोरोनावायरस(COVID19)की पहचान चीन के वुहान में 2019 में हुई थी ।यह एक नया कोरोनावायरस है जो इससे पहले कभी मनुष्यों में नहीं पाया गया है ।
इस पाठ्यक्रम में भारतीय सांकेतिक भाषा के तीन वीडियो शामिल हैं ,जो कोविड-19 का परिचय प्रदान करते हैं और दिखाते हैं कि फाब्रिक मास्क और मेडिकल मास्क(कपड़े का मास्क और चिकित्सा मास्क) कैसे सुरक्षित रूप से पहनें ।
सामग्री निर्माण के बाद आधिकारिक रूप से बीमारी का नाम स्थापित किया गया था इसलिए nCov का कोई भी उल्लेख कोविड-19 के संबंध में ही है जो हाल ही में खोजे गए कोरोनावायरस के कारण होने वाला संक्रामक रोग है ।
Coronaviruses are a large family of viruses that are known to cause illness ranging from the common cold to more severe diseases such as Middle East Respiratory Syndrome (MERS) and Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS).
A novel coronavirus (COVID-19) was identified in 2019 in Wuhan, China. This is a new coronavirus that has not been previously identified in humans.
This course consists of four videos in Indian Sign Language, which provide an introduction to COVID-19 and show how to safely wear fabric and medical masks.
It also includes a new module customised for children with disabilities and particularly for the ones who fall under neurodiverse group. It covers topics such as the details on how to wear a fabric/ medical mask, the hand wash rules, ways to dispose the used mask and about the importance of maintaining appropriate physical distance when in need.
As the official disease name was established after material creation, any mention of nCoV refers to COVID-19, the infectious disease caused by the most recently discovered coronavirus.
कृपया ध्यान दें: इन सामग्रियों को 03/03/2020 को लॉन्च किया गया था।
Course information
अवलोकन : इस पाठ्यक्रम में भारतीय सांकेतिक भाषा में तीन वीडियो शामिल हैं जो कोविड-19 का परिचय प्रदान करते हैं और दिखाते हैं कि फैब्रिक मास्क और मेडिकल मास्क(कपड़े का मास्क और चिकित्सा मास्क) कैसे सुरक्षित रूप से पहनें । चार जानने के लक्ष्य:
- कोविड-19 सहित सभी उभरते श्वसन वायरस के मूलभूत सिद्धांतों का विवरण इसमें है।
- फेब्रिक मास्क और मेडिकल मास्क (कपड़े का मास्क और चिकित्सा मास्क) को सुरक्षित रूप से पहनने का तरीका बताते हैं ।
पाठ्यक्रम की अवधि: लगभग 1 घंटे
प्रमाणपत्र: पाठ्यक्रम सामग्री का 100% पूरा करनेवाले प्रतिभागियों को एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
चूंकि सामग्री निर्माण के बाद आधिकारिक रूप से बीमारी का नाम स्थापित किया गया था nCov का कोई भी उल्लेख कोविड-19 को संदर्भित करता है। यह हाल ही में खोजे गए कोरोनावायरस के कारण होनेवाली संक्रामक बीमारी है ।
कोविड-19 का कैसे पता लगाते हैं, रोकथाम कैसे है,पता लगने पर क्या करना है और नियंत्रण कैसे कर पाएँगे आदि की रीतिसहित उभरते श्वसन वायरस (2020), मेडिकल मास्क (चिकित्सा मास्क) कैसे पहनें *(2020) और फैब्रिक मास्क (कपड़े का मास्क)कैसे पहनें *(2020)आदि के संबंध में परिचयात्मक वीडियो से भारतीय सांकेतिक भाषा में अनूदित।
यह अनुवाद विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) द्वारा सत्यापित नहीं है। यह संसाधन केवल अध्ययन की सहायता के लिए है।
Overview: This course consists of four videos in Indian Sign Language, which provide an introduction to COVID-19 and show how to safely wear fabric and medical masks. It also includes a module customised for children with disabilities with two text resources that cover the hygiene rules and precautions to prevent the spread of COVID-19.
Learning objectives:
- Describe the fundamental principles of emerging respiratory viruses, including COVID-19.
- Describe how to safely wear fabric and medical masks.
Course duration: Approximately 1 hour.
Certificates: A certificate is available to participants who complete 100% of the course material.
Translated into Indian Sign Language from the introductory video in Emerging Respiratory Viruses, including COVID-19, methods for detection, prevention, response and control (2020), How to wear a medical mask (2020) and How to wear a fabric mask (2020). WHO is not responsible for the content or accuracy of this translation. In the event of any inconsistency between the English and Indian Sign Language translation, the original English version shall be the binding and authentic version.
