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शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषाएँ एवं क्षेत्र (Meaning, Definitions & Scope of Educational Psychology)
किसी विज्ञान (शिक्षा मनोविज्ञान) का स्वरूप, क्षेत्र, समस्यायें तथा सीमायें उस विषय की परिभाषा पर निर्भर करती हैं। जब तक हम किसी विशेष विषय की परिभाषा को स्पष्ट नहीं कर सकते तब तक हम उसके स्वरूप, क्षेत्र, समस्याओं तथा सीमाओं के बारे में विचार नहीं कर सकते। इस आर्टिकल में शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषाएँ एवं क्षेत्र (Meaning, Definitions & Scope of Educational Psychology) का अध्ययन करेंगे।
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning & Definitions of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है ‘शिक्षा’ (Education) और दूसरा शब्द है ‘मनोविज्ञान’ (Psychology) । मनोविज्ञान (Psychology) व्यवहार तथा अनुभव का ज्ञान है और शिक्षा (Education) व्यवहार की शुद्धि का नाम है। आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चे के व्यक्तित्व का समरूप विकास (Harmonious development) है। अध्यापकों का कार्य ऐसी अवस्थाएं उत्पन्न करना है, जिनके द्वारा व्यक्तित्व का स्वतन्त्र तथा पूर्ण विकास हो सके और यही आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य है परन्तु आधुनिक शिक्षा का यह अर्थ मनोविज्ञान के ज्ञान पर निर्भर है। अतः शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा समस्याओं पर लागू होने वाला मनोविज्ञान है।
शिक्षा मनोविज्ञान की और परिभाषायें अथवा दृष्टिकोण इस प्रकार हैं :
ट्रो के विचार (Trow’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा संस्थानों के मनोवैज्ञानिक तत्त्वों का अध्ययन करता है।’ (“Educational psychology is the study of the psychological aspects of educational situations.”)
कश्यप और पुरी महोदय के अनुसार- “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक पर्यावरण में की हुई बालक अथवा व्यक्ति की क्रियाओं का अध्ययन है। ” “Educational Psychology is the study of the activities of the pupil or of the individual in response to educational Environments.” Kashyap and Puri
को और क्रो के विचार (View of Crow and Crow) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से वृद्धावस्था तक व्यक्ति के सीखने की अनुभूतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है।’ (“Educational psychology describes and explains the learning experiences of an individual from birth through old age.”)
कोलसनिक के विचार (Kolesnik’s view)- शिक्षा क्षेत्र में मनोविज्ञान के सिद्धान्तों तथा उसकी उपलब्धियों को प्रयोग में लाना शिक्षा मनोविज्ञान है।’ (“Educational psychology is the application of the findings and the theories of psychology in the field of education.”)
स्किनर के विचार (Skinner’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण और सीखने के साथ सम्बन्धित है। इनके विचारानुसार शिक्षण और सीखना शिक्षा मनोविज्ञान का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। (“Educational psychology is that branch of science which deals with teaching and learning. According to him, teaching and learning are the most important problems, areas or fields of educational psychology.”)
सॉरे एवं टेलफोर्ड का विचार (View of Sawrey and Telford) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज में विशेष रूप से सम्बन्धित है।’ (“The major concern of educational psychology is learning. It is the field of psychology which is primarily concerned with the scientific investigation of the psychological aspects of education.”)
एलिस क्रो का विचार (View of Alice Crow) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान वैज्ञानिक विधि से प्राप्त किए जाने वाले मानव प्रतिक्रियाओं के उन सिद्धान्तों के प्रयोग को प्रस्तुत करता है, जो शिक्षण और अधिगम को प्रभावित करते हैं।’ (“Educational psychology represents the application of scientifically derived principles of human reactions that affect teaching and learning.”)
स्टीफन के विचार (Stephen’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की वृद्धि तथा विकास का विधिवत अध्ययन है। इनके विचारानुसार जो कुछ भी शिक्षा की वृद्धि तथा विकास के विधिवत अध्ययन के साथ सम्बन्धित है, उसे शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में सम्मिलित किया जा सकता है।’ (“Educational psychology is the systematic study of educational growth and development. According to him, whatever is concerned with systematic study of educational growth and development can be included in the scope of educational psychology.”)
जुड के विचार (Judd’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो व्यक्तियों में हुये उन परिवर्तनों का उल्लेख और व्याख्या करता है जो विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होते हैं।’ (“Educational psychology may be defined as a science which describes and at the same time explains the changes that take place in the individuals as they pass through the various stages of development or it deals with many conditions.”)
पील के विचार (Peel’s view point) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का विज्ञान है जो अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के विकास तथा उनकी योग्यताओं के विस्तार और उनकी सीमाओं को समझने में सहायता प्रदान करता है। यह अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रियाओं तथा उनके सामाजिक सम्बन्धों को भी समझने में सहायता प्रदान करता है। पील के विचारानुसार शिक्षा मनोविज्ञान व्यापक रूप से सीखने की प्रकृति, मानव व्यक्तित्व के विकास, व्यक्तियों की परस्पर भिन्नता और सामाजिक सम्बन्ध में व्यक्ति के अध्ययन के साथ सम्बन्धित है।’
(“Educational psychology is the science of education that helps teacher to understand the development of his pupils, the range and limits of their capacities, the processes by which they learn and their social relationship………. Educational psychology broadly deals with the nature of learning, the growth of human personality, the differences between individuals and the study of the person in relation to society.”)
नॉल एवं अन्य का विचार (View of Noll and Others) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान मुख्य रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया से परिवर्तित या निर्देशित होने वाले मानव व्यवहार के अध्ययन से सम्बन्धित है।” (“Educational psychology is concerned primarily with the study of human behaviour as it is changed or directed under the social process of education.”)
निष्कर्ष (Conclusion)
उपर्युक्त विचारधाराओं के आधार पर कहा जा सकता है कि शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा स्थितियों के संदर्भ में शिक्षार्थी एवं अधिगम प्रक्रिया से सम्बन्धित है।
(Educational psychology deals with the learner and the learning process in learning situations.”)
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु (Scope and Subject Matter of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र से तात्पर्य अध्ययन की उस सीमा से होता है जिस सीमा तक उस विषय के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है और उसकी विषय सामग्री से तात्पर्य उस सीमा से होता है जिस सीमा तक उसके क्षेत्र में अध्ययन किया जा चुका होता है।
डगलस एवं हॉलैण्ड (Douglas & Holland) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री शिक्षा की प्रक्रियाओं में भाग लेने वाले व्यक्ति की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार है।”
क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाली दशाओं से सम्बन्धित होती है । ”
स्किनर (Skinner) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत वे समस्त सूचनायें एसं प्रविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं जो समुचित अवबोध तथा अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी दिशा प्रदान करने में सहायक होती हैं।”
गैरिसन तथा अन्य के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री का नियोजन दो दृष्टिकोण से किया जाता है— (1) छात्रों के जीवन को समृद्ध तथा विकसित करना। (2) शिक्षकों को अपने शिक्षण में गुणात्मक उन्नति करने में सहायता देने के लिए ज्ञान प्रदान करना।”
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में छः मुख्य अवयव शामिल हैं
1. शिक्षार्थी (The learner) – ‘शिक्षार्थी’ शब्द से हमारा अर्थ है वे छात्र जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से कक्षा समूह में समाविष्ट होते हैं, वह व्यक्ति जिसके लिए यह कार्यक्रम विद्यमान है या काम कर रहा है। इस क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षार्थी के निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन करता है-
(1) वृद्धि एवं विकास अर्थात् उसका शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास ।
(2) बुद्धि, रुझान और व्यक्तित्व ।
(3) परिवार, विद्यालय, समाज, राज्य, जैसे सामाजिक अभिकरणों का व्यक्तित्व पर प्रभाव ।
(4) मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन।
(5) व्यक्तिगत भिन्नताएं।
2. अधिगम प्रक्रिया (The learning process) – ‘अधिगम प्रक्रिया’ से हमारा अर्थ है छात्रों के सीखते समय जो चलता रहता है।
लिन्डग्रेन (Lindgren) के शब्दों में ‘अधिगम प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र अपने व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं, कार्य-प्रदर्शन में सुधार लाते हैं, अपने विचार को पुनः संगठित करते हैं या व्यवहार करने के नए ढंगों, नए प्रत्ययों एवं जानकारी की खोज करते हैं।’ (“Learning process is the process by which pupils acquire changes in their behaviour, improve performance, reorganize their thinking, or discover new ways of behaving and new concepts and information.”)
इस क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन करता है
(1) अधिगम प्रक्रिया की प्रकृति जिसमें अधिगम के सिद्धान्त सम्मिलित हैं।
(2) प्रभावशाली अधिगम के नियम और विधियां।
(3) अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं
(क) अभिप्रेरणा, (ख) आदतें, (ग) ध्यान एवं रुचि, (घ) चिन्तन एवं तर्क, (ङ) समस्या समाधान और सृजनशीलता, (च) स्मृति एवं विस्मृति की प्रक्रिया, (छ) प्रशिक्षण का स्थान परिवर्तन, (ज) कौशलों को सीखना, (झ) प्रत्यय-निर्माण और अभिवृत्तियां । इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में ये सभी विषय शामिल हैं।
3. अधिगम स्थिति (The learning situation) – ‘अधिगम स्थिति’ से हमारा अर्थ है वे कारक जो अधिगम एवं अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। अधिगम स्थिति में शिक्षा मनोविज्ञान निम्नलिखित का अध्ययन करता है
(1) कक्षा प्रबंधन एवं अनुशासन ।
(2) प्रविधियां जिनमें कक्षा में अधिगम को सुविधापूर्ण बनाने वाली अभिप्रेरणात्मक प्रविधियां और सहायक साधन शामिल हैं।
(3) मूल्यांकन प्रविधियां एवं कार्य-विधियां जिनमें शिक्षा सांख्यिकी शामिल है।
(4) विशिष्ट बच्चों को पढ़ाने की विधियां जिनमें प्रतिभाशाली, पिछड़े हुए, अपराधी, समस्यात्मक और विकलांग (शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और सामाजिक रूप से विकलांग) बच्चे शामिल हैं।
(5) निर्देशन एवं परामर्श।
4. अधिगम अनुभव (Learning experiences) – इसमें छात्रों के परिपक्वता स्तर के अनुसार क्रियाएं और विषय-वस्तु प्रदान करना शामिल है।
5. शिक्षण स्थिति (Teaching situation) – शिक्षा मनोविज्ञान की प्रभावशीलता तभी सार्थक होती है। जब शिक्षण अधिगम स्थिति में इसकी विधियां और निष्कर्ष शैक्षिक कार्यविधियों का एक भाग बन जाते हैं।
6. अधिगम अनुभवों का मूल्यांकन (Evaluation of learning experiences) – हाल ही में, मनोविज्ञान के विषय-वस्तु में अधिगम अनुभवों के मूल्यांकन का महत्त्व बढ़ गया है।
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Samar Education
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र, प्रकृति तथा उपयोगिता | educational psychology in hindi, ▶शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ (meaning of psychology).
