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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi : आज हमने आदर्श विद्यार्थी पर निबंध लिखा है इस निबंध की सहायता से विद्यार्थियों को पढ़कर उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी और उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनने की प्रेरणा भी मिलेगी जिससे उनके जीवन में बदलाव आएगा और वे अच्छी प्रकार से पढ़ लिख पाएंगे और सफलता को प्राप्त कर पाएंगे.

आदर्श विद्यार्थी पर यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों की सहायता के लिए लिखा गया है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 1,2,3,4

एक आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य होता है कि वह एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करके एक सफल व्यक्ति बने. आदर्श विद्यार्थी देश की तरक्की में चार चांद लगा देता है वह हमेशा अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए ही सोचता रहता है.

एक आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो विद्यालय में प्रतिदिन जाता हूं और शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाने पर एकाग्रता पूर्वक पढ़ता हूं.

वह बेकार की बातों में अपना समय व्यर्थ नहीं करता है. वह नियमित रूप से स्कूल से मिले हुए होमवर्क को करता है और साथ ही पढ़ाए गए पाठ को दोहराता है.

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आदर्श विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह साफ सुथरे कपड़े पहनता है और उसकी आंखों में एक अलग ही तेज होता है वह निडर और साहसी होता है. स्कूल के सभी बच्चे उसकी तरह बनना चाहते हैं आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों का प्रेरणा स्रोत होता है.

वह हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करता है और सभी के साथ प्रेम भाव से रहता है.

Best Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 250 words

एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्कूल के साथ-साथ अपने माता-पिता और देश का नाम भी रोशन करता है ऐसे विद्यार्थी बचपन से ही बहुत होशियार होते हैं और इनके मुंह पर एक अलग सा ही तेज होता है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भावना रखते हैं.

ऐसे विद्यार्थियों को जो भी कार्य दिया जाता है वह पूरी एकाग्रता से करता है और कार्य पूरा होने तक अपना कर्तव्य निभाता है. आदर्श विद्यार्थी कर्मठ और ईमानदार होते है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करते रहते हैं अपने समय का सदुपयोग करते है.

आदर्श विद्यार्थी हमेशा सत्य का साथ देते है इन्हें झूठ से बहुत नफरत होती है. ऐसे ही झूठ बोलने वाले लोगों को सत्य बोलने के लिए प्रेरित करते है. विद्यार्थी हमेशा सभी की सहायता के लिए तत्पर रहते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने जीवन में कुछ ना कुछ नियम बना कर चलता है और उनका पालन करता है.

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ऐसे विद्यार्थी अपना जीवन अनुशासन में रहकर व्यतीत करते हैं वह कभी भी विद्यालय में उत्पात मचाते है. हमेशा अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते है और अपने माता-पिता, अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करते है.

इन विद्यार्थियों को विलासिता की चीजों की लालसा नहीं होती है इन्हें तो सिर्फ अच्छी किताबें पढ़ने का शौख होता है. ऐसे विद्यार्थी महान लोगों की किताब पढ़कर उससे कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं और साथ ही अपने जीवन में भी इन बातों को उतारते है. जिससे भविष्य में ये सफलता के शिखर को छूते है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 5,6,7,8 Student

एक विद्यार्थी ही किसी देश के आने वाले भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि विद्यार्थियों को ही आगे जाकर युवा शक्ति के रूप में उभरना है एक विद्यार्थी यह जो किसी देश को अच्छा बना सकता है तो किसी देश को पूरा भी बना सकता है इसीलिए एक विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी होना बहुत आवश्यक होता है.

आदर्श विद्यार्थी वह नहीं होता है जो सिर्फ कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो कक्षा में अच्छे अंक लाने के साथ साथ सामाजिक जीवन की भी समझ रखता हो और बड़ों का सम्मान करता हो.

एक अच्छे विद्यार्थी की निशानी गई होती है कि वह हमेशा आशावादी बना रहे क्योंकि अगर वह आशावादी नहीं होगा तो कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा और बुरी संगत में पड़ सकता है.

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एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने सहपाठियों की मदद करता है कोई भी मुसीबत आने पर उनका डटकर सामना करता है वह ईमानदारी और कर्मठता पूर्वक अपने कर्तव्यों को पूरा करता है. वह हमेशा सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करता है उसका आचरण हमेशा हंसमुख और दिल जीतने वाला होता है.

एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है जो सदैव सहायता करने के लिए तत्पर रहता हो और पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद वाद विवाद प्रतियोगिता और पुरस्कार जीतने के साथ ही दिल जीतने की भी क्षमता रखता हो, वह हमेशा नियमित रूप से सुबह जल्दी उठता है और स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहता है इसलिए वह सुबह योगा भी करता है और मन को शांत रखने के लिए ध्यान भी लगाता है.

एक आदर्श विद्यार्थी हर काम समय पर करता है क्योंकि उसे समय के मूल्य की अच्छे से पहचान होती है उसकी सोच अपने तक सीमित नहीं रहती है वह अन्य लोगों के बारे में भी उतना ही सोचता है वह हर धर्म और देश के नागरिकों का सम्मान करता है.

वह हमेशा नियमों की पालना करता है और जो नियमों का पालन नहीं करता उन्हें उसके बारे में समझाता है ऐसे विद्यार्थी ही आगे जाकर अपने मां बाप का नाम और देश का नाम रोशन करते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपनों को साथ लेकर चलता है.

जिससे वह स्वयं तो सफल होता ही है साथ में अपने साथियों को भी सही राह पर ले जाकर सफलता का रास्ता दिखाता है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 1400 Words

एक आदर्श विद्यार्थी जन्म से आदर्श विद्यार्थी नहीं होता है वह अच्छे लोगों के साथ रहकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके और अच्छे गुणों को अपना कर ही एक आदर्श विद्यार्थी बनता है.

जब भी कोई व्यक्ति एक कार्य को बार बार करता है तो है उसमें कर्मठ हो जाता है और उसको वह कार्य पसंद आने लगता है और आसानी से हो जाए उसे बार-बार कर पाता है और वह सफल हो जाता है.

उसी प्रकार विद्यार्थी भी अगर बचपन से ही अच्छे को को अपनाएं तो वह भी जिंदगी के हर मोड़ पर कठिनाइयों से लड़ता हुआ सफलता को प्राप्त कर सकता है.

आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएं –

(1) कर्मठ – आदर्श विद्यार्थी जब भी कोई कार्य करता है तो वह उस कार्य को पूरा मन लगाकर करता है जिसके कारण वह हमेशा सफलता को प्राप्त करता है इसी कारण वह पढ़ाई में खेल में एवं अन्य क्षेत्रों में सफल हो जाता है क्योंकि वह निरंतर उसके लिए कर्मठता पूर्वक प्रयत्न करता रहता है.

(2) ऊर्जावान – अच्छा विद्यार्थी हर दिन नई ऊर्जा के साथ उठता है वह कभी भी किसी प्रकार का अलग से नहीं करता है वह अच्छा भोजन खाता है साथ ही योगा और व्यायाम भी करता है जिससे उसका शरीर पूरे दिन ऊर्जा से भरा हुआ रहता है और उसका पढ़ाई में अत्यधिक मन लगता है.

(3) जिज्ञासु – एक सफल विद्यार्थी का पहला रहस्य यही है कि वह जिज्ञासु होता है क्योंकि जिज्ञासु विद्यार्थी अपने शिक्षक से हर प्रकार के सवाल करता है और उनका जवाब हासिल करता है लेकिन जो विद्यार्थी शिक्षक से बात ही नहीं करता किसी भी प्रकार की सीखने की जिज्ञासा नहीं रखता तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है

(4) सकारात्मक – विद्यार्थी का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक विद्यार्थी सकारात्मक नहीं होगा तब तक वह किसी भी क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाएगा और वह लक्ष्य से भटक जाएगा. विद्यार्थी को मुसीबत में होने पर भी सकारात्मक सोचना चाहिए तभी जाकर उस मुसीबत का हल निकाला जा सकता है.

(5) धैर्यवान और विवेकशील – आदर्श विद्यार्थी हमेशा धैर्यवान और विवेकशील होते हैं यह कभी भी किसी कार्य को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करते हैं और कठिनाई आने पर अपने विवेक से काम लेते है इसी कारण वे एक आदर्श विद्यार्थी बन पाते है.

(6) सच्चा और आज्ञाकारी – एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है और जो विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है वही आगे बढ़ता है क्योंकि जो झूठ बोलता है वह एक झूठ को छुपाने के लिए उसे और अधिक झूठ बोलने पड़ते है जिसके कारण वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है.

अच्छे विद्यार्थी हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करते है जिसके कारण वे सभी के प्रिय होते है और अपने कार्य में भी सफल होते है.

(7) नेतृत्व करने वाला – अच्छा विद्यार्थी नेतृत्व करने वाला होता है वह हमेशा अपने साथियों को साथ लेकर चलता है वह अपने ज्ञान का कभी भी अभिमान नहीं करता है इसी कारण उसमें धीरे-धीरे नेतृत्व करने की क्षमता विकसित होती है वह आगे जाकर देश के लिए अच्छा कार्य करता है.

(8) ज्ञानवान – आदर्श विद्यार्थी हमेशा ज्ञानवर्धक बातें करता है वह कभी भी फालतू की चर्चा नहीं करता है हमेशा अपने काम से काम रखता है और कक्षा में भी हमेशा प्रथम आता है क्योंकि वह हमेशा ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ता रहता है जिसे उसके ज्ञान में बढ़ोतरी होती रहती है.

(9) अनुशासन प्रिय – अच्छा विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह समय पर उठता है समय पर भोजन करता है समय पर स्कूल जाता है, समय पर खेलता है और समय पर अपना कार्य करता है. वह स्कूल समाज और देश के नियमों का भी पालन करता है इसी कारण अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा अन्य विद्यार्थियों से आगे रहते है.

(10) समय का सदुपयोग – आदर्श विद्यार्थी हमेशा समय का सदुपयोग करता है क्योंकि एक बार समय अगर बीत जाता है तो वह दोबारा लौटकर नहीं आता है इसलिए वह अच्छे से जानता है कि समय की बर्बादी उसके जीवन के बर्बादी है इसलिए वह हमेशा समय का सदुपयोग करके अपना सफल भविष्य बनाता है.

आदर्श विद्यार्थी कैसे बने –

(1) आज्ञाकारी बने – आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आपको अपने माता पिता, गुरुजनों और अन्य बड़े लोगों की आज्ञा का पालन करना होगा क्योंकि वे जो भी कार्य आपको करने के लिए कहते हैं वह आप के भले के लिए ही होता है जैसे ही आप बड़ों की आज्ञा का पालन करने लगेंगे आपको आपके जीवन में बदलाव दिखाई देने लग जाएंगे.

(2) दूसरों के प्रति सद्भावना रखें – एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा दूसरों के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए उन्हें कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए क्योंकि आप दूसरे लोगों का ख्याल रखेंगे तो वह भी आपका ख्याल रखेंगे और आपको भी उतना ही प्यार करेंगे.

(3) अच्छी पुस्तकें पढ़ें – जीवन भी अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत जरूरी होता है और एक विद्यार्थी के लिए तो यह और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह जीवन का पहला बड़ा होता है ऐसे ही इसी वक्त विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिल जाती है तो वह जीवन भर अच्छा काम करता है, अच्छे लोगों के साथ रहता है और जीवन में सभी सफलताओं को प्राप्त करता है.

(4) आदर और सम्मान करें – एक विद्यार्थी को सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए और उनका आदर भी करना चाहिए क्योंकि आदर और सम्मान एक ऐसी चीज है जिसे आप जितना दोगे उतना ही आपको मिलेगा इसलिए अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं आपको दूसरे लोगों को आदर और सम्मान देना पड़ेगा.

(5) दिनचर्या की तालिका बनाएं – कई विद्यार्थियों को पढ़ने लिखने में बहुत दिक्कत आती है क्योंकि वह अपने समय का सही से उपयोग नहीं करते हैं जिसके कारण वह पढ़ लिख नहीं पाते है और परीक्षा में सफल नहीं हो पाते है.

इसलिए विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या की तालिका बनानी चाहिए जिससे उन्हें आसानी होगी कि कौन सा कार्य होने कब करना है और कौन सा विषय कब पढ़ना है इससे उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ेगी और समय का सदुपयोग भी होगा.

(6) स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें – जो व्यक्ति स्वस्थ नहीं रहता है वह पढ़ाई लिखाई तो क्या वह कुछ भी नहीं कर पाता है इसलिए हमेशा विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि बिना स्वस्थ शरीर के आप कुछ भी नहीं कर सकते है.

(7) नम्र और उदार बने – कई विद्यार्थी काफी लड़ाई झगड़ा करते हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उन्हें ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए उन्हें अपने साथियों और अन्य लोगों के साथ नम्र व्यवहार करना चाहिए जब कभी भी किसी को उनकी आवश्यकता हो तो उदारता पूर्वक उनकी सहायता करनी चाहिए.

(8) सेवा भावना रखें – विद्यार्थियों को हमेशा सेवा भावना रखनी चाहिए उन्हें बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए क्योंकि उन्हीं से उन्हें पूरे जीवन की जानकारी मिलती है और नई शिक्षाप्रद कहानियां भी सुनने को मिलती है.

(9) आशावादी रहे – जो विद्यार्थी थोड़ी सी असफलता मिलने पर निराश हो जाते हैं उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि निराशावादी लोग कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते जैसे कि उगते हुए सूरज को सभी देखना पसंद करते है लेकिन डूबते हुए सूरज को कोई भी देखना पसंद नहीं करता है इसलिए हमेशा आशावादी रहकर सफलता प्राप्त करें

(10) लक्ष्य का निर्धारण करें – अगर आपको किसी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको हमेशा उसका लक्ष्य निर्धारण करना आवश्यक होता है लक्ष्य कि आप समंदर में खोई हुई नाव की तरह होते हो जो की लहरों के थपेड़े खाते-खाते नष्ट हो जाती है इसलिए हमेशा लक्ष्य का निर्धारण करके आगे पढ़े आपको सफलता अवश्य मिलेगी.

(11) सदैव विद्यालय जाए – कुछ विद्यार्थी विद्यालय में जाने से कतराते है और कुछ विद्यार्थी कोई ना कोई बहाना बनाकर विद्यालय से छुट्टी ले लेते है और वह अनमोल शिक्षा से वंचित रह जाते है इसलिए हमेशा विद्यालय जाना आवश्यक होता है.

(12) बुरी संगति से दूर रहे – कुछ विद्यार्थी बुरे लोगों के साथ रहकर बुरी संगति में पड़ जाते है जिसके कारण उनका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है और उनका पूरा जीवन खराब हो जाता है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहे जैसे आप भी एक आदर्श विद्यार्थी बन सकें.

निष्कर्ष –

एक आदर्श विद्यार्थी ही जीवन में सफल हो सकता है क्योंकि आदर्श विद्यार्थी में बचपन से ऐसे गुण होते हैं जिससे वह जीवन में आने वाली हर मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना कर सकता है वह अन्य लोगों की तुलना भी बहुत समझदार होता है इसीलिए वह बचपन से ही अपना लक्ष्य निर्धारण कर लेता है और बड़ी सफलता प्राप्त करता है.

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23 thoughts on “आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi”

Sir this essay is osm i appreciate it thank u so much sir it helped me a lot keep it up sir

Welcome Rupali gupta

Sorry to say but there are so many mistakes in it but it is nice . Keep it up . And thanks for this . ☺☺☺👌👍👍

Thank you Prachi

op essay nice nice

Thank you Iron man for appreciation.

Thanks for this beautiful essay 😀😀😀

Welcome, Prabhnoor Kaur ji

thanks for this beautiful essay

Thank you utkarsh for appreciation keep visiting Hindi yatra.

Thank you very much

Welcome Gurveer, keep visiting Hindi yatra.

Admin ji bahut badhiya soch paye hai aapne aise hi nibandh likhte rehna aur hame aur jagrut aur hoshiyaar banana Meri teacher ko yah bahut acha laga unhone aapki kafi tarif ki hai….

Aayush Divase sarhana ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, or aap ki teacher ko hindi yatra ki tarf se dhanyawad bol na.