This translation is not verified by WHO. This resource is intended for learning support purposes only.
Course contents
मोड्यूल 1 : कोविड-19 का परिचय / module 1: introduction to covid-19 :, मोड्यूल 2 : मेडिकल मास्क(चिकित्सा मास्क) कैसे पहनें / module 2: how to wear a medical mask:, मोड्यूल 3 : फैब्रिक मास्क(कपड़े का मास्क) कैसे पहनें / module 3: how to wear a fabric mask:, module 4: materials for children with disabilities:, enroll me for this course, certificate requirements.
- Gain a Confirmation of Participation by completing at least 100% of the course material.
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NOTIFICATIONS
कोरोना वायरस
कोरोना वायरस
कोरोना वायरस (Coronavirus) आरएनए वायरस का एक समूह है (RNA Viruses) जो स्तनधारियों और पक्षियों को प्रभावित करता है. यह मनुष्यों और पक्षियों के विंड पाइप और लंग्स को संक्रमित करता हैं जो हल्के से लेकर घातक तक हो सकते हैं. इंसानो में हल्की और सामान्य सर्दी की तरह हो सकता है या फिर SARS, MERS जैसे अधिक घातक हो सकता है. कोरोना वायरस यानी COVID-19 को महामारी का कारण बताया गया हैं ( SARS, MERS and COVID-19).
कोरोना वायरस का जीनोम आकार 26 से 32 किलोबेस के बीच होता है ( Genome Size of Coronaviruses). उनके पास खास क्लब-आकार की स्पाइक्स हैं जो उनकी सतह से प्रोजेक्ट होती हैं. यह इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ में सौर कोरोना की याद ताजा कराती है, जिससे उसका नाम निकला है (Reminiscent of Solar Corona).
“कोरोना वायरस” नाम लैटिन कोरोना से लिया गया है (Latin Corona), जिसका अर्थ है “मुकुट” या “पुष्पांजलि”. यह नाम जून अल्मेडा और डेविड टायरेल द्वारा गढ़ा गया था (June Almeida and David Tyrrell) जिन्होंने पहली बार मानव कोरोना वायरस को देखा और अध्ययन किया था. इस शब्द का प्रयोग पहली बार 1968 में नेचर जर्नल में वायरस के नए परिवार को नाम देने के लिए किया गया था (Etymology of Coronavirus).
जानवरों में कोरोना वायरस संक्रमण की सबसे पहली रिपोर्ट 1920 के दशक के अंत में उत्तरी अमेरिका में पालतू मुर्गियों श्वसन संक्रमण के दौरान आई (Earliest Reports of Coronavirus Infection in Animals).
मानव कोरोना वायरस की खोज 1960 के दशक में की गई थी. ई.सी. केंडल, मैल्कम बायनो और डेविड टायरेल ने 1961 में एक असामान्य सर्दी-जुकाम के वायरस को B814 नाम किया था (Discovery of Human Coronaviruses). कोरोना वायरस बड़े, मोटे तौर पर गोलाकार कण होते हैं जिनकी सतह बिल्कुल अलग होती है. उनका आकार 80 से 120 एनएम के औसत व्यास के साथ बेहद परिवर्तनशील है. इनका कुल आणविक द्रव्यमान औसतन 40,000 है. वे कई प्रोटीन अणुओं के साथ एक कवर में होते हैं. लिपिड बाइलेयर कवर, झिल्ली प्रोटीन, और न्यूक्लियोकैप्सिड वायरस की रक्षा करते हैं (Structure of Coronavirus).
कोरोना वायरस से संक्रमित कैरियर वातावरण में वायरस को फैला सकते हैं. कोरोना वायरस मुख्य रूप से एपिथेलियल कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं. ये वायरस एक एयरोसोल, फोमाइट, या फेकल-ओरल मार्ग द्वारा, कोरोनावायरस वेरिएंट के आधार पर, एक मेजबान से दूसरे मेजबान में फैलते हैं (Coronavirus Transmission).
मानव कोरोना वायरस श्वसन पथ की एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जबकि पशु कोरोनावायरस आमतौर पर पाचन तंत्र की एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं. उदाहरण के लिए, SARS कोरोना वायरस, एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम 2 (ACE2) रिसेप्टर से जुड़कर एक एयरोसोल मार्ग के माध्यम से फेफड़ों की मानव एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करता है (Human Coronaviruses Infect Epithelial Cells of Respiratory Tract).