शिक्षा को अंग्रेजी में Education कहते हैं जो लैटिन भाषा के Educatum का रूपान्तर है जिसका अर्थ है to bring up together हिन्दी में शिक्षा का अर्थ 'ज्ञान' से लगाया जाता है। गांधी जी के अनुसार शिक्षा का तात्पर्य "व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा के समुचित विकास से है।" अंग्रेजी का Psychology शब्द दो शब्दों 'Psyche' और 'logus' से मिलकर बना है। ' Psyche' का अर्थ है ‘ आत्मा ’ और 'logus' का अर्थ है ‘ विचार-विमर्श ’। अर्थात आत्मा के बारे में विचार-विमर्श या अध्ययन मनोविज्ञान में किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान से तात्पर्य शिक्षण एवं सीखने की प्रकिया को सुधारने केे लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने से है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है।
▶शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of Educational Psychology)
स्किनर (Skinner 1958) के अनुसार - " शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से सम्बन्धित है। "
क्रो एवं क्रो (Crow and Crow 1973) के अनुसार - "शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का विवरण एवं व्याख्या देता है।"
इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रकियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं एवं अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने की प्रकिया को सुधारने में प्रयासरत है।
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▶शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक (scientific) होती है। क्योंकि शैक्षिक वातावरण में अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार का वैज्ञानिक विधियों, नियमों तथा सिद्धांतों के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।
- यह विधायक (Constitative) और नियामक (Regulative) दोनों प्रकार का विज्ञान है। विधायक विज्ञान तथ्यों (Facts) पर जबकि नियामक विज्ञान मुल्यांकन (assessment) पर आधारित होता है।
- शिक्षा का स्वरूप संश्लेषणात्मक (Synthetic) होता है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप विश्लेषणात्मक (analytic) होता है।
- शिक्षामनोविज्ञान एक वस्तुपरक विज्ञान (Material science) है।
- शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान (Science of behavior) क्योंकि इसमें शैक्षणिक परिस्थिति के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
- शैक्षणिक परिस्थितियों के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु (theme) है।
- शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा संबंध शिक्षण में अधिगम क्रियाकलापों से है।
▶शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र (Scope of Educational Psychology)
शिक्षा की महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान में मनोविज्ञान मदद करता है और यही सब समस्याएं व उनका समाधान शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र बनते है -
(1). शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श― अध्यापक का एक पुनीत कार्य है। विद्यार्थी के विद्यालय तथा व्यक्तिगत जीवन में अनेक अवसर आते हैं जब उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। बहुत सी ऐसी व्यक्तिगत समस्याएं हैं जिनके संदर्भ में बालक को अध्यापकों की सहायता चाहिए होती है। शैक्षिक और वेबसाइट क्षेत्र में विद्यार्थियों को निर्देशित करना अध्यापकों का दायित्व है।कक्षा में समायोजन विद्यार्थियों को भी निर्देशन और मार्गदर्शन देना पड़ता है। निर्देशन और परामर्श के लिए विद्यार्थियों के वातावरण, अधिगम के स्तर, स्मृति, आदत, योग्यताओं, बुद्धि, व्यक्तिगत भिन्नता, मानसिक स्वास्थ्य आदि का अध्ययन करना आवश्यक है। यह सब मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र है।
(2). पाठ्यक्रम निर्माण― सभी छात्रों के लिए एक सा पाठ्यक्रम नहीं बनाया जा सकता। पाठ्यक्रम का निर्माण बालको की रुचियों, अभिरुचियों, आवश्यकताओं, आयु, बुद्धि, क्षमताओं के अनुसार किया जाना चाहिए क्योंकि सभी छात्रों में व्यक्तिगत विभिन्नता होती है।
(3). अध्ययन विधियां― शिक्षा मनोविज्ञान अभी विकास की प्रक्रिया में है। अब तक विद्यमान अनेक पद्धतियां अनेक स्थानों पर अध्ययन के लिए उपयुक्त नहीं बैठती हैं। अध्ययन की विभिन्न विधियों की खोज करना एवं प्रचलित विधियों में अपेक्षित सुधार करना भी इसके अंतर्गत आता है। शिक्षा मनोविज्ञान एक नया विज्ञान है इसके अंतर्गत निरंतर विकास हो रहा है लेकिन इसका विषय क्षेत्र सीमित नहीं है।
(4). सीखना― शिक्षा जगत की यह समस्या रहती है कि शिक्षक यह जाने की बालक कैसे सीखते हैं? उनके सीखने को कैसे प्रभावशाली बनाया जा सकता है? शिक्षा मनोविज्ञान में सीखने से संबंधित निम्नलिखित बातों का अध्ययन किया जाता है- सीखने के नियम, सीखने के सिद्धांत, सीखने को प्रभावित करने वाले तत्व, शिक्षा का स्थानांतरण आदि।
(5). समूह मनोविज्ञान― अब किसी भी देश में बालकों को समूह रूप में पढ़ाया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के अध्ययन के साथ उसके समूह का अध्ययन भी किया जाता है। समूह में व्यक्ति का व्यवहार क्यों बदल जाता है और कैसे बदलता है इस सब का अध्ययन भी किया जाता है।
(6). मापन और मूल्यांकन― शिक्षा मनोविज्ञान में शैक्षिक उपलब्धि एवं विशेष योग्यता का मापन तथा बुद्धि, चरित्र, व्यक्तित्व संबंधी मापन के लिए विभिन्न साधनों विधियों परीक्षणों और सांख्यिकीय कार्यों का प्रयोग किया जाता है। सीखने की प्रक्रिया में अध्यापकों को बालक की बुद्धि, व्यक्तित्व तथा विभिन्न योग्यताओं का ज्ञान आवश्यक है इन सबका मापन शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में आता है।
(7). अभिवृद्धि एवं विकास― शिक्षा मनोविज्ञान में मनुष्य की शारीरिक अभिवृद्धि और शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक विकास का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव अभिवृद्धि तथा विकास का अध्ययन चार कालो― शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था के क्रम में किया जाता है। इसमें मनुष्य के विकास में उसके वंशानुक्रम और पर्यावरण की भूमिका का अध्ययन भी किया जाता है।
(8). मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन― मनोविज्ञान ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की शिक्षा एवं विकास में बच्चों एवं अध्यापकों के मानसिक स्वास्थ्य तथा उनके समायोजन की क्षमता की अहम भूमिका रहती है। शिक्षा मनोविज्ञान में बालको और अध्यापकों के मानसिक विकास में बाधक एवं दुविधा पहुंचाने वाले तत्वों का अध्ययन किया जाता है। और साथ ही कुसमायोजन के कारणों और विधियों का भी अध्ययन किया जाता है।
▶मनोविज्ञान का शिक्षा में योगदान (Contribution of Psychology to Education)
- बालक का महत्व।
- बालकों की विभिन्न अवस्थाओं का महत्व।
- बालकों की रूचियों व मूल प्रवृत्तियों का महत्व।
- बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का महत्व।
- पाठ्यक्रम में सुधार।
- पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं पर बल।
- सीखने की प्रक्रिया में उन्नति।
- मूल्यांकन की नई विधियां।
- शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति व सफलता।
- नये ज्ञान का आधारपूर्ण ज्ञान।
- शिक्षा दर्शन का अर्थ, प्रकृति, उपयोगिता एवं क्षेत्र
- शिक्षा के दार्शनिक आधार
- आदर्शवाद
- Class 11 (Physics)
- Class 12 (Physics)
- Class 11 (Chemistry)
- Class 12 (Chemistry)
- Chemistry Quiz
- B.Ed./D.El.Ed.
- B.Ed. (Eng.)
- General Knowledge
- Terms of Use
- Physics Notes
मनोविज्ञान क्या है? - अर्थ,परिभाषा,अवधारणा, विकास,विशेषताएँ, क्षेत्र, उपयोगिता व शाखाएं
मनोविज्ञान क्या है? (What Is Psychology In Hindi)
मनोविज्ञान का अर्थ (meaning and concept of psychology).
मनोविज्ञान अभी कुछ ही वर्षों से स्वतंत्र विषय के रूप में हमारे सामने आया है।
पूर्व में यह दर्शनशास्त्र की ही एक शाखा माना जाता था।
मनोविज्ञान क्या है? यदि यह प्रश्न आज से कुछ शताब्दियों पूर्व पूछा जाता तो इसका उत्तर कुछ इस प्रकार होता:
" मनोविज्ञान दशर्नशास्त्र की वह शाखा है जिसमें मन और मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।"
मनोविज्ञान विषय का विकास कुछ वर्षों पूर्व ही हुआ और अपने छोटे-से जीवनकाल में ही मनोविज्ञान ने अपने स्वरूप में गुणात्मक तथा विकासात्मक परिवर्तन किए। इन परिवर्तनां के साथ ही साथ मनोविज्ञान की अवधारणा में भी परिवर्तन आए।
वर्तमान समय में मनोविज्ञान का प्रयोग जिस अर्थ से हो रहा है, उसे समझने के लिए विभिन्न कालों में दी गई मनोविज्ञान की परिभाषाओं के क्रमिक विकास को समझना होगा।
कालान्तर में मनोविज्ञान (Psychology) के विषय में व्यक्त यह धारणा भ्रमात्मक सिद्ध हुई और आज मनोविज्ञान एक शुद्ध विज्ञान (Science) माना जाता है। विद्यालयों में इसका अध्ययन एक स्वतंत्र विषय के रूप में किया जाता है।
16 वीं शताब्दी तक मनोविज्ञान ' आत्मा का विज्ञान' माना जाता था। आत्मा की खोज और उसके विषय में विचार करना ही मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु आत्मा का कोई स्थिर स्वरूप नहीं और आकार न होने के कारण इस परिभाषा पर विद्वानों में मतभेद था।
अत: विद्वानों ने मनोविज्ञान को 'आत्मा का विज्ञान' न मानकर मस्तिष्क का विज्ञान माना। किन्तु इस मान्यता में भी वह कठिनाई उत्पन्न हुई जो आत्मा के विषय में थी। मनोवैज्ञानिक मानसिक शक्तियों, मस्तिष्क के स्वरूप और उसकी प्रकृति का निर्धारण उचित रूप में न कर सकें। मस्तिष्क का सम्बन्ध विवेक व्यक्तित्व और विचारणा शक्ति से है, जिसका अभाव पागलों तथा सुषुप्त मनुष्यों में पाया जाता है । यदा-कदा इस योग्यता का अभाव पशु जगत में भी मिलता है।
अध्ययन के द्वारा विद्वानों को जब मालूम हुआ कि मानसिक शक्तियाँ अलग-अलग कार्य नहीं करतीं वरन् सम्पूर्ण मस्तिष्क एक साथ कार्य करता है तो विद्वानों ने मनोविज्ञान को ' चेतना का विज्ञान' माना।
इस परिभाषा पर भी विद्वानों में मतभेद रहा।
Manovigyan Kya Hai? वर्तमान शताब्दी में इस प्रश्न का उत्तर विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार से दिया है|
ई. वाटसन के अनुसार, "मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान है।"
सी. वुडवर्थ के अनुसार, " मनोविज्ञान वातावरण के अनुसार व्यक्ति के कार्यों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।"
उपर्युक्त परिभाषायें अपूर्ण हैं।
एक श्रेष्ठ परिभाषा (Definition) चार्ल्स ई. स्किनर की है जिसके अनुसार "मनोविज्ञान जीवन की विविध परिस्थितियों के प्रति प्राणी की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करता है।"
मनोविज्ञान के जनक कौन है?
विलियम वुण्ट ( Wilhelm Wundt) जर्मनी के चिकित्सक, दार्शनिक, प्राध्यापक थे जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology)
मनोविज्ञान की परिभाषा (definition of psychology).