Hmm mujhe ye San essay padh me acha laga aur jab ye essay Mene MERI teacher ko dikhaya to MERI class m Impression ban gyi

Priyanshu achi baat hai aap ko nibandh pasand aaya, aise hi nibandh padhne ke liye hindi yatra par aate rahe.

Exam me mujhe is me 25 mey 20 mile DHANYAVAAD

Karttavy Mehdiratta, bhut acche mazrks mile hai aap ko aise hi mehnat karte rahe, dhanyavad.

Yah paragraph Kaisa hoga ma ak Jan Ka nam bata ti hu diya

Tnks for such a wonder essay of 250 words only really tnks to producer coz it have great meaning

Welcome Saad and keep visiting our website.

Aur aaisa hi bhejiye

Dhanyawad Saurav kumar, hum aise hi essay likhte rhe ge aap website par aate rahe.

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Ideal Student in Hindi, Adarsh Vidyarthi par Nibandh Hindi mein)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

समाज के लिए बहुमूल्य

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? शायदनहीं!

अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा

एक आदर्श विद्यार्थी समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। समाज के अन्य विद्यार्थी उसके आचरण और स्वभाव से सिखते है। आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए एक बहुमूल्य रत्न होता है , जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

किसी ने भी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। किसी भी छात्र में आदतें पैदा करने में लिए समय लगता है जिससे वही छात्र आदर्श बनता है। माता-पिता और शिक्षक दोनों को बच्चे में छिपी संभावितता पहचानने के लिए प्रयास करने चाहिए।

आदर्श छात्र पर निबंध : एक आदर्श छात्र की विशेषताएं – 2 (400 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

  • लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

  • समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

आदर्श छात्र भरोसेमंद होता है। शिक्षक अक्सर उन्हें अलग-अलग कर्तव्यों का आवंटन करते हैं जो वे बिना असफल हुए पूरा करते हैं।

एक आदर्श छात्र हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि पाठ्यक्रम बड़ा है, यदि शिक्षक अध्ययन करने के लिए समय दिए बिना परीक्षा लेता है, यदि कुछ प्रतियोगी गतिविधियां अचानक रखी जाती हैं तो भी आदर्श छात्र घबराता नहीं है। आदर्श विद्यार्थी हर स्थिति में सकारात्मक बना रहता है और मुस्कुराहट के साथ चुनौती स्वीकार करता है।

  • जानने के लिए उत्सुक

एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है।

  • पहल करता है

एक आदर्श छात्र भी पहल करने के लिए तैयार रहता है। यह ज्ञान और क्षमता को जानने, समझने और बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ़ संकल्प करना पड़ता है। परन्तु इसके लिए किए गए प्रयास अच्छे होने चाहिए। यदि कोई बच्चा कम उम्र से उपरोक्त विशेषताओं को विकसित करता है तो जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे वह निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल कर लेगा।

आदर्श छात्र पर निबंध : आदर्श छात्र कैसे बने – 3 (500 शब्द)

हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन केवल कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं। इस प्रकार की उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि एक बार जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। हर चीज़ में अच्छा होना आदत हो जाती है और आप इससे कम कोई समझौता नहीं करना चाहते।

आदर्श छात्र कैसे बने?

यहां कुछ ऐसी तकनीकें हैं जो आपको एक आदर्श छात्र बनने में मदद करती हैं:

यदि आप एक आदर्श छात्र बनने की कामना करते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की  व्यवस्था। अव्यवस्थित परिवेश मस्तिष्क को अव्यवस्थित कर देते हैं।

हर दिन एक निश्चित समय पर जागने और सोने की कोशिश करें। अपने अध्ययनों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को समायोजित करने के लिए एक सूची बनाएं। अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए सही शेड्यूल बनाए रखें।

  • करने वाले कामों की सूची बनाएं

दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। हर सुबह दिन में पूरा करने वाले कामों की आवश्यक चीज़ों की एक सूची तैयार करें। कार्यों को प्राथमिकता दें और उन्हें समय दें। अपने पास इस तरह की सूची रखने से बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। जैसे आप काम को पूरा करते हैं तो उनको जांचते रहें। इससे आपको उपलब्धि की भावना मिलती है और आप प्रेरित रहते हैं।

स्कूल में और अन्य जगहों में पहल करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए नई परियोजनाएं बनाएं और समझें कि आपकी रुचि वास्तव में क्या है। इस तरह आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि उनका प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता को भी समझेंगे।

  • कुछ नया सीखें

पढ़ने की आदत बनाएं, सूचनात्मक वीडियो और ऐसी अन्य सामग्री देखें। यह नई चीजें सीखने, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

  • अच्छे दोस्त बनाएं

ऐसा कहा जाता है आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन पाँचों के औसत गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और उनके साथ रहें जो प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हैं बजाए उनके जो अपने जीवन को लापरवाही से लेते हैं।

  • स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें

एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें नीचे साझा किए गए तीन पहलुओं का ध्यान रखना शामिल है:

  • स्वस्थ खाना खाएं

स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। आप केवल तब ही अच्छे प्रदर्शन कर पाएंगे जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होंगे।

प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। आपको अपनी नींद पर किसी भी मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आप में सुस्ती और चेहरे पर थकावट दिखती है। ज़रूरत से ज्यादा सोना भी इस तरह के प्रभाव का कारण बन सकता है तो आपको उस से भी बचाना चाहिए।

जैसे-जैसे कोई छात्र उच्च कक्षा में प्रवेश करता है वैसे-वैसे उस छात्र का जीवन काफी व्यस्त हो जाता है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। आप अपनी पसंद के किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, योग, नृत्य या किसी भी चीज में आपकी रुचि हो सकती है।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अपने दम पर उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता है। उसे उनके समर्थन की जरूरत है। माता-पिता को बच्चो से उच्च उम्मीदें रखने की बजाए उन्हें जीवन के विभिन्न चरणों में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Essay on Ideal Student in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द): क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है

आदर्श छात्र जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में छात्र के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता है। शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि माता-पिता और शिक्षक केवल छात्र का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कैसे संचालित करता है।

क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है?

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं:

  • आदर्श छात्र कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा सत्रों में कर सकते हैं।
  • वे अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे हर दिन घर पर जाने से पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करें।
  • वे चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।
  • वे न केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।
  • वे पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैंI वे असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।
  • वे विफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श छात्र वे होते हैं जो स्कूल में लगभग हर चीज में अच्छे होते हैं। वे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कक्षा में हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है। एक व्यक्ति की कंपनी विशेष रूप से उम्र के बढ़ने वाले वर्षों में उस पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। जो अच्छे / आदर्श छात्रों का साथ रखते हैं उनमें अच्छी आदतें पैदा होना निश्चित है।

शिक्षकों के बीच आदर्श छात्र उनका पसंदीदा होता है। शिक्षक कक्षा में दूसरों को उनका उदाहरण देते हैं और उन्हें उनकी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहते हैं। शिक्षक अपनी अनुपस्थिति में इन छात्रों को अन्य कार्य सौंप देते हैं जैसे कि परियोजनाओं की तैयारी, पुस्तकों/नोटबुक का वितरण और कक्षा की निगरानी। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा में हर छात्र आदर्श हों।

आदर्श छात्र होना जीवन में हमेशा मदद करता है

ऐसा कहा जाता है आप जो बार-बार करते असल में आप वैसे ही होते हैं। तब उत्कृष्टता जीवन का एक रास्ता बन जाती है। एक आदर्श छात्र हमेशा व्यवस्थित होता है। वह अपने कमरे, स्कूल बैग, किताबों और अन्य सामान को एक संगठित ढंग से रखता है ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े तब समय की बर्बादी न हो। वह जानता है कि उसे सामान की तलाश कहां करनी है। संगठित होने का मतलब केवल चीजों को सही तरीके से रखने का मतलब नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि अपने कार्य को एक कुशल तरीके से प्राथमिकता देने और संगठित करने की क्षमता है ताकि उन्हें समय पर पूरा किया जा सके। बाद में यह एक आदत बन जाती है और यहां तक ​​कि जब छात्र बड़े होते हैं तो इस आदत की वजह से संगठित रहते हैं। जो लोग संगठित होते हैं वे दोनों निजी और पेशेवर जीवन को कुशलता से प्रबंधित कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र जानता है कि कैसे विभिन्न गतिविधियों के बीच एक संतुलन को बनाए रखना है और वह जैसे-जैसे पेशेवर जीवन में बढ़ता है उसके लिए कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है। वह काफी कठिन काम करता है और केंद्रित रहता है और यही बाद के जीवन में उसे बहुत कुछ करने में मदद करता है।

एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Ideal Student (आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- अनुशासन का पालन तथा आत्मनिर्भर होने की प्रवृत्ति।

उत्तर- भारत में प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है।

उत्तर- संपूर्ण विश्व डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है।

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Adarsh Vidyarthi Essay : ऐसे लिखें ‘आदर्श विद्यार्थी’ पर निबंध 

adarsh vidyarthi essay in hindi for class 8

  • Updated on  
  • जुलाई 5, 2024

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi (1)

विद्यार्थी होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। यह एक सुनहरा दौर होता है जब विद्यार्थी आनंद और खुशी से भरे होते हैं। एक आदर्श छात्र के गुणों के बारे में जानने से छात्रों को अपनी शक्तियों और कमजोरियों का आकलन करने में मदद मिल सकती है, जिससे व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा मिलता है। एक आदर्श छात्र की विशेषताओं को समझने से छात्रों को शैक्षणिक और व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने में सहायता मिल सकती है, वे बेहतर छात्र बनने की दिशा में काम कर सकते हैं। कई बार छात्रों को आदर्श विद्यार्थी पर निबंध तैयार करने के लिए दिया जाता है, इसलिए यहां हम Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi दे रहे हैं।

This Blog Includes:

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100 शब्दों में निबंध , आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 200 शब्दों में निबंध, एक आदर्श छात्र की विशेषता क्या है, एक आदर्श विद्यार्थी के लक्षण, एक आदर्श छात्र के जीवन में माता-पिता की भूमिका, आदर्श विद्यार्थी पर 10 लाइन्स.

100 शब्दों में Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

एक आदर्श छात्र वह होता है जो आज्ञाकारी, समयनिष्ठ, मेहनती और ईमानदार होता है। वे परिवार की आशा, राष्ट्र का भविष्य और विद्यालय का गौरव और गौरव होते हैं। वे अपने शिक्षकों, माता-पिता, बड़ों और साथियों का सम्मान करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर दोस्तों की मदद करते हैं। वे अपने कार्यों और शब्दों से अपने आस-पास के लोगों को प्रेरित करते हैं। वे हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते हैं; वे और अधिक सीखने की जिज्ञासा को जीवित रखते हैं। एक आदर्श छात्र वह है जो सीखना पसंद करता है और स्कूल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है। वे हमेशा अपने शिक्षकों की बात सुनते हैं, अपने सहपाठियों की मदद करते हैं और नियमों का पालन करते हैं। सरल शब्दों में एक आदर्श छात्र इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि स्कूल में अच्छा प्रदर्शन कैसे किया जाए और एक अच्छा इंसान कैसे बनें।

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

एक आदर्श छात्र वह है जो अपने शिक्षकों और बड़ों का सम्मान करता है और उनकी बात सुनता है। वे अपने गुरुओं के साथ एक मजबूत जुड़ाव महसूस करते हैं और मार्गदर्शन के लिए उनकी ओर देखते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपने लक्ष्यों और सपनों के प्रति हमेशा सजग रहते हैं। वे हमेशा नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करना कभी नहीं छोड़ते। आदर्श छात्र न केवल अपने देश से प्यार करते हैं बल्कि समाज में सभी के लिए बेहतर बनाने की दिशा में भी काम करते हैं। वे दूसरों के साथ अन्याय नहीं करते और सभी के साथ दयालुता के भाव से रहते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी के सर्वश्रेष्ठ गुणों में निस्वार्थ होने और दूसरों की मदद करना शामिल है। वे असफलताओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते बल्कि उन्हें बेहतर बनने के लिए सीखने के अवसर के रूप में उपयोग करते हैं। कोई भी व्यक्ति पूर्ण पैदा नहीं होता है, लेकिन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से, वे सकारात्मक आदतों को अपनाकर दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं। एक आदर्श छात्र बनने के लिए व्यक्ति को अपने प्रयासों में समर्पित और निरंतर रहना चाहिए। वे अपने साथियों के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करते हैं और दूसरों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। एक आदर्श छात्र बनना इतना मुश्किल नहीं है। 

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi (2) (1)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 500 शब्दों में निबंध

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

प्राचीन भारतीय संस्कृत ग्रंथ (श्लोक) में पाँच गुण बताए गए हैं जो एक आदर्श छात्र में होने चाहिए। इसमें कुछ जानवरों और पक्षियों के कुछ विशेष गुणों के बारे में बताया गया है ताकि यह समझाया जा सके कि एक छात्र को आदर्श छात्र बनने के लिए इन गुणों पर कैसे काम करना चाहिए। एक आदर्श छात्र की पहचान शैक्षणिक उपलब्धियों या बुद्धि के साथ साथ उनके सीखने और व्यक्तिगत विकास पर भी निर्भर करती है।

एक उत्कृष्ट छात्र अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों के बारे में पूरी तरह से जागरूक होता है। वह भावी पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा होता है। आज के छात्र कल के नेता होंगे। यदि छात्रों के पास उच्च विचार हों, तो राष्ट्र प्रगति कर सकता है। अच्छे ग्रेड वाला छात्र जरूरी नहीं कि एक अच्छा छात्र हो। वह स्कूल में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है, लेकिन वह वास्तविक जीवन में पूरी तरह से असफल हो सकता है। एक आदर्श छात्र वह होता है जो सादा जीवन और उच्च विचार दोनों को अपनाता है। वह जीवन की कठिनाइयों से निपटने के लिए पर्याप्त निडर होता है।

एक आदर्श छात्र समझता है कि वह अपने माता-पिता का कितना ऋणी है। जब वह बड़ा होता है, तो वह उनका ख्याल रखना कभी नहीं भूलता। वह एक इंसान का सेवक होता है। हमारे देश को ऐसे छात्रों की ज़रूरत है जो दृढ़ संकल्प और दृढ़ मांसपेशियों वाले हों। उन्हें ब्रह्मांड के रहस्यों और रहस्यों को समझने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए, भले ही इसका मतलब अपनी जान जोखिम में डालना हो। केवल ऐसे छात्र ही देश को समृद्धि और समग्र विकास प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र वह होता है जो सीखने के लिए प्रेरित और उत्सुक होता है। वे चुनौतियों से नहीं डरते और हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। वे अपने शिक्षकों और सहपाठियों के साथ सम्मान से पेश आते हैं और सुव्यवस्थित होते हैं और अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करते हैं। आदर्श छात्र अपने कार्यों को पूरी सजगता से करने के साथ दूसरों की भी मदद करते हैं और कक्षा में सकारात्मक योगदान देते हैं। आदर्श विद्यार्थी का लोगों के साथ प्रेम भाव से व्यवहार उसे लोगों से अलग बनाता है। आदर्श विद्यार्थी भविष्य में महान नेतृत्व वाले व्यक्ति बनते हैं। यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं, तो इन गुणों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करें, और आप सही रास्ते पर होंगे।

एक आदर्श छात्र के जीवन में माता-पिता की भूमिका अहम है। माता-पिता भावनात्मक समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, जिससे छात्रों को प्रेरित रहने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। प्रोत्साहित करने वाले शब्द एक छात्र के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ा सकते हैं। शैक्षणिक प्रदर्शन और व्यवहार के संबंध में स्पष्ट अपेक्षाएं निर्धारित करने से छात्रों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनसे क्या अपेक्षा की जाती है। माता-पिता किताबें, इंटरनेट एक्सेस और एक शांत अध्ययन स्थान जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके घर पर सीखने के लिए अनुकूल माहौल बना सकते हैं। वे पढ़ाई और होमवर्क पूरा करने के लिए एक दिनचर्या स्थापित करने में भी मदद कर सकते हैं।