कोरोना वायरस न्यूज़
कोरोना पॉजिटिव हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सोशल मीडिया पर दी जानकारी
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इसकी जानकारी उन्होंने अपने 'एक्स' अकाउंट पर दी है. दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'मेरा COVID test पॉजिटिव आया है. मुझे 5 दिनों तक आराम करने के लिए कहा गया है. इसलिए मैं कुछ समय किसी से नहीं मिल पाउंगा. क्षमा करें. आप सभी भी COVID से बचने के लिए अपना ख्याल रखें.'
- 20 अगस्त 2024,
- अपडेटेड 11:22 IST
दुनिया के लिए नई चिंता... जिस वायरस ने कोविड-19 फैलाया, अब तेजी से जंगली जानवरों में फैल रहा
जिस वायरस ने कोरोना महामारी फैलाई. अब वो जंगली जानवरों में तेजी से फैल रहा है. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में यह चेतावनी दी है. कई प्रजातियों के जीवों में तो 60 फीसदी संक्रमण है.
- साइंस न्यूज़
- आजतक साइंस डेस्क
- 12 अगस्त 2024,
- अपडेटेड 13:43 IST
गर्मियों में पूरी दुनिया में बढ़े कोरोना वायरस के मामले, WHO ने दी चेतावनी
WHO की डॉ. वैन केरखोव ने कहा, "हाल के महीनों में, सीजन की परवाह किए बिना, कई देशों में COVID-19 के मामलों में उछाल देखा गया है, जिसमें ओलंपिक भी शामिल है, जहां कम से कम 40 एथलीट पॉजिटिव पाए गए हैं."
- हेल्थ न्यूज़
- स्नेहा मोरदानी
- 07 अगस्त 2024,
- अपडेटेड 02:42 IST
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी... 2030 तक फैल सकती है एक और महामारी
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगले 5-6 साल में नई महामारी फैल सकती है. बदलते जलवायु ने प्रजातियों के रहने की जगह को प्रभावित किया है. इससे जीवों की विभिन्न प्रजातियों के बीच नया संपर्क हो रहा है. जिसकी वजह से जानवरों से इंसानों में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है.
- 18 जुलाई 2024,
- अपडेटेड 11:49 IST
कोरोना के चलते अक्षय कुमार ने खुद को किया आइसोलेट!
बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. कोरोना होने की वजह से वो अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का हिस्सा भी नहीं बन पाएंगे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय कुमार पिछले दो दिनों से ठीक महसूस नहीं कर रहे थे. इसी बीच वो लगातार फिल्म 'सरफिरा' के प्रमोशन में भी बिजी चल रहे थे.तबीयत ठीक ना होने पर जब उन्होंने टेस्ट कराया तो वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए.
- 12 जुलाई 2024,
- अपडेटेड 17:10 IST
लखनऊ में 14 गुना बढ़ गए कोरोना के केस, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी संक्रमित
बीते दिन लखनऊ में 70 नए मामले सामने आए हैं. लखनऊ के साथ पूरे यूपी में कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं. यूपी में मंगलवार को सक्रिय मामलों की संख्या 640 पहुंच गई. वहीं देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 4,435 नए मरीज सामने आए हैं. इसके साथ ही संक्रमण दर 3.38 फीसदी रिकॉर्ड की गई है
- उत्तर प्रदेश
- आशीष श्रीवास्तव
- 05 अप्रैल 2023,
- अपडेटेड 14:03 IST
लखनऊ KGMU के डॉक्टरों ने किया कमाल... मात्र 30 रुपये की दवा से हो सकेगा Black Fungus का इलाज, ईजाद की ये मेडिसिन
अभी तक बाजार में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जो दवाएं उपलब्ध थीं वो काफी महंगी थीं. लेकिन अब आंखों में होने वाले ब्लैक फंगस जैसे जटिल संक्रमण के इलाज के लिए जेब ज्यादा ढीली नहीं करनी पड़ेगी.
- सत्यम मिश्रा
- 24 जून 2024,
- अपडेटेड 17:28 IST
लखनऊ: KGMU को मिली बड़ी कामयाबी, 30 रुपए के टैबलेट से ठीक हुआ ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है और इसके इलाज के लिए एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन इस्तेमाल में लाया जाता था, जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपए है. इसके अलावा दो और दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं.
- अपडेटेड 15:00 IST
COVID-19 New Variant FLiRT: भारत में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट 'FLiRT' की एंट्री...कई राज्यों में फैला, क्या बढ़ाएगा मुश्किल?
ओमिक्रॉन के दो वैरिएंट KP.2 और KP.1, FLiRT (ग्रुप) के अंदर रखे गए हैं. इन्हें JN.1 की तुलना में कम संक्रामक कहा जा रहा है लेकिन यह इम्यूनिटी को चकमा दे सकता है. FLiRT क्या है और इसके लक्षण क्या हैं, इस बारे में जान लीजिए.