मनोविज्ञान की परिभाषा भिन्न भिन्न रूपों में दी गई। काल क्रम में मनोविज्ञान की अवधारणाएँ नीचे प्रस्तुत हैं:
1. आत्मा का विज्ञान (Science Of Soul):
ईसा पूर्व युग में यूनान के महान् दार्शनिकों को इस क्षेत्र में महान् योगदान रहा है। स्वप्नदृष्टा कौन है ? इस प्रश्न के उत्तर में यूनानी दार्शनिकों (Philosophers) ने मनोवैज्ञानिक के प्रारम्भिक स्वरूप को जन्म दिया।
उन्होंने स्वप्न आदि जैसी क्रियाएँ करने वाले को आत्मा (Soul) तथा इस आत्मा का अध्ययन करने वाले विज्ञान (Logos) को आत्मा का विज्ञान (Science Of Soul) कहकर पुकारा।
इस प्रकार मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ यूनानी भाषा के दो शब्दों से मिलकर हुआ|
Psyche + Logos
'Psyche' का अर्थ ' आत्मा' से है तथा 'Logos' का अर्थ है-' विचार करने वाला विज्ञान' ।
इन दोनों का अर्थ-"आत्मा का विज्ञान" और इसी आधार पर मनोविज्ञान की प्रारम्भिक अवधारणा भी यही थी "मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है।"
प्लेटो (Plato) तथा अरस्तू (Aristotle) ने भी मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना था, किन्तु दोनों ने अपने-अपने ढंग से आत्मा के स्वरूप को परिभाषित किया। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि अमूर्त बातों की कोई एक सर्वसम्मत परिभाषा देना सम्भव ही नहीं।
आत्मा की अलग-अलग परिभाषाओं का एक दुष्परिणाम भी हुआ। वह यह कि मनोविज्ञान की परिभाषा के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों की मान्यताओं में मतभेद उपस्थित हो गया। मतभेद इस सीमा तक पहुँच गया कि कुछ ने तो मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान मानने से ही इंकार कर दिया।
2. मन का विज्ञान (Science Of Mind) :
लगभग सोलहवीं शताब्दी तक मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान के रूप में माना जाता रहा। इस विचारधारा की आलोचना के परिणामस्वरूप दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को मनस् का विज्ञान कहकर पुकारा।
इस नवीन विचारधारा का प्रमुख उद्देश्य मस्तिष्क अथवा मनस् का अध्ययन करना था।
मानसिक शक्तियों के आधार पर मस्तिष्क के स्वरूप को निर्धारित करते हुए थॉमस रीड ( Thomas Reid, 1710-1796) का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ।
परन्तु इस विचारधारा के साथ भी वही कठिनाई उत्पन्न हुई जो आत्मा के अध्ययन के साथ हुई थी। मनस् की विचारधारा के समर्थक मनस् को स्वतन्त्र शक्तियों का सही-सही रूप निर्धारण करने में असफल रहे। इस बात के विपरीत यह सिद्ध किया जाने लगा कि मनस् की विभिन्न शक्तियाँ का स्वतन्त्र रूप से कार्य नहीं करना है परन्तु मनस् सम्पूर्ण होकर कार्य करता है।
आत्मा की भाँति मन का भी कोई भौतिक स्वरूप नहीं है तथा जिस वस्तु या बात का कोई भौतिक स्वरूप नहीं, उसे ठीक- ठीक परिभाषित करना भी सम्भव नहीं। अत: मन के मनोविज्ञान की अवधारणा मानने से इंकार किया जाने लगा तथा वे अन्य सर्वमान्य परिभाषा की तलाश में लग गए।
3. चेतना का विज्ञान (Science Of Consciousness):
मानसिक शक्तियों की विचारधारा के विपरीत मनोविज्ञान को मनस् का विज्ञान न कहकर चेतना का विज्ञान कहकर पुकारा गया।
चेतना का विज्ञान कहे जाने का प्रमुख कारण यह प्रस्तुत किया गया कि मनस् समस्त शक्तियों के साथ चैतन्य होकर कार्य करत है।
इस क्षेत्र में अमेरिकी विद्वान् टिचनर (Titchener, 1867-1927) तथा विलियम जेम्स (William James, 1842-1910) का योगदान सराहनीय है । इन्होंने मनोविज्ञान को चेतना की अवस्थाओं की संरचना तथा प्रकार्य के रूप में प्रमुख रूप से परिभाषित (Define) करने का प्रयास किया है ।
- परन्तु चेतना के अध्ययन के समय में भी विद्वान वैज्ञानिक स्वरूप प्रस्तुत करने में असफल रहे और वही कठिनाई रही जो आत्मा तथा मनस् के अध्ययन के सम्बन्ध में थी।
- चेतना की विचारधारा के सम्बन्ध में गम्भीर मतभेद होने के कारण परिभाषा को अवैज्ञानिक और अपूर्ण सिद्ध कर दिया गया।
- इसका प्रमुख कारण चेतना को कई रूपों में विभाजित करना था, जिसमें मुख्यतः चेतना, अवचेतन एवं अचेतन की व्याख्या प्रमुख है।
4. व्यवहार का विज्ञान (Science Of Behaviour) :
चेतना को अवैज्ञानिक सिद्ध करने में व्यवहारवादियों का प्रमुख योगदान रहा है।
अमेरिका में व्यवहारवाद के प्रवर्तक वाटसन (Watson 1878-1958) का नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है । वाटसन ने अन्तर्दर्शन का बहिष्कार किया और कहा कि जब शारीरिक क्रियाएँ स्पष्ट रूप से दर्शनीय तथा उल्लेखनीय हैं, तब चेतना को कोई स्थान नहीं है।
व्यवहार के रूप में शरीर में विभिन्न मांसपेशीय तथा ग्रन्थीय क्रियाएँ देखने को मिलती हैं।
वाटसन जब शिकागो विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र थे, तभी से उनमें पशु- मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने की रुचि जाग्रत हुई। उन्होंने इस विश्वविद्यालय में स्वयं पशु-मनोविज्ञान प्रयोगशाला अपने संरक्षण में स्थापित की। यहीं पर उसके मूलभूत विचार 'व्यवहारवाद' का जन्म हुआ।
वर्तमान शताब्दी में वाटसन का यह योगदान मनोविज्ञान को स्पष्ट रूप से व्यवहार तथा अनुक्रियाओं को अध्ययन के रूप में परिभाषित करता है।
वाटसन का यह कथन है कि मनोविज्ञान को वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि मनोविज्ञान की अध्ययन सामग्री का स्वरूप स्पष्ट रूप से बाह्य एवं वस्तुगत हो, जिसमें आत्मवाद (Subjectivisim) से कोई स्थान प्राप्त नहीं है ।
वाट्सन की इस विचारधारा के अनुयायियों ने भी अपनी व्याख्या में आत्मवाद को कोई स्थान नहीं दिया। यदि मनोविज्ञान को वैज्ञानिक स्वरूप देना है तो उसकी विषय वस्तु को आत्मवाद से परे वस्तुगत रूप में लाना होगा। यदि कोई चूहा किसी भुलभुलैया (Maze) में दौड़ता है, तो इसे बड़ी सरलता से उसकी बाह्य अनुक्रियाओं को देखकर व्यवहार के रूप में विश्लेषण करना है।
चेतना का स्वरूप आन्तरिक है जिसे वैज्ञानिक अध्ययन का विषय नहीं बनाया जा सकता है। इस प्रकार व्यवहारवादी विचारधारा ने मनोविज्ञान के वर्तमान की ओर एक नया मोड़ देकर कीर्तिमान स्थापित किया।
पिछली सभी अवधारणाओं के बदलते क्रम में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि-मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है और प्राणियों के व्यवहार तथा उस व्यवहार को प्रभावित करने वाली सभी बातों का अध्ययन इसके अन्तर्गत आता है।
मनोविज्ञान ( Psychology ) की अवधारणा के क्रमिक विकास पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक आर. एस. वुडवर्थ (R. S. Woodworth) ने लिखा है कि "सर्वप्रथम मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा को छोड़ा, फिर मस्तिष्क त्यागा, फिर अपनी चेतना खोई और अब वह एक प्रकार के व्यवहार के ढंग को अपनाए हुए है।
मनोविज्ञान की परिभाषाएँ (Definitions Of Psychology):
वाटसन : "मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान हो।" ("Psychology Is The Positive Science Of Behaviour.")
विलियम जेम्स: "मनोविज्ञान, मानसिक जीवन की घटनाओं या संवृत्तियों तथा उनकी दशाओं का विज्ञान है। .....संवृत्तियों अथवा घटनाओं के अन्तर्गत-अनुभूतियाँ, इच्छाएँ, संज्ञान, तर्क, निर्णय क्षमता आदि जैसी ही बातें आती हैं।"
वुडवर्थ : "मनोविज्ञान वातावरण के अनुसार व्यक्ति के कार्यों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।"
गार्डनर मर्फी: "मनोविज्ञान, वह विज्ञान है जो जीवित व्यक्तियों की वातावरण के प्रति प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करता है।"
जेम्स ड्रेवर: "मनोविज्ञान एक शुद्ध विज्ञान है जो मनुष्यों और पशुओं के व्यवहार का अध्ययन करता है।"
मैक्डूगल: "मनोविज्ञान आचरण तथा व्यवहार का विधायक विज्ञान है।"
वारेन: "मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो प्राणी तथा वातावरण के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।"
वुडवर्थ के अनुसार, "मनोविज्ञान व्यक्ति के पर्यावरण के सन्दर्भ में उसके क्रिया-कलापों का वैज्ञानिक अध्ययन है।"
ई. वाटसन के शब्दों में, "मनोविज्ञान व्यवहार का निश्चयात्मक विज्ञान है।"
चौहान के अनुसार, "मनोविज्ञान व्यवहार का मनोविज्ञान है। व्यवहार का अर्थ सजीव प्राणी के वे क्रिया-कलाप हैं जिनका वस्तुनिष्ठ रूप से अवलोकन व माप किया जा सके।"
जेम्स ड्रेवर के शब्दों में, "मनोविज्ञान वह निश्चयात्मक विज्ञान है जो मानव व पशु के उस व्यवहार का अध्ययन करता है जो व्यवहार उस वर्ग के मनोभावों और विचारों की अभिव्यक्ति करता है, जिसे हम मानसिक जगत कहते हैं।"
मनोविज्ञान की उपर्युक्त परिभाषाओं को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि ये सभी परिभाषाएँ आधुनिक हैं। इनके आधार पर मनोविज्ञान की निम्नलिखित विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं:
- मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है।
- मनोविज्ञान निश्चयात्मक विज्ञान नहीं बल्कि वह वस्तुपरक विज्ञान है।
- मनोविज्ञान विकासात्मक विज्ञान है।
- मनोविज्ञान मानव के मनो-सामाजिक व्यवहार (Socio-Psychological Behaviour) का अध्ययन करता है|
मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature Of Psychology)
Psychology की उपर्युक्त परिभाषाओ एवं विशेषताओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि मनोविज्ञान वास्तव में एक विज्ञान है।
- इसके अन्तर्गत तथ्यों का संकलन एवं सत्यापन क्रमबद्ध (Systematic) रूप से किया जाता है।
- इसके माध्यम से प्राप्त तथ्यों की पुनरावृत्ति एवं जाँच (Revision And Verification) की जा सकती है।
- सामान्य नियमों का प्रतिपादन किया जाता है।
- इन सामान्य नियमों के आधार पर अपने आलोच्य विषयों की समस्याओं का पूर्ण रूप से स्पष्टीकरण किया जाता है।
दूसरे शब्दों में, मनोविज्ञान के अध्ययन में वे सभी विशेषतायें (Features) विद्यमान हैं, जो कि एक विज्ञान में हैं। विज्ञान के विकास के साथ ही साथ मनोविज्ञान के अर्थ, विधियों एवं विषय-सामग्री की प्रकृति में भी परिवर्तन हुआ है।
अत: स्पष्ट होता है कि Manovigyan
- व्यावहारिक विशिष्टताओं से सम्बन्ध रखता है। इसके अन्तर्गत हँसना-हँसाना, जीवन-संघर्ष और सृजनात्मक प्रक्रियाएँ निहित रहती है।
- इसका सम्बन्ध लोगों द्वारा समूह में की गयी प्रक्रियाओं की जटिलताओं से होता है। इसके द्वारा हमें यह भी जानकारी मिलती है कि माँसपेशियाँ, ग्रन्थियाँ और चेतनावस्था, विचारों, भावनाओं और संवेगों से किस प्रकार सम्बन्धित हैं ?