माता-पिता अपने बच्चों में जिम्मेदारी, अनुशासन और दृढ़ता जैसे मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  ये गुण शैक्षणिक सफलता और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं। स्कूली कार्य, प्रगति और चुनौतियों के बारे में माता-पिता और छात्रों के बीच नियमित संचार से माता-पिता को सूचित रहने और अपने बच्चे की शिक्षा में शामिल रहने में मदद मिलती है। यह संचार किसी भी मुद्दे या क्षेत्र की पहचान करने में भी मदद कर सकता है जहां सहायता की आवश्यकता हो सकती है। माता पिता एक आदर्श विद्यार्थी के मार्गदर्शक के रुप में कार्य कर सकते हैं। 

एक आदर्श छात्र अपने माता-पिता के महत्व को समझता है और बड़े होने पर हमेशा उनका ख्याल रखता है। वे दूसरों की सेवा करने में विश्वास करते हैं और अपने परिवार की चिंताओं और मुद्दों के प्रति दयालु होते हैं। वे सबकी सेवा में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और समाज की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए भी हमेशा उत्सुक रहते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर 10 लाइन्स इस प्रकार हैंः

  • एक आदर्श छात्र की पहचान सीखने और आत्म-सुधार के प्रति उनके समर्पण से होती है।
  • आदर्श विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक मुद्दों की पहचान करने और उन्हें हल करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
  • आदर्श छात्र अपनी पढ़ाई और चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थी अपने शिक्षकों, साथियों और स्कूल के माहौल के प्रति सम्मानजनक होते हैं।
  • उनके पास मजबूत संगठनात्मक कौशल होता है और वे अपना समय प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं।
  • एक आदर्श छात्र सहानुभूतिशील होता है और जरूरतमंदों की मदद करने को तैयार रहता है।
  • वे अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेते हैं और सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हैं।
  • आदर्श छात्र अपनी शैक्षणिक गतिविधियों में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी का प्रदर्शन करते हैं।
  • एक आदर्श छात्र बाधाओं और असफलताओं का सामना करने में भी हिम्मत दिखाता है।
  • वे समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने और करुणा, नेतृत्व और आजीवन सीखने के मूल्यों को अपनाने की आकांक्षा रखते हैं।

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एक आदर्श छात्र में समर्पण, प्रेरणा, लचीलापन, जिम्मेदारी, अखंडता और सीखने और चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण जैसे गुण होते हैं। वे सहानुभूति, सम्मान और दूसरों की मदद करने की इच्छा भी प्रदर्शित करते हैं।

माता-पिता और शिक्षक मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और सकारात्मक वातावरण प्रदान करके आदर्श छात्र गुणों के विकास में सहायता कर सकते हैं। उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए और एक सहायक वातावरण बनाना चाहिए जो व्यक्तिगत विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा दे।

चरित्र विकास एक आदर्श छात्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि इसमें ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, सहानुभूति और लचीलापन जैसे गुण शामिल होते हैं। ये गुण न केवल शैक्षणिक सफलता में बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में भी योगदान देते हैं, जिससे छात्र समाज के जिम्मेदार और दयालु सदस्य बनते हैं।

उम्मीद है कि आपको Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Nibandh

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - आदर्श विद्यार्थी का अर्थ - विद्या प्राप्ति लक्ष्य - जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं - आदर्श विद्यार्थी बनाने के पीछे किसकी भूमिका - आदर्श विद्यार्थी कैसे बने - आदर्श विद्यार्थी के दस गुण - उपसंहार।

एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो पूरी लगन से अध्ययन करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श विद्यार्थी बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (जैसे- स्कूलों, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटरों, खेल संस्थाओं और शिक्षा से सम्बंधित सेमिनारों में) स्वागत किया जाता है।

आदर्श छात्र अपनी लगन और मेहनत के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते है और जब तक दिया हुआ कार्य पूर्ण न वे चैन से नहीं बैठते। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श छात्र वह है जिसे परिवार, समाज एवं देश के हर व्यक्ति सम्मान भाव से देखता है। कक्षा में, खेल के मैदान में या सामाजिक सेवाओं में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। आदर्श विद्यार्थी बनना सभी विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है वही आदर्श विद्यार्थी कहलाता हैं। आदर्श विद्यार्थी, विद्यार्थी का वो रूप है जिसे घर, परिवार, समाज और देश का हर व्यक्ति सम्मान देता है और उसे सरहाना करता है। जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनना अनिवार्य है। आदर्श विद्यार्थी सफलता की कुंजी है।

जीवन का प्रथम भाग (प्राय: पच्चीस वर्ष की वय तक) विधोपार्जन का काल है। विद्याध्ययन करने का स्वर्ण काल है। भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनने की क्षमता और सामर्थ्य उत्पन करने का समय है। अत: विद्यार्थी को विद्या की क्षुधा शान्त करने तथा जीवन निर्वाहि योग्य बनाने के लिए आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। आदर्श विद्यार्थी उत्तम विचारों का संचय करेगा, क्षुद्र स्वार्थों और दुराग्रहों से मुक्त रहेगा। मन वचन कर्म में एकता स्थापित कर जीवन के सत्य रूप को स्वीकार करेगा।

विद्यार्थी का लक्ष्य है विद्या प्राप्ति करना। विद्या प्राप्ति के माध्यम हैं गुरुजन या शिक्षक । आज की भाषा में कहे तो, अध्यापक या प्राध्यापक। शिक्षक से विद्या-प्राप्ति के तीन उपाय हैं नप्रता, जिज्ञासा और सेवा। गाँधी जी प्राय: कहा करते थे- जिनमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते। तुलसीदास ने इसी बात का समर्थन करते हुए कहा हैं, 'यथा नवहिं बुध विद्या पाये। अध्यापक के प्रति नम्रता दिखाइए और समझ न आने वाले प्रश्न को बार-बार पूछ लीजिए, उन्हें क्रोध नहीं आएगा । वैसे भी नम्रता समस्त सद्गुणों की जननी है। बड़ों के प्रति नम्रता दिखाना विद्यार्थी का कर्तव्य है, बराबर वालों के प्रति नम्रता विनयसूचक है तथा छोटों के प्रति नम्रता कुलीनता का द्योतक है।

जिज्ञसा के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। यह तीव्र बुद्धि का स्थायी और निश्चित गुण है। पाठ्य-पुस्तकों तथा पाद्यक्रम के प्रति जिज्ञासा-भाव विद्यार्थी की बुद्धि विकसित करेगा और विषय को हृदयंगम करने में सहायक होगा । जिज्ञासा एकाग्रता की सखी है। अध्ययन के समय एकाग्रचित्तता पाठ को समझने और हृदयंगम करने के लिए अनिवार्य गुण है। पुस्तक हाथ में हो और चित्त (ध्यान) हो दूरदर्शन के 'चित्रहार (अर्थात फिल्मों के कहानी)' में, तो पाठ कैसे स्मरण होगा ? इसीलिए आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए किसी भी कार्य करते वक़्त तथा पढाई करते वक़्त मन में उसे पूरा करने के लिए जिज्ञासा होनी चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे अधिक और अहम भूमिका होती है उनके माता-पिता की। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी कक्षा में हर काम में प्रथम रहें, दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व को बदलने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा करने के महत्व को समझने में उनकी सहायता करें। इसीलिए किसी भी विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए उनकी माता-पिता का सहयोग देना अनिवार्य है।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे पहले-

  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। विद्यार्थी को हमेशा माता-पिता, शिक्षकों, बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अतः अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम शिक्षा है।

यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की व्यवस्था को संयोजित कर के रखना होगा।

  • विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि।

जैसे की आप जानते है घर हो या स्कूल हो या समाज का कोई कार्य, हर विद्यार्थी को उसे पूर्ण करने के लिए दिया जाता है। तो उसे आप सबसे पहले सही ढंग से पूर्ण करने के लिए कोशिश करें तथा पहले करने में आप बिलकुल भी संकोच न करें। इससे आपको प्रेरणा मिलेगी और कोई भी कार्य करने में आपको उत्साह होगा।

  • हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा कुछ नया सिखने का जज्बा होना चाहिए। अपने दिनचार्य में किये गए कार्यों से कुछ नया सिखने की कोशिश करनी चाहिए उसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने का प्रयत्न करें। यह अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

ऐसा कहा जाता है आप जिन के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन्हीं के गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो सभी लोगों से अच्छा व्यवहार रखता है, जो समय पर पढाई करता है, जिसे जीवन में लक्ष्य हासिल करना है और जो विद्यार्थी अपनों से बड़े सभी लोगों का आदर सम्मान करता हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। इससे विद्यार्थी हमेशा स्वस्थ और फुर्तीला रहेगा।

विद्यार्थी को आदर्श जीवन जीने के लिए उन्हें हमेशा जिंदादिली के साथ रहना चाहिए। जिन विद्यार्थियों के मन में हमेशा उत्साह, जोश और उमंग का वास होता है, वही विद्यार्थी सही अर्थों में आदर्श विद्यार्थी हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। यहां आदर्श विद्यार्थी के दस गुण के बारे में बताया गया है जो कि इस प्रकार है-

  • अनुशासन में रहे अर्थात आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए
  • संगठित बने अर्थात संयोजित बने
  • सहायता का गुण रखे अर्थात अपने अंदर हमेशा दूसरों की सहयता करने का सोच रखनी चाहिए

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहिए जैसे- कक्षा का सहपाठी की मदत करना, रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को जरूरतमंद को देना आदि ।

  • सूची बनाए अर्थात कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में सूची तैयार करें

विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि। इससे आप अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे।

  • पहल करें अर्थात किसी का दिया गया कोई भी कार्य सबसे पहले आप पूरी करने की कोशिश करें
  • जिंदादिली के साथ रहे अर्थात जीवन का हर पल जिंदादिली के साथ जीना चाहिए
  • कुछ नया सीखें अर्थात जीवन में हमेशा कुछ नया सिखने का प्रयत्न करें
  • अच्छे दोस्त बनाएं अर्थात जीवन में हमेशा दोस्त बनाने से पहले उसके बारे में अच्छे तरीके से जान लें
  • स्वस्थ जीवन रखे अर्थात एक आदर्श विद्यार्थी को स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए
  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए

आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

कोई भी विद्यार्थी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। आदर्श विद्यार्थी जीवन पाने के लिए मेहनत और लगन करनी पड़ती है तब जा के वह सफल रूप से पूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन सुनने में मुश्किल जरूर लग सकता है परन्तु वास्तव में आम लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है। आदर्श विद्यार्थियों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए दृढ़ संकल्प लेना पड़ता है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Hindi Essay

by Editor November 25, 2018, 1:51 PM 9 Comments

स्कूल की परीक्षाओं में अक्सर  आदर्श विद्यार्थी पर निबंध पूछा जाता है। यहाँ आज हम Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11 और 12 के लिए लेकर आए हैं Aadarsh Vidyarthi पर निबंध

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

आदर्श विद्यार्थी विद्यालय में सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत होता है। हर कोई उसी की तरह होशियार बनना चाहता है लेकिन सभी के लिए यह संभव नहीं होता। कठिन परिश्रम और श्रेष्ठ चरित्र वाला ही एक आदर्श विद्यार्थी बन पाता है।

आदर्श विद्यार्थी (200 शब्द)

एक आदर्श विद्यार्थी वही होता है जो अपनी शिक्षा और व्यक्तित्व दोनों का विकास करता है। दूसरे विद्यार्थी उसे अपना आदर्श माने और उसी के जैसा बनने की ओर प्रयत्न करें ऐसा एक आदर्श विद्यार्थी का चरित्र और आचरण होता है।

एक आदर्श विद्यार्थी विद्यालय में अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता है और साथ ही साथ अन्य खेल-खूद और प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता है। वह बुरे लोगों और आदतों से दूर रहता है और हमेशा अच्छे और सच्चे लोगों की संगत करता है।

स्कूल मे अपने अध्यापकों का सम्मान और घर मे अपने माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान उसके चरित्र में होता है। आदर्श विद्यार्थी की जीवन शैली भी अनुशासित होती है वो सुबह जल्दी उठता है और व्यायाम करता है, समय पर भोजन करना और रात्रि मे समय पर सोना उसकी आदत होती है।

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान देता है और उसे पाने का तब तक प्रयत्न करता रहता है जब तक वो उसे प्राप्त नहीं कर लेता।

ऐसे ही आदर्शों पर चलने वाले विद्यार्थी एक दिन बड़े होकर डॉक्टर, वैज्ञानिक, आईएएस-आईपीएस ऑफिसर, वकील,बिज़नस मेन बनते हैं और देश की उन्नति में अपना योगदान देते हैं। हम सभी को अपने विद्यार्थी जीवन में एक आदर्श विद्यार्थी की तरह बनना चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी (350 शब्द)

एक आदर्श विद्यार्थी वही है जो ज्ञान अर्जित करना ही अपने विद्यार्थी काल का मुख्य उद्देश्य समझता है और ज्ञान प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहता है। वो आदर्श विद्यार्थी नहीं है जिसका मन विद्या में नहीं लगता, आलस करता है और किसी का सम्मान नहीं करता।

एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्वभाव से नम्र, विवेकशील और सहनशील होता है और आगे चलकर शिक्षा प्राप्त कर देश का एक आदर्श नागरिक बनता है।

आदर्श विद्यार्थी को पढ़ने-लिखने मे ज्यादा दिलचस्पी होती है और उसका ज्यादा समय अच्छी-अच्छी पुस्तकों को पढ़ने में व्यतीत होता है, विद्यालय मे वह अपने गुरुजनों का आदर करता है और उनके हर आदेश का पालन करता है तो वहीं घर मे अपने माता-पिता का सम्मान करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अच्छे लोगों की संगति करता है और उसके साथ रहने वाले विद्यार्थी भी उसके आदर्शों पर चलते हैं ऐसा उसका चरित्र होता है।

सुबह जल्दी उठना, योग-व्यायाम करना, समय पर और नियमित स्कूल जाना, स्कूल मे पढ़ने के साथ साथ अन्य क्रियाओं में भी भाग लेना, सभी से विनम्रता से व्यवहार, दूसरों की मदद करना, पढ़ाई-लिखाई में तेज होना – ये एक आदर्श विद्यार्थी के लक्षण होते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी हर जगह सम्मान प्राप्त करता है, स्कूल मे वह अपने शिक्षकों का प्रिय होता है और वहीं समाज में लोग उसे बड़े ही सम्मान की नज़र से देखते हैं। वह जहां भी जाता है लोग उसके व्यक्तित्व से प्रभावित जरूर होते हैं।

एक आदर्शवान और अनुशासित जीवन जीने वाला विद्यार्थी ही आगे चलकर एक सफल डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पुलिस ऑफिसर, बिज़नस मेन और वैज्ञानिक बनता है और राष्ट्र निर्माण मे अपना योगदान देता है।

यदि हमें भी एक आदर्श विद्यार्थी बनना है तो सबसे पहले अपनी जीवनशैली को बदलना होगा और हमेशा अच्छे लोगों को संगति करनी चाहिए, स्कूल मे हमेशा अपने गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए और अपना ध्यान पढ़ाई में लगाना चाहिए। समाज में हमें अपनी छवि का साफ-सुथरा रखना चाहिए और माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

विद्यार्थी काल मे हर किसी को एक आदर्श विद्यार्थी की तरह बनना चाहिए क्यूंकी तभी हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकेंगे और तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा।

आदर्श विद्यार्थी (600 शब्द)

एक आदर्श विद्यार्थी हर कोई बनना चाहता है लेकिन विद्यालय में कुछ ही विद्यार्थी होते हैं जो अपने आपको दूसरों के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित कर पाते हैं। आदर्श विद्यार्थी का जीवन ऐसा होना चाहिए की दूसरे उसके जीवन से प्रेरणा ले सकें और उसके जैसा बनने का प्रयत्न करें।

आदर्श विद्यार्थी का चरित्र

आदर्श विद्यार्थी का स्वभाव ही है जो उसे दूसरे विद्यार्थियों से महान बनाता है। उसका स्वभाव नम्र, सहनशील और दयावान होता है। वो हमेशा अच्छे लोगों की संगति मे रहता है और बुरे लोगों को भी सुधारने का प्रयत्न करता है। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहना वो अपना कर्तव्य समझता है।

आदर्श विद्यार्थी विद्यालय में

विद्यालय में आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों की अपेक्षा सबसे होशियार होता है चाहे वो पढ़ाई हो या अन्य खेल-कूद जैसी क्रियाएँ। स्कूल मे वह अपना पूरा ध्यान पढ़ाई मे लगाता है। शिक्षक जिस विषय पर भी पढ़ा रहे हैं उसे शांति से समझता है और मन में कोई प्रश्न होने पर पूछता भी है।