- 22 मई 2024,
- अपडेटेड 10:38 IST
महाराष्ट्र में फिर पांव पसार रहा कोरोना! ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट ने बढ़ाई टेंशन, सामने आए 91 केस
ठाणे में ओमिक्रॉन के केपी.2 सब-वेरिएंट के 20 मामले, अमरावती और छत्रपति संभाजी नगर में सात-सात, सोलापुर में दो और सांगली, लातूर, अहमदनगर और नासिक में एक-एक मामला दर्ज किया गया है.
- 14 मई 2024,
- अपडेटेड 06:01 IST
All-in-One वैक्सीन बनाने में जुटे साइंटिस्ट, आया ये अपडेट
दुनिया की प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ के साइंटिस्ट की एक टीम को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता हाथ लगी है.
- शॉर्ट वीडियो
- 07 मई 2024,
- अपडेटेड 17:07 IST
कोरोना वायरस के हर वैरिएंट पर कारगर All-in-One वैक्सीन बनाने में जुटे साइंटिस्ट, आया ये अपडेट
कोरोनावायरस के कई वैरिएंट से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने बड़ा समाधान खोज निकाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब एक ही टीके से कोरोना के कई वैरिएंट से बचाव कर सकता है. अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों ने मिलकर ऐसा ऑल इन वन टीका बनाया है. ये टीका ओमिक्रॉन, डेल्टा समेत कोरोना के कई वैरिएंट से बचाव में कारगर साबित हो सकता है.
- अपडेटेड 14:54 IST
कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद दो लड़कियों की हुई थी मौत, अब 3 साल बाद सीरम इंस्टीट्यूट पर केस करेंगे माता-पिता
जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.
- 02 मई 2024,
- अपडेटेड 14:09 IST
B&W: कोविडशील्ड को लेकर बड़ा कबूलनामा, साइड इफेक्ट को लेकर क्या बोली AstraZeneca?
कोविड 19 जब दुनियाभर में कोहराम मचा रहा था, तब मेडिकल वर्ल्ड में सबसे ज्यादा उठापटक हुई. कोशिश थी कि जल्दी से जल्दी वैक्सीन बना ली जाए और उसे फटाफट मंजूरी भी मिल जाए. इसी में एक थी ऐस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर काम करने वाली कोविशील्ड. कंपनी ने खुद माना है कि दुर्लभ मामलों में इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं. देखें ब्लैक एंड व्हाइट विश्लेषण.
- सुधीर चौधरी
- 30 अप्रैल 2024,
- अपडेटेड 11:14 IST
एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन से हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स, कंपनी ने खुद कबूली ये बात
एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कुछ दुर्लभ मामलों में TTS सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. यह सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है. इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक होने की आशंकाएं बढ़ जाती है.
- 29 अप्रैल 2024,
- अपडेटेड 21:50 IST
AstraZeneca की कोविड वैक्सीन से दुष्परिणाम! दवा कंपनी ने कुबूला, इन देशों ने लगा दिया था बैन
खून का थक्का जमने से मौत की घटनाएं बढ़ने पर कई देशों ने शुरुआत में ही एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन पर बैन लगा दिया था. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी वकालत करता रहा था. अब खुद दवा कंपनी ने अदालत में मान लिया कि वैक्सीन से 'रेयर हालातों में' खून के थक्के जम सकते हैं. इसके बाद से हंगामा मचा हुआ है.
- अपडेटेड 21:48 IST
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली AstraZeneca ने ब्रिटिश कोर्ट में साइड इफेक्ट पर क्या बातें स्वीकार की हैं? 7 points में समझें
एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी महीने में यूके हाईकोर्ट के समक्ष वैक्सीन के साइड इफेक्टस के आरोपों को स्वीकार किया. लेकिन साथ में कंपनी ने वैक्सीन के पक्ष में अपने तर्क भी रखे. बता दें कि कंपनी इस वैक्सीन को दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया नाम से बेचती है.
- अपडेटेड 19:40 IST
कोविड वैक्सीन पर ब्रिटेन में खुलासे के बाद क्यों खौफ, जानें डिटेल
कोरोना महामारी से बचाने में कोविड वैक्सीन ने काफी मदद की. मगर इसके बाद हार्ट अटैक के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई. कई बड़े मंच पर एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाया कि अचानक आ रहे हार्ट अटैक के पीछे कोविड वैक्सीन जिम्मेदार है. मगर इसे सपोर्ट करने वाला कोई सबूत नहीं मिल पाया.
- अपडेटेड 19:37 IST
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