- इसके अन्तर्गत हम यह भी अध्ययन करते हैं कि लोग समूह में कैसे व्यवहार करते हैं क्योंकि व्यवहार असम्बन्धित और पृथक् क्रियाएँ नहीं, बल्कि यह एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। इसके द्वारा ही व्यक्ति एक-दूसरे को समझते हैं।
भारतवर्ष में मनोविज्ञान का विकास (Development Of Psychology In India):
20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में भारत में मनोविज्ञान का विकास प्रारम्भ हुआ। भारत में Psychology का विकास भारतीय विश्वविद्यालयों में विकास से सम्बन्धित है ।
- सन् 1905 में सर आशुतोष मुकर्जी ने कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की स्नातकोत्तर शिक्षा की व्यवस्था की।
- कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना डॉ. एन. एन. सेनगुप्त के निर्देशन में स्थापित हुई।
- दक्षिण भारत में मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना मैसूर विश्वविद्यालय में सन् 1924 में हुई तथा इस प्रयोगशाला के संचालन का कार्य ब्रिटेन के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन के शिष्य डॉ . एम. वी. गोपाल स्वामी ने किया।
- कालान्तर में देश के अन्य विश्वविद्यालयों में, जैसे-पटना, लखनऊ, बनारस, भुवनेश्वर, दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, चण्डीगढ़ तथा आगरा आदि विश्वविद्यालयों में मनोविज्ञान के अध्ययन की व्यवस्था की गयी तथा प्रयोग के लिए प्रयोगशालाएँ स्थापित की गयीं, जिनमें अब भी निरन्तर शोधकार्य हो रहे हैं।
- दक्षिण भारत में वी. कुम्पूस्वामी, उत्तर में डॉ. एस. जलोटा तथा उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग में उस समय कार्यरत डॉ. चन्द्रमोहन भाटिया आदि का नाम उल्लेखनीय है ।
- जलोटा ने शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण तथा भाटिया ने निष्पादन बुद्धि-परीक्षण में मानकीकरण करके उच्च ख्याति अर्जित की।
आधुनिक भारत में मनोविज्ञान के विकास को बड़ा प्रोत्साहन उन संस्थाओं से भी मिला जो इस निमित्त की गयी थीं ।
- सन् 1925 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस ने मनोविज्ञान की एक शाखा कांग्रेस के अन्तर्गत खोली जिसके परिणामस्वरूप निरन्तर कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में मनोवैज्ञानिक विभिन्न विषयों पर अनुसन्धान सम्बन्धी चर्चा करते चले आ रहे हैं।
- भारत में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की ओर भी मनोवैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित हुआ है। इसीलिए भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्था का भी संगठन किया गया। बंगलौर, राँची तथा आगरा के मानसिक अस्पतालों में मनोपचार शास्त्री विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगियों के रोगों के निवारण हेतु अनुसन्धान कार्यों में लीन हैं तथा अनेक रोगी उनके प्रयासों से स्वास्थ्य लाभ कर पाए हैं तथा कर रहे हैं।
मनोविज्ञान की शाखाएँ (Branches Of Psychology):
हम जानते हैं कि मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है एवं इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र का निर्धारण सुनिश्चित तथा सुविधाजनक रूप से करने के लिए मनोविज्ञान की सम्पूर्ण विषय-वस्तु को अनेक समूहों में बांट दिया गया है। ये समूह ही मनोविज्ञान की शाखाएँ कहलाते हैं।
मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाओं का विवरण इस प्रकार है:
1. सामान्य मनोविज्ञान: (General Psychology)
सामान्य मनोविज्ञान में मानव के सामान्य व्यवहार का साधारण परिस्थितियों में अध्ययन किया जाता है।
2. असामान्य मनोविज्ञान: (Abnormal Psychology)
इस शाखा में मानव के असाधारण व असामान्य व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा में मानसिक रोगों से जन्य व्यवहारों, उसके कारणों व उपचारों का विश्लेषण किया जाता है।
3. समूह मनोविज्ञान: (Group Psychology)
इस शाखा को समाज-मनोविज्ञान के नाम से भी पुकारा जाता है इसमें ये अध्ययन करते हैं कि समाज या समूह में रहकर व्यक्ति का व्यवहार क्या है|
4. मानव मनोविज्ञान: (Human Psychology)
Psychology की यह शाखा केवल मनुष्यों के व्यवहारों का अध्ययन करती है। पशु-व्यवहारों को यह अपने क्षेत्र से बाहर रखती है।
5. पशु मनोविज्ञान: (Animal Psychology)
मनोविज्ञान की यह शाखा पशु जगत से सम्बन्धित है और पशुओं के व्यवहारों का अध्ययन करती है।
6. व्यक्ति मनोविज्ञान: (Person Psychology)
मनोविज्ञान की यह शाखा जो एक व्यक्ति का विशिष्ट रूप से अध्ययन करती है, व्यक्ति मनोविज्ञान कहलाती है। इसकी प्रमुख विषय-वस्तु व्यक्तिगत विभिन्नताएँ हैं। व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण, परिणामों, विशेषतायें, क्षेत्र आदि का अध्ययन इसमें किया जाता है।
7.बाल मनोविज्ञान: (Child Psychology)
बालक की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, गामक तथा संवेगात्मक परिस्थितियाँ प्रौढ़ से भिन्न होती है, अत: उसका व्यवहार भी प्रौढ़ व्यक्ति से भिन्न होता है। इसलिए बालक के व्यवहारों का पृथक से अध्ययन किया जाता है और इस शाखा को बाल- मनोविज्ञान कहा जाता है|
8. प्रौढ़ मनोविज्ञान: (Adult Psychology)
मनोविज्ञान की इस शाखा में प्रौढ़ व्यक्तियों के विभिन्न व्यवहारों का अध्ययन किया गया है।
9.शुद्ध मनोविज्ञान: (Pure Psychology)
मनोविज्ञान की यह शाखा मनोविज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष से सम्बन्धित है और मनोविज्ञान के सामान्य सिद्धान्तों, पाठ्य-वस्तु आदि से अवगत कराकर हमारे ज्ञान में वृद्धि करती है।
10. व्यवहृत मनोविज्ञान: (Applied Psychology)
मनोविज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत उन सिद्धान्तों, नियमों तथा तथ्यों को रखा गया है जिन्हें मानव के जीवन में प्रयोग किया जाता है। शुद्ध मनोविज्ञान सैद्धान्तिक पक्ष है, जबकि व्यवहृत मनोविज्ञान व्यावहारिक पक्ष है। यह मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का जीवन में प्रयोग है।
11. समाज मनोविज्ञान: (Social Psychology)
समाज की उन्नति तथा विकास के लिए मनोविज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। समाज की मानसिक स्थिति, समाज के प्रति चिन्तन आदि का अध्ययन सामाजिक मनोविज्ञान में होता है।
12. परा मनोविज्ञान: (Para Psychology)
यह मनोविज्ञान की नव-विकसित शाखा है। इस शाखा के अन्तर्गत मनोवैज्ञानिक अतीन्द्रिय (Super-Sensible) और इंद्रियेत्तेर (Extra-Sensory) प्रत्यक्षों का अध्ययन करते हैं। अतीन्द्रिय तथा इंद्रियेत्तर प्रत्यक्ष पूर्व-जन्मों से सम्बन्धित होते हैं। संक्षेप में, परामनोविज्ञान- इन्द्रियेत्तर प्रत्यक्ष तथा मनोगति का अध्ययन करती है।
13. औद्योगिक मनोविज्ञान: (Industrial Psychology)
उद्योग-धन्धों से सम्बन्धित समस्याओं का जिस शाखा में अध्ययन होता है, वह औद्योगिक मनोविज्ञान है। इसमें मजदूरों के व्यवहारों, मजदूर-समस्या, उत्पादन-व्यय-समस्या, कार्य की दशाएँ और उनका प्रभाव जैसे विषयों पर अध्ययन किया जाता है|
14. अपराध मनोविज्ञान: (Criminological Psychology)
इस शाखा में अपराधियों के व्यवहारों, उन्हें ठीक करने के उपायों, उनकी अपराध प्रवृत्तियों, उनके कारण, निवारण आदि का अध्ययन किया जाता है।
15. नैदानिक मनोविज्ञान: (Clinical Psychology)
मनोविज्ञान की इस शाखा में मानसिक रोगों के कारण, लक्षण, प्रकार, निदान तथा उपचार की विभिन्न विधियों का अध्ययन किया जाता है। आज के युग में इस शाखा का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
16. शिक्षा मनोविज्ञान: (Educational Psychology)
जिन व्यवहारों का शिक्षा से सम्बन्ध होता है, उनका शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन होता है। शिक्षा-मनोविज्ञान व्यवहारों का न केवल अध्ययन ही करती है वरन व्यवहारों के परिमार्जन का प्रयास भी करता है|
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शिक्षा मनोविज्ञान क्या हैं और इसकी परिभाषा
दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने पढ़ा कि मनोविज्ञान क्या हैं और इसकी परिभाषा? आज हम इस पोस्ट में चर्चा करेंगे शिक्षा मनोविज्ञान की तो चलिए शुरू करते हैं। शिक्षा मनोविज्ञान Educational Psychology शिक्षा में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो का प्रतिपादन करने वाली वह प्रक्रिया हैं। जिसमें शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को सम्मिलित किया जाता हैं और इन्हीं सिद्धांतो के अनुरूप शिक्षण विधियों एवं प्रविधियों का चयन किया जाता हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्त कई मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किये गए हैं जिन्हें हम Maslow Theory , S-R Theory, R-S Theory , Vygotsky Theory , Kohlberg Theory आदि के नाम से जानते हैं। इन Theories के अंतर्गत बताया गया हैं कि एक शिक्षण को अपने शिक्षार्थियों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए या कैसे अपनी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को पूर्ण करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर हम इसे समझें तो S-R Theory के प्रतिपादक थार्नडाइक ने अपने सिद्धान्त में अधिगम के 3 मुख्य नियमों के संबंध में बताया हैं- तत्परता का नियम, अभ्यास का नियम और प्रभाव का नियम। उन्होंने बताया कि छात्र अधिगम (सीखने) करने की प्रक्रिया में इन 3 नियमों का पालन करते हैं।
इन समस्त मनोवैज्ञानिकों की इन Theories को शिक्षा जगत में शामिल किया जाना ही शिक्षा मनोविज्ञान को प्रदर्शित करता हैं। तो चलिए विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करते हैं कि शिक्षा मनोविज्ञान क्या हैं और किसे कहते हैं? Educational Psychology in Hindi
Table of Contents
शिक्षा मनोविज्ञान क्या हैं? |Educational Psychology in Hindi
शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो एवं नीतियों का अनुसरण करना ही शिक्षा मनोविज्ञान ( Educational Psychology ) हैं। थार्नडाइक को शिक्षा मनोविज्ञान का जनक माना जाता हैं। जिन्होंने S-R Theory का प्रतिपादन किया था। जिसे उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त भी कहा जाता हैं। इस सिद्धांत के अंतर्गत थार्नडाइक मानते हैं कि छात्रों को सीखाने के लिए उद्दीपन (S) का होना आवश्यक हैं।
मनोविज्ञान शिक्षा में पूर्वज्ञान, रुचि और सह पाठ्यक्रम गतिविधियों का समर्थन करता हैं। शिक्षा मनोविज्ञान के अनुसार छात्रों को ज्ञात से अज्ञात की ओर ले जाना चाहिए। जिससे छात्रों को अधिगम करने में किसी समस्या का सामना न करना पढ़े। मनोविज्ञान छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन और उसके सर्वांगीण विकास की बात करता हैं। शिक्षा मनोविज्ञान, बाल मनोविज्ञान की तरह मनोविज्ञान की एक शाखा हैं।
मनोविज्ञान शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में ऐसे सिद्धान्त का प्रतिपादन करता हैं जो छात्र-केंद्रित (Child Centered) हो। प्रारंभिक समय में शिक्षा अध्यापक केंद्रित हुआ करती थी। किन्तु शिक्षा मनोविज्ञान के आने से शिक्षा को बाल केंद्रित बना दिया गया हैं। जिसमें पाठ्यक्रम या शिक्षण विधियों के निर्माण के समय छात्रों के मानसिक स्तर का खासा ध्यान रखा जाता हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान में कई विचारकों के विचारों को मुख्य भूमिका प्रदान की गई हैं। जैसे- Bloom Taxonomy , Piaget Theory , Bruner Theory आदि। इन सभी मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने परीक्षण के आधार पर कुछ ऐसे मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो का प्रतिपादन किया। जिनको शिक्षण प्रक्रिया में सम्मिलित कर शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जा सकता हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा |Definition of Educational Psychology in Hindi
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा कई महान मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी हैं। जिसमें सभी ने अपने-अपने विचारों के अनुसार इसकी एक निर्धारित परिभाषा तैयार की हैं। जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं-
B.F स्किनर के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें सीखने और सीखाने की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता हैं।”
क्रो एंड क्रो के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों की व्याख्या करता हैं।”
स्टीफन के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमबद्ध अध्ययन करता हैं।”
ट्रो के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मनोवैज्ञानिक पक्षों का अध्ययन करने वाला विज्ञान हैं।”
एलिस क्रो के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान वैज्ञानिक विधि से प्राप्त किये जाने वाले मानव क्रियाओं के सिद्धांतों के प्रयोग को प्रस्तुत करता हैं। जो शिक्षण और अधिगम को प्रभावित करते हैं।”
शिक्षा मनोविज्ञान की विशेषता |Characteristics of Educational Psychology
1. शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को सम्मिलित करने और उसका क्रियान्वयन करने की एक प्रक्रिया हैं।
2. इसके अनुसार छात्रों को उनकी रुचि और उनके मानसिक स्तर के अनुरूप शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
3. यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने हेतु अधिगम प्रक्रिया का अध्ययन करता हैं।
4. शिक्षा मनोविज्ञान अधिगम के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को शिक्षा में सम्मिलित करने की बात करता है।
5. इसके अनुसार छात्रों को किसी भी प्रक्रिया से अधिगम कराया जा सकता है।
6. यह छात्रों को खुद से सीखने की ओर प्रेरित करता हैं जिससे छात्र तनाव मुक्त रह कर शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सके।
7. यह छात्रों को Co Curriculum Activities के जरिये सीखने की प्रक्रिया का समर्थन करती हैं।
8. शिक्षा मनोविज्ञान बाल-केंद्रित शिक्षा का समर्थन करती हैं। ऐसा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियां जो छात्रों के अनुरूप हो।
शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य |Aims of Educational Psychology in Hindi
● शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है।
● इसका उद्देश्य शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाना है।
● इसका उद्देश्य ऐसी शिक्षण विधियों का विकास करना है जिससे छात्र कक्षा में सक्रिय होते हुए अधिगम प्रक्रिया में भाग ले सकें।
● इसका उद्देश्य शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को स्थायी और सक्रिय बनाना हैं।
● छात्रों के व्यक्तिव एवं उनके नैतिक मूल्यों का विकास करना भी इसका मुख्य उद्देश्य हैं।
शिक्षा मनोविज्ञान की शिक्षा में उपयोगिता या भूमिका |Importance of Educational Psychology in Education
शिक्षा किसी भी देश का भविष्य और उसके विकास की नींव होती हैं। अगर हम बात करें शिक्षा मनोविज्ञान की शिक्षा में भूमिका तो मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो को शिक्षा के क्षेत्र में सम्मिलित किया जाना शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाता हैं। वर्तमान की शिक्षा बाल केंद्रित शिक्षा हैं। जिसका अर्थ है कि शिक्षा का मुख्य और मूल उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है।
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षकों को कक्षा में छात्रों को समझने और किसी जटिल प्रकरण को सरलता सर समझाने की विधि प्रदान करती हैं। जिस कारण एक शिक्षक कक्षा में छात्रों को सक्रिय रखने और कक्षा में उनकी रुचि बनाये रखने में सक्षम हो सकता हैं। यह छात्रों को सरलता से अधिगम कराने की विधि का विकास करता हैं।
इसके माध्यम से कक्षा में छात्रों को उनके बुद्धि स्तर और उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर विभक्त किया जा सकता हैं। शिक्षा में मनोवैज्ञानिक विधियों के उपयोग से छात्रों की समस्याओं और उनके समाधानों का भी पता लगाया जा सकता हैं। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की गुणवत्ता और महत्ता में वृद्धि करने की एक कला हैं। जिसका ज्ञान प्रत्येक शिक्षक को होना अनिवार्य हैं।
संक्षेप में – Conclusion
शिक्षा मनोविज्ञान ऐसी विधियों एवं प्रविधियों का विकास करती हैं जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली और स्थायी बनाया जा सकता हैं। यह छात्रों की मानसिक स्थिति का पता लगाने और अधिगम के मनोवैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करने का कार्य करती हैं।
तो दोस्तो आज आपने हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि शिक्षा मनोविज्ञान क्या हैं और इसकी परिभाषा (Educational Psychology in Hindi) हम आशा करते हैं कि हमारी यह पोस्ट आपको एक उत्तम शिक्षक बनने की ओर प्रेरित करेगी। इस पोस्ट सर संबंधित आपके कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक अवश्य शेयर करें।
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शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं, प्रकृति तथा विशेषताएँ
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं, प्रकृति तथा विशेषताएँ (Difinitions, Nature and Specificity of Educational Psychology)
शिक्षामनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक शाखा है जिसमें मनोविज्ञान के सिद्धांतों, नियमों, विधियों का उपयोग शिक्षा में क्षेत्र में किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं (Difinitions of Educational Psychology)
स्किनर (b. f. skinner) के अनुसार.
- शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है। जिसका संबंध अध्ययन (Study) तथा सीखने (Learning) से है।
- शिक्षामनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी की आधारशिला है।
- शिक्षा से जुड़े सभी व्यवहार तथा व्यक्तित्व शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आते है।
- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में उन सभी ज्ञान और विधियाँ को शामिल किया जाता है। जो सीखने की प्रक्रिया से अधिक अच्छी प्रकार समझने और अधिक कुशलता से निर्देशित करने के लिए आवश्यक है।
- मानवीय व्यवहार का शैक्षिक परिस्थितियों (Educational situations) में अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान है।
कॉलेस्निक (W.B. Kolesnik) के अनुसार
मनोविज्ञान के सिद्धांतों (Theories of psycology) व परिणामों (findings) का शिक्षा में अनुप्रयोग (Application) करना शिक्षा मनोविज्ञान है।
एलिस क्रो (Alice Crow) के अनुसार
शिक्षा मनोविज्ञान मानव प्रतिक्रियाओं (Human reactions) के वैज्ञानिक रूप से व्युत्पन्न सिद्धांतों के अनुप्रयोग (application) का प्रतिनिधित्व (Represent) करता है जो शिक्षण और सीखने को प्रभावित करते हैं।
क्रो एंड क्रो (Crow and Crow) के अनुसार
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक अधिगम (Learning) के अनुभवों (Expriences) का वर्णन (Describe) तथा व्याख्या (Explain) करता है।
स्टीफन (J. M. Stephon) के अनुसार
शिक्षा मनोविज्ञान बालक के शैक्षिक विकास (Educational development) का क्रमबद्ध (Systemaqtic) अध्ययन है।
थार्नडाइक (Thorndike) के अनुसार
शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित संपूर्ण व्यवहार (Behaviour) और व्यक्तित्व (Persenalty) आ जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान द्वारा शिक्षक बालक की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान प्राप्त करता है। उचित शिक्षण विधियों का चयन करता है। तथा कक्षा-कक्ष में अनुशासन स्थापित करता है।
जर्मन दार्शनिक हरबर्ट को ‘ वैज्ञानिक शिक्षा शास्त्र ’ का जन्मदाता माना जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति तथा विशेषताएँ (Nature and Specificity of Educational Psychology)
- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक (scientific nature) होती है। क्योंकि शैक्षिक वातावरण में अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार का वैज्ञानिक विधियों, नियमों तथा सिद्धांतों (Scientific methods, rules and principles) के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।
- यह विधायक (Constitative) और नियामक (Regulative) दोनों प्रकार का विज्ञान है। विधायक विज्ञान तथ्यों (Facts) पर जबकि नियामक विज्ञान मुल्यांकन (assessment) पर आधारित होता है।
- शिक्षा का स्वरूप संश्लेषणात्मक (Synthetic) होता है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप विश्लेषणात्मक (analytic) होता है।
- शिक्षामनोविज्ञान एक वस्तुपरक विज्ञान (Material science) है।
- शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान (Science of behavior) क्योंकि इसमें शैक्षणिक परिस्थिति के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
- शैक्षणिक परिस्थितियों के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु (theme) है।
- शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा संबंध शिक्षण में अधिगम क्रियाकलापों से है।
- शिक्षामनोविज्ञान को सर्वप्रथम आधार प्रदान करने का श्रेय पेस्टोलॉजी द्वारा किया गया।
- शिक्षा तथा मनोविज्ञान को जोड़ने वाली प्रमुख कड़ी मानव मानव व्यवहार है।
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[…] प्रथम मानव व्यवहारवादी (Hmuan Behaviorist) तथा शिक्षा मनोवैज्ञानिक (Education psychologist) है। इन्होंने भूखी बिल्ली पर प्रयोग […]
[…] […]
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Aliscience.in शैक्षणिक ब्लॉग है। इस वेबसाइट पर आप विभिन्न विषयों से जुड़ी अध्ययन सामग्री निशुल्क प्राप्त कर सकते है। हम गुणवत्ता के नोट्स, पीडीफ किताबे और अन्य अध्ययन सामग्री प्रदान करते हैं। हमारी अध्ययन सामग्री जीवविज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं की तैयारी के उद्देश्य से बनाई गयी है।
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शिक्षा मनोविज्ञान की विधियाँ || Methods of Education Psychology||
शिक्षा मनोविज्ञान की विधियाँ(methods of education psychology).
Table of Contents
(1) आत्मनिष्ठ विधियाँ (Subjective Method)
- आत्मनिरीक्षण विधि
- गाथा वर्णन विधि
(2) वस्तुनिष्ठ विधियाँ (Objective Method)
- प्रयोगात्मक विधि
- निरीक्षण विधि
- जीवन इतिहास विधि
- उपचारात्मक विधि
- विकासात्मक विधि
- मनोविश्लेषण विधि
- तुलनात्मक विधि
- सांख्यिकी विधि
- परीक्षण विधि
- साक्षात्कार विधि
- प्रश्नावली विधि
- विभेदात्मक विधि
- मनोभौतिकी विधि
इनमें से कुछ प्रमुख विधियों का निम्नानुसार वर्णन किया गया है :-
आत्म निरीक्षण विधि (अर्न्तदर्शन विधि)
आत्म निरीक्षण विधि को अर्न्तदर्शन, अन्तर्निरीक्षण विधि (Introspection) भी कहते है। स्टाउट के अनुसार ‘‘अपना मानसिक क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही अन्तर्निरीक्षण कहलाता है।’’ वुडवर्थ ने इस विधि को आत्मनिरीक्षण कहा है। इस विधि में व्यक्ति की मानसिक क्रियाएं आत्मगत होती हे। आत्मगत होने के कारण आत्मनिरीक्षण या अन्तर्दर्शन विधि अधिक उपयोगी होती हे।
लॉक के अनुसार – मस्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण।
परिचय : पूर्वकाल के मनोवैज्ञानिक अपनी मस्तिष्क क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिये इसी विधि पर निर्भर थे। वे इसका प्रयोग अपने अनुभवों का पुनः स्मरण और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिये करते थे। वे सुख, दुख, क्रोध और शान्ति, घृणा और प्रेम के समय अपनी भावनाओं और मानसिक दशाओं का निरीक्षण करके उनका वर्णन करते थे।
अर्थ : अन्तर्दर्शन का अर्थ है- ‘‘अपने आप में देखना।’’ इसकी व्याख्या करते हुए बी.एन. झा ने लिखा है ‘‘आत्मनिरीक्षण अपने स्वयं के मन का निरीक्षण करने की प्रक्रिया है। यह एक प्रकार का आत्मनिरीक्षण है जिसमें हम किसी मानसिक क्रिया के समय अपने मन में उत्पन्न होने वाली स्वयं की भावनाओं और सब प्रकार की प्रतिक्रियाओं का निरीक्षण, विश्लेषण और वर्णन करते हैं।’’
मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि : डगलस व हालैण्ड के अनुसार – ‘‘मनोविज्ञान ने इस विधि का प्रयोग करके हमारे मनोविज्ञान के ज्ञान में वृद्धि की है।’’
अन्य विधियों में सहायक : डगलस व हालैण्ड के अनुसार ‘‘यह विधि अन्य विधियों द्वारा प्राप्त किये गये तथ्यों नियमों और सिद्धांन्तों की व्याख्या करने में सहायता देती है।’’
यंत्र व सामग्री की आवश्यकता : रॉस के अनुसार ‘‘यह विधि खर्चीली नहीं है क्योंकि इसमें किसी विशेष यंत्र या सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है।’’
प्रयोगशाला की आवश्यकता : यह विधि बहुत सरल है। क्योंकि इसमें किसी प्रयोगशाला की आवश्यकता नहीं है।
रॉस के शब्दों में ‘‘मनोवैज्ञानिकों का स्वयं का मस्तिष्क प्रयोगशाला होता है और क्योंकि वह सदैव उसके साथ रहता है इसलिए वह अपनी इच्छानुसार कभी भी निरीक्षण कर सकता है।’’
जीवन इतिहास विधि या व्यक्ति अध्ययन विधि
व्यक्ति अध्ययन विधि (Case study or case history method) का प्रयोग मनोवैज्ञानिकों द्वारा मानसिक रोगियों, अपराधियों एवं समाज विरोधी कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिये किया जाता है। बहुधा मनोवैज्ञानिक का अनेक प्रकार के व्यक्तियों से पाला पड़ता है। इनमें कोई अपराधी, कोई मानसिक रोगी, कोई झगडालू, कोई समाज विरोधी कार्य करने वाला और कोई समस्या बालक होता है।
मनोवैज्ञानिक के विचार से व्यक्ति का भौतिक, पारिवारिक व सामाजिक वातावरण उसमें मानसिक असंतुलन उत्पन्न कर देता है। जिसके फलस्वरूप वह अवांछनीय व्यवहार करने लगता है। इसका वास्तविक कारण जानने के लिए वह व्यक्ति के पूर्व इतिहास की कड़ियों को जोड़ता है।
इस उद्देश्य से वह व्यक्ति उसके माता पिता, शिक्षकों, संबंधियों, पड़ोसियों, मित्रों आदि से भेंट करके पूछताछ करता है। इस प्रकार वह व्यक्ति के वंशानुक्रम, पारिवारिक और सामाजिक वातावरण, रूचियों, क्रियाओं, शारीरिक स्वास्थ्य, शैक्षिक और संवेगात्मक विकास के संबंध में तथ्य एकत्र करता है
जिनके फलस्वरूप व्यक्ति मनोविकारों का शिकार बनकर अनुचित आचरण करने लगता है। इस प्रकार इस विधि का उद्देश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारण की खोज करना है। क्रो व क्रो ने लिखा है ‘‘जीवन इतिहास विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान करना है।’’
बहिर्दर्शन या अवलोकन विधि
बहिर्दर्शन विधि (Extrospection) को अवलोकन या निरीक्षण विधि (observational method) भी कहा जाता है। अवलोकन या निरीक्षण का सामान्य अर्थ है- ध्यानपूर्वक देखना। हम किसी के व्यवहार,आचरण एवं क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं आदि को बाहर से ध्यानपूर्वक देखकर उसकी आंतरिक मनःस्थिति का अनुमान लगा सकते है।
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मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर 4
- शिक्षा मनोविज्ञान 40 महत्वपूर्ण प्रश्न
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- मनोविज्ञान की मोस्ट परिभाषाएँ
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शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र (Scope of Educational Psychology)
अनुक्रम (Contents)
शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र
शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र – शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ तथा उसके उद्देश्य से स्पष्ट है कि शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षार्थी (Learner), अध्यापक (Teacher) तथा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया (Teaching-Learning Process) का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र को स्पष्ट करते हुए स्किनर ने लिखा है कि शिक्षा मनोविज्ञान के कार्य क्षेत्र में वह सभी ज्ञान तथा प्राविधियाँ सम्मिलित हैं जो सीखने की प्रक्रिया को अधिक अच्छी प्रकार से समझने तथा अधिक निपुणता से निर्देशित करने से सम्बन्धित हैं। आधुनिक शिक्षा मनोवैज्ञानिकों के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख कार्यक्षेत्र निम्नवत हैं-