वह हमेशा अपने स्कूल अद्यापकों का सम्मान करता है और शिक्षक जो भी कहते हैं उसे करने के लिए तत्पर रहता है। विद्यालय मे आदर्श विद्यार्थी का व्यवहार सभी लोगों के साथ बड़ा ही विनम्र होता है, सभी की वो मदद करता है।

विद्यालय में नाटक, खेल-कूद, प्रतियोगिताओं में वह बढ़-चढ़कर भाग लेता है और हमेशा आगे रहता है।  स्कूल मे वह समय पर उपस्थित होता है और नियमित स्कूल जाता है।

आदर्श विद्यार्थी घर में

घर में भी एक आदर्श विद्यार्थी बड़े ही अनुशासन का जीवन जीता है। सुबह शीघ्र उठना, योग-व्यायाम आदि करना, कुछ घंटे पढ़ना, उसके बाद स्कूल जाने के लिए तैयार होना ये उसकी रोज की क्रिया होती है।

घर मे अपने माँ-बाप का सम्मान करना और उनकी हर बात मानना आदर्श विद्यार्थी के चरित्र में होता है। घर में भी वह पढ़ने लिखने, गृहकार्य करने के साथ-साथ कुछ समय मनोरंजन में व्यतीत करता है। रात्रि मे समय पर भोजन करना और समय पर सोना भी उसकी आदतों में शामिल होता है।

आदर्श विद्यार्थी समाज में

समाज मे आदर्श विद्यार्थी हमेशा सम्मान का पात्र होता है। लोगों को कोई भी कार्य होता है तो वो उसकी राय लेते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी को भी अच्छी तरह से निभाता है। अपने आस-पास के वातावरण को साफ और शुद्ध रखना, पेड़-पौधों की देख भाल करना, समाज के लोगों की मदद करना ये उसके दैनिक कार्य होते हैं।

आदर्श विद्यार्थी त्योहारों को भी बड़े धूम-धाम के साथ मनाता है और गरीब लोगों की मदद भी करता है।

कैसे बनें एक आदर्श विद्यार्थी

  • सबसे पहले हमें विद्यालय नियमित रूप से और समय पर जाना चाहिए।
  • विद्यालय में पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अपने अद्यापकों का सदैव सम्मान करना चाहिए।
  • विद्यालय में अन्य क्रियाओं में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए और अपने कौशल को दिखाना चाहिए।
  • गलत संगत कभी नहीं करनी चाहिए, हमेशा अच्छे लोगों की संगति करना चाहिए।
  • घर मे अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनकी बात मानना चाहिए
  • अपना गृहकार्य नियमित रूप से करना चाहिए और घर में भी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
  • सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करना चाहिए।
  • समाज में भी हमें अपनी छवि को ऐसा बनाना चाहिए की लोग हमारा सम्मान करें।

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I love this essay thankyou so much

Aacha Patra hai an ideal student

Adarsh vidarty ka upar essay Class5th

Very good 👍

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh | Essay

In this article, we are providing an Ideal Student | Adarsh Vidyarthi Par Nibandh आदर्श विद्यार्थी पर निबंध हिंदी | Essay in 100, 150. 200, 300, 500, 800 words For Students. Adarsh Vidyarthi Nibandh

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh | Essay

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi  (200 words )

जो विद्या प्राप्त करना चाहता है, वह विद्यार्थी है । आदर्श विद्यार्थी किसी चरित्रवान् व्यक्ति से अच्छी बातें सीखता है । वह उत्तम स्वभाव वाला होता है । उसके हृदय में सेवा का भाव रहता है । वह अच्छे गुण ग्रहण करता है । वह अवगुण छोड़ देता है । वह विनम्र, आज्ञाकारी, स्थिर स्वभाव वाला होता है । वह शांत चित्त से अध्यापकों के उपदेश सुनता है । वह खूब मनन करता है । वह मन को संयमित रखता है । वह खूब मेहनत करता है।

वह सरलता, सादगी, स्वच्छता, पवित्रता आदि अच्छे गुणों पर अधिक ध्यान देता है। वह पढ़ने-लिखने में निष्ठा रखता है । वह शारीरिक श्रम भी करता है । वह व्यायाम करता है।

वह अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहता है। अनुशासन उसका अभिन्न अंग होता है। वह अपने माँ-बाप, अध्यापक आदि का आदर करता है। वह महान् नेताओं की जीवनियाँ पढ़ता है। वह उनसे प्रेरणा प्राप्त करता है। वह समय का सदुपयोग करता है । वह छोटे-से-छोटा और बड़े-से-बड़ा काम करने में संकोच नहीं करता।

महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अम्बेदकर आदि महान् पुरुष आदर्श विद्यार्थी थे। इसलिए वे भविष्य में देश के नेता बन गये।

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Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

Essay on Discipline in Hindi

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh ( 250 words )

जिसके मन में ज्ञान प्राप्त करने की लालसा है, वे ही सच्चे अर्थों में छात्र या विद्यार्थी हैं। छात्रों को विद्या प्राप्ति के रास्ते में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस काम में सफलता पाने के लिए उनमें कुछ विशेष गुणों की आवश्यकता होती है।

छात्रों का सबसे पहला गुण है अपनी पढ़ाई-लिखाई के प्रति रुचि रखना । बिना रुचि के स्थाई ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। गुरुजनों एवं शिक्षकों के प्रति विनय-भाव रखना छात्रों का दूसरा अनिवार्य गुण है ।

अध्ययनशील छात्र विनयी होते हैं। जो विनयी होगा वह अनुशासनहीन नहीं हो सकता । अनुशासन का शाब्दिक अर्थ कठोर बन्धन नहीं है। यह तो सबकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाये गये नियमों का पालन है।

छात्रों में अच्छे-बुरे की पहचान कर पाने का विवेक होना आवश्यक है। मनुष्य यह कुछ तो जन्म से पाता है और कुछ अच्छे अनुशासन में सीख जाता है। भले-बुरे का ज्ञान हो जाने पर छात्र समय जैसी बहुमूल्य वस्तु का सदुपयोग सीख पाते हैं। ये जान जाते हैं कि बीता समय लौटकर नहीं आ सकता। विद्यार्थी का एक-एक क्षण अमूल्य निधि है।

धैर्य और सहनशीलता छात्रों का एक और आवश्यक गुण है। छात्रों के जीवन में ऐसे बहुत से क्षण आते हैं, जब उन्हें अपना भविष्य दिखाई नहीं देता या अब तक का सारा परिश्रम व्यर्थ लगने लगता है; परन्तु धीरज का सहारा लेकर आदर्श छात्र अपना प्रयत्न जारी रखता है। वह अपनी चेष्टाओं से नहीं डिगता और उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करता है। आदर्श छात्र ही आदर्श मनुष्य बनता है।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध- Essay on Student and Discipline in Hindi

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Essay on Ideal Student in Hindi ( 300 words )

आज का विद्यार्थी ही कल का राष्ट्र-निर्माता है। अतः देश के प्रत्येक विद्यार्थी का जीवन आरम्भ से ही आदर्शपूर्ण होना चाहिए। आदर्श क्या है ? आदर्श विद्यार्थी किसे कहते हैं ? इसके उत्तर में कहा जा सकता है कि जिन श्रेष्ठ गुणों के कारण समाज का निर्माण होता है और जिन सात्विक गुणों का समाज में आदर होता है, उनके समूह को ही आदर्श कहते हैं। इसी प्रकार सुशील, विनम्र, आज्ञाकारी, अनुशासन प्रिय, अध्ययनशील, सदाचारी विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।

आदर्श विद्यार्थी में अनेक गुण होने चाहिए। आदर्श छात्र का पहला गुण सुशीलता और सच्चरित्रता है। समाज में उसी व्यक्ति को आदर मिलता है, जो सुशील और सच्चरित्र हो। विद्वान् या धनवान् होने पर भी यदि कोई चरित्रहीन है तो उसे कोई आदर नहीं देता।

आदर्श छात्र का दूसरा गुण नम्रता व अनुशासन प्रियता है। नम्रता से व्यक्ति अनेक सद्गुणों को सीखता है। अनुशासन और आज्ञाकारिता के गुण नम्रता के साथ ही स्वाभाविक रूप से आ जाते हैं। गुरुजनों की सेवा भी आदर्श विद्यार्थी का उत्तम गुण है।

एक आदर्श छात्र में संयम का होना भी आवश्यक है। संयम से छात्र में एकाग्रता आती है। विद्यार्थी को स्वाद में, बनाव-शृंगार में, मनोरंजन में (सिनेमा आदि में), क्रोध में संयम से काम लेना चाहिए।

नियमितता आदर्श छात्र का अन्य गुण है। उसे अपना प्रत्येक कार्यअध्ययन, भोजन, खेल-कूद और निद्रा—नियमित समय पर ही करना चाहिए।

आदर्श छात्र को कुसंगति से बचना चाहिए और सुसंगति अपनानी चाहिए। उसे अपने सहपाठियों के हित के लिए तत्पर रहना चाहिए और उनके प्रति स्नेह-भाव रखना चाहिए।

‘सादा जीवन और उच्च विचार’ एक आदर्श छात्र का सिद्धान्त होना चाहिए। इसी प्रकार उसे स्वावलम्बी भी होना चाहिए; अपना प्रत्येक कार्य उसे स्वयं ही करना चाहिए। आदर्श छात्र का सबसे बड़ा गुण विद्या ग्रहण करना है। उसे अपना अधिक समय विद्याध्ययन में ही लगाना चाहिए। उक्त गुणों के अतिरिक्त मधुर भाषण करना, सत्य बोलना, गुण ग्रहण करने के लिए तत्पर रहना आदर्श छात्र के अन्य गुण हैं। इनसे ही वह सम्मान तथा सफलता प्राप्त करता है।

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Chatra Par Nibandh ( 400 words )

रूपरेखा-1. भूमिका, 2. पुरातन काल में जीवन का विभाजन, 3. आदर्श विद्यार्थी के कर्त्तव्य, 4. उपसंहार ।

विद्या मानव मन को प्रकाशित करने वाला अत्युत्तम साधन है | इस साधन की प्राप्ति का एक विशेष समय होता है, एक अवस्था होती है । यह विद्यार्थी जीवन कहलाती है। विद्या का इच्छुक विद्यार्थी कहलाता है । जो विद्यार्थी इस समय में अपने आदर्शों एवं गुणों को स्थिर रखता है, वह आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।

पुरातन काल में मानव जीवन बड़ा ही व्यवस्थित था । वह चार आश्रमों में । विभाजित था। पहला आश्रम ‘ब्रह्मचर्याश्रम कहलाता था । इसमें विद्यार्थी 25 वर्ष तक विविध प्रकार की शिक्षा गुरुकलों में रहकर ग्रहण किया करता था। वहां का वातावरण इतना शुद्ध और सुन्दर होता था कि विद्यार्थी के जीवन में सद् भावनाओं, सदाचार, संयम और पारस्परिक स्नेह का संचार हो जाता था। इस काल में आदर्श विद्यार्थी वह कहलाता था, जिसमें कौवे की चेष्टा, बगुले का सा ध्यान, कुत्ते की सी निद्रा, अल्पाहार करने और घर से दूर रहने की आदत हो ।

आज के युग में परिस्थितियों के परिवर्तन के साथ-साथ शिक्षा पद्धति में भी परिवर्तन आ गया है । गुरुकलों और आश्रमों के स्थान पर विद्यालय और महाविद्यालय बन चुके हैं। इनमें निकला हुआ उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी ही आदर्श विद्यार्थी कहलाता है। आजे का आदर्श विद्यार्थी वह है जो शिक्षण संस्था कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेता हो और अपने संगी साथियों में नेता के नाम से प्रसिद्ध हो । अनेक प्रतियोगिताओं में पुरस्कार विजेता हो । अपने संभाषण से दूसरे को यथाशीघ्र प्रभावित कर सकता हो । खेल-कूद में भी चैम्पियन हो भले ही सद् भावनाओं, सदाचार, विनय, सादगी, गुरुभक्ति आदि गुणों से दूर हो ।

कुछ भी हो पीतल में स्वर्ण की क्षमता नहीं आ सकती। स्वर्ण तो स्वर्ण ही होता है । पीतल अग्नि को नहीं सहन कर सकता जबकि स्वर्ण के लिए वही अग्नि उसकी कसौटी है। आज के युग के आदर्श विद्यार्थी पीतल की सी ही चमक-दमक रखते हैं। उनके जीवन का प्रसाद बालू की दीवारों के सहारे खड़ा है। कुछ समय के लिए वे बेशक किसी को भी प्रभावित कर लेते हों, पर उसमें स्थिरता नहीं ला सकते; जबकि आदर्श विद्यार्थी कुन्दन की तरह होता है । सद् व्यवहार, विनय, शील, संयम, ब्रह्मचर्य, नियमितता, सत्यता और ईमानदारी से उसका जीवन ओत-प्रोत होता है। उसके जीवन की सीमा मर्यादित होती है। और विद्या का वर्णन करना ही उसकी साधना होती है। वास्तव में आदर्श विद्यार्थी का जीवन दूसरों के लिए एक आदर्श होता है ।

10 Lines on Discipline in Hindi

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh ( 500 words )

1. आदर्श विद्यार्थी कौन? 2. बुद्धिमान होना, न कि किताबी कीड़ा। 3. मेहनती, अनुशासनप्रिय एवं हँसमुख। 4. खेल-कूद तथा पढ़ाई में बराबर तारतम्य। 5. उसके उद्देश्य, उसका व्यक्तित्व। 6. निर्भीक, उत्तरदायी, कर्तव्यनिष्ठ।

आदर्श विद्यार्थी कौन है? कुछ लोग सोचते हैं कि जो छात्र मेधावी तथा सफल छात्रों में सर्वोपरि है, वही आदर्श विद्यार्थी है। लेकिन यह सोचना बिल्कुल गलत है। पढ़ाई में तेज और मेधावी छात्र पचास प्रतिशत तक आदर्श विद्यार्थी हो सकता है। मेधावी छात्र अपने आपको सबसे श्रेष्ठ दिखाने की चेष्टा करता है। कभी-कभी बुद्धिमान् विद्यार्थी भी एक किताबी-कीड़ा बनकर रह जाता है। लेकिन एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा परिश्रमी, उदार तथा सभ्य होता है। वह बुद्धिमान् होता है, व्यावहारिक होता है और अध्ययन के अलावा विद्यालय की अन्य गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा प्रसन्नचित्त, सकारात्मक सोच वाला, आशावादी, सहयोग करने वाला, अनुशासित तथा परिश्रमी होता है। वह आज्ञाकारी तथा सभी का आदर करने वाला होता है। वह गुरुजनों, अपने से बड़े-बुजुर्गों एवं वरिष्ठ विद्यार्थियों का सम्मान करता है। वह हमेशा नियमित, नियमनिष्ठ, सहयोगकर्ता तथा सहपाठियों की सहायता करने वाला होता है। वह अपना खाली समय पुस्तकालय में या पुस्तकें, पत्रिकाएँ तथा समाचार-पत्र पढ़ने में बिताता है; लेकिन वह किताबी-कीड़ा नहीं होता। समय-समय पर वह खेल-कू दों और सामूहिक गतिविधियों में हिस्सा लेता है। वह अपने स्वास्थ्य तथा पढ़ाई को कभी नजरअंदाज नहीं करता है। वह अपने व्यक्तित्व को निखारने और चमकाने के लिए विशेष प्रयत्न करता है। वह अपने नैतिक चरित्र तथा व्यक्तित्व में हमेशा वृद्धि करता है। वह हमेशा मित्रवत व्यवहार करने वाला, दयालु तथा प्रत्येक कार्य में सहयोग करने वाला होता है। मित्रों तथा अध्यापकों का वह स्नेह भाजन बनता है।

आदर्श विद्यार्थी सदैव क्रियाशील, सजग, साफ-सुथरे कपड़े पहनने वाला, शिष्टाचारी एवं विनम्र होता है। वह कभी महँगे तथा फैशन वाले कपड़े नहीं पहनता। वह अच्छे स्वास्थ्य वाला, प्रसन्नचित्त तथा अच्छाई को ग्रहण करने वाला होता है। उसे फैशनपरस्त तथा दिखावे की कोई जरूरत नहीं होती। उसके विचार स्वागत योग्य होते हैं। वह जहाँ भी जाता है, वहीं भाईचारा तथा आपसी सौहार्द फैलाता है। वैसे तो वह हमेशा ही आज्ञाकारी होता है, पर कभी-कभी छोटी-मोटी शरारतें भी कर देता है। वह प्रत्येक अच्छी चीज का आनन्द लेता है, जीवन में आधुनिकता लाता है, मगर बुरी आदतों से दूर रहता है। वह गन्दे लोगों की संगति कभी नहीं करता है।

उसका मुख्य लक्ष्य अपने व्यक्तित्व का चहुंमुखी विकास करना होता है। वह स्वास्थ्य रक्षा तथा शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करता है। एक आदर्श विद्यार्थी अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्वों के प्रति सदैव सतर्क रहता है। वह अपने माता-पिता, गुरुजनों तथा समाज का आभार व्यक्त करता है। वह मिलने वाले अवसरों का भरपूर लाभ उठाता है। वह अपने समय का उपयोग बुद्धिमत्तापूर्वक, योजनाबद्ध रूप में तथा समय को धन समझकर करता है। वह यह जानता है कि विद्यार्थी ही भविष्य के नागरिक, राजनेता, वैज्ञानिक तथा माता-पिता हैं। वह हमेशा अपनी मातृभूमि, ऐतिहासिक धरोहर, संस्कृति एवं सभ्यता पर गर्व महसूस करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी सामाजिक तथा जनकल्याण की गतिविधियों में बराबर हिस्सा लेता है। वह समस्त संसार को स्वर्ग बनाना चाहता है। वह अपने राष्ट्र के महान् स्त्री-पुरुषों के रहन-सहन, शिक्षाओं एवं उनके विचारों का गहराई से अध्ययन करता है और उनको जीवन में अपनाकर उनपर चलने की कोशिश करता है। वह कभी अपने सतपथ से भटकता नहीं है। अतः एक आदर्श विद्यार्थी में उपर्युक्त सभी गुण होने चाहिए।

———————————–

दोस्तों इस लेख के ऊपर Adarsh Vidyarthi ( आदर्श विद्यार्थी पर निबंध ) आपके क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi!

विद्‌यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है । इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं । अत: विद्‌यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्‌गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माँ-बाप व विद्‌यालय का नाम ऊँचा करता है । वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्‌यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है । वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं । इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियाँ तथा अन्य उपयोगी बातें भो होती हैं ।

ADVERTISEMENTS:

एक आदर्श विद्‌यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्व देता है । वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है क्योंकि प्रसिद्‌ध उक्ति है:

”उद्‌यमेन ही सिद्‌धयंति कार्याणि न मनोरथे,

न हि सुप्तस्य सिहंस्य प्रविशंति मुखे मृगा: । ”

आदर्श विद्‌यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है । वह उनके हर आदेश का पालन करता है । अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथव याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक पढ़ता है ।

कक्षा में जब भी अध्यापक पढ़ाते हैं तब वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है । वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है । गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है ।

किसी भी विद्‌यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परंतु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है । अत: एक आदर्श विद्‌यार्थी पढ़ाई के साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्व देता है । खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है । इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है ।

खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है ।

एक आदर्श विद्‌यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है । वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परंतु परस्पर ईर्ष्या व द्‌वेष भाव से सदैव दूर रहता है । अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है ।

अपने सहपाठियों के प्रति बह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है । इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है । वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है ।

सारांशत: वह विद्‌यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्‌गुणों को निरंतर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है वही एक आदर्श विद्‌यार्थी है । उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें ।

क्योंकि किसी भी विद्‌यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचरित होती रहती है:

“काक चेष्टा बकोध्यानम् श्वान निद्रा तथैव च ।

अल्पाहारी गृहत्यागी विद्‌यार्थी पंच लक्षणम्) ।।”

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Hindi Essay

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh 500 Words | Essay on Ideal Student in Hindi | PDF

Adarsh vidyarthi par nibandh.

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh 500 + Words (Download PDF) Essay on Ideal Student in Hindi for class 5, 6, 7, 8, 9, 10 – आदर्श विद्यार्थी होना सभी विद्यार्थी का सपना होता है और आदर्श बनने के लिए पूरा प्रयत्न करता है, लेकिन सभी विधार्थी, एक आदर्श विद्यार्थी नहीं बन सकते है क्योंकि उसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है। एक आदर्श विद्यार्थी में क्या आदते और गुण होने चाहिए, आइए जानते है इस निबंध के माध्यम से, तो शुरू करते है – Adarsh Vidyarthi Par Nibandh Hindi

प्राचीन काल में, यहाँ चार आश्रमों की व्यवस्था की गई थी, ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, बनप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम। जीवन के पहले 25 वर्ष ब्रह्मचर्य आश्रम के लिए निर्धारित किए गए थे। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करता था। सीखने की प्रगति की इस अवधि को छात्र जीवन कहा जाता था।

आज भी जीवन की प्रारंभिक अवस्था ज्ञान प्राप्ति की अवस्था है। वैसे तो ज्ञान हर स्तर पर मिलता है, लेकिन जीवन के शुरूआती दौर में जब वह ज्ञान हासिल करने के लिए स्कूल जाता है। उस अवस्था को विद्यार्थी जीवन कहते हैं।

अर्थ और महत्व

विद्यार्थी शब्द अपने आप में बहुत व्यापक अर्थ प्रकट करता है, लेकिन सामान्य अर्थ में यह एक मिश्रित शब्द है जो विद्या और अर्थ दो शब्दों के मेल से बना है। विद्या का अर्थ है कि जो ज्ञान चाहता है वह छात्र कहलाता है। हालांकि, हर इंसान जीवन भर एक छात्र है।

हर इंसान कदम-कदम पर बहुत कुछ सीखता रहता है, लेकिन सरल अर्थ में जो बच्चा स्कूल जाकर ज्ञान सीखता है, वह विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन समस्त मानव जीवन की आधारशिला है। जिस पर हमारे जीवन का भव्य भवन विराजमान है। इसलिए विद्यार्थी जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।

जीवन की मधुर अवस्था

विद्यार्थी जीवन को जीवन का मधुर चरण कहा जा सकता है। यह जीवन की खुशी और आनंद की स्थिति है। इस जीवन में दुःख और चिंताएँ क्षणिक होती हैं जो पानी के बुलबुले की तरह होती हैं और गायब हो जाती हैं। इस जीवन में व्यक्ति खेल-कूद कर, खेलते जीवन का भरपूर आनंद उठाता है।

एक आदर्श छात्र को पढ़ाई में कोई दुख या चिंता नहीं होती है। यही उसका कर्तव्य है। कर्तव्य पालन से दु:ख और चिन्ता का प्रश्न ही नहीं उठता। वह जीवन भर छात्र के जीवन की सभी गतिविधियों को याद रखता है और उन्हें याद करके ही आनंद की अनुभूति करता है। इसलिए यह जीवन की मधुर अवस्था है।

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इसकी अपनी एक अलग मिठास होती है जो जीवन भर मिठास देती रहती है। इसलिए हर विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपने खुशी के पलों को मधुरता में बिताएं। इस जिंदगी में एक अजीब सा मजा है जो दोबारा नहीं मिलता।

छात्र जीवन की विशेषता

सभी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करना विद्यार्थी जीवन की प्रमुख विशेषता है। विद्यार्थी को हर पल कुछ न कुछ सीखना होता है। केवल किताबी ज्ञान प्राप्त करना विद्यार्थी जीवन का अंत नहीं है। अभी विद्यार्थी का परम कर्तव्य है कि वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त कर अपने सर्वांगीण विकास का विकास करे। आजकल स्कूलों में हर तरह के साधन उपलब्ध हैं जिनसे वे अपना ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र के लक्षण

यहाँ विद्यार्थी के लिए पाँच विशेषताएँ प्रतिपादित की गई हैं, जो इस प्रकार हैं, विद्यार्थी को कौवे की तरह खोजने का प्रयास करना चाहिए, बगुले की तरह ध्यान केंद्रित करना चाहिए, कुत्ते की तरह नींद में सतर्क रहना चाहिए और भोजन और ब्रह्मचर्य जैसे अन्य गुणों से संपन्न होना चाहिए। आदि।

ये उपरोक्त लक्षण पिछले युग के छात्र के लिए निर्धारित किए गए थे, लेकिन आज भी छात्र में मौजूद होने चाहिए। क्योंकि इन गुणों के होने से विद्यार्थी सही ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम होता है। किसी भी चीज को सीखने के लिए एकाग्रचित होना नितांत आवश्यक है। अधिक खाना, अधिक सोना ज्ञान प्राप्ति में बाधक है।

छात्र की जिम्मेदारी

विद्यार्थी पर अपने भविष्य के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए स्वयं को उज्ज्वल गुणों में ढालना पड़ता है। वह जिन गुणों, आदतों और दृष्टिकोणों में ढल जाता है, वे उसके लिए दिशा बन जाते हैं। उसे बुरे व्यसनों और बुराइयों से खुद को बचाना होगा क्योंकि वह उसकी भविष्य की आदत में बदल जाता है।

इसके अलावा छात्र पर आज भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। छात्र की मुख्य जिम्मेदारी अपने स्कूल में सार्वजनिक वस्तुओं की रक्षा करना है, उन्हें अपनी वस्तु के रूप में मानना। उस पर भविष्य का बहुत बड़ा बोझ है जिसे उसे बड़े कर्तव्य के साथ निभाना है।

ये भी देखें – Essay on Discipline in Hindi

आज का छात्र देश का भावी नेता है। देश को आगे ले जाने के लिए जब छात्र जागरूक होंगे तभी देश प्रगतिशील विकास की ओर अग्रसर होगा।

एक आदर्श विद्यार्थी को अपने कर्तव्य पालन में सदैव जागरूक रहना चाहिए। अनुशासित जीवन विद्यार्थी को प्रगति के शिखर पर ले जाता है। दूसरा विद्यार्थी दूसरों से सीखता है तो दूसरी ओर अपने आदर्श गुणों से दूसरों को प्रभावित करता है। उस देश के समाज की भविष्य की प्रगति का अंदाजा उस छात्र को देखकर ही लगाया जा सकता है। इसलिए विद्यार्थी को रोल मॉडल बनना चाहिए।

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Q&A. Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

एक आदर्श विद्यार्थी में क्या गुण होने चाहिए.

उत्तर – किसी भी अच्छे छात्रों में कुछ गुण होते हैं जो इस प्रकार है –

  • विनम्र होना चाहिए।
  • विद्यार्थीयो को अनुशासित होतना चाहिए। 
  • एक विद्यार्थीयो को पढ़ाई या किसी भी कार्य के प्रति मेहनती होना चाहिए।
  • सभी विद्यार्थीयो को समय की कद्र करनी चाहिए।
  • आश्वस्त होना चाहिए।

एक आदर्श छात्र की क्या भूमिका होती है?

उत्तर – एक आदर्श विद्यार्थीयो हमेशा पढ़ाई के साथ खेल में भी सक्रिय होना चाहिए। एक विद्यार्थी हमेशा समय के पाबंद होता हो और खेलों में भाग लेता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपना सारा प्रयास करता है। साध ही उसमे अच्छी आदतों का विकास होता है और  सही समय पर सही काम करते हैं।

एक अच्छा शिक्षार्थी कैसा दिखता है?

उत्तर – एक अच्छा शिक्षार्थी दुसरो की बात सुनता है। किसी भी मिली जानकारी का विश्लेषण करता हैं, उसे पड़ता है और उसका मूल्यांकन करता हैं। वह अपना कार्य समय पर पूरा करता है तथा हमेशा उत्तीर्ण होता है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Adarsh Vidyarthi in Hindi

Essay on Adarsh Vidyarthi in Hindi

आदर्श विद्यार्थी जीवन पर हिंदी में निबंध | Essay on Adarsh Vidyarthi (Ideal Student) in Hindi | Adarsh Vidyarthi Par Nibandh Lekhan

संस्कृत की एक सूक्ति है “सुखार्थी वा त्यंजेत विदधाम, विद्धार्थी वा त्यंजेत सुखम” अर्थात यदि तुम विद्यार्थी विद्या के इच्छुक बनना चाहते हो तो सुख छोड़ देना चाहिए और यदि सुख चाहते हो तो विद्या छोड़ दो. सुक्तिकार ने विद्यार्थी को कितनी अच्छी शिक्षा दी जाए विद्यार्थी को एकाग्र मन होकर अध्ययन की ओर ही ध्यान देना चाहिए. संसार में जितने भी सुख है उनकी ओर ध्यान नहीं देना चाहिए.

आज हम देखते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों की सुख सुविधा जुटाने में व्यस्त रहते हैं उनका विचार है कि बच्चे को सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त होगी तो वह पढ़ाई लिखाई मन लगाकर करेगा. माता-पिता की धारणा विद्यार्थी जीवन के बिल्कुल विपरीत है. विद्या सुख सुविधा प्रदान करने से नहीं बल्कि कष्ट सहन करने के अभ्यास से आती है.

सोने के लिए अच्छे से अच्छा प्रबंध करना विद्यार्थी जीवन में नितांत विपरीत है. विद्यार्थी को तो जाग्रत रखने का प्रबंध करना चाहिए इसी प्रकार संपूर्ण सुख सुविधाएं विद्या प्राप्ति की विरोधी है.

एक अच्छा आदर्श विद्यार्थी (Adarsh Vidyarthi) जीवन वही है जो भौतिक सुखो की और जरा भी ध्यान ना दें क्योंकि यह भौतिक सुख उसे आलसी एवं निंद्रालू बनाकर उसका ध्यान विद्या अभ्यास से हटा देते हैं. एक आदर्श विद्यार्थी की चेष्टाएँ कौवे की तरह होनी चाहिए. जहां कहीं भी विद्या धन प्राप्ति का अवसर हो वह उस और अपना ध्यान आकृष्ट करें. कौवे की निगाह सर्वत्र दौड़ती रहती है उसी प्रकार विद्यार्थी भी सब ओर से ज्ञान प्राप्ति के लिए सतर्क रहे. ज्ञान मात्र पुस्तकों का कीड़ा बनने से नहीं अपितु सर्वत्र निगाहे दौड़ने से, सभी चीजों का अच्छी तरह निरिक्षण करने से व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति होती है. अतः एक अच्छे विद्यार्थी की चेष्टाएं सर्वत्र गामिनी होनी चाहिए.

विद्यार्थी का ध्यान बगुले की तरह एकाग्र होना चाहिए जैसे बगुले का ध्यान इधर-उधर नहीं अपने शिकार मछली की और रहता है उसी प्रकार विद्यार्थी का ध्यान सब कुछ देखते हुए भी विद्या प्राप्ति पर केंद्रित होना चाहिए. हर समय सोते जागते खाते-पीते खेलते कूदते हुए भी उसको विद्या संग्रह की ओर प्रवृत होना चाहिए.

एक आदर्श विद्यार्थी को आलसी और प्रमादी नहीं होना चाहिए. खूब खाना और खूब सोना इन दोनों बातों से विद्यार्थी को बचना चाहिए नीतिकारों का तो कथन है कि विद्यार्थी की नींद कुत्ते की तरह होनी चाहिए जरा सी आहट होने पर ही उठ जाता है कम सोता है सोता भी है तो बहुत गहरी नींद में नहीं सोता उसी प्रकार एक अच्छा आदर्श विद्यार्थी (Adarsh Vidyarthi) भी जब लोग सोते हैं तो यह जागकर पढ़ता रहता है सोते हुए भी उसे जल्दी अपने अध्ययन के समय पर उठ जाना चाहिए यह सोने के लिए नहीं सोता अपितु अपनी विद्या अभ्यास की थकान मिटाने के लिए सोता है.

एक आदर्श विद्यार्थी को कम और सादा भोजन करना चाहिए नीतिकार का कथन है कि विद्यार्थी को अल्पाहारी होना चाहिए बहुत अधिक भोजन करने से नींद और आलस से बढ़ते हैं आलस्य और नींद दोनों ही विद्यार्थी के लिए विद्या अध्ययन में बाधक है. अतः एक आदर्श विद्यार्थी को अल्पाहारी होना चाहिए.