(i) वंशानुक्रम (Heredity) –
वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात योग्यताओं से सम्बन्धित होता है। किसी व्यक्ति के वंशानुक्रम में ऐसी समस्त शारीरिक, मानसिक अथवा अन्य विशेषतायें आ जाती हैं जिन्हें वह अपने माता-पिता अथवा अन्य पूर्वजों से (जन्म के समय नहीं वरन्) जन्म से लगभग नौ माह पूर्व गर्भाधान समय प्राप्त करता है। मनोवैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि बालक के विकास के प्रत्येक पक्ष पर सके वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है। शारीरिक संरचना, मूल प्रवृत्तियाँ, मानसिक योग्यता, व्यावसायिक ममता आदि पर व्यक्ति के वंशानुक्रम का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। शैक्षिक विकास की दृष्टि में वंशानुक्रम का अध्ययन करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वंशानुक्रम के ज्ञान के आधार पर अध्यापक अपने छात्रों का वांछित विकास कर सकता है।
(ii) विकास (Development) –
शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत भ्रूणावस्था से लेकर मृत्युपर्यन्त होने वाले मानव के विकास का अध्ययन किया जाता है। मानव जीवन का प्रारम्भ किस प्रकार से होता है तथा जन्म के उपरान्त विभिन्न अवस्थाओं – शैशवावस्था, वाल्यावस्था, किशोरावस्था तथा प्रौढ़ावस्था में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि पक्षों में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं, इसका अध्ययन करना शिक्षा मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण विषय क्षेत्र है। बालकों की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले विकास के ज्ञान से उनकी सामर्थ्य तथा क्षमता के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।
(ii) व्यक्तिगत भिन्नता (Individual Differences)-
संसार में कोई भी दो व्यक्ति एक दूसरे के पूर्णतया समान नहीं होते हैं। शारीरिक, सामाज सामाजिक व मानसिक आदि गुणों में व्यक्ति एक दूसरे से पर्याप्त भिन्न होते हैं। अध्यापक को अपनी कक्षा में ऐसे छात्रों का सामना करना होता है जो परस्पर काफी भिन्न होते हैं। व्यक्तिगत विभिन्नताओं के ज्ञान की सहायता से अध्यापक अपने शिक्षण कार्य को सम्पूर्ण कक्षा की आवश्यकताओं तथा योग्यताओं के अनुरूप व्यवस्थित कर सकता है।
(iv) व्यक्तित्व (Personality)-
शिक्षा मनोविज्ञान मानव के व्यक्तित्व तथा उससे सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं का भी अध्ययन करता है। मनोविज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि मानव के विकास तथा उसकी शिक्षा में व्यक्तित्व की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा का उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। अतः बालक के व्यक्तित्व का संतुलित विकास करना शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व हो जाता है। मनोविज्ञान व्यक्तित्व की प्रकृति, प्रकारों, सिद्धान्तों का ज्ञान प्रदान करके संतुलित व्यक्तित्व के विकास की विधियां बताता है। अतः शिक्षा मनोविज्ञान का एक कार्यक्षेत्र व्यक्तित्व का अध्ययन करके बालक के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करना भी है।
(v) अपवादात्मक बालक (Exceptional Child)-
शिक्षा मनोविज्ञान अपवादात्मक बालकों के लिए विशेष प्रकार की शिक्षा व्यवस्था का आग्रह करता है। वास्तव में तीव्र बुद्धि या मन्द बुद्धि बालकों तथा गूंगे, बहरे, अंधे बालकों के द्वारा सामान्य शिक्षा का समान लाभ उठाने की कल्पना करना त्रुटिपूर्ण ही होगा। ऐसे बालकों के लिए इनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था का आयोजन करना होता है। शिक्षा मनोविज्ञान इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।
(vi) अधिगम प्रक्रिया (Learning Process)-
शिक्षा प्रक्रिया का प्रमुख आधार अधिगम है। सीखने के अभाव में शिक्षा की कल्पना की ही नहीं जा सकती। शिक्षा मनोविज्ञान सीखने के नियमों, सिद्धान्तों तथा विधियों का ज्ञान प्रदान करता है। प्रभावशाली शिक्षण के लिए यह आवश्यक है कि अध्यापक सीखने की प्रकृति, सिद्धान्त, विधियों के ज्ञान के साथ-साथ सीखने में आने वाली कठिनाइयों को समझे तथा उनको दूर करने के विभिन्न उपायों से भी भलीभांति परिचित हो। सीखने का स्थानान्तरण कैसे होता है? तथा शैक्षिक दृष्टि से इसका क्या महत्व है? यह जानना भी अध्यापक के लिए उपयोगी होता है। इन सभी प्रकरणों की चर्चा शिक्षा मनोविज्ञान करता है।
(vii) पाठ्यक्रम निर्माण (Curriculum Development)-
वर्तमान समय में पाठ्यक्रम को शिक्षा प्रक्रिया का एक जीवन्त अंग स्वीकार किया जाता है तथा पाठ्यक्रम निर्माण में मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों, प्रयोग किया जाता है। विभिन्न स्तरों के बालक व बालिकाओं की आवश्यकताएँ, विकासात्मक विशेषताएँ, अधिगम शैली आदि भिन्न-भिन्न होती हैं। पाठ्यक्रम निर्माण के समय इन सभी का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक तथा महत्वपूर्ण होता है।
(viii) मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) –
अध्यापकों तथा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का शैक्षिक दृष्टि से विशेष महत्व है। जब तक अध्यापक तथा छात्रगण मानसिक दृष्टि से स्वस्थ तथा प्रफुल्लित नहीं होंगे, तब तक प्रभावशाली अधिगम सम्भव नहीं है। मनोविज्ञान मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का ज्ञान प्रदान करता है तथा कुसमायोजन से बचने के उपायों को खोजता है।
(ix) शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods) –
शिक्षण का अभिप्राय छात्रों के सम्मुख ज्ञान को प्रस्तुत करना मात्र नहीं है। प्रभावशाली शिक्षण के लिए यह आवश्यक है कि छात्र प्रभावशाली ढंग से ज्ञान को ग्रहण करने में समर्थ हो सके। शिक्षा मनोविज्ञान बताता है कि जब तक छात्रों को पढ़ने के प्रति अभिप्रेरित नहीं किया जायेगा, तब तक अध्यापन में सफलता मिलना संदिग्ध होगा। यह भी स्मरणीय होगा कि सभी स्तर के बालकों के लिए अथवा सभी विषयों के लिए कोई एक सर्वोत्तम शिक्षण विधि सम्भव नहीं होती है। शिक्षा मनोविज्ञान प्रभावशाली शिक्षण के लिए उपयुक्त शिक्षण विधियों का ज्ञान प्रदान करता है।
(x) निर्देशन व समुपदेशन (Guidance and Counselling) –
शिक्षा एक अत्यंत व्यापक तथा बहु-आयामी प्रक्रिया है। समय-समय पर छात्रों को तथा अन्य व्यक्तियों को शैक्षिक व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक निर्देशन व परामर्श प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। छात्रों को किस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहिए, किस व्यवसाय में वे अधिकतम सफलता अर्जित कर सकते हैं, उनकी समस्याओं का समाधान कैसे हो सकता है जैसे प्रश्नों का उत्तर शिक्षा मनोविज्ञान ही प्रदान कर पाता है।
(xi) मापन तथा मूल्यांकन (Measurement and Evaluation) –
छात्रों की विभिन्न योग्यताओं, रुचियों तथा उपलब्धियों का मापन व मूल्यांकन करना अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा आवश्यक होता है। मापन तथा मूल्यांकन की सहायता से एक ओर जहाँ छात्रों की सामर्थ्य, रुचियों तथा परिस्थितियों का ज्ञान होता है, वहीं दूसरी ओर शिक्षण-अधिगम की सफलता-असफलता का ज्ञान भी प्राप्त होता है। शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययनों में छात्रों की योग्यताओं तथा उपलब्धियों का मापन व मूल्यांकन करने वाले विभिन्न उपकरण बहुतायत से प्रयुक्त किए जाते हैं।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है तथा इसमें मनोविज्ञान से सम्बन्धित उन समस्त बातों का अध्ययन किया जाता है जो शिक्षा प्रक्रिया का नियोजन करने, संचालन करने तथा परिमार्जन करने की दृष्टि से उपयोगी हो सकती है।
- शिक्षा का अर्वाचीन अर्थ | Modern Meaning of Education
- शिक्षा का महत्त्व | Importance of Education in Hindi
- शिक्षा के प्रकार | Types of Education औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिकया शिक्षा
- शिक्षा की संकल्पना तथा शिक्षा का प्राचीन अर्थ
- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
- अधिगम की विशेषताएं (Characteristics of Learning in Hindi)
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- अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान
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- समावेशी शिक्षा के कार्यक्षेत्र
- संचयी अभिलेख (cumulative record)- अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता और महत्व,
- समावेशी शिक्षा (Inclusive Education in Hindi)
- समुदाय Community in hindi, समुदाय की परिभाषा,
- राष्ट्रीय दिव्यांग विकलांग नीति 2006
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मनोविज्ञान क्या है परिभाषा व अर्थ | What Is Psychology In Hindi
manovigyan in hindi मनोविज्ञान क्या है परिभाषा व अर्थ | What Is Psychology In Hindi : मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो प्राणियों के व्यवहार एवं मानसिक दैहिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता हैं.
व्यवहार में मानव व्यवहार के साथ साथ पशु पक्षियों के व्यवहार को भी सम्मिलित किया जाता हैं.
मनोविज्ञान शब्द का शाब्दिक अर्थ है मन का विज्ञान अर्थात मनोविज्ञान अध्ययन की वह शाखा है जो मन का अध्ययन करती हैं.
मनोविज्ञान शब्द अंग्रेजी भाषा के Psychology शब्द से बना हैं. साइकोलॉजी शब्द की उत्पत्ति यूनानी (लैटिन) भाषा के दो शब्द साइकी तथा लोगस से मिलकर हुई हैं.
साइकी शब्द का अर्थ है आत्मा जबकि लोगस का अर्थ है अध्ययन या ज्ञान से हैं. अतः अंग्रेजी शब्द साइकोलॉजी का शाब्दिक अर्थ है आत्मा का अध्ययन या आत्मा का ज्ञान.
human psychology in hindi language
मनोविज्ञान का जन्म यूनान में 300 ई पू को हुआ था. दर्शनशास्त्र को मनोविज्ञान का पिता कहते हैं. मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करने का श्रेय संरचनावादी मनोवैज्ञानिकों को जाता हैं.
मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला की स्थापना विलियम वुंट ने 1879 ई को जर्मनी के लिपजिंग शहर में की थी.
मनोविज्ञान की विचारधाराएं- psychology notes in hindi
- मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की प्रथम विचारधारा है जिसका समय आरम्भ से 16 वीं सदी तक माना जाता हैं. इस विचारधारा के समर्थक प्लेटो, अरस्तू, देकार्ते, सुकरात आदि को माना जाता हैं.
यूनानी दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया हैं. साइकोलॉजी शब्द का शाब्दिक अर्थ भी आत्मा के अध्ययन की ओर इंगित करता हैं.
- मनोविज्ञान मन/मस्तिष्क का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की दूसरी विचारधारा हैं. जिसका समय 17 वीं से 18 वीं सदी माना जाता हैं. इस विचारधारा के समर्थक जॉन लॉक, पेम्पोलोजी, थोमस रीड आदि थे.
आत्मा के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान की परिभाषा के अस्वीकृत हो जाने पर मध्ययुग (17 वीं शताब्दी) के दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को मन का विज्ञान के रूप में परिभाषित किया हैं. इनमें मध्ययुग के दार्शनिक पेम्पोलोजी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.
- मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की तीसरी विचारधारा हैं जिसका समय 19 वीं शताब्दी माना जाता हैं. इस विचारधारा के समर्थक विलियम वुंट, ई. बी टिचनर, विलियम जेम्स आदि को माना जाता हैं.
मनोवैज्ञानिकों के द्वारा मन या मस्तिष्क के विज्ञान की जगह मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में व्यक्त किया गया. टिचनर, विलियम जेम्स, विलियम वुंट आदि विद्वानों ने मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में स्वीकार करके कहा कि मनोविज्ञान चेतन क्रियाओं का अध्ययन करता हैं.
- मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की नवीनतम विचारधारा हैं. जिसका समय बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ से आज तक माना जाता हैं. यह मनोविज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण विचारधारा हैं.
इस विचारधारा के समर्थक वाट्सन, वुडवर्थ, स्किनर आदि को माना जाता हैं. मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाने लगा.
वाट्सन वुडवर्थ स्किनर आदि मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को व्यवहार के एक निश्चित विज्ञान के रूप में स्वीकार किया हैं. वर्तमान समय में मनोविज्ञान की इस विचारधारा को ही एक सर्वमान्य विचारधारा के रूप में स्वीकार किया जाता हैं.
मनोविज्ञान की परिभाषाएं (What Is Psychology Definition In Hindi)
- वुडवर्थ – सर्वप्रथम मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा को छोड़ा, फिर इसने अपने मन को त्यागा, फिर इसने चेतना खोई. अब वह व्यवहार को अपनाए हुए हैं.
- वाट्सन – मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान हैं.
- मैक्डूगल – मनोविज्ञान व्यवहार एवं आचरण का विज्ञान हैं.
- स्किनर – मनोविज्ञान व्यवहार एवं अनुभव का विज्ञान हैं.
- क्रो एवं क्रो – मनोविज्ञान मानव व्यवहार एवं मानवीय सम्बन्धों का अध्ययन हैं.
- वुडवर्थ – मनोविज्ञान वातावरण के सम्पर्क में होने वाले व्यवहार का अध्ययन हैं.
- जेम्स ड्रेवर – मनोविज्ञान शुद्ध विज्ञान हैं.
- बोरिंग एवं लेंगफील्ड – मनोविज्ञान मानव प्रकृति का अध्ययन हैं.
- मैक्डूगल – मनोविज्ञान जीवित वस्तुओं के व्यवहार का विधायक विज्ञान हैं.
शिक्षा में मनोविज्ञान की भूमिका Role of psychology in education
आधुनिक शिक्षा पद्धति के विकास और बाल आधारित बनाने में निसंदेह मनोविज्ञान का बड़ा हाथ है यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अधिक सुगम और सुग्राह्य बनाने का कार्य करती हैं.
एजुकेशन साइकोलॉजी की मदद से एक अध्यापक यह जान पाता है कि अधिगमकर्ता बालक की आवश्यकता क्या हैं तथा किन तरीकों से उन्हें अधिगम कराया जाना चाहिए.
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की सबसे बड़ी देन व्यक्तिगत विभिन्नताओं को स्वीकार्यता दिलाना रही हैं. हर एक बालक दूसरे बालक से मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास में भिन्न होता हैं.
अध्यापक उनकी व्यैक्तिक भिन्नता और स्तर का सम्मान करते हुए सभी स्तर के बच्चों को एक साथ लेकर आगे बढ़े यह मनोविज्ञान के चलते ही सम्भव हो पाया हैं.
बच्चों की आयु, स्तर, आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आज के समय पाठ्यक्रम निर्माण में भी मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं. बच्चों को पाठ्यपुस्तक के अतिरिक्त सह शैक्षिक गतिविधियों के द्वारा अध्यापन कराने की पद्धति को मनोविज्ञान ने ही दिया हैं.
मनोविज्ञान ने अधिगम के सिद्धांतों के जरिये सीखने के तरीकों में रचनात्मकता को शामिल किया हैं. सकारात्मक और नकारात्मक पुनर्बलन मनोविज्ञान की ही देन हैं.
बच्चें को अभिप्रेरित करने के लिए दोनों तरह के पुनर्बलन आवश्यकता अनुरूप देकर अधिगम स्तर में यथेच्छ सुधार किये जाने सम्भव हुए हैं.
मनोविज्ञान से सम्बन्धित तथ्य (psychology question answer in hindi)
- साइकोलॉजी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग- रुडोल्फ गोयकल
- मनोविज्ञान का जनक- अरस्तु
- आधुनिक मनोविज्ञान का जनक- विलियम जेम्स
- प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक- विलियम वुंट
- पशु मनोविज्ञान का जनक- थार्नडाईक
- सरंचनात्मक संप्रदाय के प्रवर्तक- विलियम वुंट, टिचनर
- मनोविश्लेषणवाद के जनक- सिगमंड फ्रायड
- गैस्टाल्टवाद सम्प्रदाय के जनक- वर्दीमर, कोहलर, कोफ्का
- व्यवहारवाद का जनक- वाट्सन
- प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक- थार्नडाईक
- अनुबंधन सिद्धांत के जनक- पावलाव
- प्रयास त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक- थार्नडाईक
- अनुबंधन सिद्धांत के जनक- पावलोव
- क्रिया प्रसूत सिद्धांत के जनक- सी एल हल
- मानवतावादी दृष्टिकोण के प्रतिपादक- मास्लो
- प्रेरक संप्रदाय के प्रतिपादक- विलियम मैक्डूगल
- प्रकार्यवाद संप्रदाय के प्रतिपादक- विलियम जेम्स, जॉन डीवी
- क्षेत्रवाद सिद्धांत के जनक- कुर्त लेविन
- अंतदर्शन विधि के प्रवर्तक- विलियम वुंट एवं टिचनर
- बहिरदर्शन विधि के प्रवर्तक- जे बी वाट्सन
- प्रश्नोत्तर व प्रश्नावली विधि के प्रवर्तक- सुकरात व वुडवर्थ
- समाजमिति विधि के प्रवर्तक- जे एल मोरेनो
- व्यक्ति इतिहास विधि के प्रवर्तक- टाइडमैंन
- प्रयोगात्मक विधि के प्रवर्तक- विलियम वुंट
- बीजकोषों की निरन्तरता का नियम- वीजमैंन
- अर्जित गुणों का स्थानांतरण नियम- लैमार्क
- मैडल का स्थानान्तरण का नियम- जॉन ग्रेगर मेडल
- मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत- सिगमंड फ्रायड
- संज्ञात्मक विकास का सिद्धांत- जीन पियाजे
- मनो सामाजिक विकास सिद्धांत- इरिक्सन
- भाषा विकास का सिद्धांत- चोमस्की
- नैतिक विकास सिद्धांत- कोहलबर्ग
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Educational Psychology Notes In Hindi PDF
Educational Psychology Notes In Hindi PDF | शिक्षा मनोविज्ञान नोट्स इन हिन्दी पीडीएफ
◆ शिक्षा मनोविज्ञान का आधार मानव व्यवहार है मनोविज्ञान शिक्षा को आधार प्रदान करता है । ◆ क्रो एण्ड क्रो के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान को व्यवहारिक विज्ञान माना जाता है , शिक्षा मनोविज्ञान सीखने के क्यों , कैसे व क्या से संबंधित है । ◆ आधुनिक शिक्षामनोविज्ञान में थार्नडाईक व कैटल का योगदान है । ◆ शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है – ( 1 ) शिक्षा ( 2 ) मनोविज्ञान
★ शिक्षा :- ◆ क्रो एण्ड क्रो – शिक्षा व्यक्तिकरण व समाजीकरण की प्रकिया है जिसके सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है । ◆ शिक्षा : – शिक्षा शब्द की उत्पत्ति ‘ शिक्ष् ‘ धातु से हुई है जिसका अर्थ है सीखना । सीखने के तीन तत्व :- 1. शिक्षक 2. शिक्षार्थी 3. पाठ्यक्रम
★ शिक्षा के प्रकार तीन है :- 1 . औपचारिक शिक्षा माध्यम – निर्धारित समय व स्थान , जैसे – विद्यालय 2 . अनौपचारिक शिक्षा – जिसका समय व स्थान निर्धारित नहीं होते – जैसे परिवार 3 . निरौपचारिक शिक्षा – पत्राचार , टी . वी , समाचार दररथ स्थान से प्राप्त की जाने वाली शिक्षा ★ शिक्षा की परिभाषा :- 1 . स्वामी विवेकानन्द : ‘ मनुष्य में अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है । ‘ 2 . ब्राउन – शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है । 3 . महात्मा गाँधी – शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक या मनुष्य के शरीर मस्तिष्क तथा आत्मा के सर्वोत्तम विकास की अभिव्यक्ति से है । ‘ 4 . पेस्टोलॉजी – शिक्षा बालक की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक , विरोधहीन व प्रगतिशील विकास है । 5 , जॉन डीवी : – ‘ शिक्षा व्यक्ति को उन सभी योग्यताओं का विकास हैं जिनके द्वारा वह वातावरण के ऊपर नियंत्रण स्थापित करता है । 6. डगल्स व हॉलैण्ड – शिक्षा शब्द का प्रयोग सब परिवर्तनों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो व्यक्ति के जीवन काल में होते हैं । 7. फ्रैंडसन – आधुनिक शिक्षा का संबंध व्यक्ति व समाज दोनों के कल्याण से है । 8 . डमविल – शिक्षा के व्यापक अर्थ में से सब प्रभाव आते है जो बालक को जन्म से मृत्यु तक प्रभावित करता है । एजुकेशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के एडुकेटम से हुई है । Educatum अर्थ – अन्दर से बाहर निकालना । एडुकेयर – आगे बढ़ाना । एडुसियर – विकसित करना । ■ मनोविज्ञान :- उत्पत्ति – साईकी + लोगोस ( Psyche + Logos ) ( आत्मा + विज्ञान / वातचीत ) ग्रीक भाषा का शब्द हैं । आत्मा का विज्ञान नोट : – ग्रीक ना होने पर लैटिन करना है । ● मनोविज्ञान के आदि जनक – अरस्तु ● आधुनिक मनोविज्ञान के जनक – विलियम जेम्स ( 1312 ) अमेरिका (मनोविज्ञान पहले दर्शन शास्त्र की शाखा था । ) दर्शनशास्त्र से अलग किया मनोविज्ञान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग – रूडोल्फ गोयक्ले ( 1550 ई . ) पुस्तक – साईक्लोजिया ● प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जनक – विलियम वुन्ट में जर्मनी के निपजंग नगर में पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना की थी । भारत मनोवैज्ञानिक एसोशियसन की स्थापना ( 1924 ) ‘ ● भारत में पहला मनोवैज्ञानिक विभाग ( 1915 ) कलकत्ता के सरेन्द्र नाथ सेन ने की । पहला मनोविज्ञान प्रयोगशाला 1905 बोजेन्द्रनाथ सोल ने स्थापित किया । ★ मनोविज्ञान का विकास : 1. आत्मा का विज्ञान – प्लेटो , अरस्तू व डेकार्त ( 16 वीं शताब्दी ) ( Soul of Science ) आलोचना – आत्मा एक आध्यात्मिक , धार्मिक व काल्पनिक विषय हैं । 2 . मन का विज्ञान – पोम्पोनॉजी – प्रथम ( 17 वीं शताब्दी में ) ( Science of Mind ) समर्थन किया – जॉन लॉक थॉमस रोड , बर्कले । आलोचना – मन अमूर्त व निजी है हम दूसरों के गर्ने को नहीं जान सकते , मन अन्तर्मुखी होते है । 3 . चेतना का विज्ञान : – विलियम जेम्स ( 19 वीं शताब्दी तक 1852 ) ( Science of Consciousness ) समर्थक – विलियम वुण्ट , जेम्स सल्ली , टिचेनर आलोचना – चेतन केवल 1 / 10 भाग है , बाकी अचेतन होता है । विलियम मैक्डूगल : – अपनी पुस्तक ‘ आउटलाईन ऑफ साइकोलॉजी में चेतना शब्द की आलोचना की । 4. व्यवहार का विज्ञान : – 20 वीं शताब्दी ( Science of Behaviour ) प्रतिपादक – वाटसन ( 1213 ) ● सर्वप्रथम विलियम मैक्डूगल ने 1905 ई इसका उल्लेख किया बाद में पिल्सबली ने 1911 में पुस्तक मनोविज्ञान के मूल तत्त्व में इसे व्यवहार का विज्ञान कहा । ● मैक्डूगल – सजीव प्राणियों का सकारात्मक विज्ञान कहा थ 1928 में व्यवहार शब्द का प्रयोग किया । ● वॉटसन – मनोविज्ञान व्यवहार का निश्चित व धनात्मक विज्ञान हैं । ‘ ● मन – आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से । ● वडवर्थ – ‘ मनोविज्ञान ने सतप्रथम अत्मिा का त्याग , फिर मन का त्याग , फिर चेतना का त्याग और वर्तमान में उसने व्यवहार को रूप को अपना लिया है । ★ मनोविज्ञान की परिभाषाएँ :- ◆ सामान्य परिभाषा – मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहार व अनुभव का वैज्ञानिक अध्ययन है । ◆ स्किनर – मनोविज्ञान व्यवहार एवं अनुभव का विज्ञान है । जो जीवन की सभी परिस्थितियों में प्राणी को क्रियाओं का अध्ययन करता है । ‘ ◆ को एण्ड क्रो : – ‘ मनोविज्ञान मानव व्यवहार तथा मानव संबंधों का अध्ययन है । ◆ बोरिंग लेगफील्ड , वेल्ड : – ‘ मनोविज्ञान मानव प्रकृति का अध्ययन है । ◆ वुडवर्थ : – मनोविज्ञान वातावरण के सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति के क्रियाकलाप का विज्ञान है । ◆ मैक्डूगल : – मनोविज्ञान आचरण व व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है । ◆ गैरिसन एवं अन्य के अनुसार : – मनोविज्ञान का संबंध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है । ◆ पिल्सबल्ली : – ‘ मनोविज्ञान की सबसे सन्तोषजनक परिभाषा मानव व्यवहार के विज्ञान के रूप में की जा सकती है । ◆ विलियम जेम्स , मनोविज्ञान की सर्वोत्तम परिभाषा चेतना के विज्ञान के रूप में की जा सकती है । ★ मनोविज्ञान के लक्ष्य ( Goals of Psychology ) :- 1 . मापन एवं वर्णन ( Measurement and description ) 2 . पूर्वानुमान एवं नियंत्रण ( Prediction and Control ) 3 . व्याख्या ( Explanation ) | 1 , मापन एवं वर्णन ( Measurement and description ) – मनोविज्ञान का सबसे प्रथम लक्ष्य प्राणी के व्यवहार एवं संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन करना तथा फिर उसे मापन करना होता है । प्रमुख मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे चिंता , सीखना , मनोवृत्ति , क्षमता , बुद्धि आदि का वर्णन करने के लिए पहले उसे मापना आवश्यक होता है । 2 . पूर्वानुमान एवं नियंत्रण ( Prediction and Control ) : – मनोविज्ञान का दूसरा लक्ष्य व्यवहार के बारे में पूर्वकथन करने से होता है ताकि उसे ठीक ढंग से नियंत्रित किया जा सके । 3 . व्याख्या ( Explanation ) : – मनोविज्ञान का अंतिम लक्ष्य मानव व्यवहार की व्याख्या करना होता है । ★ मनोविज्ञान की शाखाएँ : 1 . शिक्षा मनोविज्ञान ( Education ) 2 . मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ( Human ) 3 . पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ( Anirmal ) 4 . व्यक्तित्व / व्यक्तिगत मनोविज्ञान Individual ) 5 . सामान्य / असामान्य मनोविज्ञान ( मानसिक रोगों का अध्ययन ) ( Normal and Abnormal ) 6 . निदानात्मक व उपचारात्मक मनोविज्ञान 7 . समाज मनोविज्ञान ( Social psy ) 8 . संज्ञानात्मक मनोविज्ञान ( Congnitive ) 9 . अपराध मनोविज्ञान ( COTri1nal ) 10 . बाल मनोविज्ञान ( Child ) 11 . किशोर मनोविज्ञान ( Adolescent ) 12 . प्रौढ़ मनोविज्ञान ( Adult ) 13 . परा मनोविज्ञान – मन से परे ( Para ) 14 . औद्योगिक मनोविज्ञान ( Industrial ) 15 . सैन्य मनोविज्ञान ( Military ) 16 . व्यवहार मनोविज्ञान 17 . औपचारिक मनोविज्ञान ( Clinical ) 18 . शारीरिक मनोविज्ञान ( Physialogical ) 19 . सुधारात्मक मनोविज्ञान 20 . कानून मनोविज्ञान ( Law ) 21 . व्यावहारिक मनोविज्ञान ( Applied ) 22 . सैद्धान्तिक मनोविज्ञान ( Pure ) 23 . प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ( Experinmental )