एक आदर्श विद्यार्थी घर के सुकून से विरक्त रहता है घर के सभी सुख विद्यार्थी जीवन के बाधक होते हैं इसलिए समझदार अभिभावक छात्रों को छात्रावास में रखते हैं. प्राचीन काल में गुरुकुल पद्धति भी इसलिए प्रचलित थी यहां तक कि राजा महाराजाओं के पुत्र भी गुरुकुल में पढ़ने आते थे विद्यार्थी की जो दिनचर्या होनी चाहिए. उस दिनचर्या के पालन में घर बाधक है नीतिकार कहते हैं कि एक अच्छे विद्यार्थी को घर को छोड़कर एकांत में जाकर विद्या अध्ययन करना चाहिए परंतु आज के युग में जबकि गुरुकुल प्रणाली समाप्त प्राय है गृहत्यागी का अर्थ किया जाता है घर के ऐशो आराम की परवाह न करने वाला. एक आदर्श विद्यार्थी (Adarsh Vidyarthi) को घर में रहते हुए भी जल में कमल की तरह घर के झंझट से निर्लिप्त होना चाहिए.

विद्या की प्राप्ति बहुत दुर्लभ है किसी दुर्लभ वस्तु की प्राप्ति के लिए बहुत प्रयास करने पड़ते हैं. उसी प्रकार विद्या प्राप्ति के लिए भी एक आदर्श विद्यार्थी को अपने को बहुत कड़े नियंत्रण, अनुशासन, आत्मानुशासन में रखना चाहिए.

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बचपन में स्कूल को लेकर मन में डर बैठा रहता था। ऐसा लगता था कि अगर होमवर्क पूरा नहीं हुआ तो मेरी टीचर मुझे कितना ज्यादा डांटेगी। क्लास में जब भी बच्चों को अच्छी रैंक लाते हुए देखती तो उस समय भी मेरा मन उदास हो जाता था कि मैं आदर्श विद्यार्थी (adarsh vidyarthi) क्यों नहीं हूं? फिर एक दिन मेरी टीचर ने मुझे समझाया कि मुझे उदास नहीं होना चाहिए। हर कोई छात्र में अलग-अलग खूबियां होती है। उन्होंने मुझे यह भी कहा कि माना कि मैं अच्छी रैंक को छोड़कर बाकी सभी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेती हूं।

जब एक बालक जन्म लेता है तो उसके जन्म के साथ साथ उसके लिए भविष्य की जिम्मेदारियों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। एक बालक के जीवन में सबसे पहली बड़ी जिम्मेदारी विद्यार्थी के रूप में आती है। जब एक बच्चा शिशु से बालक की ओर बढ़ता है तो उसे एक आदर्श विद्यार्थी (adarsh vidyarthi) के रूप में स्कूल भेजा जाता है। सभी माता पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करें। तो आज हमने तैयार किया है आदर्श विद्यार्थी पर निबंध तो आइए पढ़ते हैं।

आज का यह युग भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा वाला बन चला है। आज दुनिया के हर एक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है। जहां देखो वहां लोग एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं। 21वीं शताब्दी का यह दौर ही ऐसा बन पड़ा है। हर एक मनुष्य के मन में हर पल हलचल बनी रहती है। एक मनुष्य अपने जीवन में सबसे अहम भूमिका में तब आता है जब वह एक विद्यार्थी बनता है। एक विद्यार्थी का जीवन अलग ही होता है। स्कूल में सब उम्मीद करते हैं कि एक छात्र बहुत ही मेहनती और अनुशासन में रहने वाला हो। बचपन से ही माता-पिता यह उम्मीद करना शुरू कर देते हैं कि उनका बच्चा दूसरे बच्चों से दस गुना अच्छा प्रदर्शन करे।

एक विद्यार्थी का आदर्श होना बहुत ही जरूरी है। अगर छात्र आदर्श ना होकर अनुशासनहीनता अपनाए तो उस छात्र का भविष्य अंधकार में चला जाता है। आदर्श शब्द का अर्थ क्या होता है? दरअसल आदर्श शब्द का अर्थ है हर प्रकार की चीजों में परिपूर्ण होना। एक विद्यार्थी का भी आदर्श होना बहुत जरूरी है। जब एक विद्यार्थी आदर्श होता है तो वह अपनी कमियों को बाहर लाकर अच्छाई के गुण को अपनाता है। एक आदर्श विद्यार्थी जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब रहता है। वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी नहीं घबराता है। वह निडर होकर अपने सारे काम करता है। आज के समय में एक छात्र को आदर्श बनकर रहना बहुत ही जरूरी है।

एक आदर्श विद्यार्थी कौन होता है?

मनुष्य के जीवन में जितना महत्व शिक्षा का है उतना महत्व और किसी चीज का नहीं है। बिना शिक्षा के एक मनुष्य अधूरा ही माना जाता है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि वह उत्तम शिक्षा ग्रहण करे। और यह उचित शिक्षा उस मनुष्य को तब ही प्राप्त हो सकती है जब वह पढ़ने के लिए स्कूल जाए। स्कूल में जो शिक्षा प्राप्त होती है उससे एक इंसान हर प्रकार से परिपूर्ण बन जाता है। विद्यालय एक छात्र को हर प्रकार के आदर्शों से परिचित करवाता है। तो अब हम जानते हैं कि एक आदर्श विद्यार्थी कौन होता है?

एक आदर्श छात्र वह है जो अपनी हर प्रकार की खामियों को दूर करने की कोशिश करता है। वह अपने आप को अंदर से निखारने में विश्वास रखता है। आदर्श विद्यार्थी का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि वह केवल किताबी ज्ञान पाकर ही सब कुछ हासिल करे। उसको चाहिए कि वह हर एक चीज का असली ज्ञान प्राप्त करे। एक आदर्श छात्र अपने बुरे गुणों को दूर करके सही मार्ग की ओर प्रस्थान करता है। वह अपने गुरु के कहे सारे काम करता है। वह स्कूल में होने वाली किसी भी गतिविधियों में भाग लेने से चुकता नहीं।

आदर्श विद्यार्थी के गुण

अनुशासन- एक विद्यार्थी का सबसे खास गुण होता है अनुशासन के साथ जीवन को जीना। जब तक एक छात्र अनुशासन का पालन नहीं करता तब तक उसका उत्थान होना संभव नहीं माना जाता है। हर एक छात्र को अनुशासन का सख्ती से पालन करना चाहिए।

मेहनती- एक आदर्श विद्यार्थी इस बात का भी बहुत अच्छे से ख्याल रखता है कि वह अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए कितनी मेहनत कर रहा है। मेहनती छात्र को दुनिया में कोई भी चीज़ कठिन नहीं लगती है। स्कूल में उसको जो कुछ भी पढ़ाया जाता है वह उसे अच्छे से समझकर अच्छे अंक लाने के लिए कड़ी मेहनत करता है।

समय का आदर करने वाला – जो लोग अपने जीवन में समय का सदुपयोग करते हैं वह लोग ही दरअसल सफल हो सकते हैं। जीवन में समय का पाबंद होना अति आवश्यक है। इसके बिना जीवन असफल माना जाता है।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाला- एक आदर्श छात्र स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए जोर देता है। वह सही समय पर खाता है और सही समय पर सोता है। वह खाने पीने में भी नखरे नहीं दिखाता है। उसकी डाइट में वह सभी चीजें शामिल होती है जिससे उसके शरीर को ताकत मिले। उसके सोने का समय भी निर्धारित होता है। वह 7-8 घंटे की नींद लेता है। वह स्वस्थ जीवनशैली से कभी भी खिलवाड़ नहीं करता है।

भरोसेमंद- एक आदर्श छात्र हमेशा ही अपने सहपाठी और गुरुओं के लिए बहुत भरोसेमंद होते हैं। इस प्रकार के छात्रों पर सभी जने आंखें मूंदकर भरोसा करते हैं। आदर्श विद्यार्थी कभी भी कोई भी प्रकार के काम करने से घबराते नहीं है।

आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य क्या होता है?

जब हम विद्यार्थी जीवन में अपना कदम रखते हैं तो वह पड़ाव बहुत ही अहम होता है। जब कोई माता-पिता अपने बच्चे का दाखिला पहली बार स्कूल में करवाते हैं तो उन्हें अपने बच्चे से बहुत उम्मीदें होती है। वह अपने बच्चे के सुनहरा भविष्य का सपना संजोए रखते हैं। केवल माता-पिता ही नहीं बल्कि एक छात्र के गुरु को भी उनसे बड़ी उम्मीदें होती है। इसलिए एक विद्यार्थी का यह फर्ज बनता है कि वह अपने बड़ों के मान सम्मान में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने दे। एक आदर्श छात्र वही है जो स्कूल में पूरा मन लगाकर पढ़ाई करे।

यह उनके सुनहरे भविष्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि आज के समय में बहुत ऐसे बच्चे हैं जो बिगड़ते ही जा रहे हैं। उन्हें कई गंदी प्रकार की लत लगती जा रही है जैसे कि शराब- सिगरेट पीना, जुआ खेलना आदि। ऐसे में एक सभ्य विद्यार्थी को यह ध्यान में रखना पड़ता है कि वह कोई भी प्रकार की गंदी आदतों के शिकार ना बने। उन्हें अपना उचित लक्ष्य पता होना चाहिए। वह केवल अपनी पढ़ाई पर ही पूर्ण रूप से फोकस करें। क्योंकि ऐसा करने पर ही वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। जब वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे तो ऐसे में वह डॉक्टर और इंजीनियर बनकर इस देश और अपने बड़ों का नाम रोशन कर पाएंगे।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100 शब्दों में

एक आदर्श छात्र से हम सभी यह उम्मीद करते हैं कि एक आदर्श विद्यार्थी को सही मार्ग का पालन करना चाहिए। छात्र जीवन एक ऐसा अहम पड़ाव होता है जब हमें बहुत सी चीजों का ज्ञान और अनुभव होता है। विद्यार्थी जीवन के चलते हम पर किसी भी प्रकार की कुसंगति का असर नहीं पड़ना चाहिए। उसे हमेशा यही कोशिश करनी चाहिए कि कैसे वह दूसरे छात्रों के लिए भी एक मिसाल बने। जब एक छात्र आदर्श विद्यार्थी की तरह पेश आता है तो वह हर किसी का चहेता बन जाता है।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 200 शब्दों में

जब एक इंसान एक छात्र के रूप में अपने जीवन की शुरुआत करता है तो उसे कई सारी चीजों के बारे में सोचना पड़ता है। उसके माता-पिता उसे स्कूल में दाखिला दिलवाने के बाद यही समझाते हैं कि उसे कभी भी कोई भी तरह की परिस्तिथियों में हारना नहीं है। एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्कूली जीवन में हर तरह की गतिविधियों में आनंदपूर्वक शामिल होता है। उसे स्कूल द्वारा दी गई कोई भी गतिविधि बोझ नहीं लगती है।

आज के समय में जहां छात्र गला काट प्रतिस्पर्धा में लगे हैं वहां कोई ऐसे छात्र भी होते हैं जो अपने जीवन को मूल्यों के साथ जीते हैं। ऐसे छात्र आदर्श विद्यार्थियों की श्रेणी में आते हैं। वह अपने जीवन में सिद्धांतों को लेकर चलते हैं। स्कूल में होने वाली सारी तरह की प्रतियोगिताओं में वह बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

ऐसे आदर्श विद्यार्थियों को देखकर दूसरे बच्चों के मन में भी उनके प्रति आदर और सम्मान का भाव पैदा हो जाता है। वह अपने कक्षा और पूरी स्कूल में सबके चहेते बन जाते हैं। आदर्श विद्यार्थी बनकर एक छात्र दूसरों के लिए मिसाल कायम करता है। वह अपने सभी साथी लोगों के उत्थान के बारे में सोचता है।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 300 शब्दों में

अगर हमें कोई बड़ी चीज हासिल करनी है तो हमें यह चाहिए कि हम उसे पाने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करें। हमें अपना लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब हम उसे पाने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करें। विद्यार्थी जीवन में भी यही चीज सबसे ज्यादा मायने रखती है।

हम सभी अपने विद्यार्थी जीवन में यही सोचते हैं कि कैसे हमें एक आदर्श विद्यार्थी बनने का मौका हासिल हो। इस स्थान तक पहुंचने के लिए हमें बहुत कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। इस स्थान को हासिल करने के लिए हमें बहुत सी चीजों का पालन करना पड़ता है जैसे ईमानदारी, सकारात्मकता, उत्सुकता, मेहनती और लक्ष्य निर्धारण आदि।

अगर हम यह सोचते हैं कि कैसे कोई छात्र इतना अनुशासित और आदर्श बन जाता है तो यह कोई मुश्किल काम नहीं है। दरअसल कोई भी मनुष्य पैदा होते ही सारे गुण नहीं सीखता है। उसे आदर्श छात्र बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उसे कक्षा में हमेशा सचेत रहना पड़ता है।

उसे स्कूल के द्वारा दिए गए हर कार्यों को उचित समय पर पूरा करना पड़ता है। उसे अपने गुरु और क्लास के बच्चों के साथ अच्छा तालमेल बैठाना पड़ता है। यह सारे गुण अपनाकर ही वह एक आदर्श विद्यार्थी की श्रेणी में आ सकता है। आदर्श छात्र अपने माता-पिता और अपने गुरुओं की आंखों का तारा बन जाता है। समाज में भी उसी की ही वाहवाही होती है।

तो आज के इस निबंध के माध्यम से हमने यह जाना कि असल में आदर्श विद्यार्थी कौन होता है। हमने यह सीखा कि एक अच्छा छात्र बनने के लिए हमें कौन कौन से गुणों की आवश्यकता पड़ती है। बहुत से माता पिता ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने बच्चों में हमेशा ही कोई ना कोई कमी महसूस होती है। वह अपने खुद के बच्चों से संतुष्ट नहीं रहते हैं। वह उनकी तुलना दूसरे लोगों के बच्चों से करने लगते हैं। और जब ऐसा होने लगता है तो एक बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। वह हर समय अपने आप को कम आंकता है। ऐसा लंबे समय तक चलने पर एक बच्चा अंदर से पूरी तरह से टूट जाता है। यही चीज आगे चलकर घातक साबित हो सकती है। हो सकता है कि वह बच्चा कोई बड़ा गलत कदम उठा ले। इसलिए यह बहुत ही जरूरी है कि हम अपने बच्चों को समझें ताकि उनमें आत्मविश्वास पैदा हो सके। हम यह आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह निबंध बहुत पसंद आया होगा।

आदर्श विद्यार्थी पर 10 लाइनें

  • आदर्श विद्यार्थी सभी के लिए एक प्रेरणा होते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थियों को कोई भी चीज़ मुश्किल नहीं लगती है।
  • इस तरह के विद्यार्थी हमेशा मेहनत करके आगे बढ़ते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थी सदैव दूसरों की मदद करने के लिए आगे खड़े रहते हैं।
  • इस तरह के छात्र कभी भी झूठ नहीं बोलते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थियों को स्कूल की हर एक गतिविधियों में शामिल होना अच्छा लगता है।
  • यह छात्र नकारात्मक माहौल से कोसों दूर रहते हैं।
  • यह अपने जीवन को बहुत ही मूल्यवान समझते हैं और इसलिए यह कभी भी कोई गलत कदम नहीं उठाते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थी स्कूल में होने वाली खेल कूद में हिस्सा लेते हैं।
  • यह अपने माता-पिता और अपने गुरुओं की आंखों का तारा होते हैं।

आदर्श विद्यार्थी निबंध पर FAQs

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा आम विद्यार्थियों से अलग होता है। वह उन सभी बातों का ख्याल रखता है जितना एक साधारण छात्र नहीं रख सकता है। वह हमेशा अवगुणों को दूर करके सद्गुणों को अपनाता है। वह अपनी कक्षा में हर समय सचेत रहता है। उसके गुरू जो कुछ भी क्लास में पढ़ाते हैं वह उसे जल्दी ही अवशोषित कर लेते हैं। वह मन लगाकर पढ़ाई करते हैं और कक्षा में अव्वल आते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी के पांच लक्षण कौन कौन से हैं?

आदर्श विद्यार्थी के पांच लक्षण 1) अनुशासन 2) जिज्ञासा 3) सहायता प्रेमी 4) संयम 5) समय का पाबंद

एक छात्र कैसे सफल बनता है?