Educational Psychology Notes In Hindi PDF | शिक्षा मनोविज्ञान नोट्स इन हिन्दी पीडीएफ REET/RTET, RPSC 1st Grade, 2nd Grade, DSSSB, KVS, CTET, UPTET, HTET & all Other State TET Exam
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Educational Psychology
Jan 22, 2011
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Educational Psychology. Define and contrast descriptive, correlational and experimental studies, giving examples of how each of these have been used in educational psychology. .
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- best teaching methods
- future classroom behavior
- scientific investigations
- experimental studies
- behavior modification
Presentation Transcript
Educational Psychology Define and contrast descriptive, correlational and experimental studies, giving examples of how each of these have been used in educational psychology. Define the four basic methods used to collect data in educational psychology (systematic observation, participant observation, paper/pencil, and clinical), giving an example of how each has been used in the study of important variables in educational psychology.
Educational Psychology In your discussion, define and differentiate the following terms: fact, concept, principle, hypothesis, theory, and law. Developed by W. Huitt (1999)
Research in Educational Psychology There are a variety of ways of validating truth: • Personal experience • Intuition • Social and/or cultural consensus • Religious scripture and interpretation • Philosophy and logical reasoning • Science and the scientific method
Research in Educational Psychology In order for a process to be described as “scientific” it must meet three criteria: • knowledge must be grounded in experience • knowledge must be grounded in a paradigm or exemplar • any hypothesis must be potentially falsifiable
Research in Educational Psychology Some scientists argue that the only appropriate phenomena to study using the scientific method is behavior that is observable by others However, other scientists believe that personal and interpersonal subjective experiences can also be studied using the scientific method
Research in Educational Psychology Educational psychology offers a fertile opportunity for scientists to demonstrate the validity of these opposing viewpoints Sample topics that have been addressed include: • Cognitive development • Language development • Teaching methods for concept development
Research in Educational Psychology The scientific method can be used to engage in • Research where the objective is to gain understanding of a particular phenomena OR • Evaluation where the objective is to make a judgement of worth or value
Quantitative Qualitative Research in Educational Psychology Assessment Measurement Research Evaluation
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Descriptive study Used when we have little knowledge of a phenomena and we want to describe it accurately and truthfully
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Correlational study Used when we want to understand the relationships among variables and make predictions from present circumstances to future ones
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Correlational study Correlation coefficient describes the strength of the relationship Range is from -1 to +1
Example of A Perfect Correlation
Example of A Zero Correlation
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Correlational study Correlation coefficient describes the strength of the relationship Range is from -1 to +1 Type of relationship is determined by sign
Example of A Positive Correlation
Example of A Negative Correlation
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Correlational study Correlation coefficient describes the strength of the relationship Range is from -1 to +1 Type of relationship is determined by sign Strength of relationship is determined by absolute value
Research in Educational Psychology .60 > .40 (Regardless of sign)
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Experimental study Used when we have a fairly good understanding of predictive relationships and we want to demonstrate cause/effect relationships
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Experimental study Must have at least two groups Subjects must be randomly assigned One group must experience a treatment The INDEPENDENT variable is manipulated Change (if any) is observed in the DEPENDENT variable
Research in Educational Psychology There are three different types of studies used in scientific investigations • Experimental study Only Results from Experimental Studies Can Demonstrate Cause and Effect Relationships
Research in Educational Psychology There are four levels of scientific investigation: Action -- What is the relationship of A and B or what is the impact of A on B? Example -- What are the best teaching methods that can be used to motivate students to learn?
Research in Educational Psychology There are four levels of scientific investigation: Interaction -- What is the impact of A @ B1, A @ B2, etc.? Example -- Does using cooperative learning in gender-mixed classrooms impact girls the same way it impacts boys?
Research in Educational Psychology There are four levels of scientific investigation: Transaction -- What is the relationship between A and B over time? Example -- If a teacher has successfully used a behavior modification technique, but has since stopped, what does the child do the next time the teacher uses that same technique?
Research in Educational Psychology There are four levels of scientific investigation: Transaction -- What is the relationship between A and B over time? Example -- What are the processes by which a mother’s educational level impacts the parent-child interaction and subsequent characteristics of the child when he or she enters a classroom at a later date?
Research in Educational Psychology There are four levels of scientific investigation: Transformation -- How do qualitative changes in A impact qualitative changes in B; also B1 on A1, etc. Example --How does parent involvement in a training program designed to impact a child’s classroom behavior impact the siblings of the child and the sibling’s subsequent interactions with the parent and future classroom behavior?
Research in Educational Psychology There are four basic methods used to gather data to be used in scientific studies. Each of the methods can be used in all three types of studies: • Paper/pencil -- any information gathered by asking the subject a question • Systematic observation -- trained recorder gathers data on prearranged variables
Research in Educational Psychology There are four basic methods used to gather data to be used in scientific studies. Each of the methods can be used in all three types of studies: • Participant observation -- the person collecting the data participates in the process being observed • Clinical -- specially-trained practitioners gather data as part of a diagnostic/prescriptive activity
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: FACT • an idea or action that can be verified • names and dates of important activities; population of the United States in the latest census
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: CONCEPT • rules that allow for categorization of events, places, people, ideas, etc. • a DESK is a piece of FURNITURE designed with a flat top for writing; a CHAIR is a piece of FURNITURE designed for sitting; a CHAIR with a flat surface attached to it that is designed for writing is also called a DESK
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: PRINCIPLE • relationship(s) between/among facts and/or concepts • the number of children in the family is related to the average scores on nationally standardized achievement tests for those children
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: HYPOTHESIS • educated guess about relationships (principles) • for lower-division, undergraduate students • study habits is a better predictor of success in a college course than is a measure of intelligence or reading comprehension
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: THEORY • set of facts, concepts, and principles that allow description and EXPLANATION • Piaget's theory of cognitive development, Erikson's theory of socioemotional development, Skinner's theory of operant conditioning
Research in Educational Psychology Use of the scientific method results in an increasingly sophisticated knowledge base: LAW • firmly established, thoroughly tested, principle or theory • a fixed interval schedule for delivering reinforcement produces a scalloping effect on behavior
Research in Educational Psychology Use of the scientific method does not necessarily invalidate information gathered through other means. However, when data from science seem to contradict data from personal experience, intuition, social or cultural consensus, religious scripture and interpretation, or philosophy and rational thinking, an opportunity for learning has presented itself.
Research in Educational Psychology As stated previously, educational psychology is a SCIENTIFIC approach to the study of the teaching/learning process. You will be expected to support your opinions developed through another source with data collected using the scientific method.
Research in Educational Psychology AN IMPORTANT CAVEAT Only a small amount of the principles and theories developed in educational psychology have support from a body of research developed through the use of experimental studies. Therefore, most of the concepts, principles, and theories discussed in this course must be considered as best-first-guess hypotheses.
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