एक सफल छात्र हमेशा ही देश को ताकतवर और प्रगति की ओर ले जाता है। वह एक सुनहरे भविष्य का निर्माण करता है। एक विद्यार्थी तभी सफल बन सकता है जब वह अपने जीवन में हर एक चीज को व्यवस्थित रूप से करे। जैसे कि पढ़ाई के समय वह केवल पढ़ाई पर ही अपना पूरा ध्यान दे। अपने खान पान और सोने जागने के समय को सही वक्त पर पूरा करें।

विद्यार्थी का लक्ष्य क्या होना चाहिए?

एक आदर्श विद्यार्थी का यह फर्ज बनता है कि वह अपने बड़ों के मान सम्मान में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने दे। एक आदर्श छात्र वही है जो स्कूल में पूरे मन से पढ़ाई करें। यह उनके सुनहरे भविष्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100, 150, 250, 500 Words

आज हम आदर्श विद्यार्थी पर निबंध लेकर आये हैं। यह निबंध ज्यादातर स्कूल में Class 6, 8, 9 आदि में हिंदी की परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। कई बार हमें कम शब्दों में निबंध लिखने होते हैं तो कई बार हमें विस्तार से निबंध लिखना होता है। इसलिए आज हम short, medium और long सभी तरह के निबंध लेकर आये हैं। निचे आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100 शब्दों में, 150 words में, 250 और 500 शब्दों में लिखे गये हैं। हमें उम्मीद है की यह निबंध आपके काम आयेगी।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100 Words  

विद्यार्थी जीवन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस जीवन को मनुष्य जीवन की आधारशिला कहा जा सकता है। विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है और जो भी आदतें अपने जीवन में समाहित करता है वही आगे चलकर उसके जिंदगी की दिशा तय करती हैं। इस समय में विद्यार्थी अच्छी पढाई करके, अच्छा आचरण और सद्गुणों को सीखकर अपने आने वाले भविष्य को बेहतर बना सकता है। वहीँ इसके विपरीत भी हो सकता है, कुसंगति, गलत आचरण और नकारात्मक चीजों में पड़ कर व्यक्ति अपने जीवन को बर्बाद कर सकता है। हर विद्यार्थी को एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहिए क्योंकि एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा सच्चे रास्तों पर चलता है, मेहनत और लगन से पढाई कर अपने भविष्य को बेहतर बना लेता है। ऐसे सफल विद्यार्थी अन्य छात्र-छात्राओं के लिए एक आदर्श बन जाते है।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 150 Words 

एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो मेहनत और लगन से पढ़ाई करता है। आदर्श विद्यार्थी अपने गुरुओं का हमेशा सम्मान करता है, स्कूल के बनाए नियम कानून पर चलता है। वह हमेशा अपने से बड़ों का आदर करता है। स्कूल में सभी बच्चों से मिलजुल कर रहता है। ऐसे ही विद्यार्थी आदर्श छात्र कहलाते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी सद्गुणों को अपने अंदर समाहित करके, हमेशा अपने माता-पिता, गुरुजनों, और स्कूल का नाम रोशन करता है । 

वह अपने पीछे कुछ न कुछ ऐसा छोड़कर जाता है, जिसे आने वाली पीढ़ी अनुसरण करती है। उसे समय का महत्व पता होता है और सही समय पर सही काम करने वाला व्यक्ति ही आगे चलकर अपने जीवन में सफल हो पाता है। इसलिए वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपनी पढ़ाई में ही व्यतीत करता है। आदर्श विद्यार्थी की दिनचर्या में पढ़ाई का महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह सिर्फ पढाई ही नही बल्कि खेलकूद, ज्ञानवर्धक किताबें पढना, नयी-नयी चीजें सीखना, स्वस्थ खानपान आदि को भी अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करता है।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 250 शब्दों में  

एक आदर्श विद्‌यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है। वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परंतु परस्पर ईर्ष्या व द्‌वेष भाव से सदैव दूर रहता है। अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है ।एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा से अपने दोस्तों के साथ मिल जुलकर रहता है। इसके अलावा उसे पता होता है कि कैसे उसे अपने परीक्षा की तैयारी करना है। जिससे पूरे स्कूल में वह सबसे अच्छा नंबर ला सकें। 

एक आदर्श छात्र अपनी कमियों को कभी कमजोरी नही बनने देता है। अपनी कमजोरियों को अपनी सहपाठी, गुरुजनों और माता-पिता की मदद से जल्द से जल्द ठीक करने की कोशिश करता है। ऐसे विद्यार्थी खेल-कूद और प्रतियोगिताओं में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है। साथ ही जीत हासिल करना ही उसका पहला लक्ष्य होता है। आदर्श विद्यार्थी खेल कूद में भी आगे रहते है। उन्हे केवल पुस्तक का ज्ञान ही नहीं वल्कि सर्वांगीण विकास करना होता है। अत: एक आदर्श विद्‌यार्थी पढ़ाई के साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्व देता है। खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके बिना शरीर स्वस्थ और मजबूत नहीं होता है। इसका संबंध मस्तिष्क के विकास से भी है। कक्षा में पढ़ाई जानें वाली हर चीजों को आदर्श विद्यार्थी बड़े ही चाव से सुनता है और उसे अपनी जिंदगी में उतारता है । 

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 500 Words 

एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन सादा होता है। लेकिन उनके विचार बहुत उच्च होते हैं। आदर्श विद्यार्थी हमेशा से निर्भीक और निडर होते है । वह अपने कामों को लेकर हमेशा जागरूक रहता है। एक आदर्श विद्यार्थी के अंदर सकारात्मक कौशल और आदतें होती हैं जो उसे सबसे अलग बनाती हैं। आदर्श विद्यार्थी के अंदर जो सबसे बड़ी बात है वह है ईमानदारी। कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो एक आदर्श विद्यार्थी कभी भी झूठ नही बोलता है। ऐसे छात्र ही देश की समृद्धि और सर्वांगीण विकास में मदद कर सकते है। आदर्श छात्र निश्चित रूप से राष्ट्र को एक सफल भविष्य की ओर लेकर जाते है । 

प्रस्तावना  

विद्या+अर्थी से मिलकर बनता है विद्यार्थी। मतलब विद्या को अपने अंदर समाहित करने वाला। जिसमे एक अच्छे विद्यार्थी के सभी गुण पाए जाते हैं उसे आदर्श विद्यार्थी कहा जाता है। ऐसे लोग हमेशा सही मार्ग पर चलते हैं और जहां भी रहते हैं अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं। आदर्श विद्यार्थी हमेशा से अपने माता-पिता, बड़े बुजुर्गों की सेवा करने में भी आगे रहते है। उनकी द्वारा कही हुई हर बात को आज्ञा स्वरूप ग्रहण कर उसका पालन करते हैं। कोई भी विद्यार्थी जन्म के समय में आदर्श विद्यार्थी नही होता है वह समय के साथ अपने अंदर जैसे जैसे अच्छी आदतों को समाहित करता है आदर्श विद्यार्थी कहलाता जाता है। वह अपने व्यक्तित्व के विकास में रुचि रखता है। आदर्श विद्यार्थी उच्चतम चरित्र का और आशावादी होता है। वह सबके लिए एक प्रेरणास्रोत होता है।

आदर्श विद्यार्थी मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में से एक होता है। आदर्श विद्यार्थी उसे कहते हैं जो विद्यालय द्वारा बनाए गए सभी नियमों का पालन करता है, सभी शिक्षकों और गुरुजनों का सम्मान करता है। हमारे देश का भविष्य इन्ही आदर्श विद्यार्थी पर टिका हुआ है। यह जितने अच्छे से पढ़ेंगे उतने ही अच्छे से देश के विकास में अपना योगदान दे पायेंगे। एक आदर्श विद्यार्थी हर जगह अपना 100% देता है। किसी भी कार्य को वो मन लगाकर करता है और कभी अधूरा नही छोड़ता। आज इस डिजिटल की दुनिया में आदर्श विद्यार्थी बनना और भी आसान है। हम कोई भी जानकारी आसानी से ले सकते हैं, नयी-नयी चीजें सीख सकते हैं। 

निष्कर्ष  

एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए कड़ी मेहनत और तपस्या करनी पड़ती है। आदर्श विद्यार्थी सिर्फ परीक्षाओं में ही अव्वल नही आते बल्कि वे हर उस कौशल को सीखने में मेहनत लगाते हैं जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। हर माता पिता को अपने बच्चों के अंदर अच्छे गुणों को डालकर उसे अच्छा छात्र बनाने की कोशिश करना चाहिए। एक देश का विकास भी तभी संभव है जब उसके यह के छात्र, होनहार और ईमानदार होंगे। आज के समय में अपने देश में आदर्श विद्यार्थी की बहुत आवश्यकता है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबन्ध | विद्यार्थी और शिष्टाचार (Essay on Ideal Student in Hindi)

Adarsh vidyarthi par nibandh : इस विषय पर विभिन्न परीक्षाओं में निबंध का प्रश्न पूछा जाता है। इस निबंध को पढ़कर आप आसानी से आदर्श विद्यार्थी पर अच्छा निबंध लिख सकते हैं। 

Adarsh Vidyarthi par nibandh, Essay on an Ideal student in Hindi

आदर्श विद्यार्थी पर निबन्ध | विद्यार्थी और शिष्टाचार पर निबंध

संकेत बिंदु - (1) विद्या-प्राप्ति लक्ष्य (2) जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं (3) संयमित आचरण, परिश्रमी और स्वाध्यायी (4) सादा जीवन और उच्च विचार और सामाजिकता (5) सदाचार और स्वावलंबन के गुण।

जीवन का प्रथम भाग (प्रायः पच्चीस वर्ष की आयु तक) विद्योपार्जन का काल है। विद्याध्ययन करने का स्वर्णकाल है। भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनने की क्षमता और सामर्थ्य उत्पन्न करने को वेला है। अतः विद्यार्थी को विद्या की क्षुधा शान्त करने तथा जीवन-निर्वाह योग्य बनाने के लिए आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। आदर्श विद्यार्थी उत्तम विचारों का संचय करेगा, क्षुद्र स्वार्थों और दुराग्रहों से मुक्त रहेगा। मन-वचन-कर्म में एकता स्थापित कर जीवन के सत्य रूप को स्वीकार करेगा।

विद्या-प्राप्ति लक्ष्य

विद्यार्थी का लक्ष्य है विद्या-प्राप्ति। विद्या प्राप्ति के माध्यम हैं गुरुजन या शिक्षक। आज की भाषा में अध्यापक या प्राध्यापक। शिक्षक से विद्या-प्राप्ति के तीन उपाय हैं- नम्रता, जिज्ञासा और सेवा। गाँधी जी प्रायः कहा करते थे- 'जिनमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते।'

तुलसीदास ने इसी बात का समर्थन करते हुए कहा हैं, "यथा नवहिं बुध विद्या पाये।" अध्यापक के प्रति नम्रता दिखाइए और समझ न आने वाले प्रश्न को बार-बार पूछ लीजिए, उसे क्रोध नहीं आएगा। वैसे भी नम्रता समस्त सद्गुणों की जननी है। बड़ों के प्रति नम्रता दिखाना विद्यार्थी का कर्तव्य है, बराबर वालों के प्रति नम्रता विनयसूचक है तथा छोटों के प्रति नम्रता कुलीनता का द्योतक है।

जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं

जिज्ञासा के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। यह तीव्र बुद्धि का स्थायी और निश्चित गुण है। पाठ्य-पुस्तकों तथा पाठ्यक्रम के प्रति जिज्ञासा-भाव विद्यार्थी की बुद्धि विकसित करेगा और विषय को हृदयंगम करने में सहायक होगा। जिज्ञासा एकाग्रता की सखी है। अध्ययन के समय एकाग्रचित्तता पाठ को समझने और हृदयंगम करने के लिए अनिवार्य गुण है। पुस्तक हाथ में हो और चित्त हो दूरदर्शन के चित्रहार में, तो पाठ कैसे स्मरण होगा?

'सेवा से मेवा मिलती है' , यह उक्ति जग-प्रसिद्ध है। गुरुजनों की सेवा करके विद्या प्राप्ति सम्भव है। सेवा का रूप आज ट्यूशन भी हो सकता है। यदा-कदा अध्यापक द्वारा बताया गया निजी काम भी हो सकता है या किसी अन्य साधन से अध्यापक को लाभ पहुँचाना भी हो सकता है। सेवा से विमुख विद्यार्थी अध्यापक का कृपा-पात्र नहीं बन सकता। इसीलिए तो संस्कृत की एक उक्ति में कहा गया है- "गुरु शुश्रूषमा विद्या पुष्कलेन धनेन वा।" अर्थात् विद्या गुरु की सेवा से या गुरु को पर्याप्त धन देकर अर्जित की जा सकती है।

संयमित आचरण, परिश्रमी और स्वाध्यायी

विद्यार्थी को विद्या प्राप्ति के लिए अन्य आदर्श भी अपनाने होंगे। सर्वप्रथम उसे संयमित आचरण अपनाना होगा।असंयमित आचरण उसके जीवन को कभी सफल नहीं बनने देगा। मुख्यतः खाने, खेलने और पढ़ने में छात्र को पूर्णत संयम बरतना चाहिए। अधिक भोजन से सांड, अधिक खेलने से अशिक्षित और अधिक पढ़ने से किताबी कीड़े बनते हैं। उचित मात्रा में खाने, नियमित रूप से खेलने और पढ़ाई के लिए निश्चित समय देने में ही विद्यार्थी जीवन की सफलता है।

विद्यार्थी को परिश्रमी और स्वाध्यायी होना चाहिए। चाणक्य नीति का कथन है- "सुखार्थी को विद्या कहाँ, विद्यार्थी को सुख कहाँ ? सुख को चाहे तो विद्या छोड़ दे, विद्या को चाहे तो सुख को त्याग दे।"

सादा जीवन और उच्च विचार और सामाजिकता

आदर्श विद्यार्थी को 'सादा जीवन और उच्च विचार' के सिद्धान्त का पालन करना चाहिए। उसे फैशनेबल वस्त्रों, केशविन्यास और शरीर की सजावट से बचना चाहिए। कारण, ये बातें विद्यार्थी के मन में कलुषित विचार उत्पन्न करते हैं, जिससे विद्यार्थी का न केवल विद्यार्थी-जीवन ही खराब होता है, अपितु आगे आने वाला स्वर्णिम जीवन भी मिट्टी में मिल जाता है। उच्च-विचार रखने से मन में पवित्रता आती है। शरीर स्वस्थ रहता है-स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। यदि मस्तिष्क स्वस्थ है, तो संसार का कोई भी काम आपके लिए कठिन नहीं।

आदर्श विद्यार्थी को विद्यालय के प्रत्येक कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए। इससे उसके जीवन में सामाजिकता आएगी। स्कूल की साप्ताहिक सभाओं से उसे किसी विषय पर तर्कसंगत, श्रृंखलाबद्ध और श्रेष्ठ विचार प्रकट करना आ जाएगा। 'रेडक्रास' की शिक्षा से उसके मन में पीड़ित मानव की सेवा करने का भाव पैदा होगा। 'स्काउटिंग' सामूहिक कार्य करने और देश के प्रति कर्तव्य निभाने का भाव उत्पन्न करेगी।

सदाचार और स्वावलंबन के गुण

सदाचार और स्वावलम्बन आदर्श विद्यार्थी के अनिवार्य गुण हैं। यदि उसमें सदाचार नहीं तो वह अपना. विद्यार्थी-जीवन तो क्या, शेष जीवन भी सुन्दर और सफल नहीं बना सकता। दूसरे, उसमें स्वावलम्बन का भाव कूट-कूटकर भरा होना चाहिए। अपना काम स्वयं करने की आदत यदि विद्यार्थी-जीवन में नहीं पड़ी, तो भविष्य में पड़नी कठिन है। परावलम्बी मनुष्य को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, यह दिन-प्रतिदिन के व्यवहार में हम देखते हैं। अत: एक आदर्श विद्यार्थी को स्वावलम्बी बनना चाहिए। संस्कृत-साहित्य में आदर्श विद्यार्थी के पाँच लक्षण बताए गए हैं-

काक-चेष्टा वको-ध्यानं, श्वान-निद्रा तथैव च। अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच-लक्षणम्॥

विद्या-प्राप्ति के लिए कौए जैसी सतर्कता चाहिए, एकाग्र-चित्तता बगुले के समान होनी चाहिए, जरा-सी आहट पाकर टूट जाने वाली कुत्ते जैसी निद्रा होनी चाहिए, कम भोजन करना चाहिए तथा घर से दूर रहना चाहिए।

प्राचीन काल में ये लक्षण विद्यार्थी के लिए आदर्श प्रस्तुत करते रहे हों, किन्तु आज के समाज और संसार में अल्पाहारी और गृहत्यागी विशेषण अनुपयुक्त हैं। 

वस्तुत: आदर्श विद्यार्थी को विनम्र, जिज्ञासु, सेवा-भाव से युक्त; संयमी, परिश्रमी, अध्यवसायी तथा मिलनसार होना चाहिए। जीवन की सादगी और विचारों की महत्ता में उसका विश्वास होना चाहिए।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध essay on ideal student.

आदर्श विद्यार्थी वह है जो एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण करता है आदर्शता किसी मनुष्य में उपस्थित वह गुण है जो सद्बुद्धि सदचिंतन जैसे संस्कारों को परिलक्षित करती है विद्यालयों में एक छात्र के आदर्शवादी होने का प्रमाण यही है कि वह कितना अनुशासित है उसमें अपने गुरुजनों के प्रति कितना आदर एवं सम्मान है, प्रकृति जब भी जीवन का सृजन करती है तो साथ ही साथ संस्कारों का भी सृजन करती है और संस्कारों की सूची में आदर्शता प्रथम स्थान पर आती है।

जब शिशु विद्यालय जाता है तो उसे विद्यालय के नियमानुसार व्यवहार करना पड़ता है जिसकी वजह से उसके भीतर अनुशासन के बीज का बीजारोपण होता है अनुशासन पहली सीढ़ी है जो एक विद्यार्थी को आदर्श बनाने में सहायक होती है एक आदर्श विद्यार्थी विद्यालय में गुरुजनों का विशेष प्रिय होता है, एकाग्रता, हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना दूसरों के प्रति प्रेमभाव रखना सारे गुण आदर्श विद्यार्थी में ही होते हैं।

किसी भी देश की पहचान उस देश की सभ्यता एवं संस्कृति से होती है और उस सभ्यता एवं संस्कृति को जीवित एक आदर्श नागरिक ही रख सकता है भारत में ऐसे बहुत महान विचारक एवं विद्वान हुए जिन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में ही अपनी आदर्शता का ऐसा परिचय दिया की उनके शिक्षकों द्वारा उनके उज्जवल भविष्य की उद्घोषणा उनके विद्यार्थी जीवन में ही कर दी गई थी।

आदर्शता किस प्रकार एक विद्यार्थी में प्रेम, भाव, त्याग बलिदान के गुणों का विकास करती है इसे में एक छोटी सी कहानी के माध्यम से समझाना चाहूंगी जो कि हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विद्यार्थी जीवन से जुड़ी हुई है वह जिस विद्यालय में पढ़ते थे वहां उनका एक साथी बहुत ही गरीब था उसके पास विद्यालय की पोशाक तक के पैसे नहीं थे जैसे तैसे करके वह विद्यालय की फीस जमा कर पाता था विद्यालय की पोशाक ना होने की वजह से उसे शिक्षक द्वारा प्रतिदिन डांटा जाता था।

रोज रोज डांट खाने के डर से उसने विद्यालय आना छोड़ दिया उसकी अनुपस्थिति बालक नरेंद्र को बहुत अखरने लगी बालक नरेंद्र दिन-रात यही सोचा करता कि कैसे उस दोस्त की सहायता की जाए जिससे वह अपनी शिक्षा को जारी रख सकें बालक नरेंद्र भी काफी गरीब परिवार से थे तो उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसकी सहायता कर सकें उन्होंने एक युक्ति निकाली पैसा इकट्ठा करने कि उन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर एक नाटक खेला जिसे देखने के लिए गांव वाले धीरे धीरे इकट्ठा होने लगे, लोगों को नाटक बहुत पसंद आया और लोगों ने नाटक देखने के बदले कुछ पैसे दिए जिसे इकट्ठा करके बालक नरेंद्र ने अपने मित्र के लिए विद्यालय की नई पोशाक लाई और इस प्रकार उन्होंने अपने मित्र की सहायता की।

उपर्युक्त कहानी से यह तो निर्विरोध रूप से स्पष्ट हो जाता है कि जब भी कोई विद्यार्थी आदर्शता के मार्ग पर चलता है तो प्रेम सद्भावना जैसे गुण अपने आप ही उस में विकसित हो जाते हैं एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा से सत्य एवं अहिंसा के मार्ग को अपनाता है एवं उच्च विचारों को ही ग्रहण करता है।

वर्तमान समय में आदर्श विद्यार्थी की परिभाषा बदल गई है आज तो वही आदर्श विद्यार्थी है जो परीक्षा में अव्वल आता है बीते वर्षों में अंग्रेजी भाषा एवं सभ्यता ने हमें ऐसा जकड़ लिया है कि अब हम अपने बच्चों को अंग्रेजी विद्यालयों में पढ़ाने में गर्व का अनुभव होता है, आजकल बच्चों को यह तक नहीं पता है कि मां शारदा कौन है? वंदे मातरम जो पहले विद्यालयों में अनिवार्य रूप से गाया जाता था शायद इतिहास के पन्नों में अब कहीं विलुप्त होता जा रहा है अंत में यही कहना चाहूंगी कि एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण आदर्श नागरिकों द्वारा होता है और आदर्श नागरिक बनने के लिए सर्वप्रथम हमें आदर्श विद्यार्थी बनना पड़ेगा और इसकी जिम्मेवारी सिर्फ परिवार की ही नहीं अपितु विद्यालय और समाज की भी है अपने देश के गौरव एवं गरिमा को बनाए रखने के लिए आदर्श विद्यार्थी का होना अत्यंत आवश्यक है।

जागृति अस्थाना -लेखक

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Adarsh vidyarthi essay in hindi आदर्श विद्यार्थी पर निबंध.

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 300 Words

विचार-बिंदु – • विद्यार्थी के गुण • लगन और परिश्रम • सादा जीवन उच्च विचार • श्रद्धावान और विनयी • अनुशासनप्रिय • स्वस्थ और बहुमुखी • उच्च लक्ष्य।

विद्यार्थी का सबसे आवश्यक गुण है – जिज्ञासा। जिज्ञासा – शुन्य छात्र उस औंधे घड़े के समान होता है जो बरसते जेल में भी खाली रहता है। विद्यार्थी का दूसरा गुण है – परिश्रमी होना। जब जिज्ञासा और परिश्रम साथ-साथ चलते हैं तो विद्यार्थी तेजी से ज्ञान अर्जित करता है। विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह आधुनिक फैशनपरस्ती, फिल्मी दुनिया या अन्य रंगीन आकर्षणों से बचे। ये मायावी आकर्षण उसे चाहते हुए भी पढ़ने नहीं देते। विद्यार्थी को ऐसे मित्रों के साथ संगति करनी चाहिए, जो उसी के समान शिक्षा का उच्च लक्ष्य लेकर चले हों।

संस्कृत की एक सूक्ति का अर्थ है – श्रद्धावान और विनयी को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। जिस छात्र के चित्त में अपने ज्ञानी होने का घमंड भरा रहता है, वह कभी गुरुओं की बात नहीं सुनता। उसकी यह आदत उसकी सबसे बड़ी बाधा है। छात्र के लिए अनुशासनप्रिय होना आवश्यक है। अनुशासन के बल पर ही छात्र अपने व्यस्त समय का सही सदुपयोग कर सकता है। आदर्श छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल-व्यायाम और अन्य गतिविधियों में भी बराबर रुचि लेता है। वह मानवसेवा, देश-सेवा और समाज-सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर देता है।

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 700 Words

विद्यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है। इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है, वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं। अत: विद्यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माता-पिता व विद्यालय का नाम ऊँचा करता है। वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है। वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान, आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियां तथा अन्य उपयोगी बातें भी होती हैं। एक आदर्श विद्यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्त्व देता है। वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है।

आदर्श विद्यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है। वह उनके हर आदेश का पालन करता है। अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथवा याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है। वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है। गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है।

किसी भी विद्यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परन्तु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। अतः एक आदर्श विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्त्व देता है। खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है। इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है। खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।

विद्यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है। कोई भी विद्यार्थी अनुशासन के महत्त्व को समझे बिना सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। अनुशासन प्रिय विद्यार्थी नियमित विद्यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है। वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है। वह जब किसी कार्य को प्रारम्भ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है। अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा परिश्रमी होते हैं। उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं। उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्यार्थी से एक अलग पहचान दिलाते हैं।

अनुशासन केवल विद्यार्थी के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है। अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्यार्थी को विद्यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं। ये विद्यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें संभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी। अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह धैर्य और साहस के साथ करें।

एक आदर्श विद्यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है। वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परन्तु परस्पर ईर्ष्या व द्वेष भाव से सदैव दूर रहता है। अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है। अपने सहपाठियों के प्रति वह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है। इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है। वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है।

सारांश में वह विद्यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्गुणों को निरन्तर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है, वही एक आदर्श विद्यार्थी है। उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें। क्योंकि किसी भी विद्यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचार होती रहती है।

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Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi” , ” आदर्श विद्यार्थी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

आदर्श विद्यार्थी, adarsh vidyarthi.

Hindi-Essay-Hindi-Nibandh-Hindi

Essay No. 01

       अर्थ – ‘विद्यार्थी’ का अर्थ है –’ विद्या  प्राप्त करने वाला | ‘ किसी भी प्रकार की विद्या या कला या शास्त्र शीखने में लगा हुआ व्यक्ति विद्यार्थी है |

       विद्यार्थी’ के गुण – विद्यार्थी का पहला और सबसे आवश्यक गुण है – जिज्ञासा | जिसे कुछ जानने की इच्छा ही न हो, उसे कुछ भी पढ़ाना व्यर्थ होता है | जिज्ञासा-शून्य छात्र उस औंधे घड़े के समान होता है जो बरसते जल में भी खाली रहता है |

       लगन और परिश्रम – विद्यार्थी का दूसरा महत्वपूरण गुण है – परिश्रमी होना | परिश्रम के बल पर मंध्बुधि छात्र भी अच्छे-अच्छे बुद्धिमान छात्रों को पछाड़ देते हैं | इसलिए छात्र को परिश्रमी होना अवश्य होना चाहिए | जो परिश्रम की वजाय सुख-सुविधा, आराम और विलास में रूचि लेता है, वह दुर्भगा कभी सफल नहीं हो सकता |

      सादा जीवन, उच्च विचार – विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह आधुनिक फैशनपरस्ती, फ़िल्मी दुनिया या अन्य रंगीन आकर्षणों से बचे | विद्यार्थी को इसे मित्रों के साथ संगति करनी चाहिए, जो उसी के समान शिक्षा का उच्च लक्ष्य लेकर चले हों |

       श्रद्धावान एवं बिनयी – संस्कृत की एक शुक्ति का अर्थ है – श्रद्धावान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है | जिस छात्र के चित में अपने ज्ञानी होने का घमंड भरा रहता है, वह कभी गुरुओं की बात नहीं सुनता | जो छात्र अपने अध्यापकों तथा अपने से बुद्धिमान छात्रों का सम्मान नहीं करता, वह कभी फल-फूल नहीं सकता |

       अनुशासनप्रिय – छात्र के लिए, अनुशासनप्रिय होना आवश्यक है | अनुशासन के बल पर ही छात्र अपने व्यस्त समय का सही सदुपयोग कर सकता है | मनचाही गति से चलने वाले छात्र अपना समय इधर-उधर व्यर्थ करते हैं, जबकि अनुशासित छात्र समय पर पड़ने के साथ-साथ हँस-खेल भी लेते हैं |  

       स्वस्थ तथा बहुमुखी प्रतिभावान – आदर्श छात्र पढाई के साथ-साथ खेल-व्ययाम और अन्य गतिविधियों में भी बराबर रूचि लेता है | कहलों से उसका शरीर स्वस्थ बना रहता है | अन्य गतिविधियों-भाषण, नृत्य, संगीत, कविता-पाठ, एन.सी.सी. आदि में भाग लेने से उसका जीवन विकसित होता है |

       उच्च लक्ष्य – आदर्श छात्र वाही है जो अपनी विद्या-बुद्धि का उपयोग अपने तथा अपने समाज के विकास के लिए करना चाहता हो | सुभाष चंद्र बोस कहा करते थे—‘’विदेयार्थियों का जीवन-लक्ष्य न केवल परीक्षा में उतीर्ण होना या स्वर्ण-पदक प्राप्त करना है अपितु देश-सेवा की क्षमता एवं योग्यता प्राप्त करना भी है |”

Essay No. 02

संकेत बिंदु – विद्यार्थी का अर्थ आदर्श विद्यार्थी का स्वरूप – आदर्श विद्यार्थी के लक्षण – आदर्श विद्यार्थी के गुण

विद्यार्थी का अर्थ होता है-विद्या ग्रहण करने वाला (विद्या+अर्थी)। विद्यार्थी काल जीवन का सबसे सुंदर एवं महत्त्वपूर्ण भाग कहा जा सकता है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने जीवन को चार भागों में बाँटा था ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। इन चारों में ब्रह्मचर्य आश्रम को हम जीवन की नींव कह सकते हैं। यही काल विद्यार्थी जीवन है। यह वह काल है, जब मनुष्य सांसारिक चिन्ताओं और कष्टों से परे रहकर विद्या-प्राप्ति में अपना ध्यान लगाता है। आदर्श विद्यार्थी प्रात:काल उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर घूमने जाता है। वह खुले स्थान में व्यायाम भी करता है। वहाँ से लौटकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनता है। ठीक समय पर विद्यालय पहुंचता है। वह सभी अध्यापकों का आदर करता है और पढ़ाई में ध्यान लगाता है। परंतु यह सब होने मात्र से ही कोई विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी नहीं बन जाता। विद्यार्जन और सतर्कता आदर्श विद्यार्थी के गुण हैं। केवल पाठ्यपुस्तकों पर आश्रित रहने से ही विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास नहीं होता। आदर्श विद्यार्थी पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाएँ भी पढ़ता है। इससे उसका ज्ञान बढ़ता है। वह कूप-मंडूकता के दोष से बच जाता है। आदर्श विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहता है। मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है। आदर्श विद्यार्थी नियमित रूप से व्यायाम करता है। वह काम के समय काम करता है और खेल के समय खेलता है। आदर्श विद्यार्थी सादा जीवन, उच्च विचार में विश्वास रखता है। वह कभी फैशन के चक्कर में नहीं पड़ता। वह सदाचार और स्वावलंबन के आदर्श को अपने जीवन में उतारता है।

आदर्श विदयार्थी

Essay no. 03.

विद्यार्थी शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैविद्या+अर्थी जिसका अर्थ होता है विद्या चाहने वाला। विद्यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन की आधारशिला है। जिसकी आधारशिला (नीव) मज़बत व सशक्त होती है वह सदैव मजबूत रहता है। जो विद्यार्थी जीवन को लापरवाही से बर्बाद कर देता है, उसका जीवन दुखमय एवं कठिन हो जाता है।

आदर्श विद्यार्थी समय को व्यर्थ नहीं गवाता है। वह समय का सदुपयोग करता है। भारत में आदर्श विद्यार्थी के लिए पाँच लक्षण निर्धारित किये गए हैं-

काक चेष्टा, बको ध्याने श्वान निद्रा तथैव च अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्

अर्थात् (क) कौए की भाँति चेष्टा (कोशिश) (ख) बगुले की भाँति ध्यान (एकाग्रता) (ग) कुत्ते की भाँति निद्रा (पतली नींद) (घ) अल्प आहार (हल्का भोजन करना) (ङ) गृहत्यागी (गृह को छोड़ने वाला)

एक आदर्श विद्यार्थी को सदैव अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी को सदैव अनुशासन में रहना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी को ज्ञान ग्रहण करने के लिए अपने बड़ों का आदर करना चाहिए।

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adarsh vidyarthi essay in hindi for class 8

commentscomments

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Great job thanks for all solution to my problem. Merits for you

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Ok! nice :-):-)

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Awesome paragraph

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It’s very nice. I like it. My teacher also appreciated me for this paragraph. Thanks!!!

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